Uttar Pradesh

StateCommission

A/1089/2019

The Oriental Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Imamuddin - Opp.Party(s)

Waquar Hashim

22 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1089/2019
( Date of Filing : 11 Sep 2019 )
(Arisen out of Order Dated 16/07/2019 in Case No. C/537/2015 of District Lucknow-II)
 
1. The Oriental Insurance Co. Ltd
Through its Divisional Manager Division Office Vikas Deep 22 Station Road Lucknow 226001
...........Appellant(s)
Versus
1. Imamuddin
S/O Late Nisar Ahmad R/O Village Chintamanpr Tehsil and Distt. Mirzapur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Oct 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1089/2019

दि ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड, द्वारा डिवीजनल मैनेजर, डिवीजन आफिस विकास दीप 22 स्‍टेशन रोड लखनऊ-226001

..............अपीलार्थी

बनाम

इमामुद्दीन पुत्र स्‍व0 निसार अहमद, निवासी ग्राम चिन्‍तामनपुर, तहसील व जिला मिर्जापुर व दो अन्‍य 

.............प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री वकार हाशिम

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री राजन रावत

दिनांक :- 22.10.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-537/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.7.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि स्व0 निसार अहमद पेशे से किसान थे एवं किसान होने के कारण वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में विहित प्रावधान के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी के उपभोक्ता थे। दिनांक 28.4.2010 को अचानक हुई मार्ग दुर्घटना में आई गंभीर चोटों के कारण उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गयी। उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार उत्‍तर प्रदेश के समस्त खातेदार/किसानों (जिनकी आयु 12 वर्ष से 70 वर्ष के बीच हो) का दिनांक 19.11.2009 से दिनांक 18.11.2010 तक के लिये अपीलार्थी/

 

-2-

विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी के द्वारा बीमा किया गया था। उ०प्र० सरकार द्वारा उ०प्र० के समस्त किसानों के बीमे के प्रीमियम की धनराशि अदा कर दी गयी थी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की माता द्धारा अपने स्व० पति निसार अहमद की आकस्मिक मृत्यु के कारण बीमा धनराशि की प्राप्ति हेतु समय-सीमा के अंदर समस्त औपचारिकताएँ पूर्ण करते हुये विपक्षी सं0-3 के माध्यम से अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कंपनी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया तथा वह अपीलार्थी/विपक्षी के कार्यालय के चक्कर लगाती रही, तदोपरान्त प्रत्‍यर्थी/परिवादी की माता श्रीमती अमीना का भी दिनांक 16.8.2012 को देहान्त हो गया।

यह भी कथन किया गया कि काफी समय व्यतीत होने के बाद भी अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बीमा राशि का भुगतान नहीं किया अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया गया कि उक्त योजना के अन्‍तर्गत उन्हीं किसानों को इस योजना का लाभ मिल सकता है, जिनके नाम कम्प्यूटराइज्ड खतौनी में दर्ज है तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी का परिवाद कालबाधित है। प्रस्तुत प्रकरण लगभग पाँच वर्ष बाद दाखिल किया गया है। परिवादी विधिक वारिस नहीं है और न ही लाभार्थी ही है अतएव परिवाद निरस्त होने योग्य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

 

-3-

"परिवादी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्ताह के अंदर परिवादी को बीमा क्लेम रू0 एक लाख मय 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ बीमा क्लेम करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी संख्या-1 परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु रु0 पन्द्रह हजार तथा रू0 पाँच हजार वाद व्यय अदा करें। ऐसा न करने की दशा में विपक्षी सं0-1 को उक्त धनराशियों पर उक्त तिथि से ता अदायेगी तक 12 (बारह) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ देय होगा।"

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।  

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री वकार हाशिम द्वारा अपील पत्रावली के पृष्‍ठ सं0-44 की ओर न्‍यायालय का ध्‍यान आकर्षित कराया, जो कि बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमित की मृत्‍यु के पश्‍चात अपेक्षित उल्‍लेखों को बीमा कम्‍पनी को प्राप्‍त कराये जाने से सम्‍बन्धित फार्म है। उपरोक्‍त फार्म में यद्यपि मृतक निसार अहमद की आयु लगभग 74 वर्ष उल्लिखित की गई, परन्‍तु उपरोक्‍त फार्म पर मृतक के पुत्र/परिवादी द्वारा अंगूठा निशान लगाते हुए प्रार्थना पत्र बीमा कम्‍पनी को दिया गया, जिससे प्रथम दृष्‍टया यह साबित होता है कि

-4-

मृतक/बीमित किसान का पुत्र अशिक्षित है एवं उसे अपने हस्‍ताक्षर भी किसी भाषा अर्थात हिन्‍दी/अंग्रेजी/ऊर्दू में करना नहीं आता है अत्एव उसने अंगूठा निशानी के माध्‍यम से प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया। तद्नुसार उपरोक्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए यह न्‍यायालय इस निष्‍कर्ष पर पहुंचता है कि उपरोक्‍त बीमा विवरण फार्म निश्चित रूप से किसी तृतीय व्‍यक्ति द्वारा भरा गया था जिस पर लेखपाल द्वारा भी अपने हस्‍ताक्षर एवं विवरण उल्लिखित किया गया। उपरोक्‍त फार्म भरने वाले व्‍यक्ति द्वारा सम्‍भवत: मृतक की आयु दुर्घटना के समय लगभग 74 वर्ष उल्लिखित की गई होगी, जिस हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को न तो कोई जानकारी दी गई, न ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी अशिक्षित होने के कारण उपरोक्‍त फार्म का परीक्षण ही कर सकता था।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में जो अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विरूद्ध मानसिक शारीरिक कष्‍ट के मद में रू0 15,000.00 (पंद्रह  हजार रू0) एवं वाद व्‍यय के रूप में रू0 5,000.00 (पॉच हजार रू0) की देयता निर्धारित की गई है, वह मेरे विचार से अधिक प्रतीत हो रही है अत्एव वाद के तथ्‍य एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के रूप में रू0 15,000.00 (पन्‍द्रह हजार रू0) की देयता को रू0 7,500.00 (सात हजार पॉच सौ रू0) तथा वाद व्‍यय के रूप में रू0 5,000.00 (पॉच हजार रू0) की देयता को रू0 2,500.00 (दो हजार

-5-

पॉच सौ रू0) में परिवर्तित करते हुए प्रश्‍नगत आदेश में जो 09 (नौ)  प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की देयता निर्धारित की गई है उसे भी 09 (नौ) के स्‍थान पर 07 (सात) प्रतिशत ब्‍याज में परिवर्तित किया जाता है। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि़ में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                               

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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