Uttar Pradesh

StateCommission

A/349/2020

Jai Maa kali Construction - Complainant(s)

Versus

Iffco Tokio General Insurance Co. Ltd - Opp.Party(s)

Sushil Kumar Sharma

13 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/349/2020
( Date of Filing : 09 Oct 2020 )
(Arisen out of Order Dated 18/03/2019 in Case No. C/2017/159 of District Mahoba)
 
1. Jai Maa kali Construction
Under Control Pushpendra Singh Yadav S/O Shri Dharmjeet Singh Near Telephone Exchange Rath Road Qasba mahoba tehsil and Distt.Mahoba
...........Appellant(s)
Versus
1. Iffco Tokio General Insurance Co. Ltd
Through Branch manager Address D-64/127 H Sigra Arihant Complex Varansi U.P. 221010
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Oct 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-349/2020

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, महोबा द्वारा परिवाद संख्‍या 159/2017 में पारित आदेश दिनांक 18.03.2019 के विरूद्ध)

जय मॉं काली कंसट्रक्‍शन अण्‍डर कंट्रोल पुष्‍पेन्‍द्र सिंह यादव, पुत्र                   श्री धर्मजीत सिंह, निकट टेलीफोन एक्‍सचेंज, राठ रोड, कस्‍बा-महोबा, तहसील व जिला-महोबा

........................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0, द्वारा ब्रांच मैनेजर, इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0, पता- डी-64/127, सी0एच0 सिगरा, अरिहन्‍त काम्‍प्‍लेक्‍स, वाराणसी, यू0पी0-221010

                                      ...................प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा, 

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक मेहरोत्रा, 

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 13.10.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा उपस्थित हैं। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को सुना।

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, महोबा द्वारा परिवाद संख्‍या-159/2017 जय मां काली कंसट्रक्‍शन बनाम इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.03.2019 के विरूद्ध योजित की गयी है।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद खारिज किया है।

 

 

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा जून, 2016 में एच0डी0एफ0सी0 बैंक से ऋण लेकर वाहन ट्रक पंजीयन सं0 यू0पी095टी1815 अपने स्‍वरोजगार व भरण पोषण हेतु क्रय किया गया तथा परिवादी द्वारा उक्‍त ट्रक का समस्‍त जोखिम आच्‍छादन वाहन बीमा मु0 65,516/-रू0 की प्रीमियम धनराशि विपक्षी बीमा कम्‍पनी को अदा करके कराया गया था, जिसकी वैधता दिनांक 17.06.2017 से दिनांक 16.06.2018 तक थी। विपक्षी द्वारा उपरोक्‍त वाहन का पिछला बीमा एच0डी0एफ0सी0 इरगो इंश्‍योरेंस कम्‍पनी द्वारा निर्गत बीमा पालिसी जिसकी वैधता दिनांक 16.06.2017 थी, के अनुक्रम में किया गया था।

परिवादी का कथन है कि बीमा अवधि के दौरान दिनांक 29.07.2017 को करीब साढ़े 8 बजे सुबह जब उक्‍त वाहन कुशल एवं वैध लाईसेंसधारी वाहन चालक बल्‍लू पुत्र हल्‍के धुरिया ट्रक के निर्धारित भार लदान के अन्‍तर्गत कच्‍चा पत्‍थर लादकर ग्राम मकरबई अंतर्गत थाना कबरई जिला महोबा रोड स्थित सोना क्रेसर के पास पत्‍थर खदान से ऊपर चढ़ रहा था तभी वाहन के पीछे का साफ्ट टूट गया, जिससे वाहन अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया, जिसकी सूचना तत्‍काल विपक्षी के टोल फ्री नम्‍बर पर दी गयी, जिस पर विपक्षी के सर्वेयर द्वारा दुर्घटनास्‍थल का भौतिक सत्‍यापन कराया गया तथा विपक्षी के सर्वेयर के निर्देश पर क्षतिग्रस्‍त वाहन को भाड़े की टोइंग मशीन से खिंचवाकर टाटा मोटर्स लि0 के अधिकृत सर्विस सेन्‍टर साहू मोटर्स कबरई महोबा ले जाया गया, जहॉं विपक्षी के सर्वेयर के समक्ष अधिकृत सर्विस स्‍टेशन में क्षतिग्रस्‍त वाहन को बनवाने में आने वाले सम्‍भावित खर्च की राशि वाहन पार्ट के मद में मु0 20,85,552/-रू0 तथा लेबर खर्च के मद में मु0 5,25,500/-रू0 कुल 26,11,052/-रू0 का बिल बनाया गया, जो विपक्षी द्वारा निर्गत वाहन बीमा पालिसी में वाहन की कुल धनराशि मु0 23,98,050/-रू0 से लगभग दो लाख रूपये अधिक थी, इसलिए सर्वेयर द्वारा उक्‍त वाहन का टोटल लॉस घोषित करके दिनांक 04.08.2017 को ही क्‍लेम राशि के भुगतान हेतु सारे औपचारिक दस्‍तावेज एवं स्‍टीमेट बिल की मूल प्रति प्राप्‍त कर परिवादी से क्‍लेम आवेदन पर हस्‍ताक्षर करवाया  गया  तथा  एक  माह  में  बीमा

 

 

-3-

पालिसी में उल्लिखित कुल धनराशि मु0 23,98,050/-रू0 का भुगतान करने का आश्‍वासन दिया गया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा परिवादी को कोई भुगतान नहीं किया गया।

परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा विपक्षी से सम्‍पर्क किया गया, जिस पर विपक्षी द्वारा अवगत कराया गया कि उसकी शाखा से  दिनांक 17.06.2017 को निर्गत पालिसी में परिवादी को नो क्‍लेम बोनस का फायदा दिया गया था, जबकि परिवादी उसका हकदार नहीं था तथा यह कि यदि परिवादी नो क्‍लेम बोनस में प्राप्‍त छूट की राशि विपक्षी को भुगतान करेगा तब विपक्षी क्‍लेम राशि प्रदान करेगा, इसलिए परिवादी द्वारा माह सितम्‍बर, 2017 में मु0 7,418.14 रू0 विपक्षी को भुगतान किया गया, फिर भी विपक्षी द्वारा परिवादी को क्‍लेम की धनराशि प्रदान नहीं की गयी।

परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा माह अक्‍टूबर और नवम्‍बर 2017 में कई ई-मेल विपक्षी को प्रेषित किये गये, परन्‍तु विपक्षी द्वारा कोई समुचित जवाब नहीं दिया गया तथा न ही भुगतान किया गया। विपक्षी द्वारा जरिये दूरभाष परिवादी को यह जानकारी दी गयी कि उसका क्‍लेम आवेदन नो क्‍लेम बोनस के तथ्‍य को छिपाकर लाभ लेने तथा अंवेषक को लोड चालान न देने के कारण दिनांक 20.11.2017 को नो क्‍लेम कर दिया गया है, परन्‍तु उपरोक्‍त नो क्‍लेम पत्र परिवादी को प्राप्‍त नहीं कराया गया।

परिवादी का कथन है कि विपक्षी को पूर्व बीमा पालिसी की पूरी जानकारी थी तथा परिवादी से कोई प्रस्‍ताव फार्म भी नहीं भरवाया गया था, बल्कि बीमा करते समय परिवादी से जो प्रीमियम मांगा गया, परिवादी द्वारा उसका भुगतान किया गया। इसके अलावा विपक्षी के कहने पर              नो क्‍लेम बोनस की छूट की राशि भी बतौर प्रीमियम विपक्षी द्वारा परिवादी से प्राप्‍त कर लिया गया। बीमा पालिसी में लोड चालान न होने तथा नो क्‍लेम बोनस प्राप्‍त होने की दशा में दुर्घटना दावा निरस्‍त हो जाने की कोई सेवा शर्त अंकित नहीं थी, फिर भी परिवादी के क्‍लेम आवेदन को निरस्‍त कर दिया गया, जिससे परिवादी को  घोर  मानसिक  कष्‍ट  पहुँचा,

 

 

 

-4-

अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए निम्‍न अनुतोष की मांग की गयी:-

''अत: माननीय फोरम से विनम्र अनुरोध है कि विपक्षी के कथित नो क्‍लेम प्रपत्र दिनांक 20.11.2017 को निरस्‍त करके मु0 19,58,000/-रूपये क्‍लेम राशि मय 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित विपक्षी से वसूलकर परिवादी को भुगतान करने की कृपा की जाये साथ ही परिवाद व्‍यय व मानसिक क्षति की राशि सहित अन्‍य अनुतोष जो वहक परिवादी माननीय फोरम उचित समझे विपक्षी से वसूलकर परिवादी को प्रदान करने की कृपा की जाये।''

उपरोक्‍त तथ्‍यों एवं परिवाद पत्र में परिवादी द्वारा मांगे गये अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से प्रथम दृष्‍ट्या यह सुस्‍पष्‍ट है कि प्रश्‍नगत परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के आर्थिक क्षेत्राधिकार से बाधित है, जिस सम्‍बन्‍ध में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा दिया गया निर्णय विधिसम्‍मत है, जिसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी/परिवादी यदि चाहे तो विधि के अनुसार अनुतोष प्राप्‍त करने हेतु सक्षम न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रार्थना पत्र/वाद प्रस्‍तुत कर सकता है तथा अपीलार्थी/परिवादी द्वारा विधि के अनुसार अनुतोष प्राप्‍त करने हेतु सक्षम न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रार्थना पत्र/वाद प्रस्‍तुत किये जाने की स्थिति में अपीलार्थी/परिवादी के प्रार्थना पत्र/वाद पर विधि अनुसार आदेश पारित किया जाये।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                         अध्‍यक्ष             

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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