राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-385/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, फतेहपुर द्धारा परिवाद सं0-101/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.02.2019 के विरूद्ध)
1- पारो देवी पत्नी स्व0 सीताराम सिंह
2- विकास सिंह
3- प्रकाश सिंह पुत्रगण स्व0 सीताराम सिंह
4- आकाश सिंह
समस्त निवासीगण ग्राम ओती, पोस्ट दतौली, जिला फतेहपुर, उ0प्र0।
........... अपीलार्थी/परिवादीगण
बनाम
1- इफ्को टोकियों जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, इफ्को टावर, प्लाट नं0-3 सेक्टर-29, गुड़गॉव-122001 हरियाणा द्वारा मुख्य प्रबन्धक क्लेम
2- साधन सहकारी समिति सरकी विकास खण्ड, हंसवा फतेहपुर द्वारा सचिव।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थीगण के अधिवक्ता : श्री आर0के0 गुप्ता
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री अशोक मेहरोत्रा
दिनांक :- 17-11-2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादिनी पारो देवी व तीन अन्य द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, फतेहपुर द्वारा परिवाद सं0-101/2008 पारो देवी आदि बनाम मुख्य प्रबन्धक क्लेम संकट हरण बीमा योजना इफ्को टोकियो जनरल इं0कं0लि0 व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.02.2019 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला उपभोक्ता आयोग ने अपीलार्थी/परिवादिनी के भतीजे नारायन सिंह की दुर्घटना में मृत्यु के कारण प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा बीमा क्लेम न दिये जाने के
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पश्चात प्रस्तुत किये गये परिवाद को इस आधार पर खारिज कर दिया है कि मृत्यु से सम्बन्धित कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है।
इस निर्णय/आदेश को इस आधार पर चुनौदी दी गई है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने विधि विरूद्ध निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी/परिवादिनी सं0-1 के भतीजे नारायन सिंह की मृत्यु दिनांक 01.8.2006 आकस्मिक दुर्घटना में हुई है, जो एक कृषक थे, जिनके द्वारा दिनांक 30.9.2001 से लागू योजना के अन्तर्गत 4,000.00 रू0 का खाद क्रय किया गया था, जिस पर किसान का एक लाख रूपये तक का बीमा था। इस प्रकार की मृत्यु होने पर पोस्ट मार्टम नहीं कराया जाता है, न ही पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायी जाती है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिया गया निष्कर्ष अपास्त होने योग्य है। यह भी उल्लेख किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने की अवधि दो वर्ष है।
दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
अपीलार्थी/परिवादिनी ने अपने भतीजे नारायन सिंह की मृत्यु का कारण यह बताया है कि नारायण सिंह गुजरात मजदूरी करने के लिए गया था, जलगॉव स्टेशन के पहले अज्ञात लोगों द्वारा चाय के साथ नशीला पदार्थ पिला दिया गया, जिसके कारण ट्रेन के डिब्बे में लगी लैट्रिन में दिनांक 01.8.2006 को उसकी मृत्यु हो गई, जिसकी सूचना सहयात्रियों ने जलगॉव पुलिस को दी थी, इसी प्रकार स्वयं परिवादिनी के कथनानुसार दुर्घटना के कारण परिवादिनी के भतीजे की मृत्यु कारित नहीं हुई है, बल्कि जहर देकर उसकी हत्या की गई है और जहर देकर हत्या करना खाद क्रय करने के पश्चात खाद क्रय पालिसी में बीमा क्लेम देय नहीं है। बीमा पालिसी के अनुसार यदि कृषक की मृत्यु कृषि कार्य करने के दौरान घटित किसी घटना के कारण होती है तब बीमा क्लेम देय है। चूंकि मृतक की मृत्यु जहर देकर होना कहा गया है, इसलिए ऐसी स्थिति में आपराधिक मुकदाम दर्ज कराना, मृतक का पंचनामा बनवाना तथा पोस्ट मार्टम तैयार करना आवश्यक था। इन्ही दस्तावेजों के आधार पर यह
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साबित हो सकता है कि अपलार्थी/परिवादिनी के भतीजे की मृत्यु दुर्घटनावश हुई या उसकी हत्या कारित की गई। इस प्रकार अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा अधिकृत प्राधिकारी के कार्यालय से जारी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: इस आधार पर भी अपीलार्थी/परिवादिनी को परिवाद दायर करने का आधार प्रतीत नहीं होता है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिया गया निष्कर्ष पूर्णत: विधि सम्मत है, अत: अपील खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1