(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 121/2017
Jaipal singh, S/o – Late Gopal singh, R/o- H. No.-4/337, Sector- 4, Vikas Nagar, Lucknow.
…….Complainant
Versus
- Iffco-Tokio, General insurance company ltd., Registered office-8, Gokhale marg Lucknow-226001, through its Branch Manager.
- Sunny Toyota, Faizabad road, Chinhat Lucknow-226028,
- Bank of Baroda, Shakti nagar Branch, Lucknow. Through its Branch Manager.
……… Opposite Parties..
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री विवेक सक्सेना ,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण सं0- 2 और 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 27.09.2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवादी जयपाल सिंह ने यह परिवाद विपक्षीगण इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, Sunny Toyota फैजाबाद रोड और बैंक ऑफ बड़ौदा शक्ति नगर के विरुद्ध धारा- 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है :-
Where fore it most humble prayed that this Hon’ble Commission may kindly be pleased to allow the complaint and direct:-
- O.P. to pay Rs. 17,83,676/- (Seventeen Lacs Eighty Three thousand Six Hundred and Seventy Six) along with interest @ 18% per annum from the date of theft i.e. 01.01.2016.
- O.P. to pay Rs. 5,00,000/-(Five Lacs) for mental pain and suffering.
- O.P. to pay Rs. 1,00,000/- (One Lac) for cost of the case.
And any other relief as deemed fit and proper in the circumstances of the case, may also be granted to the complainant.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने Fortuner Suv, Brand New, 301,2/WDMT वाहन खरीदा और उसका पंजीयन मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत कराया तब उसे वाहन का नं0- U.P.-32-FP-6313 मिला। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि वाहन सं0- U.P.-32-FP-6313 फार्चूनर का वह पंजीकृत स्वामी है जिसका बीमा उसने विपक्षी सं0- 1 इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कं0 लि0 से 28.05.2015 से 27.05.2016 तक की अवधि के लिए कराया था, परन्तु बीमा अवधि में ही उसका यह वाहन दि0 01.01.2016 को 7:30 बजे सायं चोरी हो गया जिसकी रिपोर्ट उसने उसी दिन दि0 01.01.2016 को थाना इंदिरापुरम, जिला गाजियाबाद में दर्ज करायी और बीमा कम्पनी को वाहन चोरी के सम्बन्ध में सूचना दी।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसकी पौत्री सोनल विपक्षी सं0- 3, 360 GYM (जिसका नाम अब परिवाद पत्र से निर्सित कर दिया गया है) के GYM में परिवादी के उपरोक्त वाहन से दि0 01.01.2016 को 7:30 P.M. पर गई थी और जिम में इक्सरसाइज के दौरान वाहन की चाभी से चोट आ सकती थी। इस कारण उसने वाहन की चाभी GYM के सुरक्षित संयुक्त कामन प्लेस पर रख दी थी, जहां GYM के सभी सदस्य अपने वाहन की चाभी रखते हैं।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसकी पौत्री GYM का ड्रेस पहनने पर वाहन की चाभी उक्त सुरक्षित स्थान पर रखा था और जब वह वापस आयी तो वाहन की चाभी नहीं मिली। उसके बाद जब वह बाहर आयी तो उसका उपरोक्त वाहन वहां नहीं था। अत: वाहन चोरी की रिपोर्ट उसने पुलिस स्टेशन इंदिरापुरम गाजियाबाद में दर्ज कराया। तब पुलिस ने विवेचना प्रारम्भ की और वाद विवेचना अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित किया, जिसे मजिस्ट्रेट ने दि0 13.08.2016 को स्वीकार किया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षी सं0- 1 ने उसका बीमा दावा इस आधार पर निरस्त कर दिया है कि उसने बीमा पॉलिसी की शर्त सं0- 4 का पालन नहीं किया है, क्योंकि वाहन की सुरक्षा हेतु पर्याप्त उपाय नहीं किया गया है और चाभी को अनअटेंडेड अनलॉक कामन स्थान पर छोड़ा गया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षी/बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का बीमा दावा अनुचित आधार पर अस्वीकार किया गया है। अत: परिवादी ने परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी सं0- 1 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है। लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि राज्य आयोग को वर्तमान परिवाद सुनने का आर्थिक और भौमिक क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। फाइनांसर बैंक ऑफ बड़ौदा को परिवाद में पक्षकार न बनाये जाने का दोष है। लिखित कथन में विपक्षी सं0- 1/बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि बीमा पॉलिसी की शर्त में स्पष्ट प्राविधान है कि बीमाधारक वाहन की सुरक्षा हेतु आवश्यक उपाय और सावधानी बरतेगा, परन्तु परिवादी के द्वारा वाहन की सुरक्षा हेतु पर्याप्त उपाय नहीं किया गया है और न सावधानी बरती गई है, क्योंकि सर्वेयर आख्या से स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन की चाभी खुले दराज में रखी गई थी, जहां कि सभी कस्टमर अपनी चाभी रखते हैं और इसी लापरवाही के कारण वाहन की चोरी घटित हुई है। अत: बीमा पॉलिसी की शर्त का उल्लंघन होने के कारण विपक्षी/बीमा कम्पनी बीमित धनराशि की अदायगी हेतु उत्तरदायी नहीं है। अत: विपक्षी सं0- 1/बीमा कम्पनी ने पत्र दि0 25.07.2016 के द्वारा परिवादी का बीमा दावा रिपूडिएट किया है जो उचित है।
लिखित कथन में विपक्षी/बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि परिवादी के प्रश्नगत वाहन की चोरी विपक्षी सं0- 3 GYM की लापरवाही से घटित हुई है। अत: इस आधार पर भी बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्तरदायी नहीं है।
विपक्षीगण सं0- 2 और 4 की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। विपक्षी सं0- 3, 360 GYM का नाम परिवादी ने संशोधन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर निर्सित कर दिया है।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी जयपाल सिंह का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी/बीमा कम्पनी की ओर से साक्ष्य में श्री पंकज धीगरा लीगल हेड और श्री जीवन अग्रवाल डायरेक्टर का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी और विपक्षी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री विवेक कुमार सक्सेना के तर्क को सुना है और उभयपक्ष के लिखित तर्क एवं पत्रावली का अवलोकन किया है।
विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने निम्न न्यायिक निर्णयों को संदर्भित किया है।
- Suraj Mal Ram Niwas Oil Mills (P.) Ltd. Versus United India Insurance Company & Anr. IV(2010) CPJ 38 (SC)
- Kailash Chandra Bhalerao and others Versus ICICI Lombard General Insurance Company Ltd, 2015 NCJ 728 (NC).
- Taj Mahal, Hotel Versus United India Insurance Co. Ltd. & Ors. I (2018) CPJ 546 (NC).
हमने उपरोक्त न्याय निर्णयों का आदर पूर्वक अवलोकन किया है।
उभय-पक्ष के अभिकथन से स्पष्ट है कि प्रश्नगत कार की चोरी तब हुई जब परिवादी की पौत्री कार जिम के बाहर खड़ी कर कार की चाभी जिम के खुले दराज जो जिम के सभी सदस्यों के लिये जिम द्वारा उपलब्ध कराया गया था में रखकर जिम में Exercise कर रही थी। उक्त खुला दराज अनअटेंडेड था। जिम द्वारा खुला और अनअटेंडेड दराज जिम के सदस्यों को उपलब्ध कराया गया था जिसे परिवादी की पौत्री एवं अन्य सदस्यों ने बिना किसी आपत्ति के स्वीकार किया था। अत: जिम की सेवा में कमी नहीं मानी जा सकती है। वाहन जिम के बाहर अनअटेंडेड खड़ा करना और चाभी जिम के खुले व अनअटेंडेड दराज जो अन्य की पहुंच से वर्जित न रहा हो में चाभी रखना निश्चित रूप से यह दर्शाता है कि परिवादी की पौत्री ने वाहन की सुरक्षा हेतु पर्याप्त सावधानी नहीं बरती है जो बीमा पॉलिसी की शर्त पालन नहीं कहा जा सकता है, परन्तु मात्र इस आधार पर बीमा कम्पनी परिवादी का बीमा दावा पूर्ण रूप से रिपूडिएट नहीं कर सकती है। इस संदर्भ में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा महावीर सिंह बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी 2018(I) C.P.R. 659 N.C. में दिया गया निर्णय महत्वपूर्ण है जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अमलेंद्र साहू बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 II(2010) C.P.J. 9 S.C. के वाद में प्रतिपादित सिद्धांत का अनुसरण करते हुए बीमा दावा नान स्टैण्डर्ड बेसिस पर तय किया जाना उचित माना है।
उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि परिवादी का बीमा दावा विपक्षी/बीमा कम्पनी ने पूर्ण रूप से अस्वीकार कर सेवा में कमी किया है। परिवादी का बीमा दावा नान स्टैण्डर्ड बेसिस पर बीमित धनराशि की 75 प्रतिशत धनराशि हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है।
परिवाद पत्र में याचित अनुतोष के आधार पर परिवाद राज्य आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार में रहा है और स्वीकृत अनुतोष को देखते हुए अब इसे क्षेत्राधिकार से परे मानकर वापस किया जाना उचित नहीं है। फाइनांसर को पक्षकार न बनाये जाने के आधार पर परिवाद निरस्त नहीं किया जा सकता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी/बीमा कम्पनी को वाहन की बीमित धनराशि 17,83,676/-रू0 की 75 प्रतिशत धनराशि रू0 13,37,757/- परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने हेतु आदेशित करना उचित है।
परिवाद द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं है।
फाइनांसर अपना क्लेम विधि के अनुसार परिवादी के विरुद्ध करने हेतु स्वतंत्र है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी सं0- 1 बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को रू0 13,37,757/- परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित अदा करे।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1