Mangi Lal filed a consumer case on 24 Mar 2015 against IFCO Tokiyo Junral Insurance Co. Ltd in the Jalor Consumer Court. The case no is C.P.A 108/2012 and the judgment uploaded on 27 Mar 2015.
न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर
पीठासीन अधिकारी
अध्यक्ष:- श्री दीनदयाल प्रजापत,
सदस्यः- श्री केशरसिंह राठौड
सदस्याः- श्रीमती मंजू राठौड,
..........................
...प्रार्थी।
बनाम
...अप्रार्थी।
सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0:- 108/2012
परिवाद पेश करने की दिनांक:-29-08-2012
अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ।
उपस्थित:-
1. श्री विक्रमसिंह, अधिवक्ता प्रार्थी।
2. श्री त्रिलोकचन्द मेहता, अधिवक्ता अप्रार्थी।
निर्णय दिनांक: 24-03-2015
1. संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि प्रार्थी का वाहन जिसके रजिस्ट्रेशन नम्बर आर0 जे0 19 टी0ए0 0998, इन्जन नम्बर- 3 ।ळ 50901, चैसिस नम्बर- ड। 6 ।ठ6ळ767 भ्।50653 हैं। उक्त वाहन अप्रार्थी के यहंा दिनांक 06-03-2011 से दिनांक 05-03-2012 तक बीमा कवर नोट नं0- 71675208 के जरिये बीमित था, जिसका प्रिमियम रूपयै 16,117/- प्रार्थी के प्रतिनिधि विनोद गेहलोत के द्वारा अदा किया गया था, तथा अप्रार्थी के प्रतिनिधी ने वाहन को बिमित करने के लिए बीमा प्रिमियम राशि ली थी। बरवक्त वाहन का पंजीयन विनोद गेहलोत के नाम से हो रखा था। इसलिए बीमा कवर नोट में विनोद गेहलोत अंकित हैं। तथा दिनांक 17-08-2011 को वाहन का पंजीयन प्रार्थी के नाम हो गया। दिनांक 12-02-2012 को प्रार्थी का उक्त वाहन आकस्मिक रूप से सामने से आ रही सेन्ट्रो कार नम्बर- आर0 जे0 01-ब्- 7820 से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, तथा उसी समय प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दुर्घटना की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी, तथा उक्त दुर्घटना में प्रार्थी केे वाहन को रूपयै 1,69,705/- की क्षति हुई। क्षति का बीमा क्लेम दावा में सम्पूर्ण कागजी औपचारिकताएं पूर्ण कर अप्रार्थी के यहंा पेश किया। प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी को क्लेम स्वीकृत करने बाबत् बार-बार आग्रह किया गया, लेकिन अप्रार्थी द्वारा बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा हैं। इसप्रकार प्रार्थी ने यह परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्व बीमा क्लेम राशि रूपयै 1,69,705/- मय ब्याज एवं आर्थिक क्षति के रूपयै 25,000/-, तथा मानसिक वेदना के रूपयै 25,000/-, एवं परिवाद व्यय के रूपयै 10,000/-, दिलाने हेतु यह परिवाद जिला मंच में पेश किया गया हैं।
2. प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थी को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया गया। जिस पर अप्रार्थी की ओर से अधिवक्ता श्री त्रिलोक चन्द मेहता ने उपस्थिति पत्र प्रस्तुत कर पैरवी की। तथा अप्रार्थी ने प्रथम दृष्टया प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार कर, जवाब परिवाद प्रस्तुत कर कथन किये, कि प्रार्थी ने अप्रार्थी के यहंा वाहन को बीमित करने हेतु प्रिमियम राशि अदा नहीं की हैं, इसलिए प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता ही नहीं हैं। वाहन संख्या आर0 जे0 19 टी0ए0 0998, विनोद गेहलोत के नाम से बीमित हैं। जिससे दुर्घटना के दिन बीमाधारी विनोद गेहलोत का इंशोरेबल इन्टरेस्ट नहीं होने से प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व मैन्टेनेबल नहीं होने से निरस्त किये जाने योग्य हैं, तथा उक्त वाहन दिनांक 06-03-2011 से 05-03-2012 की अवधि तक के लिए विनोद गेहलोत के नाम से बीमित हैं, तथा प्रार्थी के द्वारा प्रिमियम राशि अप्रार्थी को अदा नहीं की गई हैं, तथा माफिक बीमा कानून के किसी भी बीमित वाहन के बेचान होने या स्थानान्तरण होने पर उसकी सूचना 14 दिन मे बीमा कम्पनी को देकर बीमा पालिसी को ट्रान्सफर शुल्क देकर हस्तान्तरित करवाना आवश्यक है। इस प्रकरण में बीमा पालिसी का हस्तान्तरण नहीं हुआ हैं। तथा नियमानुसार बीमा पालिसी का ट्रान्सफर नही करवाने से कथित दुर्घटना के समय प्रार्थी का अप्रार्थी के साथ प्रिविटी आॅफ काॅन्ट्रेक्ट नहीं था, तथा प्रार्थी दुर्घटना के दिन अप्रार्थी का उपभोक्ता नहीं था। तथा प्रार्थी का वाहन क्षतिग्रस्त होने की सूचना देकर दावा क्लेम पेश करने पर अप्रार्थी को सहयोग करते हूए लॅास एसेसर श्री पकंज शर्मा से लाॅस एसेसमैन्ट करवाया, जिसकी रिपोर्ट के अनुसार क्षति 55901/- रूपयै की हुई, जिस मेसें साल्वेज के 1500/- रूपयै कम करने व टोईगं चार्ज पुनः 1500/- रूपयै जोडने पर देय योग्य राशि 55901/- रूपयै बनी। लेकिन प्रार्थी के बीमित नहीं होने व बीमाधारी के द्वारा वाहन का बेचान कर देने से उसका इंसुरेबल इन्टरेस्ट नहीं रहने से क्लेम पत्रावली बन्द करनी पडी। जिसकी सूचना प्रार्थी को दिनांक 20-08-2012 को रजिस्टर्ड पत्र के जरिये दी जा चुकी हैं। तथा प्रार्थी बीमा क्लेम राशि रूपयै 1,69,705/- मय ब्याज एवं मानसिक व आर्थिक नुकसान के रूपयै 25,000/-, एवं परिवाद व्यय के रूपयै 10,000/-, अप्रार्थी से प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं। इसप्रकार अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी के परिवाद को मय खर्चा खारीज करने का निवेदन किया हैं।
3. हमने उभय पक्षो को जवाब एवं साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने के पर्याप्त समय/अवसर देने के बाद, उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं तर्क-वितर्क सुने, जिन पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन किया, तो हमारे सामने सर्वप्रथम यह विधिक विवाद बिन्दु उत्पन्न होता हैं जिनका निस्तारण करना आवश्यक हैें:-
क्या प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं ? प्रार्थी
उक्त प्रथम विधिक विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। तथा जिला मंच का भी सर्वप्रथम यह कर्तव्य हैं कि वह उक्त विधिक विवाद बिन्दु पर सर्वप्रथम विचार करे, क्यों कि जब तक परिवादी अपने आपको उपभोक्ता होना सिद्व नहीं कर देता, तब तक जिला मंच को परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर सुनवाई करने का क्षैत्राधिकार प्राप्त नहीं होता हैं। प्रार्थी ने उक्त विधिक विवाद बिन्दु को सिद्व करने के लिए परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि वाहन संख्या- आर0 जे0 19 टी0ए0 0998, का बीमा दिनांक 06-03-2011 से दिनांक 05-03-2012 तक था, जिसका प्रिमियम रूपयै 16,117/- प्रार्थी ने अपने प्रतिनिधि विनोद गेहलोत के जरिये द्वारा अदा कर बीमा कवर नोट नं0- 71675208 के जरिये करवाया था। अप्रार्थी ने प्रार्थी के परिवाद का जवाब मय शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किया हैं, कि वाहन संख्या आर0 जे0 19 टी0ए0 0998, विनोद गेहलोत के नाम से बीमित हैं। जिसे प्रार्थी का वाहन बीमित होना नहीं कहा जा सकता हैैं, तथा माफिक बीमा कानून के किसी भी बीमित वाहन के बेचान होने या स्थानान्तरण होने पर उसकी सूचना 14 दिन मे बीमा कम्पनी को देकर बीमा पालिसी को ट्रान्सफर शुल्क देकर हस्तान्तरित करवाना आवश्यक है। इस प्रकरण में बीमा पालिसी का हस्तान्तरण नहीं हुआ हैं। जिस कारण प्रार्थी का अप्रार्थी के साथ प्रिविटी आॅफ काॅन्ट्रेक्ट नहीं था, तथा प्रार्थी दुर्घटना के दिन अप्रार्थी का उपभोक्ता नहीं था।
हमने प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत वाहन की बीमा पाॅलिसी का अवलोकन किया, जिसमें वाहन का बीमा विनोद गेहलोत के द्वारा करवाया गया हैं, तथा वाहन के रजिस्ट्रेशन पत्र की प्रस्तुत प्रति के अवलोकन से दिनांक 17-08-2011 से पूर्व उक्त वाहन के मालिक विनोद गेहलोत के द्वारा वाहन का बीमा कराना सिद्व हैं, तथा प्रार्थी का यह कहना कि विनोद गेहलोत प्रार्थी का प्रतिनिधि होने से बीमा प्रिमियम राशि अप्रार्थी को अदा की थी, यह मानने योग्य नहीं हैं। विनोद गेहलोत ने स्वंय ने वाहन मालिक की हैसियत से अपने नाम बीमा करवाया करवाया था। जो प्रार्थी की ओर से प्रिमियम अदा करना नहीं कहंा जा सकता हैं, तथा न ही माना जा सकता हैं। तथा प्रार्थी ने वाहन का पंजीयन अपने नाम दिनांक 17-08-2011 को हस्तान्तरण करवाया हैं, तथा बीमा पाॅलिसी को ट्रान्सफर कराने का शुल्क प्रार्थी ने अप्रार्थी को अदा किया हो, इस बाबत् पत्रावली पर कोई भी दस्तावेजी सबूत प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। इसप्रकार प्रार्थी एवं अप्रार्थी के मध्य प्रिविटी आॅफ काॅन्ट्रेक्ट होना सिद्व नहीं हो रहा हैं। इस सम्बन्ध में अप्रार्थी अधिवक्ता ने निम्न न्यायिक दृष्टान्त राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली का फैसला दिनांक 16-01-2014 अनवान ज्ीम छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्वण् स्जकण् अध्े ।ाइंतए रिवीजन पिटीशन नं0-3597/2008 में पारित तथा निर्णय दिनांक 22-11-2011 रिवीजन पिटीशन नं0- 2964/2007 अनवान डध्े न्दपजमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्वण् स्जकण् अध्े ळवसप ैतपकींतए में पारित निर्णय व फैसला दिनांक 06-11-2012 डनेीजंु डवीक अध्े छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वण् एवं ब्च्श्र 2009 पेज नम्बर- 13, पर प्रकाशित राज्य आयोग राजस्थान (जयपुर) का फैसला दिनांक 01-05-2009, स्ंसप क्मअप अध्े छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वण् प्रस्तुत किये।
माननीय राष्ट्रीय आयोग के उक्त निर्णयों में यह सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया हैं कि:-
प्द अपमू व ि जीम चतवअपेपवद व ि जीम डवजवत टमीपबसमे ।बज ंदक जीम ज्ंतपिि त्महनसंजपवदे ंदक जीम कमबपेपवदे व ि जीम ैनचतमउम ब्वनतजए प िजीम जतंदेमितमम ंिपसे जव पदवितउे जीम प्देनतंदबम ब्वउचंदल ंइवनज जतंदेमित व ि जीम त्महनसंजपवद ब्मतजपपिबंजम पद ीपे दंउम ंदक जीम चवसपबल पे दवज जतंदेमितमक पद जीम दंउम व ि जीम जतंदेमितममए जीमद जीम पदेनतंदबम ब्वउचंदल बंददवज इम ीमसक सपंइसम जव चंल जीम बसंपउ पद जीम बंेम व ि वूद कंउंहम व ि टमीपबसम
उक्त न्यायिक दृष्टान्तो के प्रकाशन में एवं पत्रावली पर प्रस्तुत दस्तावेजो की प्रतियों से प्रार्थी एवं अप्रार्थी के मध्य प्रिविटी आॅफ काॅन्ट्रेक्ट नहीं होने से प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता होना सिद्व एवं प्रमाणित नहीं होता हैं, तथा प्रार्थी का यह परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्व मैन्टेनेबल नहीं होने से खारिज किये जाने योग्य हैं।
आदेश
अतः प्रार्थी मांगीलाल का परिवाद विरूद्व अप्रार्थी इफको टोकियो जनरल इन्श्योरेन्स, को0 लि0 काॅरपोरेट आफिस 4-5 जी फ्लोर, इफको टाॅवर, प्लाट नं0 3, सैक्टर नं0 29, गुडगांव, हरियाणा । के विरूद्व प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता नहीं होने से परिवाद खारिज किया जाता हैं। खर्चा पक्षकारान अपना-अपना वहन करे।
निर्णय व आदेश आज दिनांक 24-03-2015 को विवृत मंच में लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
मंजू राठौड केशरसिंह राठौड दीनदयाल प्रजापत
सदस्या सदस्य अध्यक्ष
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