GOVIND PRASAD MAURYA filed a consumer case on 16 Feb 2021 against IFKO TOKIO in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/29R/2011 and the judgment uploaded on 18 Feb 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 29 सन् 2011
प्रस्तुति दिनांक 17.03.2011
निर्णय दिनांक 16.02.2021
गोविन्द प्रसाद मौर्य पुत्र कन्हैया लाल मौर्य निवासी जमकी पोस्ट- गोपालपुर, थाना- मेंहनगर, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उसने हीरो होण्डा मोटर साइकिल चेचिस नं. MBLHA10EL8-GE0568, इंजन नं.HA10EB8GE07161 मॉडल 2008, रजिस्ट्रेशन नं.यू.पी.50/क्यू-7483 का बीमा दिनांक 20.05.2008 से एक वर्ष यानी 19.05.2009 तक के लिए बाबत रकम 42090/- रुपए हेतु कराया गया था। परिवादी की उक्त बीमाकृत मोटर साइकिल दौरान बीमा दिनांक 25.03.2009 को किसी अज्ञात चोर ने चुरा लिया, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना सिगरा जिला वाराणसी में दर्ज कराया। पुलिस काफी प्रयास के बावजूद उक्त मोटर साइकिल को बरामद नहीं कर पायी तथा अन्त में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दिया। परिवादी विपक्षीगण के शाखा कार्यालय में कई बार सम्पर्क करके बीमाकृत मोटर साइकिल की बीमा रकम को चुकता करने की मांग करता रहा लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उक्त बीमा विपक्षी के एजेन्ट द्वारा परिवादी के घर मौजा जमकी, थाना- मेंहनगर, जनपद- आजमगढ़ जाकर दिनांक 20.05.2008 को एक साल के लिए कराया गया था। परिवादी ने इसके बाबत एक नोटिस भी दिया। अतः विपक्षी के उक्त नाजायज कार्यवाही से परिवादी को हुए नुकसान मुo 42090/- रुपए की रकम मय 12% वार्षिक ब्याज के साथ तथा प्रताड़ना हेतु 30000/- रुपए कुल 72090/- रुपए वापस कराया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 बीमा पॉलिसी की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3 फाइनल रिपोर्ट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 6/4 प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
विपक्षी संख्या 01व02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवाद आधारहीन है। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में उल्लिखित बीमा कवर नोट संख्या 36585348 वैधता अवधि 20.05.2008 से 19.05.2009 कम्पनी के अधिकृत बीमा एजेन्ट द्वारा जारी ही नहीं किया गया है और ना ही जारी कवरनोट के प्रतिफल स्वरूप कम्पनी को प्रीमियम ही प्राप्त हुआ था। इसलिए बीमा पॉलिसी निरस्त कर दी गयी थी। इस सम्बन्ध में इफ्फको टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo इलाहाबाद के तत्कालीन शाखा प्रबन्धक श्री नरेन्द्र गौड़ पुत्र अर्जुन दास गौड़ द्वारा दिनांक 19.08.2010 को थाना सिविल लाईन्स इलाहाबाद में प्रथम सूचना रिपोर्ट अभियुक्त अरविन्द कुमार पाण्डेय के विरुद्ध दर्ज कराया गया था। उक्त आपराधिक मुकदमें में वर्तमान समय में भी अभियुक्त के विरुद्ध जाँच प्रक्रिया लंबित है। परिवादी द्वारा अपने तथाकथित वाहन का बीमा विपक्षीगण के किसी भी कार्यालय से नहीं करायी गयी थी। अभियुक्त अरविन्द कुमार पाण्डेय द्वारा धोखा धड़ी एवं फ्रॉड क्रियाकलापों के तहत प्राप्त किया गया था। बीमा का प्रतिफल मूल्य कम्पनी को प्राप्त नहीं हुआ। इसलिए बीमा संविदा भारतीय संविदा अधिनियम 1872 के अन्तर्गत विधिक प्रभाव नहीं रखती है। इसलिए विपक्षो इफको टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा कोई बीमा पॉलिसी नहीं जारी किया गया था इसके पश्चात् बीमा की सम्पूर्ण प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया। परिवादी के तथाकथित चोरी हुए वाहन की बीमा पॉलिसी वैध एवं प्रभावी नहीं होने के कारण एवं इन्श्योरेन्स ऐक्ट 1938 की धारा 64 वी.बी. का कम्प्लायन्स की प्रक्रिया विधित पूर्ण नहीं होने के कारण विपक्षीगण का प्रतिकर भुगतान का कोई दायित्व ही नहीं है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।
विपक्षी संख्या 01व02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह अभिकथित किया है कि उसने अपने मोटर साइकिल का बीमा विपक्षीगण से करवाया था और उसके द्वारा बीमा पॉलिसी भी कागज संख्या 6/1 दाखिल की गयी है। जबकि विपक्षीगण ने अपने जवाबदावा में यह उल्लेख किया है कि एजेन्ट ने बीमा कम्पनी के साथ धोखा-धड़ी किया है और उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही चल रही है। विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 31ग एक प्रलेख प्रस्तुत किया गया है, जिसके अनुसार परिवादी द्वारा कथित बीमा को निरस्त कर दिया गया है। इसमें इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि एजेन्ट ने धोखा-धड़ी की कार्यवाही करा करके ऐसा किया था और उसके विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट का दर्ज कर कार्यवाही की गयी है। कागज संख्या 31/5 एजेन्ट के विरुद्ध दाखिल प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है। बीमा कम्पनी का यह कहना है कि उसके एजेन्ट ने उसके साथ फ्रॉड किया है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम ऋषि दर्शन नाम्बियार एवं अन्य 2018 (2) सी.पी.आर. 266 (एन.सी.)” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माo राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिधारित किया है कि इन्श्योरेन्स कम्पनी एजेन्ट के किसी भी एक्ट के लिए या उसके भूल के लिए उत्तरदायी होती है। इस प्रकार बीमा एजेन्ट ने जो बीमा कम्पनी के साथ फ्रॉड किया है और बीमा कम्पनी से एजेन्ट के विरुद्ध आपराधिक वाद अग्रसारित किया है तथा बीमा कम्पनी उपरोक्त न्याय निर्णय के आलोक में एजेन्ट के कार्य के लिए स्वयं उत्तरदायी है और इसके लिए वह व्यक्ति जिसने बीमा कम्पनी से बीमा करवाया था प्रभावित नहीं होगा।
उपरोक्त विवरण से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है। बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को अन्दर तीस दिन मोटरसाइकिल के लिए बीमित धनराशि 42,090/- (रु. बयालीस हजार नब्बे मात्र) रुपए का भुगतान करे, इस धनराशि पर परिवाद दाखिल करने की तिथि से 09% वार्षिक ब्याज भी देय होगा। परिवादी को शारीरिक तथा मानसिक कष्ट के लिए बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या 01 मुo 10,000/- (रु. दस हजार मात्र) रुपए देने के लिए भी उत्तरदायी है। यदि भविष्य में कभी गाड़ी मिलती है तो बीमा कम्पनी का यह अधिकार होगा कि वह उस गाड़ी का स्वामित्व स्वयं हो जाएगा।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 16.02.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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