Smt. Anjali Goel filed a consumer case on 02 Feb 2018 against Indian Post Office in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/115/2015 and the judgment uploaded on 19 Feb 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/115/2015
Smt. Anjali Goel - Complainant(s)
Versus
Indian Post Office - Opp.Party(s)
Dr. Anurag Goel
02 Feb 2018
ORDER
परिवाद प्रस्तुतिकरण की तिथि: 20-10-2015
निर्णय की तिथि: 02.02.2018
कुल पृष्ठ-07(1ता7)
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
परिवाद संख्या- 115/2015
अंजली गोयल पत्नी श्री संजीव गोयल निवासी कोठीवाल नगर, मुरादाबाद।
….परिवादनी
बनाम
1-भारतीय डाक द्वारा सीनियर पोस्ट मास्टर, मुरादाबाद।
2-भारतीय डाक द्वारा पोस्ट मास्टर जनरल, बरेली।
3-भारतीय डाक द्वारा प्रवर अधीक्षक, मुरादाबाद। ….....विपक्षीगण
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादनी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे 14 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-4,39,545/-रूपये दिलाये जायें। क्षतिपूर्ति की मद में चार लाख रूपये और परिवाद व्यय परिवादनी ने अतिरिक्त मांगा है।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादनी के अनुरोध पर टीवीसी स्काई शॉप लि., मुम्बई ने अपने उत्पादों की प्रदेश में विक्री हेतु परिवादनी को उत्तर प्रदेश के लिए वितरक नियुक्त किया। ग्राहकों को ऑन डिमांड माल पहुंचाने के लिए परिवादनी ने विपक्षीगण से कैश ऑन डिलीवरी हेतु दिनांक 19-3-2014 को एक अनुबन्ध किया। इस अनुबन्ध के तहत परिवादनी द्वारा बुक कराये गये माल की कीमत ग्राहक से प्राप्त करके उसे माल डिलीवर करना था और ग्राहक से प्राप्त रकम को ई-पेमेंट द्वारा परिवादनी के खाते में जमा करनी थी। दिनांक 16-5-2014 तक अंकन-4,39,545/-रूपये मूल्य के 71 पार्सल उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में स्थित ग्राहकों को भेजने के लिए परिवादनी ने विपक्षीगण से बुक कराये किन्तु लम्बे समय तक किसी भी पार्सल की रकम परिवादनी को प्राप्त नहीं हुई। मालूमात करने पर विपक्षी-1 ने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। परिवादनी ने दिनांक 17-5-2014 के बाद विपक्षीगण को पार्सल देने बन्द कर दिये। परिवादनी ने अग्रेत्तर कथन किया कि भेजे गये 71 पार्सल में से कई पार्सल ऐसे थे, जो ग्राहकों को डिलीवर न होने पर परिवादनी को वापस प्राप्त हुए किन्तु उनमें उत्पाद गायब था और उसकी जगह कबाड़ भरा हुआ था। अनेक पार्सल ऐसे थे जो न तो संबंधित ग्राहक को डिलीवर हुए और न परिवादनी को वापस प्राप्त हुए। विपक्षीगण की लापरवाही की वजह से परिवादनी का व्यापार चौपट हो गया। विपक्षीगण से परिवादनी ने अनेक बार संपर्क किया कि उसे भेजे गये पार्सलों की कीमत प्राप्त नहीं हुई है, उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को नोटिस भी भेजा, जिसका मिथ्या कथनों पर आधारित जबाव नोटिस दिनांक 13-01-2015 को परिवादनी को प्राप्त हुआ, जो परिवादनी को स्वीकार नहीं है। विपक्षीगण ने मिथ्या कथनों पर आधारित जबाव नोटिस दिनांकित 22-5-2015 और 07-8-2015 भी परिवादनी को भेजे, वे भी परिवादनी को स्वीकार नहीं हैं। परिवादनी ने यह कहते हुए कि विपक्षीगण उसके द्वारा भेजे गये 71 पार्सलों का मूल्य अंकन-4,39,545/-रूपये बेइमानी से हड़प लेना चाहते हैं, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद के साथ परिवादनी द्वारा विपक्षीगण को भिजवाये गये कानूनी नोटिस दिनांकित 21-11-2014, विपक्षीगण की ओर से प्राप्त जबाव नोटिस दिनांकित 13-01-2015, 22-02-2015 व 10-8-2015 की छायाप्रतियों को दाखिल किया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/9 हैं।
विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/5 दाखिल हुआ, जिसमें परिवाद पत्र के पैरा-2 में उल्लिखित अनुबन्ध परिवादनी के साथ किया जाना और परिवादनी द्वारा 71 पार्सल बुक किया जाना तो स्वीकार किया गया है किन्तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया है। विपक्षीगण के अनुसार 21-5-2014 को परिवादनी का ई-मेल उन्हें प्राप्त हुआ था, जिसके उत्तर में परिवादनी से अनुरोध किया गया था कि वे यह विवरण उपलब्ध करायें कि पार्सल किस पते पर भेजे गये थे और उनमें क्या आर्टिकल थे किन्तु बार-बार अनुरोध के बाद परिवादनी ने उक्त विवरण उपलब्ध नहीं कराया। परिवादनी का यह कथन विश्वसनीय नहीं है कि जो पार्सल परिवादनी को अनडिलीवर्ड वापस प्राप्त हुए, उनमें उत्पाद गायब थे और कबाड़ भरा हुआ था। परिवादनी ने टीवीसी स्काई शॉप को पक्षकार नहीं बनाया, जिसे पक्षकार बनाना चाहिए था। परिवादनी द्वारा विपक्षीगण को भेजे गये नोटिस दिनांकित 21-11-2014 में भी पार्सल द्वारा भेजे गये आर्टिकिल्स की रसीद संख्या एवं उनकी तारीख का विवरण नहीं दिया है। इस संदर्भ में परिवादनी को समय-समय पर पत्र भी लिखे गये, इसके बावजूद भी उसने विवरण उपलब्ध नहीं कराया। विपक्षीगण की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि वर्तमान मामले में पक्षकारों का साक्ष्य एवं प्रतिपरीक्षा तथा दस्तावेजी साक्ष्य की आवश्यकता होगी और ऐसे मामलों में फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को विपक्षीगण ने खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
परिवादनी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-13/1 लगायत 13/4 दाखिल किया।
विपक्षीगण की ओर से मुख्य डाकघर, मुरादाबाद के प्रवर अधीक्षक ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/3 प्रस्तुत किया।
परिवादनी ने सूची कागज सं.-18/1 के माध्यम से 71 पार्सलों का विवरण, कस्टमरवाइज रिपोर्टस, विपक्षीगण की ओर से परिवादनी को भेजे गये पत्र दिनांकित 12-6-2014, ग्राहकों को डिलीवर किये गये 17 पार्सलों का विवरण, 5 मिसिंग पार्सलों का विवरण तथा विपक्षीगण के ई-मेल दिनांकित 12-6-2014 की छायाप्रति को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-18/2 लगायत 18/12 हैं।
दोनों पक्षों ने अपनी लिखित बहस दाखिल की। हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि ग्राहकों को ऑन डिमांड टीवीसी स्काई शॉप लि., मुम्बई के उत्पादों को कैश ऑन डिलीवरी के आधार पर वितरित करने हेतु विपक्षीगण और परिवादनी के बीच दिनांक 19-3-2014 को एक अनुबन्ध निष्पादित हुआ था, जिसके तहत माल डिलीवर करते समय ग्राहक से माल की कीमत प्राप्त करके उसे ई-पेमेंट द्वारा परिवादनी के डाकघर बचत खाते में जमा करना था। इस बिन्दु पर भी कोई विवाद नहीं है कि उक्त अनुबन्ध के तहत दिनांक 16-5-2014 तक परिवादनी ने अंकन-4,39,545/-रूपये मूल्य के कुल 71 पार्सल उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में स्थित ग्राहकों को भेजने के लिए विपक्षीगण से बुक कराये। इन 71 पार्सलों का विवरण पत्रावली में कागज सं.-18/2 पर दृष्टव्य है।
परिवादनी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद कथनों के समर्थन में दाखिल अपने साक्ष्य शपथपत्र और सूची कागज सं.-18/1 के माध्यम से प्रस्तुत प्रपत्रों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए तर्क दिया कि परिवादनी द्वारा विपक्षीगण से बुक कराये गये 71 पार्सलों में से कुछ पार्सल तो विपक्षीगण के स्तर से मिसिंग हैं, कुछ पार्सल यद्यपि विपक्षीगण ने अनडिलीवर्ड परिवादनी को वापस किये किन्तु उनमें भेजे गये उत्पाद गायब थे और उनकी जगह कबाड़ भरा हुआ था। उनका यह भी तर्क है कि जो पार्सल विपक्षीगण ग्राहकों को डिलीवर कर देना बताते हैं, उनका भी मूल्य विपक्षीगण ने परिवादनी को अदा नहीं किया है। इन परिस्थितियों में यह प्रमाणित है कि विपक्षीगण ने परिवादनी को सेवा प्रदान करने में कमी और लापरवाही की है। परिवादनी के विद्वान अधिवक्ता ने लिस्ट कागज सं.-18/2 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए कथन किया कि बुक कराये गये 71 पार्सलों में कुल अंकन-4,39,545/-रूपये मूल्य के उत्पाद थे। विपक्षीगण से परिवादनी को उक्त धनराशि ब्याज सहित दिलायी जानी चाहिए। उनका यह भी कथन है कि विपक्षीगण के कृत्यों की वजह से परिवादनी का व्यापार चोपट हो गया इस दृष्टि से परिवादनी को विपक्षीगण से बतौर क्षतिपूर्ति उपयुक्त धनराशि भी दिलायी जानी चाहिए।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादनी पक्ष की ओर प्रस्तुत तर्कों का प्रतिवाद किया और कहा कि परिवादनी ने बुक कराये गये पार्सलों का कोई विवरण न तो परिवाद पत्र में दिया और न ही बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उनका विवरण विपक्षीगण को उपलब्ध कराया, जिस कारण इस परिवाद का प्रभावी प्रतिवाद नहीं कर पाये। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह भी कथन है कि टीवीसी स्काई शॉप लि., मुम्बई, जिसने परिवादनी को वितरक नियुक्त किया था, उसे परिवादनी ने परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया, वह आवश्यक पक्षकार है। उनका यह भी कथन है कि परिवादनी द्वारा परिवाद में जो विवाद उठाया गया है, उसके प्रभावी न्याय निर्णयन हेतु दोनों पक्षों के विस्तृत साक्ष्य/प्रति साक्ष्य तथा साक्षियों से प्रति परीक्षा आवश्यक है और फोरम के समक्ष चूंकि कार्यवाहियां संक्षिप्त प्रकृति की हैं, अत: परिवाद को इस निर्देश के साथ परिवादनी को वापस कर दिया जाना चाहिए कि वह यदि चाहे तो प्रश्गनत विवाद के संदर्भ में दीवानी न्यायालय में अपना वाद प्रस्तुत करे। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि जो आईटम ग्राहकों को विपक्षीगण ने डिलीवर कर दिये हैं, उनसे प्राप्त धनराशि मनी आर्डर के माध्यम से परिवादनी को भिजवायी गई थी किन्तु परिवादनी ने उसे लेने से इंकार कर दिया, ऐसी दशा में यह नहीं कहा जा सकता कि विपक्षीगण ने परिवादनी को सेवा प्रदान करने में कमी की है। उन्होंने प्रपत्र कागज सं.-18/12 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए यह भी कथन किया कि बुक कराये गये 71 पार्सलों में से 46 पार्सल परिवादनी को वापस किये जा चुके हैं।
परिवादनी के विद्वान अधिवक्ता ने प्रतिउत्तर में विपक्षीगण के तर्कों का प्रतिवाद किया और कहा कि टीवीसी स्काई शॉप लि., मुम्बई परिवाद में आवश्यक पक्षकार नहीं है और वर्तमान मामला ऐसा नहीं है, जिसे समरी प्रोसीजर के अन्तर्गत फोरम द्वारा प्रभावी रूप से निर्णीत न किया जा सके। उन्होंने पूर्व के अपने तर्कों को दोहराते हुए और इस बात पर बल देते हुए कि विपक्षीगण ने सेवा प्रदान करने में कमी की है, परिवाद में मांगे गये अनुतोष स्वीकार किये जाने की प्रार्थना की।
स्वीकृत रूप से टीवीसी स्काई शॉप लि., मुम्बई के उत्पादों की कैश ऑन डिलीवरी हेतु एग्रीमेंट परिवादनी व विपक्षीगण के मध्य निष्पादित हुआ था। विवाद उक्त उत्पादों के बुक कराये गये पार्सलों से संबंधित है। पत्रावली में अवस्थित लिस्ट कागज सं.-18/2 में इन सभी 71 पार्सलों का विवरण उपलब्ध है। ऐसी दशा में टीवीसी स्काई शॉप लि., मुम्बई परिवाद के प्रभावी निस्तारण हेतु परिवाद में आवश्यक पक्षकार नहीं है। तत्संबंधी विपक्षीगण का तर्क स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। पत्रावली में जो अभिलेख उपलब्ध हैं, उनके द्वारा परिवाद में उठाया गया विवाद फोरम द्वारा प्रभावी रूप से तय किया जा सकता है। अत: परिवाद परिवादनी को सक्षम दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत करने हेतु वापस किये जाने का कोई औचित्य दिखायी नहीं देता।
जहां तक इस बात का प्रश्न है कि परिवादनी ने इन 71 पार्सलों से संबंधित रिकार्ड विपक्षीगण को उपलब्ध नहीं कराया, जिस वजह से विपक्षीगण परिवाद का प्रभावी प्रतिवाद नहीं कर सके, यह तर्क आधारहीन दिखायी देता है। पत्रावली में अवस्थित प्रपत्र कागज सं.-18/2 लगायत 18/12 परिवादनी ने दाखिल किये हैं। यह प्रपत्र विपक्षीगण के हैं। विपक्षीगण ने इनमें से किसी भी प्रपत्र अथवा उसकी सत्यता के औचित्य पर कोई आपत्ति नहीं उठायी है। ये प्रपत्र इंगित करते हैं कि परिवाद योजित किये जाने के पूर्व से ही विपक्षीगण के पास इन 71 पार्सलों से संबंधित सारा रिकार्ड उपलब्ध रहा है। इन अभिलेखों में विपक्षीगण ने यह तक स्पष्ट किया है कि इन 71 पार्सलों में से कितने पार्सल उन्होंने ग्राहकों को डिलीवर कर दिये है, कितने पार्सल उन्होंने परिवादनी को वापस किये हैं और कितने पार्सल मिसिंग हैं। यदि विपक्षीगण के पास पार्सलों से संबंधित रिकार्ड अथवा विवरण उपलब्ध न होता तो कदाचित उक्त सूचनायें विपक्षीगण कैसे दे पातें, यह विचारणीय है।
पत्रावली में अवस्थित कागज सं.-18/11 के अनुसार 71 पार्सलों में से 17 पार्सल विपक्षीगण ने ग्राहकों को डिलीवर कर दिये हैं और 5 पार्सल मिसिंग हैं। विपक्षीगण के ई-मेल कागज सं.-18/12 से प्रकट है कि विपक्षीगण ने 46 पार्सलों को परिवादनी को वापस किया है। इस प्रकार विपक्षीगण ने कागज सं.-18/11 व 18/12 के माध्यम से कुल 68 पार्सलों का हिसाब बताया है, शेष 3 पार्सलों के बारे में विपक्षीगण मौन हैं, कदाचित ये 3 पार्सल भी मिसिंग हैं। विपक्षीगण ने कोई भी ऐसा अभिलेख दाखिल नहीं किया, जिससे प्रकट हो कि जिन पार्सलों को वे ग्राहकों को डिलीवर कर देना बताते हैं, उन ग्राहकों से वसूल की गई माल की कीमत उन्होंने परिवादनी के खाते में जमा कर दी है। किसी मनी आर्डर वापसी का भी कोई प्रमाण उन्होंने प्रस्तुत नहीं किया। जो पार्सल विपक्षीगण मिसिंग होना बता रहे हैं, उनका उत्तरदायित्व विपक्षीगण का है। परिवादनी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा-5 में यह कथन किया है कि जो पार्सल ग्राहकों के पास डिलीवर नहीं होने की वजह से परिवादनी को वापस प्राप्त हुए, उन्हें जब परिवादनी ने खोला तो उनमें से उत्पाद गायब थे और उनकी जगह कबाड़ भरा हुआ था। परिवादनी के इन अभिकथनों का विपक्षीगण अपने प्रतिवाद पत्र में विशिष्ट रूप से इंकार (Specific denial) नहीं कर पाये हैं। उन्होंने अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा-5 में यह कहा कि ‘’परिवादनी को वापस प्राप्त हुए पार्सलों में उत्पाद गायब थे और उनमें कबाड़ भरा हुआ था,’’ यह बात विश्वसनीय नहीं है। चूंकि प्रतिवाद के पैरा-5 में पार्सलों से उत्पाद गायब होने संबंधी अभिकथनों का विपक्षीगण स्पेसिफिक डिनायल नहीं कर पाये हैं, अत: विधानत: यह प्रमाणित है कि परिवादनी को जो पार्सल डाक विभाग से वापिस प्राप्त हुए थे, उनमें उत्पाद गायब थे और उनमें कबाड़ भरा हुआ था।
उपरोक्त विवेचन से प्रकट है कि विपक्षीगण ने परिवादनी को सेवा प्रदान करने में कमी की है। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के दृष्टिगत हमारे इस मत की पुष्टि III(2016)सीपीजे पृष्ठ 84(एनसी) सब-पोस्ट मास्टर व एक अन्य बनाम जसविन्दर सिंह के मामले में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा दी गई विधि व्यवस्था से होती है।
परिवादनी ने जो 71 पार्सल विपक्षीगण से बुक कराये थे, उनमें भेजे गये उत्पादों का मूल्य अंकन-4,39,545/-रूपये था, जैसा कि प्रपत्र कागज सं.-18/2 से प्रकट है। पत्रावली पर ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जिससे यह प्रकट हो कि विपक्षीगण ने परिवादनी से किये गये अनुबन्ध के अनुसार परिवादनी के खाते में इनमें से किसी पार्सल की धनराशि जमा की हो। सुनवाई के दौरान यह भी प्रकट हुआ कि परिवादनी ने इस पार्सलों की पोस्टेज अंकन-6049/-रूपये विपक्षीगण को अदा नहीं की है। ऐसी दशा में विपक्षीगण से परिवादनी को अंकन-4,33,496/-रूपये परिवाद प्रस्तुत करने के दिनांक से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ दिलाया जाना न्यायोचित दिखायी देता है। परिवादनी को विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-10,000/-रूपये तथा अंकन-2500/-रूपये परिवाद व्यय अतिरिक्त दिलाया जाना भी उपयुक्त होगा। तद्नुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवादनी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से एक माह के अंदर अंकन-4,33,496(चार लाख तैंतीस हजार चार सौ छियानवे) रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज वाद दायरा तिथि तावसूली परिवादनी को अदा करें।
विपक्षीगण अंकन-10,000(दस हजार) रूपये क्षतिपूर्ति एवं अंकन-2,500(दो हजार पॉंच सौ) रूपये परिवाद व्यय भी परिवादनी को अदा करें।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य, अध्यक्ष,
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य, अध्यक्ष,
दिनांक: 02-02-2018
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