Madhya Pradesh

Gwalior

CC/54/2015

BETAL SINGH - Complainant(s)

Versus

INDIAN OVERSEAS BANK - Opp.Party(s)

ARSHAD ALI

05 Feb 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER FORUM GWALIOR
FINAL ORDER
 
Complaint Case No. CC/54/2015
 
1. BETAL SINGH
KOTE KI SARAY, SITHOLI
GWALIOR
Madhya Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. INDIAN OVERSEAS BANK
PURASANI, SITHOLI
GWALIOR
Madhya Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Smt.Abha Mishra PRESIDING MEMBER
  Dr.Mridula Singh MEMBER
 
For the Complainant:ARSHAD ALI, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

   परिवादी की ओर से अधिवक्ता श्री अरशद अली उपस्थित।
                  परिवाद की ग्राह्यता के संबंध में श्री अरशद अली अधिवक्ता के तर्क सुने।
                  प्रकरण का अवलोकन किया गया। विचार किया गया।
                  परिवादी के अभिवचानुसार उसके द्वारा अपने स्वत्व स्वामित्व की 10 बीघा जमीन अनावेदक बैंक के पास 70000रू प्रति बीघा के मान से बंधक रखे जाने पर अनावेदक बैंक द्वारा उसके हित में 7,00,000रू का ऋण स्वीकृत किया गया था किन्तु अनावेदकगण द्वारा परिवादी की जमीन को बंधक रख ली किन्तु अनेक बार लिखित एवं मौखिक निवेदन के बाद भी उसे स्वीकृत ऋण राशि प्रदान नहीं की जिससे उसे काफी मानसिक क्लेश व आर्थिक हानि उठानी पडी है। उसके द्वारा अनावेदकगण को दिनांक 15.12.2014 को विधिक नोटिस देने के उपरांत अनावेदकगण द्वारा अनुचित व्यापार व्यवहार किया जाना दर्शाते हुए यह परिवाद अनावेदक से 7,00,000रू ऋण राशि एवं अन्य क्षति राशि तथा प्रकरण व्यय दिलाए जाने हेतु पेश किया है। 
                   परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता के तर्क एवं उनकी ओर से प्रस्तुत प्रदर्श सी-2 (13) दस्तावेज के अवलोकन से यह तो स्पष्ट होता है कि परिवादी की जमीन अनावेदक बैंक के पास बंधक रखी गयी है एवं यह भी दर्शित होता है कि उक्त जमीन 7,00,000रू ऋण राशि के विरूद्ध बंधक रखी गयी है किन्तु परिवादी की ओर से एक भी ऐसा दस्तावेज पेश नहीं किया गया है जिससे प्रथम दृष्ट्या यह दर्शित हो कि परिवादी को ऋण राशि प्राप्त नहंी हुई है। परिवादी की ओर से ऋण राशि स्वीकृति संबंधी कोई आदेश भी प्रस्तुत नहीं किया है तथा तर्क के दौरान उसके पास ऐसा कोई आदेश न होना भी स्वीकार किया गया। परिवादी की ओर से जुलाई 2014 में जमीन बंधक रखी जाकर ऋण कार्यवाही किये जाने का अभिवचन किया गया है किन्तु परिवादी ने तत्पश्चात अनावेदक बैंक को एक भी ऐसा आवेदन पेश नहंी किया जिससे यह दर्शित हो कि उसे स्वीकृत ऋण राशि प्राप्त नहीं हुई। परिवादी ने जो प्रदर्श सी-4 के प्रार्थना पत्र की छाया फोटो प्रति पेश की है उस पर अनावेदकगण बैंक की कोई पावति अभिस्वीकृति नहीं है। 
                    परिवादी की ओर से प्रदर्श सी-5 की पुलिस अधीक्षक को जो शिकायत भेजी गयी है उस संपूर्ण शिकायत में कहीं भी ऐसा अभिवचन नहीं किया गया कि उसे स्वीकृत ऋण राशि प्राप्त नहीं हुई है इसके विपरीत परिवादी द्वारा अनावेदकगण के विरूद्ध विड्र्ाॅवल फार्म पर हस्ताक्षर करा लेने से दुरूपयोग संबंधी आक्षेप लगाए गए है। इसी प्रकार परिवादी की ओर से जो विधिक सूचना पत्र प्रदर्श सी-6 की छाया प्रति पेश की गयी है वह रजिस्टर्ड डाक से अनावेदकगण को भेजे जाने का उल्लेख अवश्य है किन्तु उक्त सूचनापत्र अनावेदक को भेजे जाने संबंधी कोई पोस्टल रसीद एवं अनावेदकगण की पावति अभिस्वीकृति रसीद भी पेश नहीं की गयी है बल्कि उक्त प्रदर्श सी-6 के मार्जिन में जो उल्लेख है वह मात्र अधिवक्ता द्वारा सूचना पत्र तैयार किए जाने मात्र का है। 
                    परिवादी द्वारा अपनी 10 बीघा जमीन अनावेदकगण के पास बंधक रखे जाने के उपरांत अनावेदकगण द्वारा स्वीकृत 7,00,000रू जैसी बडी राशि प्रदान न किए जाने पर परिवादी जुलाई 2014 से इस परिवाद की प्रस्तुती दिनंाक 31.1.2015 तक अनावेदकगण को कोई शिकायत न करे, विधिक कार्यवाही संस्थित न करे यह विश्वसनीय दर्शित नहीं होता है इसके विपरीत प्रदर्श सी-6 दस्तावेज के उल्लेखों को देखें तो ऐसा दर्शित होता है कि परिवादी एवं अनावेदकगण के मध्य धोखाधडी आदि से संबंधित कोई विवाद है जिसकी सुनवाई का अधिकार इस फोरम को प्राप्त भी नही है। 
                    अतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अंतिम सुनवाई हेतु ग्राह्य किए जाने योग्य न होने से इसे प्रारंभिक स्तर पर ही निरस्त किया जाता है। प्रकरण सांख्यिकीय प्रयोजन हेतु पंजीबद्ध हो। आदेश की प्रतिलिपि परिवादी को निःशुल्क दी जावे। परिणाम दर्ज कर प्रकरण अभिलेखागार में जमा हो। 
                         आदेश मैने लिखाया
डाॅ मृदुला ंिसंह   
                          श्रीमती आभा मिश्रा
   सदस्य                        सदस्य            

 

 
 
[ Smt.Abha Mishra]
PRESIDING MEMBER
 
[ Dr.Mridula Singh]
MEMBER

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