Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/504

Meena Devi - Complainant(s)

Versus

Iffco Tokio General Insurance - Opp.Party(s)

S K Sharma

19 Jan 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/504
( Date of Filing : 24 Mar 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Meena Devi
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Iffco Tokio General Insurance
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 19 Jan 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-५०४/२०११

 

(जिला मंच, रामपुर द्वारा परिवाद सं0-५८/२००८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक   २५-०२-२०११ के विरूद्ध)

 

श्रीमती मीना देवी पत्‍नी स्‍व0 श्री राज कुमार सिंह निवासी ग्राम कूप, तहसील शाहबाद, जिला रामपुर, उ0प्र0।                       

                                            .............   अपीलार्थी/परिवादिनी।

बनाम

१. इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0, इफको हाउस, तृतीय तल, ३४, नेहरू प्‍लेस, नई दिल्‍ली द्वारा चीफ मैनेजर क्‍लेम्‍स।             

२. रामपुर जिला सहकारी बैंक लि0, रामपुर, यू0पी0 द्वारा सैक्रेटरी।

३. कूप किसान सेवा सहकारी समिति लि0, रामपुर द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर/सैक्रेटरी।

                                             ............ प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित  : श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता 

                                     की सहयोगी अधिवक्‍ता सुश्री नीलम यादव।

प्रत्‍यर्थी सं0-१ की ओर से उपस्थित : श्री अशोक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-२ व ३ की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।  

 

दिनांक :- २०-०२-२०१९.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, रामपुर द्वारा परिवाद सं0-५८/२००८ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २५-०२-२०११ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी के पति स्‍व0 राज कुमार सिंह प्रत्‍यर्थी सं0-३ कूप किसान सेवा सहकारी समिति लि0, रामपुर के सदस्‍य थे और उन्‍होंने दिनांक २२-०८-२००६ व १८-०७-२००६ को क्रमश: ७२ बोरी व २८ बोरी यूरिया खाद प्रत्‍यर्थी सं0-३ से क्रय की। राज कुमार सिंह को एस0टी0 नं0-५/९४ अन्‍तर्गत धारा ३०२ आई0पी0सी0 थाना सिविल लाइन्‍स रामपुर में आजीवन

 

 

-२-

कारावास की सजा हो गई थी, जिसके विरूद्ध राज कुमार सिंह द्वारा मा0 उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद के समक्ष अपील प्रस्‍तुत की गई थी। राज कुमार सिंह को जिला कारागार रामपुर से केन्‍द्रीय कारागार बरेली भेज दिया गया, जहॉं पर दिनांक २९-०५-२००७ को उस पर अन्‍य कैदी ने हमला कर दिया जिसमें उसको गम्‍भीर चोटें आयीं तथा उसे इलाज हेतु जिला चिकित्‍सालय बरेली में भर्ती कराया गया, जहॉं उपचार के दौरान् दिनांक    ०४-०६-२००७ को राज कुमार सिंह का देहान्‍त करीव सुबह ७.५५ बजे हो गया, जहॉं पर मृतक राज कुमार सिंह का पोस्‍टमार्टम भी हुआ और बाद में अन्तिम संस्‍कार ग्राम कूप में सम्‍पन्‍न हुआ। राज कुमार सिंह द्वारा क्रय की गई यूरिया खाद प्रत्‍यर्थी सं0-१ द्वारा संचालित संकट हरण किसान बीमा योजना के अन्‍तर्गत बीमित थी। उक्‍त बीमा योजना के अन्‍तर्गत प्रत्‍येक बोरी खाद पर ४,०००/- रू० के हिसाब से नामित व्‍यक्ति को क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्‍त होना था। परिवादिनी तथा राज कुमार सिंह के अन्‍य उत्‍तराधिकारीगण द्वारा बीमा दावा प्रेषित किए जाने पर प्रत्‍यर्थी सं0-१ बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा दावा खारिज कर दिया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-१ ने बीमा दावा इस आधार पर खारिज किया गया कि पालिसी की शर्त (डी) में वर्णित ७(८) के अनुसार अपराधिक नीयत से किया गया कानून का उल्‍लंघन पालिसी की शर्त के अन्‍तर्गत मान्‍य नहीं है जबकि राज कुमार सिंह द्वारा किसी कानून का उल्‍लंघन नहीं किया गया बल्कि जिला कारागार बरेली में रहते हुए उन पर हमला हुआ। अत: बीमा दावे का भुगतान न करके बीमा कम्‍पनी द्वारा सेवा में त्रुटि की गई। अत: क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।  

प्रत्‍यर्थी सं0-१ बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रतिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-१ बीमा कम्‍पनी के कथनानुसार परिवादिनी द्वारा उपलब्‍ध कराए गये अभिलेखों की जांच से यह ज्ञात हुआ कि मृतक राज कुमार सिंह की मृत्‍यु अपराधिक गति विधियों में संलिप्‍तता के कारण हुई थी। अत: बीमा पालिसी की शर्त (डी) में वर्णित पैरा ७(८) के अनुसार अपराधिक नियत से किया गया कानून का उल्‍लंघन बीमा   पालिसी की शर्त के अन्‍तर्गत मान्‍य नहीं है। अत: बीमा कम्‍पनी प्रतिकर की अदायगी हेतु

 

 

-३-

उत्‍तरदाई नहीं है।

प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा जिला मंच ने अपीलार्थी/परिवादिनी का परिवाद निरस्‍त कर दिया।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।

हमने अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से श्री सुशील कुमार शर्मा की सहयोगी अधिवक्‍ता सुश्री नीलम याव तथा प्रत्‍यर्थी सं0-१ बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी सं0-२ व ३ की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।  

अपीलार्थी/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी/परिवादिनी के पति स्‍व0 राज कुमार सिंह पर केन्‍द्रीय जेल बरेली में अन्‍य कैदी द्वारा हमला किए जाने के कारण एवं इस हमले में आयी चोटों के कारण उनकी मृत्‍यु दिनांक ०४-०६-२००७ को हुई। उनके द्वारा कोई विधि विरूद्ध कार्य नहीं किया गया और न ही प्रश्‍नगत बीमा पालिसी की किसी शर्त का उल्‍लंघन किया गया।

प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी/परिवादिनी के पति स्‍व0 राज कुमार सिंह को एस0टी0 नं0-५/९४ धारा ३०२ आई0पी0सी0 थाना सिविल लाइन्‍स रामपुर में हत्‍या के मामले में आजीवन कारावास की सजा से सेसन जज रामपुर द्वारा दण्डित किया गया। सजा पाने के बाद मृतक राज कुमार सिंह को कुछ समय तक जिला कारागार रामपुर में रखा गया। तत्‍पश्‍चात् उसे केन्‍द्रीय जेल बरेली में भेज दिया गया, जहॉं पर दिनांक २९-०५-२००७ को राज कुमार सिंह का अन्‍य कैदी से झगड़ा हुआ तथा इस झगड़े में आयी चोटों के कारण राज कुमार सिंह घायल हो गया जिसे उपचार हेतु जिला चिकित्‍सालय में भर्ती कराया गया, जहॉं इलाज के दौरान् दिनांक ०४-०६-२००७ को उसका देहान्‍त हो गया। इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत संकट हरण बीमा योजना की शर्त (डी) की उप धारा ७(८) के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्‍तरदायी नहीं होगी। बीमा पालिसी की (डी) क्‍लॉज ७(८) के अनुसार यदि

 

 

-४-

बीमित द्वारा किसी विधि को अपराधिक इरादे से तोड़ा गया है, अथवा मृत्‍यु किसी अन्‍य  स्‍वाभाविक कारण से होती है तब उस परिस्थिति में बीमित क्षतिपूर्ति के रूप में बीमा धनराशि प्राप्‍त नहीं कर सकेगा।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि मृतक राज कुमार सिंह एस0टी0 नं0-५/९४ धारा ३०२ आई0पी0सी0 थाना सिविल लाइन्‍स रामपुर में हत्‍या के मामले में आजीवन कारावास की सजा के अन्‍तर्गत केन्‍द्रीय कारागार बरेली में निरूद्ध था। यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि इस दण्‍डादेश के विरूद्ध अपील मा0 उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद में प्रस्‍तुत की गई थी। मात्र किसी मामले में दण्डित किए जाने के आधार पर प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत क्षतिपूर्ति की अदायगी के लिए मृतक राज कुमार सिंह के वारिसान को अयोग्‍य नहीं माना जा सकता। प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि दिनांक २९-०५-२००७ को मृतक राज कुमार सिंह पर हुए हमले के सन्‍दर्भ में जो प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना इज्‍जत नगर में दर्ज कराई गई उसकी प्रमाणित प्रतिलिपि जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत की गई। इस मामले में विवेचना के उपरान्‍त प्रस्‍तुत किया गया आरोप पत्र भी जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। प्रथम सूचना रिपोर्ट में दिनांक २९-०५-२००७ को हुई घटना के सम्‍बन्‍ध में यह तथ्‍य न उल्लिखित होने के कारण कि दीप चन्‍द्र द्वारा ही मृतक पर हमला किया गया, झगड़े की कथित घटना में मृतक राज कुमार सिंह को भी संलिप्‍त होना जिला मंच द्वारा मान लिया गया। यदि झगड़े की इस घटना में मृतक राज कुमार सिंह की भी कोई भूमिका होती तो इस सन्‍दर्भ में साक्ष्‍य जिला मंच के समक्ष बीमा कम्‍पनी प्रस्‍तुत कर सकती थी किन्‍तु बीमा कम्‍पनी द्वारा ऐसी कोई साक्ष्‍य जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई। प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि वस्‍तुत: मृतक राज कुमार सिंह के विरूद्ध कथित घटना के सन्‍दर्भ में कोई आरोप पत्र प्रेषित नहीं किया गया। जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में ऐसा कोई तथ्‍य उल्लिखित नहीं कि दीप चन्‍द्र द्वारा ही राज कुमार सिंह पर हमला किया गया, अत: मृतक राज कुमार सिंह भी कथित घटना में संलिप्‍त था, हमारे विचार से मात्र अनुमान के आधार पर आधारित होने के कारण त्रुटिपूर्ण है। वस्‍तुत बीमा कम्‍पनी द्वारा

 

 

-५-

ऐसी कोई साक्ष्‍य जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई जिससे यह विदित हो कि मृतक राज कुमार सिंह द्वारा अपराधिक इरादे से कानून का उल्‍लंघन किया गया।

यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि दिनांक २९-०५-२००७ को घटित घटना में राज कुमार सिंह को चोटें आयीं। अन्‍तत: दिनांक ०४-०६-२००७ को उसकी मृत्‍यु भी हो गई। प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी का यह कथन नहीं है कि मृतक राज कुमार सिंह की मृत्‍यु स्‍वाभाविक थी और न ही इस सन्‍दर्भ में कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गई। हमारे विचार से जिला मंच के समक्ष परिवादीगण द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य से यह साबित है कि वस्‍तुत: राज कुमार सिंह की उस पर हुए हमले के कारण मृत्‍यु दुर्घटना में हुई। इस दुर्घटना में मृतक राज कुमार सिंह की कोई भूमिका होना प्रमाणित नहीं है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से अपीलार्थी तथा अन्‍य परिवादीगण प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत क्षतिपूर्ति का भुगतान प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं।

अब प्रश्‍न यह है कि क्षतिपूर्ति की धनराशि कितनी होनी चाहिए। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि मृतक राज कुमार सिंह द्वारा इफको फर्टिलाइजर की दिनांक २२-०८-२००६ व १८-०७-२००६ को क्रमश: ७२ बोरी व २८ बोरी यूरिया खाद प्रत्‍यर्थी सं0-३ से क्रय की। मृतक राज कुमार सिंह की मृत्‍यु दिनांक ०४-०६-२००७ को होना निर्विवाद है। प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत एक बोरी खाद क्रय किए जाने पर क्रेता की मृत्‍यु हो जाने की स्थिति में ४,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में क्रेता का नामित व्‍यक्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। क्षतिपूर्ति की यह धनराशि अधिकतम ०१.०० लाख रू० तक ही प्रश्‍नगत पालिसी की शर्तों के अन्‍तर्गत अनुमन्‍य है। अपीलार्थी/परिवादिनी मृतक राज कुमार सिंह पत्‍नी है तथा परिवाद के अन्‍य परिवादीगण मृतक की संतानें है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से क्षतिपूर्ति की उपरोक्‍त धनराशि ०१.०० लाख रू० मय ब्‍याज परिवादीगण प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं। जिला मंच द्वारा साक्ष्‍यों का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किए जाने के कारण त्रुटिपूर्ण है, अत: अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।   

आदेश

      अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, रामपुर द्वारा परिवाद सं0-५८/२००८ में

 

-६-

पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २५-०२-२०११ अपास्‍त किया जाता है। परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। प्रत्‍यर्थी सं0-१ बीमा कम्‍पनी को निर्देशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादिनी तथा परिवाद के अन्‍य परिवादीगण को संकट हरण पालिसी के अन्‍तर्गत ०१.०० लाख रू० निर्णय की प्रति प्राप्‍त किए जाने की तिथि से एक माह के अन्‍दर अदा करे। इस धनराशि पर अपीलार्थी/परिवादिनी तथा परिवाद के अन्‍य परिवादीगण परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०६ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी प्राप्‍त करने के अधिकारी होंगे। प्रत्‍यर्थी सं0-१ बीमा कम्‍पनी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादिनी तथा परिवाद के अन्‍य परिवादीगण को ५,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में भी निर्धारित अविध के मध्‍य अदा करे।

      इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                    

                                                (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                  (गोवर्द्धन यादव)

                                                      सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-१.  

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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