जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
हरिसिंह सोलंकी पुत्र स्व. श्री कन्हैया लाल जी सोलंकी, आयु-48 वर्ष, जाति- राजपूत, निवासी- मकान नम्बर 332/2, दयानन्द काॅलोनी, रामनगर, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. निर्देषक, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विष्वविद्यालय, मैदान गढ़ी, नई दिल्ली-110068
2. निर्देषक क्षेत्रीय प्रभारी, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विष्वविद्यालय,70ध्79.84ए ैमबजवत.7एप्ळछव्न् च्ंजी च्ंजमस डंतहए डंदेंतवअंतए श्रंपचनत302020;त्ंरंेजींदद्धण्प्छक्प्।
3. सीनियर सुपरिटेडेण्ट, पोस्ट आॅफिस(ैैच्व्े), आगरा गेट, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 367/2012
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राजेष गुलखण्डिया, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अषरफ बुलन्द, अधिवक्ता अप्रार्थी संख्या 1 व 2
श्री जफर अहमद, अधिवक्ता, अप्रार्थी संख्या 3
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 03.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 1 व 2 द्वारा आयोजित होने वाली बी.एड परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु आवेदन फार्म प्रस्तुत करने की निर्धारित अंतिम तिथि दिनांक 15.7.2012 से पूर्व ही दिनांक 6.7.2012 को स्पीड पोस्ट के जरिए अप्रार्थी संख्या 3 के माध्यम से भिजवाया । जिसकी अंतिम तिथि दिनांक 26.8.2012 तक बढ़ाए जाने के बावजूद अप्रार्थी संख्या 2 ने पत्र दिनांक 17.9.2012 के द्वारा उसका प्रष्नगत् आवेदन फार्म नियत अंतिम तिथि दिनांक 15.7.2012 के पष्चात् प्राप्त होने के आधार पर निरस्त कर दिया । अप्रार्थी संख्या 3 को षिकायत किए जाने पर उनके प्रतिउत्तर के अनुसार उसका आवेदन फार्म अप्रार्थी प्राप्तकर्ता को दिनंाक 9.7.2012 को डिलीवर किया जा चुका था । प्रार्थी ने इसे सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 व 2 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रष्नगत कोर्स की अंतिम तिथि 15.7.2012 होना स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि प्रार्थी का प्रष्नगत कोर्स हेतु आवेदन फार्म 15.7.2012 के बाद दिनांक 20.7.2012 को प्राप्त होने के कारण निरस्त करते हुए इसकी जानकारी प्रार्थी को दे दी गई थी। अपने अतिरिक्त कथन मंे सिविल अपील संख्या 6807/2008 महर्षि दयानन्द विष्वविद्यालय बनाम सुरजीत कौर 2010 डीएनजे एससी 710 के अनुसार प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आने के कारण प्रस्तुत परिवाद निरस्त होने योग्य बताया। परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में ममता भाटिया, क्षेत्रीय निदेषक का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
3. अप्रार्थी संख्या 3 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि प्रार्थी द्वारा दिनांक 6.7.2012 को बुक कराए गए रजिस्टर्ड पत्र संख्या त्त्056702424प्छ को प्राप्तकर्ता ’’ कार्यक्रम अधिकारी, इग्नु कार्यक्रम अध्ययन केन्द्रर्, आअसीजी इन्स्टीट्यूट फॅार एजूकेषनल रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट, मानसरोवर गुरूकुल मार्ग, एसएफएस, मानसरोवर, जयपुर-302010’’ को दिनंाक 9.7.2012 को डिलीवर कर दिया गया । इस प्रकार प्रार्थी द्वारा परिवाद में संयोजित अप्रार्थी संख्या 2 निर्देषक क्षेत्रीय प्रभारी, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विष्वविद्यालय,70ध्79.84ए ैमबजवत.7एप्ळछव्न् च्ंजी च्ंजमस डंतहए डंदेंतवअंतए श्रंपचनत302020;त्ंरंेजींदद्धण्प्छक्प्। प्रष्नगत
रजिस्टर्ड पत्र प्रेषित करना गलत व अस्वीकार होना बताते हुए प्रार्थी द्वारा इस तथ्य को छिपा कर परिवाद प्रस्तुत कर उत्तरदाता को अकारण पक्षकार बना कर कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग किया है । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन मेें श्री पी.आर. करेला, प्रवर अधीक्षक का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
4. उभय पक्षकारान ने अपने अपने पक्ष कथन को बहस में तर्क के रूप में दोहराया है ।
5. हमने सुना, रिकार्ड देखा व प्रस्तुत नजीर का अवलोकन किया ।
6. हमारे समक्ष विवाद का बिन्दु मात्र यह है कि क्या प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत परीक्षा हेतु निर्धारित फार्म दिनांक 6.7.2012 को भेजा गया , जो अंतिम तिथि 15.7.2012 से पूर्व दिनंाक 9.7.2012 को अप्रार्थी को प्राप्त हो चुका था । क्या अंतिम तिथी दिनांक 26.8.2012 तक बढाए जाने के बावजूद उसका फार्म पूर्व निर्धारित अंतिम तिथि दिनंाक 15.7.2012 तक प्राप्त नहीं होने के कारण निरस्त कर दिए जाने से वह संबंधित परीक्षा में भाग लिए जाने से वंचित हो गया तथा उसे मानसिक क्षति के साथ साथ नियोजन में उन्नति के अवसर में अपूर्तिनीय क्षति कारित हुई है ?
7. स्वीकृत स्थिति के अनुसार प्रार्थी ने बी.एड़ के लिए परीक्षा हेतु अपना फार्म दिनांक 6.7.2012 को स्पीड पोस्ट के जरिए अप्रार्थी संख्या 2 को प्रेषित किया है तथा यह दिनंाक 9.7.2012 को भेजे गए पते के अनुसार प्राप्तकर्ता को डिलीवर कर दिया गया था । प्रार्थी का तर्क रहा है कि उसने उक्त फार्म अप्रार्थी संख्या 2 केे माध्यम से अप्रार्थी संख्या 1 को स्पीड पोस्ट से भिजवाया था । अप्रार्थी संख्या 3 संबंधित पोस्ट आफिस का तर्क रहा है कि उक्त भिजवाई गई सामग्री अप्रार्थी के अनुसार अप्रार्थी संख्या 2 के रूप में अंकित पते पर नहीं भिजवाई गई अपितु यह कार्यक्रम अधिकारी, इग्नु कार्यक्रम अध्ययन केन्द्र, आईसीजी इन्स्टीट्यूट फॅार एजूकेषनल रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट, मानसरोवर गुरूकुल मार्ग, एसएफएस, मानसरोवर, जयपुर-302010 के नाम भेजी गई थी । हम अप्रार्थी संख्या 3 के इन तर्को से सहमत हंै क्योंकि स्वयं प्रार्थी ने जो पत्र प्रवर अधीक्षक , डाकघर, अजमेर को उसके द्वारा भिजवाए गए पत्र के संदर्भ में लिखा है, में उसने यही पता अंकित किया है । यहां यह उल्लेखनीय है कि स्वयं प्रार्थी ने अपने परिवाद में अप्रार्थी संख्या 2 के रूप में निर्देषक क्षेत्रीय प्रभारी इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विष्वविद्यालय,70ध्79.84ए ैमबजवत.7एप्ळछव्न् च्ंजी च्ंजमस डंतहए डंदेंतवअंतए श्रंपचनत302020;त्ंरंेजींदद्धण्प्छक्प्। को पक्षकार बनाया है । जबकि भिजवाया गया पत्र कार्यक्रम अधिकारी, इग्नु कार्यक्रम अध्ययन केन्द्र, आईसीजी इन्स्टीट्यूट फॅार एजूकेषनल रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट, मानसरोवर गुरूकुल मार्ग, एसएफएस, मानसरोवर, जयपुर-302010 के नाम से भेजा गया है । दोनों में काफी अन्तर है । अतः कहा जा सकता है कि इस बाबत् जो अभिवचन प्रार्थी ने अपने परिवाद में अंकित किए हैं वह उसके द्वारा भिजवाए गए पत्र में जो पता अंकित किया है , में अन्तर के कारण यदि उसके द्वारा भिजवाई गई डाक सामग्री अप्रार्थी संख्या 2 को समय पर नहीं मिल पाई है तो इसमें अप्रार्थीगण का कोई दोष नहीं है । अप्रार्थी संख्या 1 व 2 की ओर से यह स्वीकार किया गया है कि जो डाक सामग्री प्रार्थी द्वारा दिनांक 6.7.2012 को भिजवाई गई थी वह उन्हें अर्थात अप्रार्थी संख्या 1 की प्राप्ति ष्षाखा में दिनंाक 20.7.2012 को प्राप्त हुई थी । जबकि अंतिम तिथि दिनांक 15.7.2012 थी। प्रार्थी ने हालांकि अंतिम तिथि दिनांक 19.8.2012 से बढ़ाई जाकर दिनांक 26.8.2012 तक कर दिया जाना अभिकथित किया है । किन्तु इस हेतु प्रमाण स्वरूप पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत नहीं हुई है । बहरहाल, यदि यह भी मान भी लिया जाए तो भी जहां प्रार्थी ने गन्तव्य स्थान के पते को सही रूप से सम्बोधित नहीं किया है, वहां ऐसे मामलों में यदि उक्त आवेदन पत्र को निष्चित स्थान पर पहुंचने में समय लगा है तो इसमें अप्रार्थीगण का कोई दोष नहीं है ।
8. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दृष्टान्त 2010क्छश्र;ैब्द्ध 711 डक्ै न्दपअमतेपजल टे ैनतरममज ज्ञंनत में प्रतिपादित सिद्वान्त के अनुसार भी प्रार्थी के
बी.एड़ की डिग्री हेतु आवेदन किए जाने की स्थिति में उसका उपभोक्ता नहीं होना व अप्रार्थीगण द्वारा किसी प्रकार की कोई सेवाएं नहीं दिए जाने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए भी परिवाद पोषणीय नही है ।
9. सार यह है कि उक्त विवेचन के प्रकाष में मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 03.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य अध्यक्ष