जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/22/2014
प्रस्तुति दिनांक:- 11/04/2014
श्रीमती सुनीता खरे पति स्व. कलेष्वर खरे
उम्र 28 साल जाति सूर्यवंषी,
निवासी ग्राम कुटरा तहसील जांजगीर,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. ..................आवेदिका/परिवादी
( विरूद्ध )
1. इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंष कंपनी लिमिटेड
ई 5/18 अरेरा काॅलोनी, षापिंग कांप्लेक्स,
नीयर बी.एस.एन.एल. आॅफिस, बिटन मार्केट,
भोपाल म.प्र. पिन 462016
2. श्रीमान् षाखा प्रबंधक, जिला सहकारी बैंक
षाखा जांजगीर,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. .........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
///आदेश///
( आज दिनांक 07/10/2015 को पारित)
1. परिवादी/आवेदिका ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. मय 9 प्रतिषत ब्याज आवेदन प्रस्तुति दिनांक से वसूली दिनांक तक तथा वादव्यय दिलाए जाने हेतु दिनांक 11.04.2014 को प्रस्तुत किया है ।
2. स्वीकृत तथ्य है कि आवेदिका के पति स्व. कलेष्वर खरे का बचत खाता क्रमांक 606021027045 अनावेदक क्रमांक 2 के शाखा में था, उसकी दुर्घटना बीमा दिनांक 12.03.2013 को 100/-रू. की प्रीमियम अदा कर 5,00,000/-रू. का बीमा कराया गया था । कलेष्वरप्रसाद खरे की मृत्यु दिनांक 09.06.2013 को सड़क दुर्घटना में हो गई । बीमा पाॅलिसी दिनांक 12.03.2013 से 12.03.2014 तक के लिए थी । परिवादी द्वारा अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी के समक्ष प्रस्तुत दुर्घटना बीमा दावा को बीमित व्यक्ति मृतक की स्वयं की गलती मानकर दावा निरस्त कर दिया गया।
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि बचत बैंक खाता क्रमांक 606021027045 में आवेदिका के पति स्व. कलेष्वर खरे के नाम दिनांक 12.03.2013 को 100/-रू. के प्रीमियम अदा कर 5,00,000/-रू. की काराई गई थी, उक्त पाॅलिसी की अवधि दिनांक 12.03.2013 से 12.03.2014 तक थी । उक्त बीमा अवधि में दिनांक 09.06.2013 को कलेष्वर प्रसाद खरे की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हो गई । अनावेदकगण द्वारा झूठे तथ्यों के आधार पर कि सड़क दुर्घटना को बीमित व्यक्ति मृतक की स्वयं की गलती मानकर गलत ढंग से दुर्घटना दावा निरस्त कर दी गई । आवेदिका द्वारा मौखिक, लिखित षिकायत तथा अधिवक्ता नोटिस भी दी गई किंतु कोई लाभ नहीं हुआ। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा आवेदिका के दावे को निरस्त कर सेवा में कमी की गई, जिससे आवेदिका को आर्थिक, मानसिक परेषानी हुई। अतः आवेदिका ने अनावेदकगण से दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. मय 9 प्रतिषत ब्याज आवेदन प्रस्तुति दिनांक से वसूली दिनांक तक तथा वादव्यय दिलाए जाने का निवेदन किया है।
4. अ. अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से उनके अधिवक्ता ने जवाब दावा प्रस्तुत किया है, जिसमें अनावेदक क्रमांक 1 का हस्ताक्षर व सत्यापन नहीं है, जिसके लिए अनावेदक क्रमांक 1 को अवसर दिए जाने के बाद भी जवाब दावा पर हस्ताक्षर एवं सत्यापन नहीं कराया गया है । अधिवक्ता द्वारा हस्ताक्षर एवं सत्यापन कराए जाने हेतु समय लिया जाकर नियत की गई समय पर अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से उपस्थित नहीं हुए, जिससे अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई ।
ब. यद्यपि अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से प्रस्तुत जवाबदावा में परिवाद के तथ्यों को इंकार करते हुए कथन किया है कि मृतक कलेष्वर प्रसाद खरे के द्वारा अनोदक क्रमांक 2 जिला सहकारी बैंक जांजगीर के द्वारा कोई बीमा राषि 100/-रू. इस अनावेदक क्रमांक 1 के पास जमा नहीं किया है तथा प्रीमियम जमा नहीं करने के कारण कोई बीमा पाॅलिसी 5,00,000/-रू. का जारी नहीं किया गया है । न ही आवेदिका के द्वारा और न ही अनावेदक क्रमांक 2 के द्वारा 5,00,000/-रू. की पाॅलिसी के संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है। मृतक के द्वारा अपने मोटर सायकल क्रमांक सी.जी. 12 एच 8321 में 3 व्यक्ति सवार होकर चला रहे थे जो कि परिवहन विभाग के नियम व शर्तों का उल्लंघन है । आवेदिका के द्वारा घटना दिनांक 09.06.2013 बताते हुए दिनांक 05.09.2013 को क्लेम दावा प्रस्तुत किया गया है जो 2 माह 27 दिन विलंब से प्रस्तुत किया गया है, जो कि बीमा शर्तों का उल्लंघन है। मृतक के पास उक्त मोटर सायकल चलाने का वैध एवं प्रभावी सक्षम ड्रायविंग लाईसेंस नहीं था, जो कि बीमा शर्तों का उल्लंघन है। ।
स. आवेदिका के द्वारा मृतक कलेष्वर प्रसाद खरे की दुर्घटना ट्रेक्टर सोनालिका क्र. सी.जी. 11 डीए 1861 के विरूद्ध मृतक दावा का वाद माननीय द्वितीय मोटर दावा दुर्घटना अधिकरण प्रस्तुत किया था और उक्त मृतक क्षति पूर्ति राषि भी आवेदिका को प्राप्त हो चुकी है । इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 1 से कोई क्षति पूर्ति पाने की अधिकारिणी आवेदिका नहीं है।
5. अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ प्रारंभिक आपत्ति करते हुए कथन किया है कि अनावेदक क्रमांक 2 सहकारी संस्था अधिनियम 1960 के तहत पंजीकृत बैंक है, जो कि अनावेदक क्रमांक 1 से अपने अमानतदार एवं कृषक सदस्य के कल्याण के लिए दुर्घटना बीमा पाॅलिसी दिलाने में सहयोग करता है इसलिए अनावेदक क्रमांक 2 का इस प्रकरण में देयता के लिए कोई दायित्व नहीं है। अनावेदक क्रमांक 2 का कार्य व्यापार इंष्योरेंस करने का नहीं है और न ही उसमें अनावेदक क्रमांक 1 के प्रतिनिधि एवं एजेंट के रूप में कार्य किया है और न ही मृतक अमानतदार/कृषक से बीमा हेतु कोई कमीषन लिया है । अनावेदक क्रमांक 1 एक सार्वजनिम उपक्रम है जो कि प्रीमियम प्राप्त करने के बाद प्रत्येक अमानतदार/कृषक का दुर्घटना बीमा किया है एवं दुर्घटना बीमा में उल्लेखित शर्तों से अनावेदक क्रमांक 1 विबंधित है और अब उसके विपरीत कहने का अधिकार उसे नहीं है। अनावेदक क्रमांक 1 अब यदि पाॅलिसी शर्तों के विपरीत कोई अन्य आधार लेता है तो वह न्याय-भंग तथा अनुबंध भंग का दोषी है । अनावेदक क्रमांक 1 सार्वजनिक उपक्रम होने के नाते तथा ख्याति प्राप्त बीमा कंपनी होने के नाते उक्त दुर्घटना पाॅलिसी अनावेदक क्रमांक 2 के माध्यम से उनके अमानतदार/कृषक के मृत्यु होने के बाद अनावेदक क्रमांक 1 दावा राषि के भुगतान करने की जिम्मेदारी से बचने के लिए कोई विपरीत कथन नहीं कर सकता । विवाद आवेदिका और अनावेदक क्रमांक 1 के मध्य है। आवेदिका द्वारा मांगी गई अनुतोष को देने की जिम्मेदारी अनावेदक क्रमांक 1 की है ।
6. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
7. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
क्या अनावेदकगण ने आवेदिका को दुर्घटना बीमा से संबंधित दावा राषि प्रदान न कर सेवा में कमी की है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न का सकारण निष्कर्ष:-
8. परिवादी/आवेदिका ने परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथ तथा सूची अनुसार दस्तावेज बचत बैंक खाता दिनांक 21.04.2011, दावा आवेदन दिनांक 03.09.2013, जिला सहकारी बैंक का पत्र दिनांक 04.09.2013, इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस कंपनी का आदेष नो क्लेम दिनांक 26.03.2014, अधिवक्ता नोटिस व डाक पावती दिनांक 01.04.2014, पुलिस अभियोग पत्र दिनांक 09.07.2013, पुलिस अधीक्षक को षिकायत दिनांक 31.07.2013, मृत्यु प्रमाण पत्र दिनांक 09.06.2013, जिला सहकारी बैंक जांजगीर को सूचना के अधिकार का आवेदन दिनांक 04.09.2015 सभी की फोटोप्रति प्रस्तुत किया है।
9. अनावेदक क्रमांक 2 ने जवाबदावा के समर्थन में रेषमलाल तिवारी, शाखा जांजगीर का शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
10. परिवादी/आवेदक ने परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथ पत्र तथा गजानंद खरे का षपथ पत्र साक्ष्य कथन प्रस्तुत किया है, जिसमें परिवादी के पति स्व. कलेष्वरप्रसाद खरे का अनावेदक क्रमांक 2 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित षाखा जांजगीर में सेविंग एकाउंट है, जिसमें से दिनांक 12.03.2013 को 100/-रू. का प्रीमियम अदा कर 5,00,000/-रू. का का दुर्घटना बीमा कराया जाना बताया है, जिसकी पुश्टि सूची अनुसार प्रस्तुत दस्तावेज सेविंग बैंक खाता क्रमांक 606021027045, पास बुक का विवरण, बैंक स्टेटमेंट से हुआ है, जिसमें दिनांक 12.03.2013 को बीमा हेतु 100/-रू. कलेष्वरप्रसाद खरे के खाता से आहरित किया है ।
11. परिवादी ने सूची अनुसार दस्तावेज में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक प्रधान कार्यालय बिलासपुर को लिखा गया पत्र, जो अनावेदक क्रमांक 2 के बैंक में दिनांक 03.09.2013 को प्राप्त किया गया तथा अनावेदक क्रमांक 2 बैंक द्वारा प्रधान कार्यालय बिलासपुर को परिवादी के आवेदन को संलग्न करते हुए भेजा गया पत्र दिनांक 04.09.2013 तथा अनावेदक क्रमांक 1 इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड का पंजीकृत पत्र दिनांक 26.03.2014 तथा परिवादी की ओर से अनावेदकगण को भेजा गया पंजीकृत सूचना पत्र दिनांक 01.04.2014 में परिवादी के कथन की पुष्टि होती है, कि उसके पति कलेष्वरप्रसाद खरे का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा 100/-रू. की प्रीमियम देकर अनावेदक क्रमांक 2 बीमा कंपनी में 5,00,000/-रू. का कराया गया था । परिवादी की ओर से सूची अनुसार दस्तावेज बैंक द्वारा संचालित योजना के कार्यक्रम का पाम्पलेट से भी व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा होने पर खाताधारी के उत्तराधिकारी को 5,00,000/-रू. इफको टोकिया बीमा कंपनी द्वारा दिलाए जाने का उल्लेख है । उक्त तथ्य की पुष्टि अनावेदक क्रमांक 1 के पंजीकृत पत्र दिनांक 26.03.2014 जो परिवादी को दिया गया है से भी होती है । इस प्रकार दस्तावेजी प्रमाणों से परिवादी युक्तियुक्त रूप से यह तथ्य प्रमाणित की है कि उसके पति कलेष्वरप्रसाद खरे का अनावेदक क्रमांक 2 बैंक में सेविंग एकाउंट है, जिसके खाता से 100/-रू. प्रीमियम अदा कर 5,00,000/-रू. का दुर्घटना बीमा अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी में किया गया था।
12. परिवादी ने परिवाद अनुसार अपने शपथ पत्र के साक्ष्य कथन में बताया है कि उसके पति कलेष्वरप्रसार खरे की मृत्यु दिनांक 04.06.2013 को सड़क दुर्घटना में हो गई थी, का समर्थन उसके साक्षी गजानंद खरे द्वारा किया गया है, उक्त कथन की पुष्टि दुर्घटना से संबंधित थाना पामगढ़ में दर्ज कराई गई रिपोर्ट तथा विवेचना में संकलित साक्ष्य से होती है, जिसमें प्रथम सूचना प्रतिवेदन दिनांक 09.06.2013, अकाल एवं असामयिक मृत्यु की सूचना पंजी दिनांक 09.06.2013, पंचायत नामा दिनांक 09.06.2013, शव परीक्षण के लिए आवेदन एवं शव परीक्षण रिपोर्ट दिनांक 09.06.2013, मृत्यु प्रमाण पत्र दिनांक 13.08.2013 उक्त दस्तावेजों से कलेष्वरप्रसाद खरे पिता कौषल प्रसाद खरे की मोटर दुर्घटना में मृत्यु हो गई युक्तियुक्त रूप से प्रमाणित होता है ।
13. परिवादी ने शपथ पत्र एवं शपथ पत्र साक्ष्य में बताया है कि अनावेदक क्रमांक 1 इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने पंजीकृत पत्र दिनांक 26.03.2014 द्वारा उसके पति स्व. कलेष्वरप्रसाद खरे की दुर्घटना बीमा दावा को इंकार कर दिया, जिसकी पुष्टि में पंजीकृत पत्र दिनांक 26.03.2014 की मूल प्रति प्रस्तुत किया है ।
14. अनावेदक क्रमांक 1 इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड का परिवादी को दिया गया पंजीकृत सूचना दिनांक 26.03.2014 में दुर्घटना बीमा दावा को इंकार करने का निम्नलिखित आधार उल्लेख किया गया है:-
अ. मृतक वैध ड्रायविंग लाइसेंस के बिना मोटर सायकल को चला रहा था तथा मोटर सायकल में तीन व्यक्ति बैठे थे ।
ब. 2 माह 27 दिन विलंब से क्लेम दावा प्रस्तुत किया गया है।
15. परिवाद पत्र अंतर्गत अनावेदक क्रमांक 1 इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड की ओर से प्रकरण मे अपना पक्ष समर्थन में कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है । अनावेदक क्र्रमांक 1 की ओर से प्रकरण में प्रस्तुत किए गए जवाब प्रभारी अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित व सत्यापित नहीं है । इस प्रकार मृतक बिना वैध चालन अनुज्ञप्ति वाहन मोटर सायकल को चला रहा था प्रकरण में स्थापित प्रमाणित नहीं हुआ है, जबकि परिवादी तथा उसके साक्षी गजानंद खरे ने शपथ पत्र में बताया है कि मृतक कलेष्वरप्रसाद खरे दुर्घटना के समय मोटर सायकल नहीं चला रहा था पान व गुटका खाने के लिए पान ठेला जाने के लिए मेन रोड के किनारे खड़ा था उसी समय ट्रेक्टर क्रमांक सी.जी. 11 डी.ए. 1861 का चालक ट्रेक्टर को तेजी व लापरवाही पूर्वक चलाते लाकर ठोकर मार दिया, जिससे मेरे भाई स्व. कलेष्वरप्रसाद खरे की घटना स्थल में ही मृत्यु हो गई । उक्त कथन की पुष्टि परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से होती है, जिसमें दुर्घटना की की गई रिपोर्ट पर वाहन ट्रेक्टर क्रमांक सी.जी. 11 डी.ए. 1861 के चालक सुरेष राठौर के विरूद्ध अभियोग पत्र प्रस्तुत हुआ है ।
16. परिवादी के पति स्व. कलेष्वरप्रसाद खरे का 100/-रू. प्रीमियम प्राप्त कर अनावेदक क्रमांक 1 ने व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा किया था अर्थात कलेष्वरप्रसाद खरे की दुर्घटना में मृत्यु होने पर बीमा राषि उसके उत्तराधिकारी को नियमानुसार प्राप्त होना था । परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी प्रमाण से युक्तियुक्त रूप से प्रमाणित कर दिया गया है कि परिवादी के पति स्व. कलेष्वर प्रसाद खरे की मोटर दुर्घटना में मृत्यु हुई है, मृत्यु की प्रकृति दुर्घटनात्मक है, शव परीक्षण प्रतिवेदन में उल्लेखित है, जिससे बीमा पाॅलिसी अनुसार मृतक के उत्तराधिकारी दुर्घटना बीमा का दावा पाने के अधिकारी है ।
17. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्यों का समर्थन अनावेदक क्रमांक 2 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित बिलासपुर शाखा जांजगीर द्वारा जवाबदावा में किया गया है । अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा जवाब दावा प्राधिकृत अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित व सत्यापित कर प्रस्तुत नहीं किया गया है, बल्कि उनके ओर से उपस्थित होने वाले अधिवक्ता द्वारा किया गया है । जवाब दावा में उल्लेखित तथ्यों द्वारा ली गई आपत्ति को प्रमाणित करने के लिए अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से कोई प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया गया है तथा प्रकरण में अनावेदक क्रमांक 1 एकपक्षीय भी हुआ है । इस प्रकार परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद की सामग्री से अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध सारवान प्रमाण/साक्ष्य प्रस्तुत किया है ।
18. परिवादी की ओर से तर्क किया गया है कि तर्क के लिए यह मान भी लिया जाय कि अनावेदक क्रमांक 1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है, किंतु अनावेदक क्रमांक 1 ने जवाब में उल्लेखित तथ्य को प्रमाणित करने के लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है । परिवादी की ओर से यह तर्क भी किया गया है कि अनावेदक क्रमांक 1 ने मृतक के पास कोई ड्रायविंग लाइसेंस नहीं था प्रमाणित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं दिया है तथा विलंब से दुर्घटना दावा पत्र प्रस्तुत करने के आधार पर दुर्घटना दावा निरस्त करने योग्य नहीं था, तर्क के समर्थन में नेषनल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड विरूद्ध मेसर्स नवनीत ब्रदर्स 2006 ;2द्ध डच्भ्ज् 1 ;ब्च्ब्द्धए ब्रांच मैनेजर लाईफ इंष्योरेंस कारपोरेसन आॅफ इंडिया एवं अन्य विरूद्ध श्रीमती सीता बाई सोरी 2009 ;1द्ध डच्भ्ज् 18 ;ब्च्ब्द्धए तथा ओरिएंटल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड विरूद्ध श्रीमती रीता देवी 2014 ;2द्ध ब्श्रस्श्र 10 ;ब्ब्ब्द्धए का अवलंब लिया है, जिनमें अभिनिर्णित अनुसार प्रस्तुत परिवाद अंतर्गत परिवादी के विरूद्ध मृतक द्वारा वैध चालन अनुज्ञिप्ति धारी नहीं था तथा वाहन में तीन व्यक्ति बैठकर चला रहा था प्रमाणित नहीं किया गया है तथा विलंब से प्रस्तुत किए गए दावा को निरस्त नहीं किया जा सकता के तर्क को बल मिलता है ।
19. उपरोक्त अनुसार प्रकरण में अभिलेखगत सामग्री से परिवादी ने अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी के विरूद्ध परिवाद को युक्तियुक्त रूप से स्थापित प्रमाणित किया है होना हम पाते हैें । तद्नुसार विचार योग्य प्रष्न में अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी ने आवेदक को दुर्घटना बीमा से संबंधित दावा राषि प्रदान न कर सेवा में कमी की है का निष्कर्ष देते हैं।
20.परिवादी ने अनावेदकगण से दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. वाद व्यय व ब्याज राषि सहित जो उचित हो दिलाए जाने की प्रार्थना परिवाद में की है । बीमा राषि 5,00,000/-रू. पर आवेदन प्रस्तुति दिनांक से वसूली दिनांक तक 9 प्रतिषत ब्याज दिलाए जाने का निवेदन परिवाद की कंडिका 6 (द) में की गई है । परिवाद अंतर्गत अनावेदक क्रमांक 1 से परिवादी उसके पति स्व. कलेष्वरप्रसाद खरे दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. प्राप्त करने की अधिकारी होना तथा उक्त राषि पर परिवाद प्रस्तुत करने के दिनांक से अंतिम अदायगी दिनांक तक 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दिलाया जाना हम युक्तियुक्त एवं उचित होना हम पाते हैं ।
21. उपरोक्तानुसार अनावेदक क्रमांक 1 के समक्ष परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद को निरस्त किया जाना भी सेवा में कमी होना निष्कर्षित करने योग्य है, जैसा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग नई दिल्ली ने पद्मावती व्यंकटष विरूद्ध ओरिएंटल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य 2015 (3)ब्च्त् 750 (छब्) में अभिनिर्णित किया गया है । इस प्रकार सेवा में कमी करने से मानसिक क्षति हेतु 10,000/-रू. अनावेदक क्रमांक 1 से परिवादी को दिलाए जाने योग्य है तथा वादव्यय हेतु 2,000/-रू. दिलाया जाना न्याय संगत होना हम पाते हैं ।
22. उपरोक्त अनुसार अनावेदकगण के विरूद्ध परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद को अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध स्वीकार करने योग्य हम पाते हैं, तद्नुसार परिवाद स्वीकार कर निम्नलिखित निर्देष देते हैं:-
अ. अनावेदक क्रमांक 1 इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड परिवादी/आवेदिका को दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. (पाॅच लाख रूपये) एक माह के भीतर भुगतान करे ।
ब. अनावेदक क्रमांक 1 बीमा कंपनी 5,00,000/-रू. (पाॅच लाख रूपये) पर आवेदन प्रस्तुति दिनांक 11.04.2014 से अंतिम अदायगी दिनांक तक 9 प्रतिषत वार्षिक साधारण ब्याज का परिवादी को भुगतान करे।
स. अनावेदक क्रमांक 1 मानसिक क्षति हेतु 10,000/-रू. (दस हजार रूपये) परिवादी को एक माह के भीतर अदा करे।
द. अनावेदक क्रमांक 1 वादव्यय हेतु 2,000/-रू. (दो हजार रूपये) परिवादी को एक माह के भीतर अदा करे।
( श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा) (बी.पी. पाण्डेय)
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