Uttar Pradesh

StateCommission

A/1068/2018

Sri Pratap Singh - Complainant(s)

Versus

Iffco Tokio General Insurance Co. Ltd - Opp.Party(s)

S.K. Srivastava

27 Sep 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/873/2018
( Date of Filing : 11 May 2018 )
(Arisen out of Order Dated 01/02/2018 in Case No. C/01/2014 of District Agra-II)
 
1. Ifco Tokio General Insurance Co. Ltd
Regd. Office Iffco Sadan C-1 Distict Centre SAket New delhi 110017
...........Appellant(s)
Versus
1. Pratap Singh
S/O Sri Ved Prakash R/O 208 Shubhash Nagar Colony Bharatpur Rajsthan
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/1068/2018
( Date of Filing : 05 Jun 2018 )
(Arisen out of Order Dated 01/02/2018 in Case No. C/01/2014 of District Agra-II)
 
1. Sri Pratap Singh
S/O Sri Ved Prakash R/O 208 Suhash Nagar Colony Bharatpur (Rajsthan)
...........Appellant(s)
Versus
1. Iffco Tokio General Insurance Co. Ltd
Registered Office Iffco Sadan C-1 Distt. Center SAket New Delhi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Sep 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                      (सुरक्षित)

अपील सं0 :- 873/2018

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद सं0- 01/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01/02/2018 के विरूद्ध)

 

  1. इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, रजिस्‍टर्ड आफिस- इफको सदन सी-1 डिस्ट्रिक्‍ट सेन्‍टर, साकेत न्‍यू दिल्‍ली-10017
  2. इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, 08 कटेवा भवन अपोजिट गंगा प्‍लाजा जयपुर 302001
  3. इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ब्रांच तृतीय तल, निकट राम रघु हास्पिटल, चर्च रोड, पोस्‍ट आफिस, हरिपर्वत, आगरा द्वारा कारपोरेट आफिस, इफको टावर द्वितीय, प्‍लाट नं0 3 सेक्‍टर 29, गुड़गांव हरियांणा 122001   
  4.                                                                                     अपीलार्थीगण  

बनाम

 

  1.  श्री प्रताप सिंह पुत्र श्री वेद प्रकाश निवासी-208 सुभाष नगर कालोनी, भरतपुर(राजस्‍थान)
  2. इंडसइंड बैंक लिमिटेड, नया नम्‍बर 34, पुराना नम्‍बर एनओएस 115-116 ए, जीएन चैटी रोड, टी नगर, चैन्‍नई द्वारा मैनेजर

 

  •                                                                                                 प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-             श्री विवेक कुमार सक्‍सेना

प्रत्‍यर्थी/परिवादी सं0 1 की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव  

 प्रत्‍यर्थी सं0 2 की ओर विद्धान अधिवक्‍ता:-     श्री अदील अहमद  

दिनांक:-12.11.2021     

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

  •  

              

  1.       यह अपील विद्धान जिला फोरम, आगरा द्वारा परिवाद सं0 01/2014 प्रताप सिंह बनाम इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड व अन्‍य में पारित निर्णय व आदेश दिनांकित 01.02.2018 के विरूद्ध योजित किया गया है, जिसके माध्‍यम से प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलकर्ता बीमा कम्‍पनी को बीमित घोषित  मूल्‍य रूपये 9,80,000/- मय 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज परिवाद योजन की तिथि से एवं वाद व्‍यय आज्ञप्‍त किया गया।
  2.      परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया गया है कि परिवादी वाहन ट्रक पंजीयन सं0 आरजे05जीए 4307 का पंजीकृत स्‍वामी है जो विपक्षी कम्‍पनी के साथ दिनांक 17.08.2012 से दिनांक 16.08.2013 तक की अवधि के लिए बीमित की गयी थी। बीमे के साथ केवल कवर नोट जारी किया गया था तथा टर्मस् एण्‍ड कन्‍डीशनस की कोई बुकलेट नहीं दी गयी थी। दिनांक 28.02.2013 को इस वाहन के वाहन चालक ने शहादरा चुंगी, थाना एतमाउद्दौला, आगरा के पास रात्रि 7-8 बजे राजमार्ग पर खड़ी कर दी और लगभग 30 मिनट के लिए ढा़बे पर खाना खाने के लिए गया, लौट कर आया तो उसे ट्रक उस जगह से गायब मिला। परिवादी के ड्राइवर द्वारा  तुरंत ही परिवादी को ट्रक के गायब होने की सूचना दी गयी। परिवादी द्वारा तुरंत ही पुलिस थाना एतमाउद्दौला में प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने का प्रयास किया गया किन्‍तु उसकी कोई रिपोर्ट थाने में नहीं लिखी गयी तब अगले ही दिन दिनांक 01.03.2013 को परिवादी ने एसएसपी को रजिस्‍ट्री द्वारा ट्रक चोरी/गायब होने की सूचना भेज दी किन्‍तु फिर भी उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी है।
  3.       परिवादी ने धारा 156(3) सी0आर0पी0सी0 के अन्‍तर्गत न्‍यायालय में प्रार्थना पत्र दिया। न्‍यायालय के आदेश दिनांक 25.03.2013 को संबंधित थाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट अपराध सं0 325/2013 दर्ज की गयी। विवेचना के उपरान्‍त अंतिम रिपोर्ट दिनांक 09.05.2013 न्‍यायालय में दाखिल की गयी जो दिनांक 25.08.2013 को स्‍वीकार कर ली गयी। परिवादी द्वारा बीमा कम्‍पनी अपीलकर्ता के समक्ष बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया। बीमा कम्‍पनी ने दिनांक 29.10.2013 को बीमे का क्‍लेम खारिज कर दिया। परिवादी के अनुसार विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने क्‍लेम खारिज करके सेवा में कमी की है, इस आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।
  4.       प्रश्‍नगत निर्णय के अनुसार परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ बीमा प्रमाणपत्र, पंजीयन प्रमाणपत्र, ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस, राष्‍ट्रीय परमिट, पुलिस अधीक्षक को दिये गये पत्र की प्रतिलिपि विपक्षी कम्‍पनी को सूचना दिये जाने का पत्र दिनांक 01.03.2013 रजिस्‍ट्री रसीद, न्‍यायालय को धारा 156(3) के अंतर्गत दिये गये प्रार्थना पत्र की प्रतिलिपि, अंतिम रिपोर्ट एवं क्‍लेम खारिज किये जाने का पत्र की प्रतिलिपियाँ प्रस्‍तुत की हैं।
  5.       विपक्षी द्वारा वादोत्‍तर में मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी का बीमे का क्‍लेम उचित प्रकार से पत्र दिनांकित 29.10.2013 के माध्‍यम से खारिज किया गया है। बीमे के क्‍लेम के संबंध में नियुक्‍त इन्‍वेस्‍टीगेटर ने यह निष्‍कर्ष दिया है कि प्रश्‍नगत वाहन घटना के समय बिना अभिरक्षा के छोड़ दिया गया था तथा इसके केबिन के दरवाजे खुले हुए थे तथा यह बिना ताले के छोड़ी गयी थी, जिससे चोरी करने वाले व्‍यक्ति को इसमें सुविधापूर्वक प्रवेश करने का अवसर मिला। स्‍वयं परिवादी की लापरवाही से वाहन चोरी हुआ है अत: इस आधारपर क्‍लेम खारिज किया गया क्‍योंकि बीमे की शर्त सं0 4 में यह इंगित था कि बीमित व्‍यक्ति अपने वाहन को सुरक्षितरखने और उसे हानि व क्षति से बचाने का युक्ति युक्‍त प्रयास करेगा किन्‍तु इस शर्त का उल्‍लंघन करके प्रतिवादी की ओर से लापरवाही बरती गयी है। अत: क्‍लेम अस्‍वीकार किया गया।
  6.      विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरमने अपीलकर्ता द्वारा उठायी गयी आपत्ति को न मानते हुए परिवाद स्‍वीकार किया, इससे व्‍यथित होकर बीमाकर्ता द्वारा यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  7.      अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिये गये हैं कि प्रश्‍नगत निर्णय पूर्णत: अवैध एवं अनियमित है तथा तथ्‍यों और विधि के विपरीत पारित किया गया है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने इन्‍वेस्‍टीगेटर की रिपोर्ट को गलत प्रकार से खारिज किया है, जिसमें यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि ड्राइवर अनिल ने घटना के समय प्रश्‍नगत ट्रक के दरवाजों को ठीक प्रकार से बन्‍द नहीं किया था तथा वह खुले हुए थे, जिससे अपराधी को प्रवेश करने का पूर्ण अवसर प्राप्‍त हो गया। इस प्रकार बीमे की शर्त सं0 4 का उल्‍लंघन करते हुए स्‍वयं परिवादी द्वारा लापरवाही बरती गयी है। अत: बीमे का क्‍लेम अस्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।  
  8.    अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री विवेक कुमार सक्‍सेना एडवोकेट तथा प्रत्‍यर्थी /परिवादी सं0 1 की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री एस0 के0 श्रीवास्‍तव तथा प्रत्‍यर्थी सं0 2 की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद उपस्थित हुए। उपस्थित अधिवक्‍तागण की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख का अवलोकन किया। पीठ के निष्‍कर्ष निम्‍नलिखित प्रकार से हैं:-  
  9.      इस मामले में अपीलकर्ता बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी के ट्रक की सम्‍पूर्ण क्षति अर्थात चोरी चले जाने के संबंध में बीमे के क्‍लेम को इस आधार पर स्‍वीकार किया है कि उनके प्रश्‍नगत वाहन की सुरक्षा पूर्ण रूप से नहीं की गयी और इस प्रकार बीमा पालिसी की शर्त सं0 4 का उल्‍लंघन किया गया है। बीमा पालिसी के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है की शर्त सं0 4 इस प्रकार दी गयी है कि बीमित व्‍यक्ति वाहन को सुरक्षित रखने वाले सभी सुरक्षा के उपाय करेगा, जिससे प्रश्‍नगत वाहन को हानि अथवा क्षतिसे बचाया जाये। यह शर्त निम्‍नलिखित प्रकार से है:-

       “The Insuredshall take all reasonable steps to safeguard the vehicle from loss or damage and to maintain it in efficient condition and the company shall have at all times free and full access to examine the vehicle isured or any part thereof or any driver or employee of the insured. In the event of any accident or breakdown, the vehicle insured shall not be left unattended without proper precautions being taken to prevent further damage or loss and if the vehicle insured be driven before the necessary repairs are effected any extension of the damage or any further damage to the vehicle shall be entirely at the insured’s own risk.”

  1.     रेपुडिएशन लेटर दिनांकित29.10.2013 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि बीमे का क्‍लेम इस आधार पर अस्‍वीकार किया गया है कि वाहन के ड्राइवर श्री अनिल कुमार ने कन्‍डक्‍टर साइड से प्रश्‍नगत वाहन के केबिन का द्वार ठीक प्रकार से लॉक नहीं किया था इस कारण चोरी करने वाली अपराधी को वाहन को चोरी करने का पूर्ण अवसर प्राप्‍त हो गया इस प्रकार वाहन की क्षति के लिए स्‍वयं परिवादी जिम्‍मेदार है और पालिसी के उपरोक्‍त शर्त सं0 4 का उल्‍लंघन होने के कारण बीमे को अस्‍वीकार किया जाना उचित है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अपने निर्णय में लिखा है:-
  2.       ‘’विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर क्‍लेम खारिज किया है। सर्वेयर की रिपोर्ट दाखिल की गयी है, किन्‍तु इसके समर्थन में कोई शपथ पत्र दाखिल नहीं किया है। सर्वेयर ने किस आधार पर यह निष्‍कर्ष निकाला कि प्रश्‍नगत ट्रक के केबिन को बिना लॉक किये खड़ा करके वाहन चालक ढाबे पर खाना खाने गया था। विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से कोई संतोषजनक साक्ष्‍य दाखिल नहीं की गयी है, जिससे यह स्‍पष्‍ट हो कि वाहन चालक ने वाहन को लॉक किये बिना Unattended छोड़ा था’’         किन्‍तु पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि स्‍वयं परिवादी ने अपने बयान में उपरोक्‍त तथ्य को स्‍वीकार किया है, सर्वेयर रिपोर्ट के साथ संलग्‍न परिवादी प्रताप सिंह के बयान में स्‍पष्‍ट रूप से उल्‍लेख किया गया है।
  3.     ‘ किन्‍तु कन्‍डक्‍टर साइड के दरवाजे को न तो अंदर से कुंडी लगाई और न ही बाहर से लॉक लगाया और कन्‍डक्‍टर साइड के केबिन के दरवाजे को बिना लॉक किये ट्रक को अकेला और लावारिश छोड़कर वहां से कुछ दूरी पर बने सड़क के किनारे बने आशीष ढाबे पर खाना खाने चला गया और लगभग 8:00 बजे जब ड्राइवर अनिल खाना खाकर वापस आया तो उसने देखा कि  मेरा उपरोक्‍त ट्रक आर0जे0 05 जी0ए0 4307 वहां पर नहीं खड़ा था।‘’  
  4.     इसी प्रकार ड्राइवर अनिल पुत्र रघुबीर के बयान में ही इस प्रकार का उल्‍लेख आया है, जिसमें कहा है कि ‘’और ट्रक के केबिन के ड्राइवर साइड के दरवाजे को मैने चाबी से लॉक किया परंतु कन्‍डक्‍टर साइड के दरवाजेको बिना लॉक किये उपरोक्‍त गाडी को अकेला छोडकर कुछ दूरी पर बने आशीष ढाबे पर खाना खाने के लिए चला गया और लगभग 8.00 बजे जब मैं खाना खाकर वापस आया तो देखा कि उपरोक्‍त गाड़ी नहीं खड़ी थी। गाडी के साथ मेरा मोबाइल नम्‍बर 9999270036 जो गाड़ी के केबिन में खाकर गया था वह भी गाड़ी के साथ चोरी हो गया।‘’
  5.      उक्‍त दोनों बयान नोटरी करवाकर दाखिल किया गया है। इन बयानों के संबंध में परिवादी का ऐसा कोई खण्‍डन या कथन नहीं आया है कि उन्‍होंने उसने अथवा उसके ड्राइवर अनिल ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था, जिससे स्‍पष्‍ट है कि प्रस्‍तुत साक्ष्‍य से यह तथ्‍य सिद्ध होता है कि प्रश्‍नगत वाहन को सुरक्षित रखने में परिवादी के पक्ष से लापरवाही बरती गयी है किन्‍तु यह लापरवाही ऐसी प्रतीत नहीं होती है कि इस आधार पर सम्‍पूर्ण बीमे के क्‍लेम को खारिज कर दिया जाये। उक्‍त लापरवाही के लिए बीमे के दावे में कमी किया जाना उचित है। इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड बनाम नितिन खण्‍डेलवाल IV CPJ Page I (S.C.) का उल्‍लेख करना उचित होगा, जिसमें मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि यदि बीमे के क्‍लेम के संबंध में परिवादी द्वारा बीमित वस्‍तु की हानि में योगदान किया गया है तो ऐसी दशा में सम्‍पूर्ण बीमे की धनराशि न देकर नॉन स्‍टेंडर्ड बेसिस पर 75 प्रतिशत बीमे की धनराशि दिलवाया जाना उचित होगा।
  6.        मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णय को मा0 न्‍यायालय ने पुन: निर्णय अमलेन्‍दु साहू प्रति ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कं0लि0 प्रकाशित II (2010) CPJ Page 09 (S.C.) में अनुश्रवित किया। इस निर्णय में भी मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि बीमे की शर्त का उल्‍लंघन होने पर सम्‍पूर्ण क्‍लेम को निरस्‍त किये जाने के स्‍थान पर नॉन स्‍टेंडर्ड बेसिस पर 75 प्रतिशत बीमे के क्‍लेम की धनराशि प्रदान की जा सकती है।
  7.        मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय को उपरोक्‍त निर्णयों को दृष्टिगत करते हुए इस मामले में बीमे की कुल राशि का 75 प्रतिशत बीमे के क्‍लेम के रूप में प्रत्‍यर्थी सं0 1/परिवादी को दिलवाया जाना उचित है। विद्धान जिला       उपभोक्‍ता फोरम ने अपने निर्णय में इस तथ्‍य को समावेशित नहीं किया है कि प्रश्‍नगत बीमित वस्‍तु की सम्‍पूर्ण क्षति में परिवादी के ड्राइवर का योगदान भी था इसके लिए परिवादी अप्रत्‍यक्ष रूप से उत्‍तरदायी तो  है ही  एवं इस कारण बीमे की सम्‍पूर्ण राशि परिवादी को दिलवाया जाना युक्ति यु‍क्‍त नहीं है। इस प्रकार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।       

  

  •  
  •   आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम का प्रश्‍नगत आदेश व निर्णय इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि नॉन स्‍टेंडर्ड बेसिस पर परिवादी को बीमा कम्‍पनी बीमित धनराशि का 75 प्रतिशत प्रदान करे तथा इस धनराशि पर परिवाद योजन की तिथि से वास्‍तविक अदायगी तक 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी परिवादी को अदा करें।  

अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)(विकास सक्‍सेना)

  •  

संदीप आशु0 कोर्ट 1

 

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                      (सुरक्षित)

अपील सं0 :- 1068/2018

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद सं0- 01/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01/02/2018 के विरूद्ध)

 

श्री प्रताप सिंह पुत्र श्री वेद प्रकाश निवासी-208 सुभाष नगर कालोनी, भरतपुर(राजस्‍थान)

  1.                                                                                       अपीलार्थी 

बनाम

 

  1. इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, रजिस्‍टर्ड आफिस- इफको सदन सी-1 डिस्ट्रिक्‍ट सेन्‍टर, साकेत न्‍यू दिल्‍ली-10017
  2. इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, 08 कटेवा भवन अपोजिट गंगा प्‍लाजा जयपुर 302001
  3. इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड, ब्रांच तृतीय तल, निकट राम रघु हास्पिटल, चर्च रोड, पोस्‍ट आफिस, हरिपर्वत, आगरा द्वारा कारपोरेट आफिस, इफको टावर द्वितीय, प्‍लाट नं0 3 सेक्‍टर 29, गुड़गांव हरियांणा 122001
  4. इंडसइंड बैंक लिमिटेड, नया नम्‍बर 34, पुराना नम्‍बर एनओएस 115-116 ए, जीएन चैटी रोड, टी नगर, चैन्‍नई द्वारा मैनेजर

 

  •                                                                                      प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-       श्री एस0के0 श्रीवास्‍तव  प्रत्‍यर्थी सं0 1, 2 व 3 की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:-    श्री विवेक कुमार सक्‍सेना

प्रत्‍यर्थी सं0 4 की ओर विद्धान अधिवक्‍ता:-      श्री अदील अहमद 

दिनांक:- 12.11.2021   

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

  •  

1. यह अपील विद्धान जिला फोरम, आगरा द्वारा परिवाद सं0 01/2014 प्रताप सिंह बनाम इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड व अन्‍य में पारित निर्णय व आदेश दिनांकित 01.02.2018 के विरूद्ध योजित किया गया है, जिसके माध्‍यम से प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलकर्ता बीमा कम्‍पनी को बीमित घोषित  मूल्‍य रूपये 9,80,000/- मय 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज परिवाद योजन की तिथि से एवं वाद व्‍यय आज्ञप्‍त किया गया।

  1.        परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया गया है कि परिवादी वाहन ट्रक पंजीयन सं0 आरजे05जीए 4307 का पंजीकृत स्‍वामी है जो विपक्षी कम्‍पनी के साथ दिनांक 17.08.2012 से दिनांक 16.08.2013 तक की अवधि के लिए की गयी थी। बीमे के साथ केवल कवर नोट जारी किया गया था। टर्मस् एण्‍ड कन्‍डीशनस की कोई बुकलेट नहीं दी गयी थी। वाहन चालक ने दिनांक 28.02.2013 को शहादरा चुंगी, थाना एतमाउद्दौला, आगरा के पास रात्रि 7-8 बजे राजमार्ग पर खड़ी कर दिया और लगभग 30 मिनट के लिए ढा़बे पर खाना खाने के लिए गया, लौट कर आया तो उसे ट्रक उस जगह से गायब मिला। परिवादी के ड्राइवर द्वारा तुरंत ही परिवादी को ट्रक के गायब होने की सूचना दी गयी। परिवादी द्वारा तुरंत ही पुलिस थाना एतमाउद्दौला में प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने का प्रयास किया गया किन्‍तु उसकी कोई रिपोर्ट थाने में नहीं लिखी गयी तब अगले ही दिन दिनांक 01.03.2013 को परिवादी ने एसएसपी को रजिस्‍ट्री द्वारा ट्रक चोरी/गायब होने की सूचना भेज दी किन्‍तु फिर भी उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी है।
  2.      परिवादी ने धारा 156(3) सी0आर0पी0सी0 के अन्‍तर्गत न्‍यायालय में प्रार्थना पत्र दिया। न्‍यायालय के आदेश दिनांक 25.03.2013 को संबंधित थाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट अपराध सं0 325/2013 दर्ज की गयी। विवेचना के उपरान्‍त अंतिम रिपोर्ट दिनांक 09.05.2013 न्‍यायालय में दाखिल की गयी जो दिनांक 25.08.2013 को स्‍वीकार कर ली गयी। परिवादी द्वारा बीमा कम्‍पनी अपीलकर्ता के समक्ष बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया। बीमा कम्‍पनी ने दिनांक 29.10.2013 को बीमे का क्‍लेम खारिज कर दिया। परिवादी के अनुसार विपक्षी कम्‍पनी ने क्‍लेम खारिज करके सेवा में कमी की है, इस आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।
  3.      निर्णय के अनुसार परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ बीमा प्रमाणपत्र, पंजीयन प्रमाणपत्र, ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस, राष्‍ट्रीय परमिट, पुलिस अधीक्षक को दिये गये पत्र की प्रतिलिपि विपक्षी कम्‍पनी को सूचना दिये जाने का पत्र दिनांक 01.03.2013 रजिस्‍ट्री रसीद, न्‍यायालय को धारा 156(3) के अंतर्गत दिये गये प्रार्थना पत्र की प्रतिलिपि, अंतिम रिपोर्ट एवं क्‍लेम खारिज किये जाने का पत्र प्रस्‍तुत किया। विपक्षी द्वारा वादोत्‍तर में मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी का बीमे का क्‍लेम उचित प्रकार से पत्र दिनांकित 29.10.2013 के माध्‍यम से खारिज किया गया है। बीमे के क्‍लेम के संबंध में नियुक्‍त इन्‍वेस्‍टीगेटर ने यह निष्‍कर्ष दिया है कि प्रश्‍नगत वाहन घटना के समय बिना अभिरक्षा के छोड़ दिया गया था तथा इसके केबिन के दरवाजे खुले हुए थे तथा यह बिना ताले के छोड़ी गयी थी, जिससे चोरी करने वाले व्‍यक्ति को इसमें सुविधापूर्वक प्रवेश करने का अवसर मिला। स्‍वयं परिवादी की लापरवाही से वाहन चोरी हुआ है अत: इस आधारपर क्‍लेम खारिज किया गया क्‍योंकि बीमे की शर्त सं0 4 में यह इंगित था कि बीमित व्‍यक्ति अपने वाहन को सुरक्षितरखने और उसे हानि व क्षति से बचाने का युक्ति युक्‍त प्रयास करेगा किन्‍तु इस शर्त का उल्‍लंघन करके प्रतिवादी की ओर से लापरवाही बरती गयी है। अत: क्‍लेम अस्‍वीकार किया गया।
  4.         विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अपीलकर्ता/परिवादी का परिवाद आज्ञप्त करते हुए उसे बीमे की धनराशि रूपये 9,80,000/- तथा इस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज और वाद व्‍यय रूपये 5,000/- दिलवाये जाने का आदेश पारित किया है। परिवादी ने उक्‍त ब्‍याज की दर को 18 प्रतिशत बढ़ाये जाने हेतु एवं परिवादी को हुये मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक हानि के लिए क्षतिपूर्ति दिलवाये जाने हेतु यह अपील योजित की है।
  5.          अपीलकर्ता का कथन है कि विद्धान जिला फोरम ने परिवादी को हुये मानसिक क्‍लेश तथा बीमे के क्‍लेम को अस्‍वीकार कर दिये जाने के कारण हुई आर्थिक क्षति को नजरअंदाज करते हुए परिवादी को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति का कोई आदेश पारित किये हैं। इसके अतिरिक्‍त परिवादी द्वारा बीमित धनराशिपर 24 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की मांग की थी और परिवादी अपीलकर्ता के कथनानुसार कम से कम 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज परिवादी को दिलवाया जाना था किन्‍तु इस तथ्‍य को भी विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अनदेखा किया है। इस आधार पर ब्‍याज की धनराशि बढ़ाये जाने और मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति दिलवाये जाने की प्रार्थना के साथ यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है। अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा ऐसा कोई ठोस कारण नहीं दर्शाया गया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने गलत प्रकार से कम ब्‍याज की धनराशि दी है। दूसरी ओर संबंधित अपील सं0 873/2018 में प्रस्‍तुत साक्ष्‍य के परिशीलन के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि स्‍वयं परिवादी के ड्राइवर श्री अनिल द्वारा वाहन की सुरक्षा में कोताही तथा लापरवाही बरती गयी है, जिसके लिए स्‍वयं परिवादी अप्रत्‍यक्ष रूप से उत्‍तरदायित्‍व रखते हैं अत: ऐसी दशा में परिवादी को सम्‍पूर्ण बीमे की धनराशि दिलवाया जाना भी उचित नहीं है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने उचित प्रकार से वर्तमान बैंक की प्रचलित ब्‍याज की दर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज आज्ञप्‍त धनराशि पर दिलवाया है, जिसको किसी प्रकार से अनुचित नहीं कहा जा सकता है। स्‍वयं परिवादी का सहभाग वाहन की सम्‍पूर्ण क्षति में होने के कारण परिवादी को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति दिलवाया जाना भी उचित प्रतीत नहीं होता है अत: प्रश्‍नगत अपील सम्‍पूर्ण रूप से खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

  •   खारिज की जाती है।

अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)(विकास सक्‍सेना)

  •  

संदीप आशु0 कोर्ट 1

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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