Rajasthan

Tonk

cc/108/2014

chuthmal saini - Complainant(s)

Versus

idea salular limited - Opp.Party(s)

navratan sahu

25 Feb 2015

ORDER


चैथमल सैनी बनाम आईडिया सेल्यूलर लि0 कम्पनी
परिवाद संख्या 108/2014
    
25.02.2015

 

 


        दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    परिवादी ने विपक्षी कम्पनी का संक्षेप में यह सेवादोष बताया है कि परिवादी ने विपक्षी कम्पनी की सिम 5-6 वर्ष पूर्व ली थी। दिनांक 23.03.2014 को जब उसमें 110/- रूपयें का बेलंेस बकाया था तब भी बिना सूचना के उसकी सिम बंद कर दी गई पूछने पर कोई जानकारी नही दी गई। विपक्षीगण को अधिवक्ता के जरिये नोटिस भेजा गया तब भी न तो कोई कार्यवाही की न ही सिम चालू की गई। इससे परिवादी को काफी मानसिक संताप हुआ है। 
    विपक्षी कम्पनी के जवाब का सार है कि दूरसंचार विभाग नें 9 अगस्त 2012 को मोबाईल सेवाप्रदाता कम्पनीयों को निर्देश जारी किए जिसके अनुसार जनवरी 2014 में परिवादी के मोबाईल नम्बर की जानकारी दूरसंचार विभाग के टेलीफोन एनफोरसमेंट रिसोर्सस एण्ड माॅनिटरिंग (टर्म) सेल द्वारा मांगी गई तथा 19 मार्च 2014 को आडिट में पाया गया कि परिवादी के कनेक्शन से सम्बन्धित आवेदन फार्म नियमानुसार नही था दिनांक 20.03.2014 को परिवादी को उसके दस्तावेज के सत्यापन के लिए सूचित किया गया तथा दो दिन में पालना करने के लिए अवगत कराया गया लेकिन परिवादी ने अपने दस्तावेजात का सत्यापन नही कराया इसलिए दूरसंचार विभाग के निर्देशानुसार एवं नियमानुसार परिवादी के नम्बर की सेवाऐं दिनांक 22.03.2014 को बंद कर दी गई, जिसमें कोई सेवादोष नही किया गया। परिवादी से प्राप्त नोटिस के तत्काल पश्चात रजिस्टर्ड पत्र के जरिये उसे सूचित किया गया कि अभी-भी सात दिवस में अपने निवास व पहचान सम्बन्धी सत्यापित दस्तावेज प्रस्तुत करके पुनः अपना नम्बर प्राप्त कर सकता है लेकिन परिवादी द्वारा इसकी भी पालना नही की गई। इसलिए विपक्षी कम्पनी का कोई सेवादोष नही है। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षीगण को प्रेषित नोटिस व पोस्टल रसीद एवं विपक्षी कम्पनी से प्राप्त जवाब मय पोस्टल लिफाफा प्रस्तुत किए है। विपक्षी कम्पनी ने साक्ष्य में अधिकृत प्रतिनिधि शीलरतनम अभिजातम के शपथ-पत्र के अलावा दुरसंचार विभाग, भारत सरकार के परिपत्र दिनांक 09.08.2012 एवं परिवादी को प्रेषित मैसेज से सम्बन्धित दस्तावेज की प्रति प्रस्तुत की है। 
    हमने विचार किया।
    विपक्षी कम्पनी के जवाब से स्पष्ट है कि उसने स्वेच्छाचारी तरीके से परिवादी के सिम को बंद नही किया अपितु दूरसंचार विभाग के निर्देशानुसार उसके नम्बर से सम्बन्धित दस्तावेजो की कमियों के कारण व उनकी पूर्ति मैसेज देने के बावजूद निर्धारित अवधि में नही करने पर ही बंद की थी तथा बाद में उसे सूचित भी किया गया कि निर्धारित अवधि में सत्यापित दस्तावेज प्रस्तुत करके परिवादी उसी नम्बर को पुनः ले सकता है, लेकिन परिवादी ने उसकी भी पालना नही की। इसलिए हम पाते है कि सिम बंद होने के लिए स्वयं परिवादी जिम्मेदार है विपक्षी कम्पनी का कोई सेवादोष नही है क्योंकि उसने दूरसंचार विभाग के लाईसेंसी होने के कारण उनके निर्देशों की ही पालना की है। इसलिए परिवाद खारिज होने योग्य है। 
    अतः परिवाद खारिज किया जाता है। 
    आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो। 

विष्णु कुमार गुप्ता          किरण चैरसिया        भगवानदास खण्डेलवाल
   (सदस्य)                  (सदस्या)                 (अध्यक्ष)
    

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