Bihar

Darbhanga

CC/50/11

KIRSHNA MOHAN JHA - Complainant(s)

Versus

ILAHABAD BANK - Opp.Party(s)

SRI UJJAWAL GOSAWMI

03 Dec 2019

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/50/11
( Date of Filing : 24 Aug 2011 )
 
1. KIRSHNA MOHAN JHA
RESIDENT OF MOHALLA- GANGWARA, PO- SARAMOHANPUR, PS- SADAR, DIST- DARBHANGA
...........Complainant(s)
Versus
1. ILAHABAD BANK
BRANCH- DARBHANGA, RAJKUMARGANJ
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SRI SARVJEET PRESIDENT
 HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar MEMBER
 HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha MEMBER
 
For the Complainant:SRI UJJAWAL GOSAWMI, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 03 Dec 2019
Final Order / Judgement

आदेश

1              संक्षेप में आवेदक का कथन है कि उसने इलाहाबाद बैंक दरभंगा से कृषि ऋण के अंतर्गत चार गाय प्राप्त किया, उसके नाम से कृषि ऋण खाता सं० AGR-04 खोला गया। गायों की खरदगी बैंक द्वारा किया गया तथा उनका बीमा भी विपक्षी-2 बीमा कंपनी से बैंक (विपक्षी-1 ) द्वारा कराया गया। खरीदी गयी गायों की ऋण राशि क्रमशः 31000 रु०, 30000 रु०, 25000 रु० तथा 30000 रु० है। इन खरीदी गयी गायों के बीमा पर देय प्रीमियम राशि क्रमशः 1708 रु०, 1693 रु०, 1492 रु० तथा 1653 रु० था।

2              परिवादी का यह भी कथन है कि गाय सं०-4  जो 30000  रु० में दिनांक 11.04.2005 को ख़रीदा गया था उस पर गलती से 25000 रु० की धनराशि बीमा के परिपेक्ष्य में दर्शया गया।

3              परिवादी का यह भी कथन है कि उपरोक्त चारों गाय का बीमा विपक्षी सं०-1 ने विपक्षी-2 से करवाया जिसमें दिनांक 03.02.2005 को खरीदी गयी दो गायों का एक ही पॉलिसी  बाउंड दिया गया। जिसका पॉलिसी  नंबर-170603/47/04/9400203 बीमा अवधि दिनांक 25.02.2005 से 24.02.2006 तक था।दोनों गायों का आइडेंटिफिकेशन  (टैग नंबर) NIC03-170600112501 एवं NIC03-170600/12502 था। बीमित अवधि बीतने के पश्चात विपक्षी-1 द्वारा उपरोक्त दोनों गायों की बीमा का नवीनीकरण दिनांक 25.02.2006 से 24.02.2007 तक कराया गया।

4              परिवादी का यह भी कथन है कि दिनांक 04.03.2005 एवं 11.04.2005 को परिवादी ने दो गाय विपक्षी बैंक से कृषि ऋण के अंतर्गत पुनः प्राप्त किया। विपक्षी बैंक द्वारा उक्त दोनों गायों का बीमा विपक्षी-2 बीमा कंपनी से कराया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 11.04.2005 को 30000 रु० मूल्य की गाय खरीदी गयी लेकिन विपक्षी-1 द्वारा उक्त गाय का 25000 रु० का बीमा कराया गया और 1653 रु० बतौर प्रीमियम दिया गया। उक्त बीमा का पॉलिसी  नंबर जो आवेदक को उपलब्ध कराया गया वह 170603/47/05/9400000004 अवधि दिनांक 20.04.2005 से 19.04.2006 तक था। उक्त बीमा का नवीनीकरण विपक्षी-1 ने विपक्षी-2 से करवाया जो दिनांक 20.04.2006 से 19.04.2007 था। जिसमें पॉलिसी सं०-170603/47/06/9400000006 अंकित था।

5          परिवादी का यह भी कथन है कि इन चार गायों में से दुर्भाग्यवश दो गाय मर गयी जबकि खरीदगी के समय पशु चिकित्सा पदाधिकारी उक्त गायों का स्वास्थ परिक्षण किया था और स्वास्थ प्रमाण पत्र जारी किया था। मृत दो गायों में से एक गाय दिनांक 03.02.2005 मूल्य 31000 रु० जाति फ्रीजियन केटल रिंग रंग लिंग स्त्रीलिंग टैग नंबर NIC03-170600/12/501 पॉलिसी नंबर 170603/47/5/9400000267 बीमा अवधि दिनांक 25.02.2006 से 24.02.2007 तथा बीमित राशि 31000 रु० थी एवं दूसरी गाय जो दिनांक 11.04.2005 को खरीदी गयी कीमत मूल्य 30000 रु० फ्रीजियन पशुका लिंग रंग काला-उजला चिन्ह स्त्रीलिंग निचला हिस्सा काला थन उजला टैग नंबर NIC03-170600/12597 पॉलिसी नंबर 170603/47/06/940000006 बीमा अवधि दिनांक 20.04.2006 से 19.04.2007 एवं बीमित राशि मूल्य 25000 रु० था जो कि 30000 रु० के स्थान पर विपक्षी सं०-1 के भूलवश 25000 रु० लिखा गया और उसी राशि पर बीमा प्रीमियम की कटौती किया गया।

6          परिवादी का यह भी कथन है कि उपरोक्त दोनों गाय दिनांक 09.09.2006 को क्रमशः 12:00 बजे दिन व शाम 5:00 बजे मर गयी, उनके मरने की सूचना प्रार्थी आवेदक द्वारा अविलंब फोन से विपक्षी बैंक को दिया गया तथा दिनांक 09.09.2006 को ही 12 बजे दिन व शाम 5 बजे अलग-अलग लिखित सूचना विपक्षी को दिया गया दिनांक 11.09.2006 को भी आवेदक द्वारा विपक्षी-1 और विपक्षी-2  को लिखित सूचना दिया गया। विपक्षी -2  के विकास पदाधिकारी श्री अकेला की उपस्थिति में पशु चिकित्सक डॉ० किशोर कुमार झा के द्वारा मृत गायों का अन्त्य परिक्षण 12:45 बजे दिन में तथा दूसरे का सुबह 6:00 बजे दिन में कराया गया।

7          परिवादी का यह भी कथन है कि निर्धारित अवधि के अंदर विपक्षी-2 द्वारा बीमा दावा प्रपत्र उपलब्ध कराया गया जिसे भरकर आवेदक से हस्ताक्षर कराकर विपक्षी-2  को आवश्यक कागजात के साथ उपलब्ध कर दिया गया। दिनांक 19.06.2006 को दोनों दावा प्रपत्र पर पशु चिकित्सक से हस्ताक्षर करवा कर विपक्षी-1 को समर्पित कर दिया गया। विपक्षी-1 द्वारा मृत दोनों गायों के दावा प्रपत्र के साथ गायों का टैग नंबर, पॉलिसी नंबर, अन्त्य परिक्षण रिपोर्ट, पशु चिकित्सक प्रमाण पत्र, मुखिया तथा सरपंच के द्वारा दिया गया मृत प्रमाण पत्र, बीमा की प्रति, मूल प्रतिवेदन की छायाप्रति, मौलिक टैग, मृत गाय का फोटो एवं पत्र सं०- द०र०/431/318 दिनांक 30.10.2010 विपक्षी-2  को समर्पित किया गया।

8          परिवादी का यह भी कथन है कि ऋणदाता बैंक द्वारा प्रार्थी आवेदक की और से विपक्षी सं०-2 बीमा कंपनी के समक्ष बीमित अवधि के अंदर गायों के मरने के कारण निर्धारित समय के अंदर बीमा दावा राशि प्राप्त हेतु दावा दायर किया गया तथा विपक्षी-2 द्वारा समय-समय पर मांगे गए कागजातों को उपलब्ध कराया गया लेकिन विपक्षी सं०-2 बीमा कंपनी द्वारा दावा राशि का भुगतान ना तो किया गया ना ही उसके बीमा दावा को ख़ारिज किया गया।

9          परिवादी का यह भी कथन है कि परिवादी विपक्षी-1 और 2 के कार्यालय का चक्कर लगाता रहा करीब 9 माह पश्चात् विपक्षी-1 द्वारा विपक्षी-2 को पत्र सं०-13 दिनांक 03.07.2007 के द्वारा इस आशय का पत्र लिखा गया कि मृत गाय के दावा राशि को यथा शीघ्र सेटल करके दोनों बीमा दावा राशि को बैंक को उपलब्ध करा दिया जाय लेकिन विपक्षी-2 द्वारा बीमा राशि को सेटल नहीं किया गया तो परिवादी द्वारा विपक्षी-3, विपक्षी-4 और 5 को शिकायत पत्र निबंधित डाक से भेजा गया लेकिन इसके बाद भी परिवादी को विपक्षीगण द्वारा बीमा धनराशि का भुगतान नहीं किया गया।

10        परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षी-1 द्वारा परिवादी को पत्र सं०-104 दिनांक 17.06.2010 के द्वारा यह सूचित किया गया कि भारत सरकार के कृषि ऋण राहत योजना के अंतर्गत दिनांक 30.06.2010 तक राहत योग्य राशि 74144 रु० में से यदि 37072 रु० जमा कर दे तो शेष धनराशि 37072 रु० उक्त योजना के अंतर्गत माफ़ हो जाएगा। आवेदक ने उक्त धनराशि बैंक में जमा कर दिया।

11           परिवादी का यह भी कथन है कि उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में त्रुटि किया गया तथा लापरवाही किया गया जिस कारण परिवादी को मानसिक एवं आर्थिक क्षति हुआ।

            अतः अनुरोध है कि परिवादी को विपक्षीगण से वकालतन नोटिस पर हुए खर्च 5000 रु० दोनों मृत गायों की ऋण राशि 61000 रु० ब्याज मिलाकर 120000 रु० परिवादी को पहुंची मानसिक कष्ट के हर्जाने के रूप में 50000 रु० एवं विधिक प्रक्रिया पर किये गए खर्च 10000 रु० 14% वार्षिक ब्याज से भुगतान कराने की कृपा करे।

12.          विपक्षी-1  इलाहाबाद बैंक के द्वारा जवाब दाखिल किया गया। विपक्षी-1 का कहना है कि परिवादी द्वारा उसके विरुद्ध यह झूठा मनगढंत तथा बिना आधार के परिवाद पत्र दाखिल किया गया है जो कि विधि एवं तथ्य के अनुसार चलने योग्य नहीं है। अतः इसे खर्चा सहित ख़ारिज करने की कृपा करे।

13           विपक्षी-1 का यह भी कथन है की उसने बीमा की प्रीमियम की धनराशि बीमा कंपनी को भुगतान कर दिया था। बीमा अवधि के अंदर प्रश्नगत गाय मर गयी थी, विपक्षी-1 समय-समय पर बीमा कंपनी से बीमा धनराशि के दावे को सेटल करने के लिए पत्राचार करता रहा उसके द्वारा प्रश्नगत गायों के मरने के तुरंत बाद बीमा कंपनी को सूचित कर दिया गया था। विपक्षी-1  ने भारत सरकार की योजना के तहत कृषि ऋण के अंतर्गत परिवादी को बैंक से कर्ज दिया था। विपक्षी बैंक प्रश्नगत गाय जो मर गयी है उनके बीमा धनराशि का प्रीमियम समय से जमा कर दिया था, विपक्षी-1 का इस मामले से कुछ भी लेना देना नहीं है, उसे परिवादी द्वारा बिना किसी कारण के पक्षकार बना दिया गया। विपक्षी-1 के परिपेक्ष्य में यह दावा चलने योग्य नहीं है।

14           विपक्षी-2 नेशनल इंसोरेंस कंपनी लिमिटेड ने भी उपस्थित होकर अपना व्यान तहरीर दाखिल किया। विपक्षी-2 बीमा कंपनी का कथन है की परिवादी द्वारा लाया गया यह दावा विबंधन त्यजन तथा स्वीकृत के दोष से दोषपूर्ण है। यह दावा बीमा नियमन के प्रावधानों के विरुद्ध है। परिवादी ने झूठे तथा मनगढंत तथ्यों के आधार पर यह परिवाद पत्र दाखिल किया है जो आधारहीन है। परिवादी का यह कथन विश्वसनीय नहीं लगता है कि स्वस्थ सीजन में दो गाय अचानक मर गयी यदि गाय स्वस्थ थी तो कैसे मर गयी। परिवादी का यह भी कहना है कि मृत गाय के दावा सेटल करने के लिए विपक्षी-2 से बारबार अनुरोध किया, पूर्णतः गलत है।

15           विपक्षी-2 का यह भी कथन है कि सर्वेयर का रिपोर्ट एक गोपनीय पत्र होता है। ऐसी स्थिति में उसके प्रतिवेदन को परिवादी को नहीं दिया जा सकता है।

16           विपक्षी-2 का यह भी कथन है कि परिवादी को किसी तरह का हानि नहीं हुआ चूँकि उसको पहुंची हानि की भरपाई भारत सरकार द्वारा कर दिया गया। इस कारण परिवादी 200000 रु० पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी किसी भी प्रकार के धनराशि को पाने का हक़दार नहीं है। परिवादी द्वारा लाया गया यह परिवाद पत्र खर्चा सहित ख़ारिज होने योग्य है।

17           परिवादी ने अपने केस के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एनेक्सचर-1 बैंक का स्टेटमेंट, एनेक्सचर-2,3,4 तथा 5  नेशनल इंसोरेंस कंपनी लिमिटेड की बीमा बाउंड की छायाप्रति, एनेक्सचर-6 और 8 नेशनल इंसोरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा निर्गत पशु स्वस्थ प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-7  और 9  नेशनल इंसोरेंस कंपनी लिमिटेड का प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-10,11,12,13 और 14 परिवादी द्वारा शाखा प्रबंधक को लिखा गया पत्र, एनेक्सचर-15  नेशनल इंसोरेंस कंपनी लिमिटेड के दावा फॉर्म की छायाप्रति, एनेक्सचर-16 पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एनेक्सचर-17  नेशनल इंसोरेंस कंपनी लिमिटेड का पशुधन दावा प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-18 पशुधन सम्बन्धी पशु चिकत्सा प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-19 मुखिया एवं सरपंच का प्रमाण पत्र जिसमें उनके द्वारा टैग नंबर 12501/NIC03170600 गाय की मृत्यु का प्रमाण पत्र दिया गया, एनेक्सचर-20 टैग नंबर NIC03-12501/170600 के मृत पशु के फोटो की छायाप्रति, एनेक्सचर-21 और 22 शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक द्वारा नेशनल इंसोरेंस कंपनी को लिखा गया पत्र, एनेक्सचर-23 नेशनल इंसोरेंस कंपनी के दावा प्रमाण पत्र की छायाप्रति, एनेक्सचर-24 मृत गाय का पोस्टमाटम रिपोर्ट, एनेक्सचर-25 नेशनल इंसोरेंस कंपनी का पशुधन दावा प्रपत्र, एनेक्सचर-26  पशुधन सम्बन्धी पशु चिकित्सा प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-27 और 28  श्री किशोर कुमार झा पशु चिकित्सक का प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-29 टैग नंबर 12597/NIC03170600 मृत गाय के सम्बन्ध में मुखिया एवं सरपंच द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-30 बीमा कंपनी का प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-31 टैग नंबर NIC0312597/170600  मृत गाय के फोटो की छायाप्रति, एनेक्सचर-32 इलाहाबाद बैंक द्वारा बीमा कंपनी को लिखा गया पत्र, एनेक्सचर-33  और 34 परिवादी द्वारा नेशनल इंसोरेंस कंपनी के चेयरमैन को लिखा गया पत्र, एनेक्सचर-35 इलाहाबाद बैंक को परिवादी द्वारा लिखा गया पत्र, एनेक्सचर-36 और 37 इलाहाबाद बैंक द्वारा नेशनल इंसोरेंस कंपनी को लिखा गया पत्र, एनेक्सचर-38 अधिवक्ता नोटिस, एनेक्सचर-39  डाक रसीद की छायाप्रति, एनेक्सचर-40 इलाहाबाद बैंक द्वारा परिवादी को लिखा गया पत्र को दाखिल किया गया तथा मौखिक साक्षी के रूप में साक्षी कृष्ण मोहन झा का शपथ पर परिक्षण तथा प्रतिपरीक्षण कराया गया। विपक्षी बीमा  कंपनी  द्वारा अपने कथन के समर्थन में कोई मौखिक अथवा दस्तावेजी साक्ष्य नहीं दिया गया।

            फोरम के समक्ष विचारणीय प्रश्न है कि क्या परिवादी अपने कथन को विपक्षीगण के विरुद्ध साबित करने में सफल हुआ है कि नहीं तथा परिवादी ने जैसा अनुतोष माँगा वैसा पाने का हक़दार है कि नहीं, परिवादी के परिवाद पत्र तथा उसके द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्यों और विपक्षीगण के प्रतिउत्तर को देखने से यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा इलाहाबाद बैंक की दरभंगा शाखा से कृषि ऋण के अंतर्गत दिनांक 03.02.2005 को दो गाय मूल्य  क्रमशः 30000 रु० तथा 31000 रु० था दिनांक 11.04.2015 को जो गाय खरीदी गयी उनका मूल्य क्रमशः 30000 रु० तथा 30000 रु० था। चारों गाय नेशनल इंसोरेंस कंपनी लिमिटेड दरभंगा शाखा द्वारा बीमित थी, जिनके प्रीमियम की धनराशि 1708 रु०,1693 रु०, 1492 रु० एवं 1653 रु० का भुगतान परिवादी द्वारा दिनांक 22.02.2005, 21.03.2005 एवं 19.04.2005 को किया गया। इन बिंदुओं पर परिवादी तथा विपक्षीगण के बीच में कोई विवाद नहीं है, इन गायों में से एक का  आइडेंटिफिकेशन (टैग नंबर) जो क्रमशः NIC03170600/1597, NIC03170600/12501 तथा NIC0317060/12502 पड़ा था। उक्त गाय का बीमा का नवीनीकरण दिनांक 25.02.2006 से 24.02.2007 तक कराया गया एवं प्रीमियम की धनराशि परिवादी के खाता से काटा गया इसकी पुष्टि एनेक्सचर-1 से हो जाती है। उक्त गायों का बीमा दिनांक 25.02.2005 से 24.02.2006 तथा नवीनीकृत अवधि दिनांक 25.02.2006 से 24.02.2007 तक थी इसकी पुष्टि प्रदर्श-2 एवं 3 से हो जाती है।

18           परिवादी द्वारा दिनांक 11.04.2005  को 30000 रु० का जो गाय खरीदी गयी थी लिपिकीय भूलवश उसका मूल्य 25000 रु० लिखा गया और 1653 रु० प्रीमियम के तौर पर परिवादी के खाता से काटा गया। परिवादी को इसका पॉलिसी बाउंड उपलब्ध कराया गया जिसका नंबर 170603/47/05/9400000004 अवधि दिनांक 20.04.2005 से 19.04.2006 जिसका नवीनीकरण कराया गया जो दिनांक 20.04.2006 से 19.04.2007 तक था, इसकी पुष्टि एनेक्सचर-4 और 5 से हो जाता है। इन बिंदुओं पर भी परिवादी के कथन एवं विपक्षीगण के प्रतिउत्तर में कोई विभिन्नता नहीं है।

              उपरोक्त चारों गाय में से दिनांक 09.09.2006 को दो गाय दुर्भाग्यवश मर गयी जबकि सभी चारों गायों का स्वास्थ परिक्षण कराया गया था जिसे पशु चिकित्सा पदाधिकारी स्वस्थ घोषित किया था इसकी पुष्टि एनेक्सचर-6 एवं एनेक्सचर-7 से हो जाती है। परिवादी द्वारा दिनांक 03.02.2005 को 31000 रु० मूल्य पर खरीदी गयी गाय जिसका टैग नंबर NIC03-170600/12501 पॉलिसी नंबर 170603/47/05/9400000267 बीमित अवधि दिनांक 25.02.2006 से 24.02.2007 था। दिनांक 09.09.2006 के 12:00 बजे दिन में एवं दिनांक 11.04.2005 को मूल्य 30000 रु० में खरीदी गाय जिसका टैग नंबर NIC03-17060012597 पॉलिसी नंबर 170603147/069400000006 बीमित अवधि दिनांक 20.04.2006 से 19.04.2007 बीमित राशि 25000 रु० था। दिनांक 09.09.2006 को ही 5:00 बजे शाम को अचानक मर गयी। दोनों गायों के मरने की सूचना विपक्षी-1 को परिवादी द्वारा दिनांक 09.09.2006 को ही विपक्षीगण को आवेदन से सूचित कर दिया। इसकी पुष्टि प्रदर्श-10 व 11 से हो जाता है। विपक्षी-2 के विकास पदाधिकारी श्री अकेला की उपस्थिति में श्री किशोर कुमार झा पशु चिकित्सक द्वारा अन्त्य परिक्षण करवाया गया जो कि 12:45 बजे किया गया और दूसरे गाय का पोस्टमाटम दूसरे दिन सुबह 6:00 बजे किया गया। इस बात की भी सूचना विपक्षी-1 एवं 2  को दिया गया जिसकी पुष्टि प्रदर्श-12 व 13 से होती है। निर्धारित अवधि के अंदर बीमा दावा प्रपत्र उपलब्ध कराया गया। जिसे विपक्षी-1 द्वारा भरकर प्रार्थी आवेदक से हस्ताक्षर कराकर विपक्षी-2 को आवश्यक कागजात के साथ उपलब्ध करा दिया गया, परिवादी द्वारा उक्त दोनों दावा प्रपत्रों पर दिनांक 19.09.2006 को पशु चकित्सक से हस्ताक्षर कराकर विपक्षी-1 को समर्पित किया गया। परिवादी ने विपक्षी-2 को मृत गायों का टैग नंबर, पॉलिसी नंबर अन्त्य परिक्षण प्रतिवेदन, पशु चिकित्सा प्रमाण पत्र मुखिया तथा सरपंच द्वारा निर्गत मृत्यु प्रमाण पत्र, बीमा पॉलिसी की मूल की छायाप्रति, मृत गाय का फोटो तथा अन्य बांछित कागजात अपने पत्र सं० द०र०431/318 दिनांक 03.10.2010 के द्वारा विपक्षी-1 ने विपक्षी-2 को एक पत्र के साथ उपलब्ध करा दिया गया। उपरोक्त कथन की पुष्टि एनेक्सचर-14 से 21 तक से हो जाती है। परिवादी द्वारा दोनों गायों की मरने की सूचना ऋणदाता बैंक को तुरंत दे दिया था और ऋणदाता बैंक ने दावा के सन्दर्भ में सूचना विपक्षी-2 बीमा कंपनी को समयावधि के अंदर दे दिया था लेकिन बारबार अनुरोध करने के बाद भी विपक्षी-2 द्वारा परिवादी को बीमा की धनराशि भुगतान नहीं किया गया और न तो उसका दावा ख़ारिज ही किया गया। विपक्षी-1 भी बराबर परिवादी के ऋण के भुगतान हेतु उसके दावा का निस्तारण करने के लिए बीमा कंपनी को पत्र लिखा।

19           परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षी-1 परिवादी पर इस बात का दबाब डालने लगा कि गायों पर लिए गए ऋण पर ब्याज बढ़ता जा रहा है अतः बीमा कंपनी से राशि प्राप्त करके उसका भुगतान यथाशीघ्र कर दें। परिवादी ने विपक्षी-1 बैंक को सूचित किया कि विपक्षी-2 उसका दावा भुगतान नहीं कर रहा है इस कारण लिए गए कर्जा की धनराशि अदा करने में विलंब हो रहा है।

20           परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षी-1 बैंक ने अपने पत्र सं०-104 दिनांक 17.06.2010 से सूचित किया कि भारत सरकार के कृषि ऋण योजना के अंतर्गत राहत योग्य राशि 74144 रु० है। जिसमें से यदि आप रुपया 37072 दिनांक 30.06.2010 तक जमा कर दें तो शेष रुपया 37072 रु० योजना के अंतर्गत माफ़ हो जाएगा। विपक्षी-1 के उक्त पत्र के आलोक में परिवादी ने 37072 रु० जमा कर दिया इसकी पुष्टि एनेक्सचर-40 से हो जाती है। परिवादी द्वारा बारबार अनुरोध करने के बाद भी जब विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा उसके दावा का भुगतान नहीं किया गया तो उसने यह मामला लाया है। चूँकि परिवादी की दोनों गाय बीमित थी और जिसमें से एक का बीमा 30000 रु० जिसका प्रीमियम 1693 रु० परिवादी ने जमा किया है तथा दूसरी गाय जो दिनांक 11.04.2005 को खरीदी गयी थी। जिसका बीमित मूल्य 25000 रु० जिसपर प्रीमियम 1653 रु० दिनांक 19.04.2005 को भुगतान किया गया। दोनों गाय बीमित थी तथा उनकी मृत्यु बीमा अवधि के अंदर हुआ है। परिवादी से विपक्षी द्वारा मांगे गए समस्त कागजातों को विपक्षी-2 को उपलब्ध करा दिया, विपक्षी-2 का यह कहना कि परिवादी का 37072 रु० सरकार द्वारा माफ़ कर दिया गया है। वह सरकारी धन ही है। इस कारण उक्त धन पाने का अधिकारी परिवादी नहीं है, विश्वसनीय नहीं लगता हैI विपक्षी -2 का यह  भी कथन विश्वसनीय नहीं लगता है कि परिवादी की दो गाय की मृत्यु अचानक नहीं हुई तथा परिवादी ने मृत गायों के अन्त्य परिक्षण को भी साबित नहीं किया कि उसके गायों की मृत्यु कैसे हुई एवं परिवादी ने विशेषज्ञ साक्षी को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया इससे गायों की मरने की बात गलत साबित होता है। विपक्षी-2  का यह कथन कि उसे दावा के निस्तारण  के विषय में नहीं कहा गया सही प्रतीत नहीं होता है। विपक्षी-1 द्वारा तथा स्वयं परिवादी द्वारा उसे लिखित एवं मौखिक सूचना दिया गया था, लेकिन विपक्षी-2 ने परिवादी के दावा के निस्तारण के सन्दर्भ में कोई कार्यवाई नहीं किया।

                        उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विपक्षी-2 द्वारा सेवा में त्रुटि किया गया । ऐसी स्थिति में विपक्षी-2 को यह आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी के मृत गाय जिसका बीमित मूल्य क्रमशः 31000 रु० एवं 25000 रु० था। जिसपर प्रीमियम का भुगतान किया गया था कुल धनराशि 56000 रु० एवं वाद खर्चा के रूप 2000 रु० तथा परिवादी को पहुंची मानसिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति के रूप में 10000 रु० कुल धनराशि 68000 रु० का भुगतान इस आदेश के पारित होने के 3 महीने के अंदर परिवादी को कर दें ऐसा नहीं करने पर उपरोक्त धनराशि विपक्षी-2 से विधिक प्रक्रिया द्वारा वसूला जाएगा। जहाँ तक विपक्षी-1 का सन्दर्भ है चूँकि विपक्षी-1 ने गाय के मरने के तुरंत बाद विपक्षी बीमा कंपनी को इसकी सूचना दे दिया था। विपक्षी बैंक द्वारा बीमा के प्रीमियम की धनराशि समय से बीमा कंपनी को भुगतान किया जाता रहा एवं विपक्षी-1 द्वारा उन समस्त वांछित कागजात को विपक्षी-2 को समय से उपलब्ध करा दिया गया था। ऐसी स्थिति में विपक्षी-1 द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं किया गया। इस कारण विपक्षी-1 देय धनराशि के लिए किसी प्रकार का जवाबदेही नहीं है। तदनुसार परिवादी के परिवाद पत्र को आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। मामले का निस्तारण अंतिम रूप से किया जाता है।

 
 
[HON'BLE MR. SRI SARVJEET]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha]
MEMBER
 

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