जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 36/13
श्रीमती सुशीला पत्नी स्व0 हनुमानराम विश्नोई जाति विश्नोई निवासी ग्राम चेनार पोस्ट सथेरण तहसील व जिला नागौर -परिवादी
बनाम
1. भारतीय डाक विभाग जरिये मुख्य पोस्टमास्टर जनरल, राजस्थान परिमण्डल सरदार पटेल मार्ग सी स्कीम जयपुर
2. उप मण्डल प्रबंधक (पी एल आइ) कार्यालय मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल राजस्थान परिमण्डल सरदार पटेल मार्ग सी स्कीम जयपुर
3. अधीक्षक डाक विभाग, नकाश गेट के अंदर, नागौर
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः-
1. श्री शिवचवंद पारीक , अधिवक्ता वास्ते परिवादी
2. श्री सुनील कुमार कुमावत निरीक्षक अप्रार्थीगण की ओर से
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दि0 25.2.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ग्राम चेनार का स्थाई निवासी है । परिवादीनि के पति स्व0 हनुमानराम विश्नोई ने अपने जीवन काल में अप्रार्थीगण द्वारा जारी पी एल आइ पाॅलिसि ले रखी थी जिसकी पाॅलिसि राशि दो लाख रूस्पये व मासिक प्रीमियम 1350 रूपये था। जिसमें परिवादीनि को नोमिनि घोषित कर रखा था। परिवादीनि के पति की मृत्यु दिनांक 08.3.12 को हो गई । जिस पर यथाशीघ्र अप्रार्थीगण से देय बीमाधन की मांग की तथा वांछित दस्तावेज उपलब्ध करवा दिये । अप्रार्थीगण ने परिवाद को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि पाॅलिसि दिनांक 24.2.12 की प्रभावी तिथि को क्रय की गई थी और एक माह चलने के बाद दिनांक 08.3.12 को बीमाधारी की मृत्यु हो गई। जांच में नियमानुसार परिवादीनि का दावा स्वीकार किये जाने योग्य नहीं पाया ं। परिवादीनि ने बीमा पाॅलिसि प्राप्त करते समय कोई जानकारी नहीं छिपाई थी । परिवाादी किसी बीमारी से ग्रसित नहीं रहा । परिवाादी ने दस्तावेजात प्रदर्श 1 से प्रदर्श 3 पेश कर परिवाद में मांग की है कि अप्रार्थीगण से बीमाधन रूपये दो लाख मय ब्याज , मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के 10000 रूपये तथा परिवाद व्यय दिलाया जावे । परिवाद के समर्थन परिवाादीनि का शपथ पत्रि भी पेश किया गया ।
2. अप्रार्थीगण की ओर से जबाब पेश कर परिवाद के अधिकांश तथ्यों से इन्कार करते हुए संक्षेप में कथन किया कि हनुमानराम विश्नोई को रेबीज सी हाइड्रोफोबिया नाम बीमारी थी जिससे 12 दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। जांच रिपोर्ट में भी हनुमानराम की मृत्यु से एक दो माह पूर्व बिल्ली के काटे जाने की घटना का उल्लेख है। बीमाधारी ने गंभीर बीमारी का तथ्य छिपाया है अतः सक्षम अधिकारी ने नियमानुसार मृत्यु दावा योग्य नहीं पाये जाने से निरस्त कर दिया । जबाब मय शपथ पत्र पेश कर परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया है
3. बहस उभय पक्ष सुनी गई। विद्वान अधिवक्ता परिवादी ने परिवााद में उल्लेखित तथ्यों की पुनरावृति करते हुए परिवादीनि के पति के मृत्यु दावा पर पाॅलिसि की राशि व उस पर ब्याज दिलाये जाने का निवेदन किया जबकि अप्रार्थीगण की ओर से परिवादी का मृत्यु दावा नियमानुसार खारिज किये जाने योग्य होने से खारिज किया होने से परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया ।
4. पत्रावली व उपलब्ध दस्तावेजात से यह स्पष्ट है कि परिवादी के पति स्व0 हनुमानराम विश्नोई ने अप्रार्थीगण से दिनांक 24.2.12 को पी एल आइ बीमा पाॅलिसि ली । दिनांक 08.3.12 को बीमा धारक की मृत्यु हो गई। प्रार्थी की ओर से अप्रार्थी के यहां बीमा क्लेम प्रस्तुत किया । परंतु अप्रार्थी ने इस आधार पर बीमा क्लेम निरस्त कर दिया कि बीमा प्रस्ताव प्रस्तुत करते समय 24.2.12 को पाॅलिसि धारक श्री हनुमानराम रेबीज की बीमारी से ग्रसित था। रेबीज के कारण हाइड्रोफोबिया के कारण उसकी 12 दिन बाद मृत्यु हो गई।
5. अप्रार्थी की ओर से एनेक्सचर ‘ए‘ प्रस्तुत किया जो कि हनुमानराम का मृत्यु प्रमाणपत्र है। उसमें रेबीज सी हाइड्रोफोबिया से ग्रसित होने के कारण दिनांक 08.3.12 को मृत्यु होना बताया है।
6. विद्वान अधिवक्ता प्रार्थी का यह तर्क है कि मृतक स्वयं को ही इस बात का पता नहीं था कि उसको किसी प्रकार की कोई बीमारी है, न ही कभी भी उसने किसी बीमारी का उपचार करवाया, न ही वह किसी बीमारी के लिए किसी अस्पताल में भर्ती रहा, न ही बीमा प्रस्ताव व बीमा पाॅलिसि जारी करते समय अप्रार्थी ने प्रार्थी का कोई चेक अप करवाया । यदि अप्रार्थी को प्रार्थी मृतक के स्वास्थ्य के संबंध में कोई संदेह था तो उसे स्वास्थ्य परीक्षण करवाना चाहिए था । इसके अलावा विद्वान अधिवक्ता प्रार्थी का यह भी तर्क है कि किस आधार पर एनेक्सचर -ए मृत्यु प्रमाणपत्र चिकित्सक द्वारा हाइड्रोफोबिया मानकर प्रस्तुत किया । चिकित्सक को साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसके अलावा यदि यह मान भी लिया जाये कि हनुमानराम की मृत्यु हाइड्रोफोबिया के कारण हुई तो भी अप्रार्थी की ऐसी कोई साक्ष्य नहीं है कि बीमा प्रस्ताव लेने से पूर्व किसी कुत्ते या बिल्ली के काटने के कारण हाइड्रोफोबिया हुआ हो। दिनांक 07.3.12 को प्रार्थी को बीकानेर राजकीय अस्पताल में भर्ती करवाया और दिनांक 08.3.12 को उसकी मृत्यु हो गई तो यह कैसे माना जा सकता है कि बीमा प्रस्ताव से पूर्व उसके शरीर में रेबीज थे । यदि अप्रार्थी की रेबीज को सही माना जाये तो यह क्यों नहीं माना जावे कि बीमा प्रस्ताव के बाद यह बीमारी उत्पन्न हुई? विद्वान अधिवक्ता प्रार्थी की ओर से 2007 एन सी जे पेज 391 एन.सी एल आइ सी बनाम कमला देवी गुप्ता प्रस्तुत की उसमें केन्सर से मृत्यु हुई थी । बीमा कम्पनी ने यह कहा कि महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाया । परंतु बीमा कम्पनी ने ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत की कि बीमित अस्पताल में रही हो या उसका कहीं उपचार हुआ हो । बीमारी कम्पनी के तर्क को नकार दिया । वर्तमान प्रकरण में भी अप्रार्थी ने कोई ऐसी संपुष्ट साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है कि मृतक हनुमानराम को बीमा प्रस्ताव से पूर्व किसी कुत्ते या बिल्ली ने काटा हो जिसके कारण उसे हाइड्रोफोबिया हुआ हो । इसी के साथ अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत एनेक्सचर बी- पर भी विचार करना होगा । स्वयं अप्रार्थी ने अपनी जांच से इस तथ्य को अंकित किया है कि गणमान्य लोगों से पूछने उन्होंने यह बताया कि हनुमानराम के बिल्ली के काटने की बात का उन्हें ज्ञान नहीं है, हनुमानराम की मृत्यु अचानक सीने में दर्द होने के कारण हुई। गोपनीय जांच से उनको यह पता लगा कि बिल्ली के काटने से उसकी मृत्यु हुई। जैसा कि उल्लेख किया गया है कि अप्रार्थी की ऐसी कोई साक्ष्य नहीं है कि अप्रार्थी को बिल्ली ने काटा हो । क्योंकि हनुमानराम के गांव के दीगर गणमान्य व्यक्तियों ने बिल्ली के काटने की बात से अनभिज्ञता जाहिर की है। हमारी राय में हनुमानराम ने किसी महत्वपूर्ण तथ्य को नहीं छुपाया है।
7. इस प्रकार से परिवादी अपने परिवाद को साबित करने में सफल रहा है अतः उसका परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है:-
आदेश
5. अतः परिवाद का यह परिवाद विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार कर आदेश दिया जाता है परिवादीनि अप्रार्थीगण से पी एल आइ पाॅलिसि सं0 आर जे 157597 के अन्तर्गत 2,00,000/- रूपये बीमा राशि मय ब्याज 9 प्रतिशत वार्षिक दर से प्राप्त करने की अधिकारी है। परिवादीनि अप्रार्थीगण से 2500 रूपये परिवाद व्यय भी प्राप्त करने की अधिकारी है । जिसकी अदायगी तुरंत अप्रार्थीगण परिवादीनि को करे ।
आदेश आज दिनांक 25.2.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या