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RAJIV LAL filed a consumer case on 10 Jun 2019 against INDIAN OVERSEAS BANK in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/111/2017 and the judgment uploaded on 12 Jun 2019.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 111 सन् 2017
प्रस्तुति दिनांक 22.07.2017
निर्णय दिनांक 10.06.2019
राजीव लाल श्रीवास्तव उम्र तखo 53 साल पुत्र स्वo हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव। साकिन मुहल्ला- कोल पाण्डेय, पोस्ट- भंवरनाथ, थाना- कोतवाली, जनपद- आजमगढ़।
..................................................................................................परिवादी।
बनाम
इण्डियन ओवरसीज बैंक, रामा कॉम्पलेक्स सिविल लाइन्स आजमगढ़, जरिये शाखा प्रबन्धक ओवरसीज बैंक सिविल लाइन्स आजमगढ़य़
.....................................................................................................विपक्षी।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”
राम चन्द्र यादव “सदस्य”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसका इण्डियन ओवरसीज बैंक रामा कॉम्पलेक्स, सिविल लाइन्स आजमगढ़ में बचत खाता है जिसके माध्यम से वह अपना वेतन भी आहरित करता है। दिनांक 12.04.2017 को याची द्वारा उक्त बचत खाता संख्या में यूनाइटेड बैंक ऑफ इण्डिया का एक चेक संख्या 0004297 मुo 5,000/- समशोधन बाक्स में जमा कराया गया, किन्तु उक्त चेक की धनराशि परिवादी के खाते में आहरित नहीं हुई। इसकी सूचना दिनांक 19.05.2017 को विपक्षी शाखा प्रबन्धक, इण्डियन ओवरसीज बैंक आजमगढ़ को लिखित रूप में दी। जाँचोपरान्त दिनांक 02.06.2017 को शाखा प्रबन्धक, इण्डियन ओवरसीज बैंक आजमगढ़ द्वारा परिवादी को लिखित पत्र द्वारा बताया गया कि उसके द्वारा जमा किया उक्त चेक वाराणसी में पोस्टमैन की लापरवाही से गुम हो गया है और उन्होंने दूसरा चेक प्रदान करने हेतु कहा। याची बैंक से सम्बन्धित लिपिक द्वारा मोबाइल फोन से चेक निर्गतकर्ता से बात किया गया तो उसके द्वारा यह कहा गया कि पुराना चेक वापस करने पर ही दूसरा चेक दिया जाएगा। इसकी शिकायत बैंक को कई बार की गयी। इसके पश्चात् बैंक को नोटिस दी गयी। अतः परिवादी को विपक्षी से आर्थिक व मानसिक कष्ट के लिए 50,000/- रुपया मय ब्याज देने का आदेश पारित किया जाए। इसके अलावां न्यायालय द्वारा अन्य दादरसी दिलाया जाए।
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परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी की ओर से कागज संख्या 7/1 पुलिस अधीक्षक आजमगढ़, कागज संख्या 7/2 प्रबन्धक इण्डियन ओवरसीज बैंक रजिस्ट्री की फोटोकॉपी प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र में किए कथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथन में यह कहा गया है कि परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवाद से सम्बन्धित तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी के यहाँ खाता खोला है। जिसमें आवश्यकतानुसार उसमें लेन-देन करता है। दिनांक 12.04.2017 को यूनाइटेड बैंक ऑफ इण्डिया शाखा हजरतगंज, लखनऊ पर देय एवं श्री अरविन्द यादव प्रोपराइटर मेसर्स आर्म्स टेक्नोलॉजी द्वारा निर्गत चेक संख्या 0004297 वास्ते 5,000/- रुपया दिनांकित 12.04.2017 को अपने खाता संख्या 160401000050100 में संग्रहण करने के लिए विपक्षी के यहां जमा किया। यूनाइटेड बैंक ऑफ इण्डिया की कोई शाखा आजमगढ़ जनपद में स्थित नहीं है तथा उसकी निकटतम शाखा वाराणसी में स्थित है। विपक्षी के यहां परिवादी ने चेक जमा किया तो विपक्षी ने ओ.बी.सी. एवं चेक की धनराशि के बारे में विपक्षी द्वारा बार-बार टेलीफोन के माध्यम से सम्पर्क किया जाता रहा, परन्तु वे बार-बार उक्त चेक न प्राप्त करने की सूचना देते रहे। दिनांक 19.05.2017 को परिवादी ने उसकी शिकायत बैंक को किया। इस प्रकार लगभग एक माह की मियाद बीत जाने के बाद चेक को लॉस्ट इन ट्रान्जिट मानकर विपक्षी ने 02.06.2017 के पत्र के माध्यम से परिवादी को डुप्लीकेट चेक के होने की सुझाव दिया। विपक्षी के स्तर से सम्बन्धित डाक के सम्बन्ध में डाक विभाग से भी पूछताछ की गयी, जिसकी छायाप्रति संलग्न है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी द्वारा प्रबन्धक को इण्डियन ओवरसीज बैंक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत दिए गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, डॉक रजिस्ट्री की छायाप्रति, भारतीय डॉक विभाग द्वारा जारी सूचना की छायाप्रति, भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी भिन्न-भिन्न पार्टियों को प्राप्त रजिस्ट्री की सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 बैंक द्वारा परिवादी को दिए गए यह सूचना कि वह बैंक में आकर दूसरा चेक प्राप्त कर ले प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। नोटिंग की धारा 45ए. में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई चेक खो गया हो तो जिसका चेक खोया है
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वह बैंक से दूसरा चेक प्राप्त कर सकता है। अतः उक्त प्रावधान के तहत परिवादी को आदेशित किया जाता है कि वह विपक्षी से दूसरा चेक प्राप्त कर ले और विपक्षी के आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को 5,000/- रुपये (पांच हजार रुपये) की दूसरा चेक प्रदान करें। तद्नुसार परिवाद निरस्त किया जाता है।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 10.06.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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