Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/147/2018

ASHUTOSH KHER - Complainant(s)

Versus

IFFCO TOKIO - Opp.Party(s)

MAYANK SINGH

23 Apr 2022

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/147/2018
( Date of Filing : 04 May 2018 )
 
1. ASHUTOSH KHER
JAIL ROAD
PRATAPGADH
...........Complainant(s)
Versus
1. IFFCO TOKIO
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Apr 2022
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-   147/2018                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                    श्री अशोक कुमार सिंहसदस्‍य।

         श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।             

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-04.05.2018

परिवाद के निर्णय की तारीख:23.04.2022

Dr. Ashutosh Khare S/o Late Sukhdev Prasad Khare, R/o Mohalla Jail Road, Town & District Pratapgarh.

                                                                                        ..............Complainant.

                                                  Versus

1.      M/s IFFCO Tokio General Insurance Co. Ltd, having it’s Registered Office at IFFCO Tower, Plot No 3, Sector-29, Gurugram, State of Haryana-122001 through its Managing Director.

 

2.      Area Divisional Manager of M/s IFFCO Tokio General Insurance Co. Ltd, having its Office at.

                                                                                             ...........Opp. Parties.

आदेश द्वारा- श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                          निर्णय.

  1.     परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से गाड़ी की कीमत 4,76,717.00 रूपये 14 प्रतिशत मय चक्रबृद्धि ब्‍याज के साथ, मानसिक तथा शारीरिक पीड़ा के लिये 1,00,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।
  2.     संक्षेप में परिवादी का कथानक है कि वाहन वर्ष दर वर्ष अर्थात 2012-13,  2013-14 एवं 2014-15 में एक ही दलाल द्वारा बीमा कम्‍पनी से लगातार बीमा कराया गया था तथा वाहन की पालिसी की प्रभावी तिथि एक वर्ष 29 जून से अगले वर्ष 28 जून तक थी और इसीलिये वर्ष 2014-15 में बीमा की समाप्ति से पहले दलाल ने बीमा के लिये परिवादी से संपर्क किया। परिवादी ने दिनॉंक 27.06.2015 को अपने सब ब्रोकर के माध्‍यम से बीमा कम्‍पनी के साथ समझौता किया जिसके द्वारा परिवादी के वाहन का बीमा किया गया था और परिवादी द्वारा निम्‍नलिखित पैसे का भुगतान किया गया था-
  1. Rs. 11,996.00            for own damage of the vehicle
  2. Rs. 1,598.00              3rd party liability
  3. Rs. 100.00               P.A. Cover
  4. Rs. 50.00                Insurance of paid Driver
  5. Rs. 7,549.00                  ADD-Ons-
  6.                        Nil depreciation waiver,,
  7. Hydraulic lock cover,
  8. Cost of consumable,
  9. secured towing, ,
  10. Key replacement,

-Return to Invoice, & Engine protector.

              

  1.     दुर्भाग्‍य से दिनॉंक 31.05.2016 को परिवादी की गाड़ी गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गयी। वाहन के बाहर एवं अन्‍दरूनी हिस्‍से में भारी नुकसान हुआ। वाहन चलने योग्‍य नहीं था। इसलिए उसे साइड में छोड़ दिया गया। वाहन को निर्माण कम्‍पनी के अधिकारिक गैरेज के साथ साथ दिनॉंक 04.06.2016 को परिवादी के वाहन को बेचने वाले डीलर के मदद से दुर्घटना के स्‍थान से ढोकर लाया गया था । पालिसी बाण्‍ड में दिये गये विवरण के अनुसार दुर्घटना की सूचना सब ब्रोकर यानी मे0 राजेन्‍द्र टोयटा को दी गयी थी और सब ब्रोकर के कर्मचारी (आकाश और सोनी) क्षतिग्रस्‍त वाहन को दर्ज करके औपचारिकता पूरी करने में परिवादी की सहायता की थी। बीमा कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर ने दिनॉंक 23.06.2016 को सूचना दी थी कि वाहन की पुन: प्राप्ति की लागत 407559.89.00 रूपये होगी।
  2.    आई0आर0डी0ए0 के दिशानिर्देशों के अनुसार यह निर्धारित किया गया है कि यदि क्षतिग्रस्‍त वाहन के पुन: पूर्ण रिपेयर एवं स्‍थापना की लागत आई0डी0बी0 के 75 प्रतिशत से अधिक है तो वाहन को पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्‍त माना जायेगा और कम्‍पनी वाहन की मरम्‍मत करने के बजाए बीमित व्‍यक्ति को आई0डी0बी0 का सम्‍पूर्ण मूल्‍य उसका हरजाने के रूप में भुगतान करेगी।
  3.    परिवादी का कथन है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा विस्‍तृत विवरण प्राप्‍त करने के बाद आगे की कार्यवाही नहीं की गयी और मौन रही। परिवादी बार बार बीमा कम्‍पनी के अधिकारियों से संपर्क करता रहा और बीमा कम्‍पनी उससे झूठे वादे करते रही। अन्‍तत: उन्‍होंने कहा कि उनका सर्वेयर इस मामले में परिवादी के साथ बातचीत करेगा। उल्‍लेखनीय है कि आई0आर0डी0 के नियमों के अनुसार बीमा पालिसी के संबंध में दावे का अंतिम निर्णय बीमा कम्‍पनी द्वारा 60 दिन के अन्‍दर किया जाता है, लेकिन वर्तमान मामले में बीमा कम्‍पनी ने 120 दिनों के अन्‍दर ही न्‍याय के निर्णय के लिये कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की। इसलिए परिवादी ने दिनॉंक 27.12.2016 को बीमा कम्‍पनी को एक पंजीकृत पत्र भेजा और बीमा पालिसी क्‍लेम के संबंध में कम्‍पनी से दावे की मॉंग की।
  4.    परिवादी द्वारा भेजे गये नोटिस के संबंध में बीमा कम्‍पनी द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी और इससे प‍रेशान होकर परिवादी ने अन्‍तत: दिनॉंक 23.02.2017 को आई0आर0डी0ए0 के इलेक्‍ट्रानिक्‍ पोर्टल पर शिकायत दर्ज की और ऑन लाइन शिकायत बीमा लोकपाल को दी गयी जिसमें बीमा धारक और बीमाकर्ता के बीच विवाद को निपटाने के लिये बीमा लोकपाल ने मध्‍यस्‍थता निभायी। लोकपाल के पास शिकायत संख्‍या LCK-G-023-1718-0036 दर्ज करायी गयी। शिकायत प्राप्‍त होने के बाद लोकपाल ने दिनॉंक 15.06.2017 को व्‍यक्तिगत सुनवाई के लिये परिवादी को बुलाया था और जब परिवादी लोकपाल के कार्यालय में गया तो उसे पता चला कि यह बीमा को बेचने के लिये एक फर्जी तरीका के अलावा और कुछ नहीं है।
  5. यह कि लोकपाल ने पालिसी की अवधि के दौरान न्‍याय व निर्णय करने की परवाह नहीं की और उसने निम्‍नलिखित आदेश पारित किया-

“ In view of above facts and circumstances, I direct RIC to pay Rs. 4,76,717.00 as IDV of the vehicle as per the policy issued less Rs. 1,000.00 as policy access after completion of total loss claim settlement, formalities by the complainant”

  1.    यह अफसोस की बात है कि बीमा अधिनियम ने बीमित व्‍यक्ति के बीच विवाद के संक्षिप्‍त निपटान के लिये प्रावधान प्रदान किये लेकिन लोकपाल के आदेश के अनुपालन के लिये कोई प्रावधान नहीं किया। इस प्रकार बीमा धारक को सेवा में कमी और पुरस्‍कार के अनुपालन के रूप में उपभोक्‍ता फोरम में आवेदन करने के लिये छोड़ दिया जाता है।
  2. विपक्षीगण ने अपने पत्र दिनॉंकित 24.10.2017 के माध्‍यम से परिवादी को सूचित किया कि कम्‍पनी धनराशि देने के लिये तैयार है। परिवादी को और औपचारिकताऍं पूरी करने के उद्देश्‍य से निम्‍नलिखित दस्‍तावेज मॉंगे-No Objection Certificate or NEFT Details from Financer , Registration certificate cancellation copy , PAN Card copy.
  3. दिनॉंक 24.10.2017 के पत्र के अनुपालन में उपरोक्‍त तीनों दस्‍तावेजों को इलाहाबाद में एल0एन0 इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी के कार्यालय में दिनॉंक 06.11.2017 को जमा किया। इन सभी दस्‍तावेजों की प्रति बीमा कम्‍पनी में छायाप्रति लोकपाल के आधिकारिक ईमेल के पते पर अधिकारिक माध्‍यम से भेजे गये हैं। परिवादी द्वारा दिनॉंक 24.10.2017 के भुगतान के अंतिम पत्र के बाद भी धनराशि का भुगतान नहीं किया गया है। विपक्षीगण का कार्यालय लखनऊ में स्थित है और साथ ही लोकपाल का निर्णय भी लखनऊ में किया गया है, इसलिए माननीय आयोग का क्षेत्रीय  क्षेत्राधिकार जिला लखनऊ की सीमा के अन्‍तर्गत आता है। विपक्षी दलों ने वाहन के पूर्ण बीमा के मूल उद्देश्‍य को विफल कर दिया क्‍योंकि वह पिछले लगभग दो वर्षों से दावा कर रही है। दावे के इस गैर भुगतान ने परिवादी को एक नया वाहन क्रय करने के लिये प्रतिबन्धित किया है और उसे किराये के वाहन के माध्‍यम से ट्रान्‍सफर करने के लिये मजबूर किया है। इससे परिवादी पर 5000.00 रूपये प्रतिमाह का बोझ पड़ रहा है। इस अतिरिक्‍त बोझ से परिवादी को 1,00,000.00 रूपये तक का हर्जाना दिलाया जाए।
  4. वाद की कार्यवाही विपक्षीगण के विरूद्ध दिनॉंक 17.12.2018               को एकपक्षीय अग्रसारित की गयी है।
  5. परिवादी ने अपने मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र, नोटिस, इफकोटोकियों का जवाब, बीमा लोकपाल कार्यालय की प्रति, ड्राइविंग लाइसेंस, सर्वेयर रिपोर्ट, पुलिस रिपोर्ट आदि दाखिल किया है।
  6. पत्रावली एवं उसमें उपलब्‍ध तथ्‍यों तथा साक्ष्‍यों के परिशीलन से विदित है कि परिवादी का वाहन लगभग पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्‍त हो जाने के कारण 4,76,717.00 रूपये की मॉंग की गयी। यह स्‍पष्‍ट है कि वाहन इफकोटोकियो कम्‍पनी में बीमित था और इफकाटोकियो कम्‍पनी ने अपने पत्र के द्वारा 4,76,717.00 रूपये दिये जाने के संबंध में डॉ0 आशुतोष खरे को भेजा गया जिससे स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी का वाहन इफकोटोकियो कम्‍पनी में पालिसी के तहत बीमित था और दुर्घटना की तिथि दिनॉंक 31.05.2016 तक वैध थी। फलस्‍वरूप परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्‍ता था।
  7. इस आशय का भी परीक्षण किया जाना अनिवार्य है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी की गयी अथवा नहीं। चॅूंकि परिवादी का वाहन बीमित था और बीमित अवधि में ही उसका वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया और वाहन चलने योग्‍य नहीं रह गया था, क्‍योंकि उसे दुर्घटनास्‍थल से टोचन कर लाया गया था और बीमा कम्‍पनी द्वारा दुर्घटना के उपरान्‍त सर्वे दिनॉंक 23.06.2016 को कराया और सर्वेयर द्वारा कहा गया कि 4,75,59.89.00 रूपये का नुकसान हुआ है। सर्वे रिपोर्ट स्‍पष्‍ट करता है कि डॉ0 आशुतोष खरे के वाहन में दुर्घटना के कारण 4,76,717.00 रूपये का नुकसान हुआ है।
  8. परिवादी द्वारा विपक्षी के द्वारा भुगतान न किये जाने पर लोकपाल में शिकायत की थी। लोकपाल ने भी 4,77,717.00 रूपये और 1000.00 रूपये को काटकर देने के संबंध में आदेश पारित किया है।  लोकपाल के आदेश का अवलोकन किया गया। स्‍पष्‍ट है कि लोकपाल ने भी 4,77,717.00 रूपये में से 1000.00 रूपये काटकर भुगतान किये जाने के संबंध में आदेश पारित किया गया है।
  9. पत्रावली के अवलोकन से प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा लोकपाल के आदेश के क्रियान्‍वयन करने के लिये विपक्षीगण के पास पत्र भेजा परन्‍तु उन्‍होंने उस पर कोई कार्यवाही नहीं की। आई0आर0डी0ए0 के आदेश के अनुसार अगर यदि दुर्घटना में नुकसान और उसके मरम्‍मत की कीमत यदि आई0डी0बी0 के 75 प्रतिशत की सीमा से अधिक का नुकसान हो जाता है तो वह ‘टोटल लॉस’ श्री श्रेणी में माना जायेगा और चॅूंकि गाड़ी की कीमत के संबंध में परिवादी ने इनवास तथा आई0डी0बी0 जो इफकोटोकियो द्वारा जारी किया गया प्रेषित/संलग्‍न किया है और सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार वाहन में कुल नुकसान तथा उसमें कुल मरम्‍मत की कीमत 407559.89.00 रूपये दर्शाया गया है जो आई0डी0वी0 कुल धनराशि के 75 प्रतिशत से अधिक है। उक्‍त सर्वेयर रिपोर्ट के अनुसार कुल नुकसान 75 प्रतिशत से अधिक होने के कारण पालिसी को नियमों के अनुसार परिवादी को कुल आई0डी0बी0 की धनराशि (4,77,717.00 रूपये 1000.00 रूपये) 476,717.00 रूपये का हकदार बनाता है। लोकपाल के द्वारा भी उपरोक्‍त क्षति को वैध मानते हुए इन्‍श्‍योरेंस कम्‍पनी को भुगतान किये जाने के संबंध में इगिंत किया है। परिवादी द्वारा उपरोक्‍त सर्वे रिपोर्ट, आई0डी0वी0 के नियम, पालिसी के नियमों तथा लोकपाल के निर्देशों के क्रम में उक्‍त 4,76,717.00 रूपये की मॉग की है जो नियमानुसार है। इस संबंध में परिवादी द्वारा यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि परिवादी का वाहन किसी प्रकार का वित्‍त पोषित नहीं है और जो लोन था उसको चुकता किया जा चुका है, इसलिये किसी प्रकार के वित्‍त पोषण की श्रेणी में नहीं आता है।
  10. विपक्षीगण ने अपने जवाब में 4,76,717.00 रूपये के संबंध में पत्र परिवादी को दिया है कि वह उक्‍त धनराशि देने को तैयार है और इस परिप्रेक्ष्‍य में तीन दस्‍तावेज नो आब्‍जेक्‍शन सर्टिफिकेट, रजिस्‍ट्रेशन सर्टिफिकेट, कैन्शिलेशन सर्टिफिकेट की कापी भेजे जाने के संबंध में कहा है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह कहा कि उन्‍होंने समस्‍त प्रपत्र भेज दिये थे। परन्‍तु इसके बावजूद भी विपक्षीगण द्वारा भुगतान नहीं किया गया। परिवादी का वाहन संख्‍या U.P.72-X-9002 का रजिस्‍ट्रेशन भी निरस्‍त किया जा चुका है। उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों की पुष्टि उनके साक्ष्‍य से होती है और पत्रावली पर भी कोई ऐसा साक्ष्‍य नहीं है जो उनके कथनों पर अविश्‍वास प्रकट किया जा सके और विपक्षी की स्‍वयं की स्‍वीकृति भी है कि वह धनराशि देने को तैयार है। ऐसे में परिवादी उक्‍त धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी है।

21.  परिवादी द्वारा यह भी कहा गया कि उसने वैकल्पिक व्‍यवस्‍था भी की थी। इस अवधि में वह 5000.00 रूपये के हिसाब से उसे 1,00,000.00 रूपये भी दिलाया जाए। एक प्रमाण परिवादी द्वारा लगाया गया है जो विकास कुमार का एक पत्र है, जिसमें यह उल्‍लेख है कि 5000.00 रूपये एक्‍सीडेन्‍टल को एन0एच0 2 निकट गोपी गंज से लाकर राजेन्‍द्र टोयटा गैराज अन्‍धावा झूँसी पहुचाया और भाड़ा 5,000.00 रूपये प्राप्‍त किया। उक्‍त धनराशि भी परिवादी प्राप्‍त करने का अधिकारी है।

                            आदेश

22.  परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को मुबलिग 4,76,717.00 (चार लाख छियत्‍तर हजार सात सौ सत्रह रूपये मात्र) 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 45 दिन के अन्‍दर अदा करें। मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक कष्‍ट व वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) एवं भाड़े का 5,000.00 रूपया (पॉंच हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

 

     (सोनिया सिंह)     (अशोक कुमार सिंह )            (नीलकंठ सहाय)

             सदस्‍य              सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                             लखनऊ।   

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

     (सोनिया सिंह)     (अशोक कुमार सिंह)               (नीलकंठ सहाय)

             सदस्‍य              सदस्‍य                   अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

दिनॉंक-23.04.2022

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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