Uttar Pradesh

StateCommission

CC/493/2017

Piyush Srivastava - Complainant(s)

Versus

India Bulls Housing Finance Pvt Ltd - Opp.Party(s)

Nirankar Singh

20 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/493/2017
( Date of Filing : 04 Dec 2017 )
 
1. Piyush Srivastava
Gonda
...........Complainant(s)
Versus
1. India Bulls Housing Finance Pvt Ltd
Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Dec 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

परिवाद सं0- 493/2017

 

Mr. Piyush Srivastava S/o Late Shri Sushil Kumar Srivastava R/o- House No. 1076, Civil Lines, PS-Kotwali Nagar, The Gonda-271001

Present address 1/129, LIG Jankipuram, Sector-H, Lucknow-226013

                                  ……..Complainant

 

Versus

 

1. Indiabulls Housing Finance Ltd. 36/15, Plot No. 1, Opp. Rohit Bhawan, Ground Floor, Sapru Marg, Lucknow-226001, Through its Branch Manager.

2. HDFC Standard Life Insurance Co. Ltd. 11, 1st Floor, Halwasiya House, MG Marg Hazratganj, Lucknow through its Branch Manager. 

                                                             ……..Opposite Parties

 

समक्ष:-                       

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

परिवादी की ओर से    : श्री निरंकार सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0- 1 की ओर से : श्री विकास अग्रवाल, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0- 2 की ओर से : श्री प्रसून श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक:- 20.12.2021

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        यह परिवाद परिवादी पीयूष श्रीवास्‍तव द्वारा अंतर्गत धारा 17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विपक्षीगण इंडियाबुल्‍स हाऊसिंग फाइनेंस लि0 व एक अन्‍य के विरुद्ध अंकन 24,00,000/-रू0 बीमित धन को समायोजित करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है। इस राशि पर 18 प्रतिशत ब्‍याज अनुचित व्‍यापार प्रणाली अपनाने हेतु तथा 5,00,000/-रू0 प्रतिकर के रूप में एवं मानसिक प्रताड़ना के मद में 5,00,000/-रू0 तथा परिवाद व्‍यय के मद में 1,00,000/-रू0 की मांग की गई है।

2.        परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी के पिता ने आवासीय सम्‍पत्ति खरीदी थी और अंकन 24,26,512/-रू0 का ऋण विपक्षी सं0- 1 से स्‍वीकृत कराया था। इस ऋण की सुरक्षा विपक्षी सं0- 2 द्वारा की जानी थी। इसलिए परिवादी के पिता के नाम बीमा पालिसी ली गई थी। परिवादी के पिता के साथ किसी प्रकार की अनहोनी होने पर विपक्षी सं0- 2 द्वारा ही सम्‍पूर्ण ऋण का भुगतान किया जाना था। विपक्षी सं0- 1 द्वारा परिवादी की माता श्रीमती किरन श्रीवास्‍तव तथा परिवादी को सह ऋण प्राप्‍तकर्ता बनाया गया था। एक मात्र आधार ऋण प्राप्‍तकर्ता श्री सुशील कुमार श्रीवास्‍तव थे, उन्‍हीं का बीमा होना था जिनकी मृत्‍यु दि0 21.10.2017 को हो गई। परिवादी ने मृत्‍यु प्रमाण पत्र के साथ विपक्षी सं0- 1 से अनुरोध किया कि बीमित ऋण विपक्षी सं0- 2 से प्राप्‍त कर लिया जाए और ऋण राशि में समायोजित किया जाए, परन्‍तु परिवादी को जानकारी हुई कि विपक्षी सं0- 1 की साजिश से विपक्षी सं0- 2 ने बीमा पालिसी परिवादी के नाम जारी की है न कि उनके पिता के नाम और उनके पिता को केवल नामिनी बनाया गया था, इसलिए अनुचित व्‍यापार प्रणाली अपनायी गई है। विपक्षीगण इस ऋण राशि को परिवादी के पिता की मृत्‍यु पर बीमा क्‍लेम अदा करते हुए समायोजित करने के लिए उत्‍तरदायी हैं।

3.        बीमा कम्‍पनी का यह कथन है कि बीमा पालिसी श्री पीयूष श्रीवास्‍तव द्वारा ली गई है और श्री सुशील कुमार श्रीवास्‍तव मृतक को केवल नामिनी बनाया गया है, इसलिए उनकी मृत्‍यु पर बीमा क्‍लेम देय नहीं है।

4.        परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री निरंकार सिंह और विपक्षी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल एवं विपक्षी सं0- 2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रसून श्रीवास्‍तव को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध दस्‍तावेजों का अवलोकन किया गया।

5.        एनेक्‍जर सं0- 3 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि बीमा पालिसी पीयूष श्रीवास्‍तव द्वारा ली गई है, जिसमें मृतक सुशील कुमार श्रीवास्‍तव को नामिनी बनाया गया है।

6.        एनेक्‍जर सं0- 1 ऋण स्‍वीकृति पत्र है। इस ऋण स्‍वीकृति पत्र में सुशील कुमार श्रीवास्‍तव के साथ-साथ सह आवेदक पीयूष श्रीवास्‍तव, किरन श्रीवास्‍तव तथा आशीष श्रीवास्‍तव हैं। इसलिए माना जायेगा कि इन व्‍यक्तियों द्वारा भी ऋण प्राप्‍त किया गया है। पालिसी प्राप्‍त करने के लिए आवेदन परिवादी द्वारा भरा गया, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि विपक्षीगण सं0- 1 व 2 ने साजिश करके बीमा पालिसी उनके पिता के नाम जारी नहीं की और अनुचित व्‍यापार पद्धति को अपनाया गया, चूँकि बीमा पालिसी मृतक सुशील कुमार श्रीवास्‍तव के नाम नहीं है, इसलिए उनकी मृत्‍यु के पश्‍चात बीमा कम्‍पनी बीमित धन अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। तदनुसार परिवाद खारिज होने योग्‍य है।             

आदेश

7.        परिवाद खारिज किया जाता है।

          उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                            

    (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

        सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0-2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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