जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्री हरिसिंह पुत्र श्री छोटू सिंह रावत, निवासी- ग्राम भूडोल, थाना गेगल, तहसील- व जिला-अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
1. इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, षाखा कार्यालय जरिए षाखा प्रबन्धक, सी-16, आनासागर रोड, वैषालीनगर, अजमेर ।
2. इफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, इफको हाउस तृतीय फलोर, 34 नेहरू पैलेस, नई दिल्ली-110019
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 329/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री राजेष जैन, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 10.11.2014
1. परिवाद के तथ्योनुसार प्रार्थी की महिन्द्रा जीप संख्या आर.जे..1-यूए- 2747 का बीमा, अवधि दिनंाक 17.6.2012 से 16.6.2013 तक अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा किए जाने का तथ्य स्वीकृतषुदा है । यह वाहन दिनंाक 12.10.2012 को चोरी चला गया जिसके संबंध में प्रथम सूचना रिर्पोट दर्ज हुई एवं वाहन नहीं मिलने पर पुलिस ने एफआर पेष की जो न्यायालय द्वारा स्वीकार कर ली गई, आदि तथ्यों के संबंध में भी कोई विवाद नहीं है । प्रार्थी द्वारा चोरी गए वाहन के संबंध में बीमा राषि की प्राप्ति हेतु क्लेम पेष किया जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि इस वाहन के संबंध में अब प्रार्थी का कोई बीमा हित निहित नहीं है क्योंकि यह वाहन अप्रेल, 2011 में ही श्री सम्पत सिंह , लाडपुरा द्वारा खरीद लिया गया था ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें प्रारम्भिक आपत्तियां ली गई लेकिन मुंख्य रूप से यही कथन रहा है कि दिनंाक 12.10.2012 जिस रोज वाहन चोरी गया उससे पहले ही अप्रेल,2011 में इस वाहन को प्रार्थी ने सम्पत सिंह, लाडपुरा को विक्रय कर दिया था । अतः प्रार्थी का इस वाहन में कोई बीमा हित निहित नहीं रहा है । । अतः प्रकरण के निर्णय हेतु हमारे समक्ष यही बिन्दु है कि क्या वाहन चोरी गया उस रोज प्रार्थी के पक्ष में प्रष्नगत वाहन के संबंध में कोई बीमा हित निहित नहीं था ?
3. उक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दु पर अपने पक्षकारान को सुना । अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इस संबंध में दर्षाया है कि प्रकरण में बीमा कम्पनी द्वारा मामले का अन्वेषण कराया गया एवं अन्वेषणकर्ता ने अन्वेषण के प्रक्रम पर प्रार्थी हरिसिंह व सम्पत सिंह आदि के बयान रिकार्ड किए । जिसमें स्वयं प्रार्थी ने प्रषनगत वाहन को अप्रेल, 11 में सम्पत सिंह को बेच देना दर्षाया है । सम्पत सिंह ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है । जांच रिर्पोट अप्रार्थी की ओर से पेष हुई है । इस तरह से अधिवक्ता अप्रार्थी का कथन रहा है कि प्रार्थी का वाहन जो दिनांक 12.10.2012 को चोरी हुआ, के पूर्व ही अप्रेल, 2011 में प्रार्थी द्वारा किसी सम्पत सिंह नाम के व्यक्ति को बेचा जा चुका था ।
4. अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि क्लेम फार्म में सम्पत सिंह को ड्राईवर बतलाया है । प्रार्थी ने ऐसा कोई कथन अप्रार्थी के अन्वेषणकर्ता के समक्ष नहीं किया है । इसके अतिरिक्त मूल कथन पेष नहीं हुए है मात्र फोटोकापी पेष हुई है तथा प्रार्थी हरिसिंह व सम्पत सिंह आदि के कथन की जो फोटोप्रति पेष हुई है , ये कथन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अन्वेषणकर्ता ने रिकार्ड किए हो या उसकी मौजूदगी में रिकार्ड किए हो ऐसा अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन नहीं है । जांचकर्ता का कोई ष्षपथपत्र पत्रावली पर पेष नहीं हुआ है । अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि आज भी वाहन का रजिस्ट्रेषन व बीमा प्रार्थी के नाम ही है । अतः मोटरयान अधिनियम के प्रावधानानुसार वाहन स्वामी बीमित व्यक्ति प्रार्थी ही है एवं इन तथ्यों को देखते हुए प्रार्थी के संबंध में बीमा हित निहित नहीं रहा हो, अप्रार्थी सिद्व नहीं कर पाया है । इस संबंध में दृष्टान्त 2013;2द्धब्च्त् 83;छब्द्धक्ंतंइ ैपदही - ।दत टे छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक पेष किया ।
5. हमने बहस पर गौर किया । निर्विवाद रूप से वाहन चोरी हुआ उस रोज तक वाहन का रजिस्ट्रेषन व बीमा प्रार्थी के नाम ही था इस तरह से वाहन बीमाधारक हरीसिंह प्रार्थी स्वय का होना बखूबी पाया गया है । हरिसिंह द्वारा किसी सम्पत सिंह को वाहन बेच देना एवं इस संबंध में इन दोनो के कथन अन्वेषण के दौरान अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त अन्वेषणकर्ता ने रिकार्ड किए, के संबंध में हमारी विवेचना है कि मूल कथन पत्रावली पर नहीं है, रिकार्ड किए गए कथनों की फोटोप्रति है तथा अन्वेषणकर्ता का कोई पृष्ठांकन कि ये कथन उसके सामने अथवा उसकी मौजूदगी में लिए गए हो, नहीं है । प्रार्थी ने ऐसे कथनों से इन्कार किया है । अतः यह तथ्य अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से सिद्व नहीं हुए है । प्रार्थी की ओर से पेष दृष्टान्त के अनुसार असल रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र व बीमा जिस व्यक्ति के नाम है उसका वाहन के संबंध में बीमा हित निहित नहीं हो, नहीं माना जा सकता । अतः हस्तगत प्रकरण में भी पेष दृष्टान्त प्रार्थी की मदद करता है ।
6. उपरोक्त विवेचना से हमारे मत में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के इस क्लेम को जिन आधारों पर अस्वीकार किया है, उसे हम सही नहीं पाते है । प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
7. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपने वाहन महिन्द्रा जीप संख्या आर.जे.01.य.ए. 2747 की आईडीवी राषि रू. 3, 01,550/-( अक्षरे रू. तीन लाख एक हजार पांच सौ पचास मात्र) प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 2000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
8. आदेष दिनांक 10.11.2014 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
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