प्रकरण क्र.सी.सी./14/51
प्रस्तुती दिनाँक 24.01.2014
1. श्रीमती प्रीति साहू जौजे स्व. अजय उर्फ खुबीराम साहू, आयु-25 वर्ष,
2. मन्नूलाल साहू आ खम्हन साहू, आयु-50 वर्ष,
दोनों निवासी-ग्राम बहेरा(कुसमी) पो. बाबा मोहतरा, तहसील व जिला- दुर्ग (छ.ग.) - - - - परिवादीगण
विरूद्ध
1.शाखा प्रबंधक, इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, 19/5, पहली मंजिल, अभियान काॅम्पलेक्स, चैहान होटल के पास, दक्षिण गंगोत्री, सुपेला, भिलाई, तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
2.जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित दुर्ग, प्रबंधक, प्रधान कार्यालय, जिला अस्पताल के सामने, जी.ई.रोड, दुर्ग (छ.ग.) - - - - अनावेदकगण
आदेश
आज दिनाँक 25 मार्च 2015 को पारित
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादीगण द्वारा अनावेदकगण से बीमा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, आर्थिक, मानसिक व अन्य अनुतोष प्रदान किए जाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण मंे स्वीकृत तथ्य है कि अनावेदक क्र.2 बीमा कंपनी द्वारा अनावेदक क्र.1 के पक्ष में अभिकथित बीमा पालिसी जारी की गई थी।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक क्र.1 के पति तथा आवेदक क्र.2 के पुत्र स्व. अजय /खुबीराम साहू के नाम से सेवा सहकारी समिति ग्राम-कुसमी पंजीयन क्र.570 के माध्यम से जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित मे किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से खाता खोला गया था, जिसमें से खाताधारी का 5,00,000रू. का दुर्घटना बीमा कर प्रतिवर्ष 98रू. प्रीमियम ली गई। खुबीराम साहू की मृत्यु दि. 08.08.13 को वाहन दुर्घटना मंे हो गई। मृतक अपने वाहन मोटर सायकल क्र.सी.जी.07/एल.यू/9961 से सिमगा जा रहा था, तभी शिवनाथ पुल के पास वाहन कार क्र.सी.जी 09/0908 द्वारा ठोकर मारकर वाहन को दुर्घटनाग्रस्त कर दिया गया, जिससे मृतक अजय उर्फ खुबीराम को गंभीर चोटें आयी तथा ईलाज के दौरान उर्मिला अस्पताल मे उसकी मृत्यु हो गई थी, जिसकी रिपोर्ट थाना सिमगा में दर्ज कराई गई। आवेदकगण के द्वारा क्लेम अनावेदक क्र.2 के माध्यम से अनावेदक क्र.1 को प्रेषित किया गया था, अनावेदक क्र.1 द्वारा अनावेदक क्र.2 को एक रजिस्टर्ड पत्र दि.08.11.13 प्रेषित कर बताया गया कि मृतक की मृत्यु के 35 दिनों के बाद सूचना दी गई है, जो कि पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन है, अतः क्लेम निरस्त कर दिया गया है। इस प्रकार अनावेदक क्र.1 अपने दायित्व से बचने के लिए तकनीकी सहारा ले रहा हैं और परिवादीगण को क्लेम राशि 5,00,000रू. का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जो कि सेवा मे कमी की श्रेणी मे आता है, अतः परिवादीगण को अनावेदकगण से बीमा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज, आर्थिक, मानसिक व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि बीमा प्रमाण पत्र के साथ बीमा पालिसी के नियम एवं शर्तो संबंधी संपूर्ण दस्तोवज बीमा कंपनी द्वारा बीमाधारी को प्रदान किया गया था। परिवादीगण के अनुसार घटना दिनांक को 08.08.13 को हुई है, जबकि परिवादीगण के द्वारा दिनंाक 19.09.13 को घटना की सूचना पहली बार अनावेदक बीमा कंपनी के दी गई थी। इस प्रकार परिवादीगण द्वारा घटना की सूचना काफी विलंब से बीमा कंपनी को दी गई थी, जो कि बीमा पालिसी में वर्णित शर्त का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है। अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा परिवादीगण के दावे पर विचार किया गया तथा पाया गया कि मृतक खुबीराम साहू की मृत्यु दिनंाक 08.08.13 को हुई थी, जिसकी सूचना बीमा कंपनी द्वारा परिवादीगण के दावे पर विचार किया गया तथा पाया गया कि मृतक खुबीराम साहू की मृत्यु दिनांक 08.08.13 को हुई थी, जिसकी सूचना बीमा कंपनी को दि.19.09.13 को बैंक द्वारा प्रदान की गई थी, इस प्रकार घटना दिनंाक से लगभग 35 दिन पश्चात घटना की सूचना काफी विलंब से दी गई थी, जो कि बीमा पाॅलिसी में वर्णित शर्त का उल्लंघन है। विलंब से सूचना दिए जानें के कारण बीमा कंपनी प्रकरण के तथ्यों की स्वतंत्र अंवेषक के माध्यम से जांच करवाने एवं तथ्यों की वास्तविक एवं सही जानकारी प्राप्त करने के अपने महत्वपूर्ण अधिकारो से वंचित हो गई, जिसके कारण अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी के बीमा दावे को निरस्त किया गया था। दावे के निराकरण के दौरान यह भी पाया गया कि दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास वाहन चलाने हेतु वैघ एवं प्रभावी वाहन चालन अनुज्ञप्ति भी नहीं थी, जो कि मोटर यान अधिनियम एवं बीमा पाॅलिसी मे वर्णित नियम, शर्तों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन होने के कारण बीमा पाॅलिसी के अनुसार दावा भुगातन योग्य नहीं होने के कारण ही परिवादीगण का दावा दि.08.11.13 को निरस्त कर, इसकी सूचना प्रेषित की गई थी। बीमा कंपनी के द्वारा परिवादीगण के प्रति किसी प्रकार सेवा में कमी नहीं की गई है, अतः परिवादीगण का दावा सव्यय निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादीगण, अनावेदकगण से बीमा राशि 5,00,000रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ-केवल अनावेदक क्र.1 से अमानक स्तर पर बीमा राशि का 75 प्रतिशत
2. क्या परिवादीगण, अनावेदकगण से आर्थिक, मानसिक परेशानी के एवज में उचित क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
3. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा अभिकथित बीमा होने संबंधी तथ्य को अस्वीकार नहीं किया है, बल्कि बीमा दावा घटना की सूचना 35 दिनों की देरी से देने के कारण निरस्त किया है।
(8) अनावेदक बीमा कंपनी का तर्क है कि बीमित व्यक्ति की मृत्यु दि.08.08.2013 को हुई, जिसकी सूचना अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी को दि.19.09.2013 को अनावेदक क्र.2 बैंक द्वारा प्रदान की गई तथा घटना के समय वाहन चालक के पास वैध एवं प्रभावी वाहन चालन अनुज्ञप्ति नहीं था।
(9) परिवादीगण की ओर से वाहन चालक का ड्रायविंग लायसेंस प्रस्तुत नहीं किया गया है।
(10) प्रकरण के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादीगण ग्रामीण परिवेश के हैं और मृतक का अनावेदक क्र.2 बैंक के पास खाता था, जिसके संबंध में बीमित व्यक्ति का बीमा था, इन परिस्थितियों में परिवादीगण को सूचना देने में देरी करने का दोषी पाना उचित नहीं है, क्योंकि बीमित व्यक्ति का अनावेदक क्र.2 के पास खाता था और अनावेदक क्र.2 द्वारा बीमित व्यक्ति के संबंध में घटना की सूचना अनावेदक क्र.1 को दी गई थी, अतः देरी के आधार पर बीमा दावा खारिज करना निश्चित रूप से सेवा मंे निम्नता माना जावेगा, परंतु चूंकि घटना के समय मृतक के पास वैध एवं प्रभावी ड्रायविंग लायसेंस नहीं था, अतः प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए बीमा राशि 5,00,000रू. का आमानक स्तर पर 75 प्रतिशत राशि 3,75,000रू. परिवादीगण को अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी से दिलाया जाना उचित पाते हैं।
(11) प्रकरण की परिस्थिति को देखते हुए हम अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत न्यायदृष्टांत:-
1) सुजाता प्रभाकर एवं अन्य विरूद्ध चोलामण्डलम डी.बी.एस. फायनेंस लिमिटेड एवं अन्य प्(2013) सी.पी.जे. 113 (कर्नाटक राज्य आयोग)
का लाभ दिया जाना उचित नहीं पाते हैं।
(12) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक क्र.1 बीमा कंपनी, परिवादीगण को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करे:-
(अ) अनावेदक क्र.1, परिवादीगण को बीमा दावा राशि 5,00,000रू. की 75 प्रतिशत राशि 3,75,000रू. (तीन लाख पचहत्तर हजार रूपये) अदा करे।
(ब) अनावेदक क्र.1 द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर उपरोक्त राशि का भुगतान परिवादीगण को नहीं किये जाने पर अनावेदक क्र.1, परिवादीगण को आदेश दिनांक से भुगतान दिनांक तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करने के लिए उत्तरदायी होगा।
(स) अनावेदक क्र.1, परिवादीगण को वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करे।