Uttar Pradesh

Allahabad

EA/27/2018

Sandeep Kumar - Complainant(s)

Versus

India Bulls Financial servises Ltd. - Opp.Party(s)

22 Aug 2024

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTE REDRESSAL COMMISSION
PRAYAGRAJ
 
Execution Application No. EA/27/2018
In
Complaint Case No. CC/657/2009
 
Sandeep Kumar
Vs.
India Bulls Financial servises Ltd.
 
BEFORE: 
 JUDGES MOHAMMAD IBRAHIM PRESIDENT
 Shri Prakash Chandra Tripathi MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Aug 2024
Order

22.08.2024

                 डिक्रीदार/परिवादी की तरफ से इस आशय का प्रार्थना पत्र दिनांक 07.05.2024 को प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा दाखिल माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली में रिव्यू पिटीशन 872/2018 दिनांक-15.04.2024 को निरस्त की जा चुकी है। न्यायहित में मूल परिवाद संख्या-657/2009 संदीप तिवारी बनाम इण्डिया बुल्स में पारित आदेश/निर्णय दिनांक-10.09.2013 के अनुपालन में डिक्रीदार/परिवादी को निम्नलिखित धनराशि दिलाया जाना आवश्यक है। (अ) परिवादी द्वारा ट्रैक्टर कय करते समय जमा की गयी धनराशि 4,33,000/-रू० (चार लाख तैंतीस हजार रू०) (ब) अदा की धनराशि (किस्त)-1,09200/-रू० (एक लाख नौ हजार दो सौ रू०) (स) क्षतिपूर्ति की निर्धारित धनराशि 5,000/-रू० (पाँच हजार रू०) (द) वाद व्यय की निर्धारित धनराशि 2,000/-रू० (दो हजार रू०) कुल धनराशि 5,49,200/- रू० (पाँच लाख उन्चास हजार दो सौ रू०) डिक्रीदार / परिवादी द्वारा प्रार्थना की गई है कि विपक्षीगण से 5,49,200/-रू० (पाँच लाख उन्वास हजार दो सौ रू०) अविलम्ब मय आज तक के बैंक ब्याज दिलाया जाय।

         डिक्रीदार/परिवादी दिनांक-07.05.2024 को दिये गये प्रार्थना पत्र के विरूद्ध विपक्षी इंडिया बुल्स हाऊसिंग फाइनेन्स लि० द्वारा दिनांक-06.06.2024 को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा गया है कि परिवाद संख्या-657/2009 में दिनांक-10.09.2013 को आदेश पारित करते हुए माननीय फोरम ने कम्पनी को परिवादी द्वारा ट्रैक्टर खरीदते समय भुगतान किये गये नकद धनराशि, साथ ही साथ किस्तों के रूप में जमा की गई धनराशि 1,09,200/-रू० जो कम्पनी में जमा की गयी थी, उसे वापस करने के लिए आदेश की तिथि से 02 माह के भीतर वापस करने का निर्देश दिया। प्रार्थी कम्पनी को परिवादी से ऋण वापसी के सम्बन्ध में अन्य कोई धनराशि वसूलने से रोक दिया गया था। 5,000/-रू० व 2,000/- रू0 की धनसीश क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय हेतु आदेशित की गई थी। डिक्रीदार/परिवादी ने दिनांक-07.05.2024 को एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया जिसमें दावा धनराशि को 04 श्रेणियों में वर्गीकृत करते हुए प्रार्थी कम्पनी को तत्काल 5,49,200/- रू० मय ब्याज भुगतान करने की प्रार्थना की गई है। दिनांक-07.05.2024 के प्रार्थना पत्र में डिक्रीदार/परिवादी द्वारा आदेश दिनांक-10.09.2013 का गलत व्याख्या करके इस माननीय कमीशन को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। रिकार्ड का अवलोकन करने पर यह स्पष्ट है कि डिक्रीदार/परिवादी ने 2,01,753/-रू0 की वित्तीय सहायता ट्रैक्टर खरीदने हेतु प्रार्थी से लिया। बीमा नीति के अनुसार आई.डी.वी. के आधार पर ट्रैक्टर की कीमत 3,00,000/-रू० है। अतएव वास्तविक बची हुई धनराशि 98,247/-रू0 है, जिसे Judgment debtor/complainant द्वारा ट्रैक्टर खरीदते समय भुगतान कर दिया गया। दिनांक-10.09.2013 के आदेश से क्षुब्ध होकर प्रार्थी कम्पनी ने उच्चतर फोरम में गया, परन्तु केस को गुण-दोष के आधार पर निणर्य करते हुए उसे कोई अनुतोष नहीं प्राप्त हुआ। दिनांक-10.09.2013 के आदेश का अनुचित लाभ लेने के लिए Judgment debtor/complainant ने दिनांक-07.05.2024 प्रार्थना पत्र दाखिल करके माननीय कमीशन को गुमराह कर रहा है। प्रार्थी कम्पनी दिनांक-10.09.2013 के आदेश के अनुपालन के लिए तैयार है तथा इच्छुक है, जिसके लिए Judgment debtor/complainant को दावे में समुचित सुधार करने अथवा नया दावा प्रस्तुत करने हेतु निर्देश दिया जाना आवश्यक है। उपरोक्त तथ्यों, कारणों तथा परिस्थितियों के मद्देनजर इस माननीय कमीशन से प्रार्थना है कि वह Judgment debtor/complainant को दावे में समुचित सुधार हेतु निर्देशित करे कि जिससे की कम्पनी दिनांक 10.09.2013 के आदेशानुसार उसका अनुपालन कर सके। वाद की परिस्थितियों को देखते हुए माननीय कमीशन जो भी आदेश पारित करना चाहे कर सकता है।

                विपक्षी/निर्णीत ऋणी द्वारा प्रस्तुत आपत्ति दिनांक-06.06.2024 के विरूद्ध डिक्रीदार/परिवादी द्वारा प्रति आपत्ति दाखिल कर विपक्षी / निर्णीत ऋणी द्वारा प्रस्तुत आपत्ति दिनांक-06.06.2024 की धारा-01 के संदर्भ में कथन किया गया है कि जवाब देने की आवश्यकता नहीं है तथा धारा-02 स्वीकार है एवं धारा-03 लगायत 07 के संदर्भ में कथन है कि जिस तरह से दर्ज है, इन्कार है। डिक्रीदार/परिवादी द्वारा कथन किया गया है कि उपरोक्त ट्रैक्टर राम अवध मौर्य आटो सेल्स दिनांक-19.01.2007 को मु० 4,33,000/-रू० नकद भुगतान करके प्राप्त किया था, साक्ष्यस्वरूप कोटेशन रसीद एवं सेल सर्टीफिकेट फार्म 21 की छायाप्रति प्रति आपत्ति के साथ संलग्न है। परिवादी द्वारा उक्त ट्रैक्टर कय करने के पश्चात परिवाद पत्र के विपक्षी संख्या-01 से ऋण मु0 2,01,753/- रू० ऋण प्राप्त किया गया था। विपक्षी / आपत्तिकर्ता ऋणी द्वारा उक्त ट्रैक्टर बीमा स्वयं ऋण देते समय कराया गया था। जो ट्रैक्टर कय करने के लगभग 01 वर्ष बाद का है जिससे भी आपत्तिकर्ता द्वारा बीमा के आधार पर आंकी गयी ट्रैक्टर की कीमत अपने आप में असत्य है। विपक्षी आपत्तिकर्ता द्वारा उक्त ट्रैक्टर को नीलाम कर मु० 1,71,000/-रू0 में दिनांक 18.05.2009 को बेंचकर कुल रूपया प्राप्त कर लिया गया जिसमें विपक्षी/आपत्तिकर्ता द्वारा प्रस्तुत आपत्ति के संलग्न गणना प्रपत्र में जानबूझकर नहीं दर्शाया गया है और माननीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक-10.09.2013 के विरूद्ध परिवादी कुल दिये गये ऋण मु० 2,01,753/-रू0 को वसूलना चाहता है, जबकि माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि विपक्षीगण, परिवादी से आगे कोई धनराशि ऋण के एवज में वसूल करने के अधिकारी नहीं है। माननीय न्यायालय द्वारा परिवादी के पक्ष में दिनांक-10.09.2013 को परिवाद निर्णीत किया गया है और विपक्षी को 02 माह के अन्दर भुगतान करने के लिए आदेशित किया गया परन्तु विपक्षीगण द्वारा राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील कर भुगतान नहीं किया गया माननीय राज्य उपभोक्ता फोरम द्वारा दिनांक-14.12.2017 को अपीलार्थी की अपील निरस्त कर दी गयी पुनः अपीलार्थी माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में अपील प्रस्तुत की जो दिनांक-25.04.2023 व 20.09.2023 को निरस्त हो गयी। पुनः विपक्षी/आपत्तिकर्ता ऋणी द्वारा पुर्नविचार प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया जिसे माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 15.04.2024 को निरस्त कर दिया गया है। इस तरह परिवादी के आदेश की तिथि से लगभग 14 वर्ष तक विपक्षी / आपत्तिकर्ता द्वारा मुकदमेबाजी में परेशान कर भुगतान नहीं किया गया, जबकि स्वयं ऋणी द्वारा अपने दिये गये ऋण का लगभग 11 प्रतिशत ब्याज प्राप्त लिया गया है। इस तरह से माननीय न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम, प्रयागराज द्वारा पारित आदेश दिनांक-10.09.2013 में विपक्षी/आपत्तिकर्ता को भुगतान करने की समयावधि के वाद से डिक्रीदार/परिवादी धनराशि मय ब्याज के प्राप्त करने का हकदार है। विपक्षी/आपत्तिकर्ता द्वारा माननीय न्यायालय में कुछ रूपया जमा किया गया, उंक्त डिकीदार द्वारा भी धनराशि प्राप्त नहीं किया गया है।

                  सुना एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। परिवाद संख्या-657/2009 श्री संदीप कुमार बनाम इण्डिया बुल्स फाइनेन्सियल सर्विसेज लि० व अन्य में जिला आयोग, प्रयागराज द्वारा दिनांक-10.09.2013 को आदेश पारित किया गया कि 'परिवादी द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अंशतः आज्ञप्त किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 व 02 को यह निर्देश दिया जाता है कि वे इस आदेश के 02 माह के अन्तर्गत परिवादी को उसके द्वारा ट्रैक्टर कय करते समय स्वयं द्वारा भुगतान की गई नकद धनराशि व अदा की गई कुल किस्त 1,09,200/-रू० वापस करे। विपक्षीगण, परिवादी से आगे कोई धनराशि ऋण के एवज में वसूल करने के अधिकारी नहीं है इसके अलावा परिवादी, विपक्षी संख्या-01 व 02 से 5,000/-रू० क्षति पूर्ति व 2,000/-रू० वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है। उपरोक्त परिवाद संख्या-657/2009 में पारित आदेश दिनांक-10.09.2013 की धारा-10 में यह अवधारित किया गया है कि 'जहाँ तक अनुतोष का प्रश्न है, परिवादी ने ट्रैक्टर व कल्टीवेटर सहित कुल 5,07,000/-रू० दिलाये जाने की मॉग की है, ट्रैक्टर कितने का कय किया गया, कितनी धनराशि परिवादी द्वारा दी गई इसका कोई उल्लेख परिवादी ने कहीं भी नहीं किया है मात्र विपक्षी के प्रतिवाद-पत्र से यह पता चलता है कि 2,01,753/-रू0 की वित्तीय सहायता विपक्षी ने दिया था। परिवादी ने वर्तमान बाजारू मूल्य का एक कोटेशन 2012 का दाखिल किया है जिससे कय करते समय ट्रैक्टर का क्या मूल्य था यह साबित नहीं होता इसके अलावा परिवादी ने सम्पूर्ण ट्रैक्टर का मूल्य भी अदा नहीं किया है, किस्त के मद में कुल उसने 9,100 /- रू0 प्रति किस्त के हिसाब से 12 किस्त जमा किया है जो 1,09,200/-रू० होता है। अतः परिवादी ट्रैक्टर के मूल्य के मद में जमा की गई किस्त व ट्रैक्टर कय करते समय स्वयं द्वारा दी गई धनराशि को ही प्राप्त कर सकता है इस पर कोई ब्याज भी देय नहीं होगा क्योंकि परिवादी ने ट्रैक्टर को जब तक ट्रैक्टर उसके कब्जे में था उपयोग व उपभोग किया है, परिवादी ने ट्रैक्टर से जो क्षति हुई है उसके मद में 2,50,000/-रू० मांगा है वह कैसी और किस कारण क्षति है इसका उल्लेख परिवादी ने नहीं किया है अतः यह क्षति वह नहीं पा सकता, मान प्रतिष्ठा के लिए 1,00000/- रू० मांगा है, मान प्रतिष्ठा की भी क्षति पूर्ति नहीं की जा सकती, आने-जाने व समय के नुकसान के लिए 50,000/-रू0 की मांग परिवादी ने किया है, इसका भी कोई साक्ष्य नहीं है, परिवार के विकास में अवरोध के लिए 1,00000/- रू० परिवादी ने चाहा है इसकी भी कोई साक्ष्य नहीं है। इस तरह हमारे विचार से परिवादी मात्र ट्रैक्टर कय करते समय स्वयं द्वारा अदा की गई धनराशि व भुगतान की गई किस्त की धनराशि बिना ब्याज के प्राप्त करने का अधिकारी है ऋण का शेष कोई बकाया भी विपक्षी परिवादी से वसूल करने के लिए अधिकृत नहीं है इसके अलावा परिवादी 5,000/- रू० क्षतिपूर्ति व 2,000/- रू० वाद व्यय भी पाने का अधिकारी है।

                 विपक्षी द्वारा जिला आयोग, प्रयागराज द्वारा परिवाद संख्या-657/2009 में पारित आदेश दिनांक-10.09.2013 के विरूद्ध माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अपील संख्या-2296/2013 इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस सर्विस लि० बनाम संदीप कुमार एवं अन्य में दिनांक-14.02.2017 को आदेश पारित करते हुए प्रस्तुत अपील निरस्त किया गया तथा जिला उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-657/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-10.09.2013 की पुष्टि की। विपक्षी द्वारा माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली में रिविजन पिटीशन नंबर-872/2018 दाखिल किया गया जिसमें माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा आदेश पारित किया गया कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आदेशित धनराशि का 50 प्रतिशत संबंधित जिला उपभोक्ता फोरम में जमा किया जाय तथा इस आयोग की पूर्व अनुमति के बिना शिकायतकर्ताओं को जारी नहीं की जाएगी तथा इस आयोग के अगले आदेश तक, याचिकाकर्ता के अधीन आक्षेपित आदेश के निष्पादन पर अंतरिम रोक रहेगी। माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा दिनांक-20 सितम्बर, 2023 को प्रस्तुत पिटीशन संख्या-872/2018 को निस्तारित कर दिया गया है।

                वरिष्ठ सहायक द्वारा प्रस्तुत इजरावाद में आख्या दी गई है कि 'आदेश पत्र दिनांक-04.08.2018 के अनुसार विपक्षी द्वारा ड्राफ्ट नंबर-009204 दिनांक-27.07.2018 मु० 107224/-रू0 दाखिल किया गया है। जिसे चेक रजिस्टर के क० संख्या-195/04.08.2018 में दर्ज किया गया है तथा बैंक स्टेटमेंट क अनुसार उक्त धनसीश जिला फोरम के खाते में दिनांक 30.08.2018 को केडिट की गई।"

                पत्रावली पर उपलब्ध परिवाद संख्या-657/2009 में जिला उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश दिनांक 10.09.2013 के अवलोकन से स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या-01 व 02 को यह निर्देशित किया गया था कि वे परिवादी को उसके द्वारा ट्रैक्टर कय करते समय स्वयं द्वारा भुगतान की गई नकद धनराशि व अदा की गई कुल किस्त 1,09,200/-रू० वापस करे। उपरोक्त आदेश की धारा-10 में स्पष्ट किया गया है कि ट्रैक्टर कितने का कय किया गया, कितनी धनराशि परिवादी द्वारा दी गई इसका कोई उल्लेख परिवादी ने कहीं भी नहीं किया है मात्र विपक्षी के प्रतिवाद पत्र से यह पता चलता है कि 2,01,753/- रू० वित्तीय सहायता विपक्षी ने दिया था। पत्रावली पर उपलब्ध Proposal cum cover note for package policy प्रपत्र की छायाप्रति के अवलोकन से स्पष्ट है कि ट्रैक्टर कय करते समय परिवादी के प्रश्नगत ट्रैक्टर का आई. डी.वी 3,00,000/-रू० था। चूँकि विपक्षी द्वारा प्रश्नगत ट्रैक्टर के कय हेतु परिवादी को वित्तीय सहायता के रूप में 2,01,753/-रू० दिया था। अतः टैक्टर के आई०डी०वी० 3,00,000/-रू0 में से विपक्षी द्वारा दी गई वित्तीय सहायता की धनराशि को घटाने पर (3,00,000 2,01,753 98.247/- रू० अवशेष बचता है) चूँकि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में ट्रैक्टर की कीमत तथा स्वयं द्वारा भुगतान की गई नकद धनराशि का उल्लेख नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा 98,247/-रू० नकद भुगतान कर ट्रैक्टर कय किया गया था। चूँकि परिवादी द्वारा किस्त के रूप में कुल 1,09,200/-रू० जमा किया गया था अतः ट्रैक्टर कय की धनराशि (98,247 +1,09,200/-रू0 = 2,07,447/-रू०) होती है। चूँकि विपक्षी द्वारा माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली के आदेशानुसार 1,07,224/-रू0 जिला उपभोक्ता आयोग, प्रयागराज में पूर्व में जमा किया जा चुका है। अतः परिवादी, विपक्षीगण से (2,07,447 -1,07,224 1,00,223/-रू०) एवं क्षतिपूर्ति मु० 5,000/-रू० एवं वाद व्यय मु० 2,000/-रू0 कुल 1,08,223/-रू0 प्राप्त करने का अधिकारी है तथा साथ ही साथ जिला उपभोक्ता आयोग, प्रयागराज में विपक्षीगण द्वारा पूर्व में जमा धनराशि मु० 1,07,224/- रू0 भी प्राप्त करने का अधिकारी है। अतएव इजरावाद तद्नुसार निस्तारित किया जाता है।

 

सदस्य                                                                                                                                  अध्यक्ष

 
 
[JUDGES MOHAMMAD IBRAHIM]
PRESIDENT
 
 
[ Shri Prakash Chandra Tripathi]
MEMBER
 

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