(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-17/2014
अनवर अहमद पुत्र श्री अब्दुल मजीद, आजमपुर ढ़हिया, थाना पिलखवा, जिला हापुड़।
परिवादी
बनाम
1. इफको टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स कं0 लि0, द्वारा ब्रांच मैनेजर, इफको हाउस टोकियो जनरल इंनश्योरेंस कं0लि0 148, IInd फ्लोर, अबव आर.सी. आटोमोबाइल्स अपोजिट डीएम रेसीडेंस, सिविल लाइन्स, बरेली उत्तर प्रदेश।
2. एच.डी.एफ.सी. बैंक, ग्राउंड फ्लोर, कमल सिनेमा, कम्युनिटी सेन्टर सफदरगंज इन्क्लवे, नई दिल्ली 110029 द्वारा प्राधिकृत अधिकारी।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश कुमार गुप्ता।
विपक्षी सं0-1 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
विपक्षी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री मनु दीक्षित के सहायक
श्री प्रमेन्द्र वर्मा।
दिनांक: 11.10.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध अंकन 21 लाख रूपये 18 प्रतिशत ब्याज के साथ बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए, अंकन 05 लाख रूपये मानसिक प्रताड़ना की मद में प्राप्त करने के लिए तथा अंकन 22 हजार रूपये परिवाद व्यय की मद में प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी का ट्रक संख्या-यू.पी. 37 टी 0175 का बीमा अंकन 21 लाख रूपये में कराया गया था। बीमा अवधि दिनांक 15.03.2013 से दिनांक 14.03.2014 तक थी। इसी अवधि के दौरान दिनांक 03.04.2013 को ट्रक उस समय चोरी हो गया जब परिवादी के ड्राइवर गयासुल ने ट्रक को ढ़हिया पुलिया निकट पिलखवा के पास खड़ा किया और जब वह वापस आया तब ट्रक को वहां मौजूद नहीं पाया। इस घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 04.04.2013 को दर्ज कराई गई और बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, जो दिनांक 30.10.2013 को नकार दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र, बीमा पालिसी की प्रति, बीमा क्लेम नकारने के दस्तावेज की प्रति, प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति, पंजीकरण की प्रति तथा फिटनेस की प्रति प्रस्तुत की गई।
4. विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि ट्रक ड्राइवर गयासुल ने ट्रक को असावधानी के साथ खड़ा किया और उस समय चाभियों का एक सेट भी ट्रक में ही मौजूद था, इसलिए ड्राइवर की लापरवाही के कारण चोरी की घटना हुई है, इसके लिए बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं है, इसलिए बीमा क्लेम वैधानिक रूप से निरस्त किया गया है।
5. विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया।
6. विपक्षी संख्या-2 से परिवादी द्वारा ऋण प्राप्त किया गया है।
7. परिवादी एवं विपक्षी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। विपक्षी संख्या-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। परिवादी एवं विपक्षी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
8. परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ट्रक को ढ़हिया पुलिया पिलखवा के पास खड़ा करने के पश्चात ड्राइवर कहां पर गया था। यह भी उल्लेख नहीं किया कि ट्रक की सुरक्षा के लिए क्या सावधानी बरती गई थी, इसलिए परिवाद पत्र में दिए गए विवरण से ही जाहिर होता है कि चोरी की घटना के वास्तविक तथ्यों को छुपाया गया है।
9. बीमा कंपनी के इन्वेस्टीगेटर ने विवेचना में पाया कि जिस समय ट्रक चोरी गया था तब चाभियों का एक सेट वाहन के अन्दर ही मौजूद था तथा वाहन को असुरक्षित छोड़ दिया गया, इसलिए बीमा पालिसी की शर्त संख्या-4 का उल्लंघन स्थापित है, जिसमें व्यवस्था दी गई है कि बीमाधारक हर दृष्टि से यह प्रयास करे की बीमित वाहन को सुरक्षित रखा जाए और उसे क्षति से बचाया जाए।
10. प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के पश्चात की गई विवेचना का परिणाम भी परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है यानी विवेचना का यह निष्कर्ष मौजूद नहीं है यथार्थ में प्रश्नगत वाहन चोरी हुआ है या नहीं, इसलिए इस पत्रावली पर वाहन के चोरी होने का यथार्थ में कोई सबूत मौजूद नहीं है। इस आयोग को उपरोक्त वर्णित कारणों से ऐसा प्रतीत होता है कि चोरी की घटना की एक कहानी तैयार की गई है और इसी अवसर पर यह उल्लेख भी समीचीन होगा कि परिवादी द्वारा एचडीएफसी बैंक से ऋण प्राप्त करने के पश्चात नियमित रूप से किश्तों का भुगतान नहीं किया जा रहा है, उसके द्वारा ऋण अदायगी के लिए दिए गए अनेक चेक पर्याप्त धन न होने के कारण अनादर हो चुके हैं, इसलिए चोरी की यह कहानी तैयार की गई है। यही कारण है कि परिवाद में चोरी की घटना का कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया। ड्राइवर ट्रक को छोड़कर किस जगह गया था, क्यों गया था, क्या मजबूरी थी, इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया। अत: चोरी का तथ्य हर दृष्टि से संदिग्ध है, इसलिए बीमा क्लेम नकारने का निर्णय विधिसम्मत है। परिवाद तदनुसार खारिज होने योग्य है।
आदेश
11. प्रस्तुत परिवाद खारिज निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3