जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 711/2013
सीताराम सैनी पुत्र श्री राम सिंह सैनी, जाति माली, निवासी बड़ी ढाणी, ग्राम थोई, तहसील श्रीमाधोपुर, जिला सीकर (राज.)
परिवादी
ं बनाम
1. इफको टोकियो जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0, रजिस्टर्ड आॅफिस- इफको सदन, सी-1, डिस्ट्रक्ट सेंटर ,सांकेत, न्यू दिल्ली 110017
2. इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि., स्थानीय सर्विसिंग आॅफिस-ए-13 व 37, हनुमान नगर, खातीपुरा, सिरसी रोड़, जयपुर (राज0) जरिए प्रबंधक
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री राजकमल गौड - परिवादी
श्री विज्जी अग्रवाल - विपक्षी बीमा कम्पनी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 28.05.13
आदेश दिनांक: 23.04.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने वाहन टाटा ट्रक आर.जे.23-जीए-2869 का बीमा विपक्षी के यहां से करवाया था जो दिनांक 31.05.2011 से 30.05.2012 की समयावधि के लिए किया गया था । उक्त वाहन दिनांक 29.12.2011 को ग्राम धनान, जिला भिवानी (हरियाणा) के निकट एक अन्य ट्रक नंबर एच आर 37 एम 8692 से टक्करा गया जिसके सम्बन्ध में पुलिस थाना भिवानी सदर, जिला भिवान (हरियाणा) में प्रथम सूचना 547/2011 दर्ज करवाई गई । विपक्षी कम्पनी को सूचना दनेे पर वाहन का सर्वेयर व लोस असेसर द्वारा सर्वे किया तथा तथ्यों का सत्यापन किया । परिवादी ने उक्त ट्रक में हुई क्षति की पूर्ति हेतु विपक्षी कम्पनी के यहां 3,50,000/- रूपए का क्लेम प्रस्तुत किया गया तथा समस्त दस्तावेजात प्रस्तुत कर दिए थे । परिवादी का कथन है कि विपक्षी कम्पनी द्वारा उसका क्लेम पास नहीं किया गया ऐसी स्थिति में उसने दिनांक 04.02.2012 को प्रश्नगत ट्रक प्रदीप खडोलिया व चन्द्र बिहारी शर्मा जिनके पास ट्रक किराए पर को 6,31,000/- रूपए में विक्रय करने का करार कर लिया । परिवादी को इकरारनामा विक्रय दिनांक 04.02.2012 के अधीन शेष राशि का अभी तक पूर्ण भुगतान नहीं किया गया है । परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने उसका क्लेम गलत एवं अवैधानिक तरीके से खारिज कर दिया जिसकी सूचना अपने पत्र दिनांक 19.12.2012 के जरिए दी गई । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार विपक्षी ने सेवादोष कारित किया है जिससे उसे आर्थिक, शारीरिक व मानसिक संताप हुआ है । परिवादी ने विपक्षीगण से 4,71,000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवादी के वाहन का बीमा किया जाना स्वीकार किया गया है । विपक्षी का कथन है कि बीमा अवधि दिनांक 31.05.2011 से दिनांक 30.05.2012 की मध्यरात्रि तक के लिए वाहन का बीमा किया गया था परन्तु उक्त दिनांक से पूर्व ही परिवादी सीताराम सैनी द्वारा जरिए किरायानामा दिनांकित 09.09.2010 वाहन का ब्जिा 50,000/- रूपए प्रतिमाह के किराए पर श्री प्रदीप खडोलिया को संभलाया जा चुका था । इस तरह बीमा किए जाने की दिनांक पर ना तो परिवादी सीता राम सैनी का उक्त प्रश्नगत वाहन पर कोई कब्जा था ना ही उक्त वाहन पर परिवादी का कोई नियंत्रण था ना ही उक्त वाहन परिवादी सीताराम सैनी के द्वारा नियोजित कर्मकार चालक द्वारा परिवादी सीताराम सैनी के हितार्थ एवं लाभार्थ संचालित हो रहा था । परिवादी सीता राम सैनी द्वारा उपरोक्त समस्त तथ्यों को उत्तरदाता विपक्षी बीमा कम्पनी से छिपाकर विषयान्तर्गत वाहन का बीमा करवाया गया था । दुर्घटना की दिनांक पर प्रश्नगत वाहन पर परिवादी का नहीं बल्कि प्रदीप खडोलिया व श्री चन्द्र बिहारी शर्मा का कब्जा एवं नियंत्रण था तथा वाहन का संचालन भी उनके द्वारा ही किया जाता था । विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा इकरारनामा विक्रय दिनांकित 04.02.2012 के जरिए विषयान्तर्गत वाहन का विक्रय श्री प्रदीप खडोलिया तथा श्री चन्द्र बिहारी शर्मा को कर दिया गया था । इस तरह किरायानामा दिनांकित 09.09.2010 से लेकर अंत तक विषयान्तर्गत वाहन का स्वामित्व श्री प्रदीप खडोलिया तथा श्री चन्द्र बिहारी शर्मा में ही निहित रहा । इस प्रकार के तथ्य एवं अन्य तथ्य अंकित करतेे हुए विपक्षी ने परिवाद खारिज किए जाने का निवेदन किया है ।
मंच द्वारा विपक्षी के अधिवक्ता की बहस सुनी गई एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित तर्को पर विचार किया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
इस प्रकरण में परिवादी का बीमा दावा विपक्षीगण ने इस आधार पर यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि दुर्घटना के दिन प्रश्नगत वाहन का विक्रय हो चुका था तथा परिवादी के हक में किसी प्रकार का बीमा हितलाभ नहीं था । इस आशय का पत्र प्रदर्श ओ पी - 8 है जो विपक्षीगण द्वारा पेश किया गया है इसमें इस भाषा का उपयोग किया गया है कि बीमित सीताराम सैनी ने वाहन दिनांक 09.12.2011 को चन्द्र बिहारी शर्मा को बेच दिया था तथा इस कारण से दिनांक 29.12.2011 अर्थात दुर्घटना के दिन वाहन में परिवादी का कोई बीमा हितलाभ निहित नहीं था । विपक्षीगण द्वारा इस सम्बन्ध में परिवादी के संविदा पत्र का हवाला दिया गया है जो कि विक्रय की संविदा बताई जाती है जो प्रदर्श ओ पी-5 है । यह दस्तावेज दिनांक 04.02.2012 को निष्पादित किया जाना दस्तावेज से जाहिर हो रहा है । अत: यह विक्रयनामा दुर्घटना के बाद निष्पादित किया गया है । अत: यह नहीं कहा जा सकता है कि दुर्घटना के दिन परिवादी ने अपना विक्रय करने की कोई संविदा कर ली थी अर्थात दुर्घटना की दिनांक 29.12.2011 को भी परिवादी ही वाहन का पंजीकृत स्वामी था और उसी के हक में बीमा पाॅलिसी जारी की गई थी अर्थात दुर्घटना के दिन परिवादी का पूर्ण रूप से बीमा हित लाभ मौजूद था । अत: ऐसी स्थिति में परिवादी का बीमा दावा गलत आधार पर निस्तर कर विपक्षी ने सेवादोष कारित किया है ।
विपक्षीगण की ओर से राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली का न्याय निर्णय रिविजन पिटिशन नंबर 1816/2014 दिदार सिंह बनाम रिलाइंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0, सर्वोच्च न्यायालय का न्याय निर्णय राजस्थान स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट बनाम कैलाश नाथ कोठारी, प्ट ;2012द्ध ब्च्श्र 639 ;छब्द्ध धर्मबीर बनाम न्यू इण्डिया एश्योंरेस कम्पनी लि0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतिोष आयोग, नई दिल्ली का न्या निर्णय प्रस्तुत किया है । उक्त न्याय निर्णयों का सम्मानपूर्वक अध्ययन किया गया परन्तु प्रकरण की परिस्थितियों में इन न्याय निर्णयों से विपक्षी को कोई सहायता नहीं मिलती है ।
उपरोक्त समस्त परिस्थितियों में अनावश्यक रूप से परिवादी का बीमा दावा निरस्त कर विपक्षी ने सेवादोष कारित किया है जिससे स्वभाविक है कि परिवादी को आर्थिक हानि के साथ-साथ मानसिक संताप कारित हुआ है जिसके लिए वह मुआवजा प्राप्त करने का अधिकारी है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षीगण संयुक्त रूप से व पृथक-पृथक परिवादी को बीमा क्लेम के संबंध में हानि का मूल्यांकन करने वाले सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर वाहन में हुई क्षति का मुआवजा अदा करेंगे एवं इस राशि पर दुर्घटना की दिनांक 29.12.2011 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज का भी भुगतान करेंगे। इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेंगे। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 23.04.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (राकेश कुमार माथुर)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष