सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1724/2011
(जिला उपभोक्ता फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-240/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.05.2011 के विरूद्ध)
अशोक कुमार पुत्र सेवाराम, निवासी-59-बी, जगदीश नगर, थाना सिघानी गेट, गाजियाबाद।
अपीलकर्ता/परिवादी
बनाम्
मैनेजर इफको टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कं0लि0, यूनिट नं0 52-63, मेजानाइन फ्लोर, सेक्टर-18, अंसल फार्चून आरकेड, नोएडा, गौतम बुद्ध नगर, 201301 ।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य।
3. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से : श्री सुशील कुमार श्ार्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री अशोक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 05.08.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, विद्वान जिला मंच, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-240/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.05.2011 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलकर्ता/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपनी इण्डिका कार यू0पी0 16 जे 5080 का बीमा प्रत्यर्थी़, बीमा कम्पनी से दिनांक 02.05.2006 को मूल्य 2,80,000/- के लिए कराया। दिनांक 28.02.2007 को परिवादी की कार जिला बरेली में दुर्घटना ग्रस्त होकर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी। दुर्घटना की सूचना थाना, भोजपुर जिला बरेली में लिखई गई तथा बीमा दावा प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी के समक्ष प्रेषित किया गया, किन्तु प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी ने बीमा दावा की धनराशि उपलब्ध नहीं करायी। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 26.09.2008 को विधिक नोटिस भी प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को भिजवाई, किन्तु कोई उत्तर नहीं दिया गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष बीमित वाहन का मूल्य का भुगतान करने हेतु प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी ने प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया। बीमा कम्पनी के कथनानुसार परिवादी की बीमित कार उसके द्वारा दिनांक 02.05.2006 से दिनांक 01.05.2007 तक की अवधि के लिए बीमित थी। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा दुर्घटना की सूचना दिये जाने पर प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 03.04.2007 के माध्यम से कुछ कागजात उपलब्ध कराने के लिए कहा, किन्तु सूचना और कागजात परिवादी ने उपलब्ध नहीं कराये। इस सन्दर्भ में प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी ने एक स्मृति पत्र दिनांकित 16.05.2007 परिवादी को प्रेषित किया। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा यह कहा गया कि चूंकि परिवादी ने कार दुर्घटनाग्रस्त की झूठी कहानी बनायी थी, इसलिए वह प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा मांगी गयी सूचना और दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सका। बार-बार मांगने पर परिवादी ने बहुत मुश्किल से कुछ कागजात व सूचना प्रत्यर्थी को उपलब्ध करायी। प्रत्यर्थी द्वारा यह कहा गया कि परिवादी के प्रकरण की जांच करते समय पुन: कागजात व प्रश्नगत कार की जरूरत हुई तब प्रत्यर्थी ने दिनांक 06.01.2009 को परिवादी को सूचित किया कि परिवादी के मूल रूप से मरम्मत का बिल भुगतान की रसीद उपलब्ध करायें तथा कार को जांच हेतु प्रस्तुत करें, किन्तु परिवादी ने जांच हेतु न तो कार प्रस्तुत की और न ही रिपेयर बिल और भुगतान की रसीद प्रस्तुत की। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी ने रिपेयर बिल और भुगतान की रसीद प्रस्तुत करने हेतु कई बार परिवादी को पत्र व स्मृति पत्र लिखे, किन्तु कोई बिल व रसीद प्रस्तुत नहीं की गयी। अंतत: दिनांक 26.08.2009 को प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा दावा खारिज कर दिया।
जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवादी का परिवाद खारिज कर दिया और परिवादी को आदेशित किया कि वह प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को वाद व्यय के रूप में 3,000/- रूपये अदा करें।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा के तर्क सुने।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि जिला मंच ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए निर्णय पारित किया है। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा वांछित सभी अभिलेख अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी एवं सर्वेयर को प्राप्त कराये गये। सर्वेयर द्वारा क्षतिग्रसत वाहन का निरीक्षण किया गया तथा अभिलेखों के उपरान्त क्षति आंकलन किया गया, किन्तु बीमा कम्पनी द्वारा बिना किसी तर्कसंगत आधार के बीमा दावे का भुगतान नहीं किया गया।
प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी ने बीमा दावे के निस्तारण के संबंध में अपीलकर्ता/परिवादी से अपने पत्र दिनांकित 03.04.2007 द्वार अभिलेखों की मांग की, जिसे परिवादी द्वारा प्राप्त नहीं कराया गया। तदोपरान्त स्मरण पत्र दिनांकित 10.05.2007 एवं दिनांकित 16.07.2007 पंजीकृत डाक द्वारा परिवादी को भेजे गये। परिवादी द्वारा कुछ अभिलेख प्राप्त कराये, किन्तु अभिलेख पर्याप्त न होने के कारण पुन: दिनांक 06.01.2009, 21.04.2009, 15.07.2009, 27.07.2009 एवं दिनांक 11.08.2009 द्वारा बीमा कम्पनी ने मूल बिल तथा भुगतान रसीद की मांग की तथा क्षतिग्रस्त वाहन का पुन: निरीक्षण कराये जाने की भी मांग की, किन्तु परिवादी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: दावा नोक्लेम बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांकित 28.06.2009 द्वारा कर दिया। ऐसी परिस्थिति में बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में त्रुटि न किया जाना अभिकथित किया गया।
अपीलकर्ता द्वारा अपील मेमों के साथ सलंग्न अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि कथित घटना के संबंध में बीमाधारक द्वारा प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को दिनांक 01.03.2007 द्वारा सूचित किया गया तदोपरान्त कथित घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट भी संबंधित थाने में दिनांक 09.03.207 को दर्ज करायी गयी। घटना की सूचना बीमा कम्पनी को दिये जाने के उपरान्त बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति की गयी। सर्वेयर जे0एल0 इण्टरप्राइजेज द्वारा प्रस्तुत की गयी आख्या अपील मेमों के पृष्ठ संख्या-32 लगायत 37 के रूप में दाखिल की गयी है, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि सर्वेयर ने बीमा संबंधी अभिलेख प्रश्नगत वाहन के पंजीयन संबंधी अभिलेखों का सत्यापन किया। कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन के चालक चिंतामन के ड्राइविंग लाइसनेन्स का भी सत्यापन किया। क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण भी दिनांक 28.03.2007 को किया तथा क्षतिग्रस्त वाहन की फोटो भी खींची। मरम्मतकर्ता से क्षति के संबंध में एस्टीमेट प्राप्त किया एवं मरम्मतकर्ता को मरम्मत प्रारम्भ करने की सलाह भी दी।
अपील मेमों के साथ संलग्न पृष्ठ संख्या-39 प्रस्तुत प्रकरण के सन्दर्भ में प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा प्रेषित पत्र दिनांकित 26.08.2009 की फोटोप्रति है, जिसके द्वारा अपीलकर्ता का बीमा दावा नोक्लेम किया गया, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि बीमा कम्पनी ने नोक्लेम इस आधार पर किया है कि अपीलकर्ता/बीमाधारक ने मरम्मत के मूल बिल एवं भुगतान की रसीद प्रस्तुत नहीं की तथा मरम्मत के बाद वाहन को पुन: निरीक्षण हेतु प्रस्तुत नहीं किया। अपील मेमों के साथ सलंग्न पृष्ठ संख्या-41 लगायत 43 श्री राजीव गौड़ सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत सर्वे आख्या की फोटोप्रति है, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा नोक्लेम किये जाने के पश्चात श्री राजीव गौड़ ने प्रश्नगत वाहन का निरीक्षण मरम्मतकर्ता के यहां दिनांकित 08.12.2010 को किया तथा क्षति का आंकलन मरम्मतकर्ता द्वारा प्रस्तुत किये गये एस्टीमेट का अवलोकन करने के उपरान्त किया। श्री राजीव गौड़ ने क्षति का आंकलन रू0 2,47,336/- का किया तथा यह मत व्यक्त किया कि प्रश्नगत वाहन का बीमा रू0 2,80,000/- बीमा पालिसी के अन्तर्गत किया गया, जो मरम्मत के आंकलन के 75 प्रतिशत से अधिक होने के कारण पूर्ण क्षति का आंकलन रू0 2,80,000/- किया एवं साल्वेज का आंकलन रू0 15,875/- माना गया। सर्वेयर द्वारा बीमा दावे का भुगतान पालिसी की शर्तों के अन्तर्गत किये जाने की संस्तुति की गयी। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि बीमित वाहन का पुन: निरीक्षण भी बीमा कम्पनी द्वारा कर लिया गया। प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों में प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि परिवादी द्वारा बीमा दावे से संबंधित अभिलेख प्रस्तुत किये गये, किन्तु यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वाहन से संबंधित अन्य कौन सा अभिलेख बीमा कम्पनी को प्राप्त नहीं कराया गया।
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्वंय प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर ने प्रश्नगत वाहन के क्षतिग्रस्त होने की पुष्टि की है। कथित घटना के संबंध में भी सर्वेयर द्वारा यह मत व्यक्त नहीं किया गया है कि परिवादी द्वारा जिस प्रकार कथित घटना घटित होनी बतायी गयी है, उस प्रकार घटित नहीं हुई है। सर्वेयर ने सर्वे के उपरान्त वांछित अभिलेख का भौतिक सत्यापन भी किया। बीमा कम्पनी को भी अभिलेख बीमाधारक द्वारा प्राप्त कराये गये। ऐसी परिस्थिति में बीमा दावे का भुगतान न किया जाना सेवा में त्रुटि माना जाएगा। तदनुसार श्री राजीव गौड़ द्वारा प्रस्तुत की गयी आख्या के अनुसार क्षति आंकलन रू0 2,80,000/- में से साल्वेज का मूल्य रू0 15,875/- घटाने के उपरान्त रू0 2,64,125/- मय ब्याज अपीलकर्ता/परिवादी को दिलाया जाना हमारे विचार से उपर्युक्त होगा। जिला मंच द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है। अपील तदनुसार स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है। प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्त किये जाने की तिथि से 45 दिन के अन्दर अपीलकर्ता/परिवादी को रू0 2,64,125/- का भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें। इस धनराशि पर परिवाद योजित किये जाने की तिथि से सम्पूर्ण भुगतान की तिथि तक अपीलकर्ता/परिवादी बीमा कम्पनी से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
इसके अतिरिक्त प्रत्यर्थी, बीमा कम्पनी को यह भी निर्देशित किया जाता कि वह रू0 5,000/- वाद व्यय के रूप में भी अपीलकर्ता/परिवादी को भुगतान करे।
उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-1