Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/175/2010

GULAB YADAV - Complainant(s)

Versus

IFKO TOKIO - Opp.Party(s)

RAM PYARE YADAV

06 Aug 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 175 सन् 2010

प्रस्तुति दिनांक 25.07.2011

                                                                                                निर्णय दिनांक 06.08.2021

गुलाब यादव उम्र लगभग 38 साल पुत्र रामलाल यादव साकिन भदुली (सुरसी) परगना निजामाबाद तहसील सदर, जिला- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. शाखा प्रबन्धक इफ्को टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 10 सरदार पटेल मार्ग सिविल लाईन इलाहाबाद।
  2. महेन्द्रा फाइनेन्स शाखा हरबंशपुर, आजमगढ़।    
  3.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह अभिकथन किया है कि वह वाहन संख्या यू.पी. 50एफ.3449 पिकप मैक्स (महेन्द्रा) का पंजीकृत स्वामी है। जिसे विपक्षी संख्या 02 फाइनेन्स किया गया था। परिवादी एजेन्ट (अभिकर्ता) के कथन से संतुष्ट होकर उक्त वाहन का बीमा इफको टोकियो जनरल इंoकंoलिo से करवाया था जो दिनांक 01.01.2008 से 31.12.2008 तक इन्श्योर्ड थी और यह 3,33,200/- रुपए के लिए था। जिसका सर्टिफिकेट नं. 38188931 एवं पॉलिसी नं. 38190089 था। परिवादी सिविल लाईन आजमगढ़ में गोशाला का व्यवसाय करता है और उसके सामने ही उसका अपना वाहन खड़ा किया था जो दिनांक 23.01.2008 को चोरी हो गया। घटना की सूचना 23.01.2008 को कोतवाली थाने पर दी गयी। जिसके सम्बन्ध में मुoअoसंo 104/2008 अन्तर्गत धारा 379 भाoदoविo में थाना कोतवाली आजमगढ़ में पंजीकृत हुआ। जिसके सम्बन्ध में थाना कोतवाली से एफ.आर. नं. 42/2008 न्यायालय में प्रेषित किया गया जो दिनांक 15.06.2009 को स्वीकृत हुआ। उक्त घटना के बाबत जरिए डॉक रजिस्ट्री दिनांक 14.05.2009 को परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 को सूचित किया परन्तु बार-बार टाल मटोल करते रहे जिससे परिवादी हैरान व परेशान होकर दिनांक 15.07.2010 को एक विधिक नोटिस अधिवक्ता के माध्यम से भेजा, लेकिन अब तक उसका भी कोई जवाब नहीं दिया। परिवादी का काफी नुकसान हो रहा है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को बीमाकृत धनराशि 3,33,200/- रुपए मय 18% वार्षिक ब्याज के साथ तथा मानसिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति हेतु 1,00,000/-

रुपए अदा करे।   

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/1 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/3 मुकदमा स्वीकार होने के प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज सख्या 5/5 सी.जे.एम. के यहाँ इस बाबत दिया गया प्रार्थना पत्र की वह मुकदमा नहीं लड़ना चाहता है, कागज संख्या 5/6 व 5/7 इन्श्योरेन्स की छायाप्रति, कागज संख्या 5/8 जो पठनीय नहीं है तथा कागज संख्या 5/9व5/10 नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।  

कागज संख्या 17 विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसके द्वारा यह कहा गया है कि परिवाद गलत आधार पर दाखिल किया गया है। अतः अस्वीकार किया जाए। परिवादी का वाहन दिनांक 23.01.2008 को चोरी हो गया था इस क्लेम के सम्बन्ध में विपक्षी ने पूर्ण तत्परता से क्लेम के सम्बन्ध में कार्यवाही करते हुए परिवादी को दिनांक 19.07.2010 को पत्र प्रेषित करते हुए उसके क्लेम की धनराशि स्वीकार किए जाने के सम्बन्ध में सूचित किया और यह कहा गया कि वह सारी औपचारिकताएं पूरा कर अपनी धनराशि ले जाए। परिवाद गलत आधार पर दाखिल किया गया है। अतः खारिज किए जाने योग्य है और विपक्षी संख्या 01 वाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी है।  

विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 02 जोकि पत्रावली में विपक्षी संख्या 04 के नाम से जवाबदावा प्रस्तुत किया है जिसमें यह कहा गया है कि विपक्षी महेन्द्रा फाइनेन्स ने वाहन का केवल फाइनेन्स किया था। अतः वह याचित धनराशि देने के लिए बाध्य नहीं है।

विपक्षी संख्या 01 ने प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 12/1ता12/3 इन्श्योर्ड पॉलिसी की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। कागज संख्या 12/1 के अवलोकन से स्पष्ट है कि बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा क्लेम स्वीकार कर लिया है और उसे तीन कागजात प्रस्तुत कर बीमा की धनराशि ले जाने के लिए आदेश किया है, लेकिन परिवादी का यह कहना है कि उक्त कागजात ले जाने के बावजूद भी बीमा कम्पनी ने बीमित धनराशि नहीं दिया। अतः ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

 

                                                      आदेश

     परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह बीमित धनराशि मुo 3,33,200/- रुपए (रु. तीन लाख तैंतीस हजार दो सौ मात्र) अन्दर 30 दिन परिवादी से मांगे गए कागजात को प्राप्त कर उक्त धनराशि परिवादी को अदा करे।

 

 

 

 

                                                                     गगन कुमार गुप्ता                 कृष्ण कुमार सिंह 

                                                   (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

           दिनांक 06.08.2021

                                           यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                            गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                              (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

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