Uttar Pradesh

StateCommission

CC/511/2017

Riyazul - Complainant(s)

Versus

Iffco Tokio General Insurance Co. Ltd - Opp.Party(s)

Tara Gupta & Anand Bhargava

22 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/511/2017
( Date of Filing : 15 Dec 2017 )
 
1. Riyazul
S/O Sri Sharafat Ali R/O 324 Vill. Rachoti P.S. Mundali Tehsil Mawana Distt. Meerut U.P.
...........Complainant(s)
Versus
1. Iffco Tokio General Insurance Co. Ltd
Registered Office Iffco Sadan C-1 Saket New Delhi Through its Authorised Signatory
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Mar 2022
Final Order / Judgement

सुरक्षित 

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

परिवाद संख्‍या 511 सन 2017

 

श्री रियाजुल  पुत्र श्री शराफत अली, निवासी 324, ग्राम रछौती, थाना मुण्‍डाली, तहसील मवाना, जिला मेरठ  ।

                          ............... परिवादी

-बनाम-

1,  इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0 रजि0 आफिस, इफको सदन, सी-1,

   डिस्‍ट्रीक्‍ट सेण्‍टर] साकेत नई दिल्‍ली ।

2, ओरिक्‍स लीजिंग एण्‍ड फाइनेंन्सियल सर्विस इण्डिया लि0  11-ए शिवाजी मार्ग

   मोतीनगर, नई दिल्‍ली ।

                                                ..........विपक्षीगण

 

समक्ष:-

 

मा0   श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

मा0 डा0 आभा गुप्‍ता, सदस्‍य ।

 

परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता         -  श्री आनन्‍द भार्गव।   

विपक्षी संख्‍या 01 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता -  श्री अशोक मेहरोत्रा।

विपक्षी संख्‍या 02 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता -  कोई नहीं।

 

 

दिनांक:-26-04-2022

 

मा0   डा0 आभा गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी संख्‍या 1 व 2 से 21 लाख रू0 बीमित धनराशि मय चोरी के दिनांक से 18 प्रतिशत ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति दिलाए जाने हेतु प्रस्‍तुत किया है। 

      संक्षेप में, परिवादी का कथन है कि दिनांक 19.06.2015 को उसके द्वारा  एक टाटा ट्रक जिसका चेचिस संख्‍या एमएटी0448022एफएएफ06769 एवं इंजन संख्‍या 51ई84229105 था 17 लाख 65 हजार रू0 में  जीविकोपार्जन हेतु क्रय किया  और उसका बीमा पालिसी संख्‍या 92899485 के  अन्‍तर्गत कराया जो दिनांक 19.06.2015 से 18.06.2016 तक वैध एवं प्रभावी था। परिवादी ने बीमा कराने हेतु मु0 52,399.00 रू0 प्रीमियम अदा किया । परिवादी ने मार्जिन मनी के रूप में 2,32,100.00 रू0 जमा करके विपक्षी संख्‍या 02 से 16,32,400.00 रू0 का फाइनेंस कराया जिसके संबंध में विपक्षी संख्‍या 02 द्वारा पेमेंण्‍ट शिडयूल जारी किया गया । वित्‍तीय एसेस्‍मेंट के समय एक एग्रीमेंट पर हस्‍ताक्षर कराए गए जिसकी प्रति विपक्षी संख्‍या 02 द्वारा उसे नहीं दी गयी और उससे कोरे चेक पर हस्‍ताक्षर करा लिए गए । उक्‍त बीमित ट्रक दिनांक 23.07.2015 को चोरी हो गया जिसकी थाने पर सूचना दिनांक 24.07.2015 को दी गयी और विपक्षी संख्‍या 01 को भी सूचित किया गया। थाने पर रिपोर्ट न लिखे जाने पर परिवादी ने एस0एस0पी0 को शिकायती पत्र लिखा और धारा 156(3) सीआरपीसी के अन्‍तर्गत वाद दायर किया जिस पर जुडीशियल मजिस्‍ट्रेट के आदेश पर दिनांक 16.09.2015 को रिपोर्ट लिखी गयी जिसमें पुलिस ने वाद विवेचना दिनांक एफ0आर0 लगा दी गयी जिसे मजिस्‍ट्रेट ने दिनांक 13.08.2016 को स्‍वीकार कर लिया। शिकायतकर्ता का कथन है कि उसने अनेको बार एफ0आर0 के स्‍टेटस के आधार पर बीमित धनराशि देने हेतु विपक्षी को पत्र लिखे तथा अनुस्‍मारक दिए लेकिन विपक्षीगण ने कोई सुनवाई नहीं की और उसके बीमा क्‍लेम का भुगतान नहीं किया। विवश होकर उसके द्वारा दिनांक 21.06.2017 को एक विधिक नोटिस भी दिया गया, कोई सुनवाई न होने पर यह परिवाद योजित किया गया ।

      विपक्षी की ओर से प्रतिवादपत्र दाखिल कर उल्लिखित किया गया कि परिवादी का परिवाद कालबाधित है। ट्रक की चोरी दिनांक 23.07.2015 को हुयी और परिवादी द्वारा दो वर्ष की अवधि के पश्‍चात गलत तथ्‍यों पर यह परिवाद दाखिल किया गया। परिवादी द्वारा क्‍लेम के संबंध में वांछित औपचारिकताऐं पूर्ण नहीं की गयी हैं। औपचारिकताऐं पूर्ण करने हेतु परिवादी को कई पत्र तथा अनुस्‍मारक भेजे गए लेकिन परिवादी ने कोई ध्‍यान नहीं दिया । परिवादी द्वारा क्‍लेम फार्म भी नहीं भरा गया इसलिए परिवादी के क्‍लेम का निस्‍तारण नहीं किया जा सका।  विपक्षी की ओर से परिवाद के कालबाधित होने के संबंध में विधि व्‍यवस्‍थाऐं प्रस्‍तुत की गयीं।  विपक्षी की ओर से यह भी उल्लिखित किया गया चोरी की सूचना प्राप्‍त होने पर सर्वेयर नियुक्‍त किया गया था जिसको कोई सहयोग परिवादी द्वारा नहीं किया गया एवं वांछित प्रपत्र उपलब्‍ध नहीं कराए गए जिसके कारण सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में चोरी को संदिग्‍ध माना। विपक्षी का कथन हैकि  परिवादी द्वारा  रजिस्‍ट्रेशन बीमा पालिसी नेशनल परमिट फिटनेश ड्राइविंग लाइसेंस प्रथम सूचना रिपोर्ट तथा कोर्ट द्वारा स्‍वीकारोक्ति की प्रति प्रस्‍तुत नहीं की है जिसके कारण केस बन्‍द किया गया। विपक्षी का यह भी कथन है कि परिवादी द्वारा ट्रक का रजिस्‍ट्रेशन न कराना मो‍टर व्‍हैकिल एक्‍ट का उल्‍लंघन है। औपचारिकताऐं पूर्ण करने के लिए परिवादी से कई बार सम्‍पर्क किया गया तथा उसे दिनांक 05.08.2015 दिनांक 31.08.2015 दिनांक 21.09.2015 एवं दिनांक 01.02.2016 को पत्र भेजा गया लेकिन परिवादी ने कोई जबाव नहीं दिया ।

      परिवादी का कथन है कि विपक्षी द्वारा वांछित औपचारिकताऐं उसके द्वारा पूरी की गयी थी। विपक्षी को बीमापालिसी की प्रति, प्रथम सूचना रिपोर्ट  थाने की मोहर सहित उपलब्‍ध करा दिए गए थे तथा सूचित किया था अन्तिम रिपोर्ट की प्रति जैसे ही प्राप्‍त होगी, उपलब्‍ध करा दी जाएगी। परिवादी ने विपक्षी को इस आशय का पत्र दिनांकित 02.09.2016 को लिखा था कि न्‍यायालय द्वारा अन्तिम रिपोर्ट दिनांक 13.08.2016 को स्‍वीकार कर ली गयी है जिसकी प्रति प्रेषित की जा रही है। 

      उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य के आधार पर परिवादी के प्रश्‍नगत‍ ट्रक का बीमा कराया जाना सिद्ध होता है। परिवादी द्वारा बीमा के संबंध में मु0 52399.00 रू0 प्रीमियम भी अदा किया है। परिवादी द्वारा चोरी की सूचना विपक्षी को दी गयी है तथा रिपोर्ट भी अंकित करायी है। एफ0आई0आर0 में ट्रक की वरामदगी न होने के कारण पुलिस द्वारा एफ0आर0 लगा दी गयी । विपक्षी का यह कथन स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है कि परिवादी ने वांछित औपचारिकताऐं पूर्ण नहीं की तथा सर्वेयर को सहयोग नहीं दिया जिसके कारण उसे क्‍लेम का भुगतान नहीं किया गया। विपक्षी का कथन कि परिवाद कालबाधित है, मानने योग्‍य नहीं है क्‍योंकि परिवादी द्वारा लगातार बीमित धनराशि प्राप्‍त करने हेतु विपक्षी को पत्र लिखे गए तथा विपक्षी द्वारा उसके क्‍लेम का निस्‍तारण अभी तक नहीं किया है इसलिए परिवाद कालबाधित नहीं माना जा सकता है।

 समस्‍त तथ्‍यों के परिशीलन करने के उपरांत इस तथ्‍य की पुष्टि होती है कि जो अभिलेख बीमा कम्‍पनी द्वारा परिवादी से मांगे गए थे वह परिवादी द्वारा पूर्व में ही उपलब्‍ध करा दिए गए थे और अन्तिम रिपोर्ट की प्रति भी उपलब्‍ध करा दी गयी थी। वाहन का जो बीमा किया गया था उसके अन्‍तर्गत चोरी भी आच्‍छादित थी और पुलिस आख्‍या से यह परिलक्षित नहीं होता है कि परिवादी द्वारा गलत  मंशा से वाहन गायब करवाया गया हो।

  पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी बीमित धनराशि प्राप्‍त करने हेतु प्रयासरत रहा। बीमित धनराशि न देकर विपक्षी की सेवा में कमी परिलक्षित होती है।

        परिणामत: प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

 

      परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय के दो माह के अन्‍दर परिवादी से औपचा‍रिकताऐं पूर्ण करवाकर परिवादी को प्रश्‍नगत बीमित ट्रक की बीमित धनराशि मय 06 (छह) प्रतिशत साधारण ब्‍याज के परिवाद दायरा के दिनांक से अदायगी तक अदा करे ।

      परिवाद व्‍यय उभय पक्ष अपना अपना स्‍वयं वहन करेगें।

      इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्‍ध करायी जाए।

 

  (विकास सक्‍सेना)                                   (डा0 आभा गुप्‍ता)

          सदस्‍य                                              सदस्‍य 

 

सुबोल श्रीवास्‍तव

पी0ए0(कोर्ट नं0-3)

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA]
MEMBER
 

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