सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-597/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, कोर्ट नं0-1 गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-282/2010 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.02.2014 के विरूद्ध)
राजाराम पुत्र स्व0 श्री रूमाली, निवासी-मकान नं0-84, गली नं0-2, शिवपुरी, न्यू विजय नगर, सेक्टर-9, तहसील व जिला गाजियाबाद।
अपीलकर्ता/परिवादी
बनाम्
इफको टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स प्रा0लि0, रजिस्टर्ड आफिस, इफको सदन, सी-1 डिस्टिक सेण्टर, न्यू दिल्ली-17 द्वारा चीफ मैनेजर।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य।
3. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से : श्री सुशील कुमार श्ार्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री अशोक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 05.08.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, विद्वान जिला मंच, कोर्ट नं0-1 गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-282/2010 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.02.2014 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलकर्ता/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने एक आटो रिक्शा खरीदा था, जिसका फाइनेन्स भारतीय स्टेट बैंक, औद्योगिक क्षेत्र बुलन्दशहर रोड गाजियाबाद से कराया था। परिवादी दिनांक 30.08.2008 को विजय नगर से शालीमार गार्डन गया था। आटो रिक्शा में शालीमार गार्डन पहुंच कर बैठी सवारी ने परिवादी ड्राइवर से कहा कि उसके पेट में दर्द है, सामने मेडिकल स्टोर से दवाई लाकर दे दो। परिवादी ड्राइवर दवाई लेने के लिए आटो रिक्शा खड़ा करके चला गया इसी बीच पीछे बैठी सवारी अचानक परिवादी का आटो रिक्शा लकर भाग गई। परिवादी के ड्राइवर ने थाना साहिबाबाद में दिनांक 30.08.2008 को ही रिपार्ट दर्ज करायी। पुलिस द्वारा विवेचना के उपरान्त अंतिम आख्या प्रेषित की गयी। परिवादी ने वांछित अभिलेखों सहित बीमा दाव प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को प्रेषित किया, किन्तु बीमा कम्पनी ने क्षतिपूर्ति से इंकार कर दिया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष बीमित वाहन का मूल्य मय ब्याज भुगतान करने हेतु प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी ने प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया। बीमा कम्पनी के कथनानुसार परिवादी बीमित वाहन आटो रिक्शा का प्रयोग व्यावसायिक रूप से कर रहा था। अत: परिवादी उपभोक्ता न होने के कारण परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच को प्राप्त नहीं है। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी का यह भी कथन है कि घटना के समय परिवादी का चालक बीमित वाहन में चाभी लगी हुई, किसी को वाहन की देखभाल करने के लिए नियुक्त किये बिना वाहन को छोड़कर चला गया, जिसके कारण वाहन चोरी हो गया। बीमा पालिसी की शर्त संख्या-5 के अनुसार वाहन स्वामी अथवा उसका चालक वाहन को लावारिस (अनअटेंडेड) नहीं छोड़ेंगे। यदि वह अपने वाहन को लावारिस (अनअटेंडेड) छोड़ते हैं तो बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्तरदायी नहीं होगी। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी का यह भी कथन है कि चोरी की कथित घटना की सूचना बीमा कम्पनी को कथित घटना के लगभग 5 माह बाद दी गयी। बीमा पालिसी की शर्त संख्या-1 के अन्तर्गत बीमाधारक के लिए यह आवश्यक था कि चोरी की कथित घटना की तत्काल सूचना बीमा कम्पनी को प्रेषित करता। इस प्रकार बीमाधारक द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया जाना बताते हुए बीमा दावा निरस्त किया गया।
जिला मंच ने प्रश्नगत वाहन का क्रय व्यावसायिक प्रयोजन हेतु किया जाना मानते हुए परिवादी को उपभोक्ता नहीं माना। जिला मंच ने प्रश्नगत बीमा पालिसी की शर्त संख्या-1 तथा शर्त संख्या-5 का बीमाधारक द्वारा उल्लंघन किया जाना मानते हुए परिवाद निरस्त कर दिया।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा के तर्क सुने।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का उचित परिशीलन न करते हुए निर्णय पारित किया है। प्रश्नगत वाहन अपीलकर्ता के पुत्र रामेश्वर ने अपने जीविकोपार्जन हेतु क्रय किया था। प्रश्नगत वाहन दिनांक 29.08.2008 को चोरी हुआ और कथित घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट संबंधित थाना में दिनांक 29.08.2008 को दर्ज करायी गयी तथा प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को दिनांक 02.09.2009 को प्रेषित की गयी। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि अपीलकर्ता/परिवादी ने प्रश्नगत वाहन के रख-रखाव में कोई असावधानी नहीं बरती। अपीलकर्ता द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया गया।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि चोरी की कथित घटना के सन्दर्भ में लिखायी गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार दिनांक 29.08.2008 को प्रश्नगत वाहन विजय नगर से लेकर शालीमार गार्डन के लिए वाहन चालक जा रहा था, जब वह शालीमार गार्डन के पास पहुंचा तो आटो में पीछे बैठी सवारी ने बहाना करके कि उसके पेट में दर्द है, दवा ला दो और वह आटो रिक्शा खड़ा करके पैसा लेकर दवा लेने चला गया, जब वह वापस आया तो उसका आटो रिक्शा वहां नही था। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्वंय कथित घटना के समय वाहन के रख-रखाव में असावधानी की गयी। वाहन की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पर्याप्त सर्तकता नहीं बरती गयी। इस प्रकार बीमा पालिसी की शर्त संख्या-5 का उल्लंघन किया गया। शर्त संख्या-5 के अनुसार बीमित वाहन को स्वंय अथवा उसका चालक बीमित वाहन को लावारिस (अनअटेंडेंट) नहीं छोड़ेगा। इसके अभाव में बीमा कम्पनी क्षति की अदायगी के लिए उत्तरदायी नहीं होगी।
प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत वाहन दिनांक 29.08.208 को कथित रूप से चोरी हुआ तथा इस घटना की सूचना प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को कथित घटना से लगभग 05 माह बाद दिनांक 10.01.2009 को दी गयी। बीमा पालिसी की शर्त संख्या-1 के अनुसार चोरी की कथित घटना की सूचना बीमा कम्पनी को तत्काल दिया जाना आवश्यक था, किन्तु बीमाधारक द्वारा अत्यधिक विलम्ब से सूचना दिये जाने के बावजूद उस विलम्ब का कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया। बीमाधारक द्वारा चोरी की कथित घटना की तत्काल सूचना न दिये जाने के कारण प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी का चोरी की घटना की जांच करने का अधिकार प्रभावित हुआ।
यह तथ्य निर्विवाद है कि बीमा पालिसी की शर्त संख्या-1 के अनुसार चोरी की कथित घटना बीमा कम्पनी को अविलम्ब सूचित किया जाना आवश्यक है। प्रस्तुत प्रकरण में परिवाद के अभिकथनों में परिवादी द्वारा यह अभिकथित नहीं किया गया है कि बीमाधारक/परिवादी ने चोरी की कथित घटना के उपरान्त बीमा कम्पनी को कब सूचित किया। परिवाद की धारा-10 में मात्र बीमा कम्पनी को फार्म भरकर भेजना अभिकथित किया है। अपील मेमों के साथ अपीलकर्ता द्वारा दाखिल किये गये अभिलेखों में से पृष्ठ संख्या-27 पर दाखिल किया गया अभिलेख शाखा प्रबन्धक, भारतीय स्टेट बैंक इण्डस्ट्रियल एरिया बुलन्दशहर, गाजियाबाद को प्रेषित सूचना की प्रति है, जिसमें प्रत्यर्थी, कम्पनी द्वारा यह अभिलेख दिनांक 10.01.2009 को प्राप्त किये जाने की मोहर अंकित है। पृष्ठ संख्या-21 व 22 प्रश्नगत बीमा पालिसी के कवर नोट की फोटोप्रति है। इन अभिलेखों में भी प्रत्यर्थी, कम्पनी द्वारा दिनांक 10.01.2009 को प्राप्ति की मोहर अंकित है। पृष्ठ संख्या-24 अंतिम आख्या की फोटोप्रति है, उस पर भी दिनांक 10.01.2009 की प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी की प्राप्ति की मोहर अंकित है। दिनांक 02.09.2008 को प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को कथित घटना की सूचना संबंधी कोई अभिलेख अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा दाखिल नहीं किया गया। लगभग 5 माह बाद विलम्ब से प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को चोरी की कथित घटना की सूचना दिये जाने का कोई स्पष्टीकरण अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया।
कथित घटना की लिखायी गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन से यह भी विदित होता है कि अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा प्रश्नगत बीमित वाहन की सुरक्षा में पर्याप्त सतर्कता नहीं बरती गयी। उपरोक्त तथ्यों के आलोक में हमारे विचार से अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्त संख्या-1 तथा 5 का उल्लंघन किया गया है। ऐसी परिस्थिति में बीमा दावा स्वीकार न करके प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है। अपील में कोई बल नहीं है। अपील तदनुसार निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय-भार स्वंय वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-1