Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/849/2019

VIJAY KUMAR - Complainant(s)

Versus

ICONIC INFRAVENTURE - Opp.Party(s)

23 Mar 2022

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/849/2019
( Date of Filing : 02 Sep 2019 )
 
1. VIJAY KUMAR
flat no-301 b-747 ganpati house sec-c mahanagar
LUCKNOW
...........Complainant(s)
Versus
1. ICONIC INFRAVENTURE
b-3/44 above havells light house vibhuti khand gomti nagar
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Mar 2022
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:   849/2019                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                    श्री अशोक कुमार सिंहसदस्‍य।

         श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।             

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:02.09.2019

परिवाद के निर्णय की तारीख:23.03.2022

 

1.      Vijay Kumar Srivastava (Senior Citizen) Aged about 76 years, S/o Late G.N. Srivastava, R/o Flat No. 301, B 747, Ganpati House, Sector-c, Mahanagar, Lucknow.

2.      Anup Srivastava, Aged about 50 years, S/o Shri Vijay Kumar Srivastava, C/o Flat No. 301, B 747, Ganpati House, Sector c, Mahanagar, Lucknow.

                                                                                       ............Complainants.                                                                                      

                                              Versus

                                                                                              

M/s Iconic Infraventure Pvt. Ltd. Through its appropriate authority,

Present Address-B-3/44, Above Havells Light House, Vibhuti Khand, Gomti Nagar, Lucknow-226010.

                                                                                     ............Opposite Party.                                         

आदेश द्वारा

श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

श्री अशोक कुमार सिंहसदस्‍य।

श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।     

                          निर्णय

  1. परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षी से 11,50,000.00 रूपये मय 18 प्रतिशत ब्‍याज के साथ 3,00,000.00 रूपये की धनराशि काटकर भुगतान कराये जाने एवं क्षतिपूर्ति के रूप में राहत दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया गया है।  
  2. संक्षेप में परिवादी का कथानक यह है कि परिवादी संख्‍या 01 जो कि रिटायर कर्मचारी रहा है तथा पेंशन ही उसकी आय का स्रोत है। विपक्षी एक कारोबारी व्‍यक्ति है जो कि प्‍लाट तथा फ्लैट भिन्‍न-भिन्‍न स्‍कीमों के तहत बनाकर बेचने का कार्य करता है।
  3. परिवादीगण को प्‍लाट खरीदने की आवश्‍यकता हुई तथा पता चला कि आइकोनिक इन्‍फ्रावेन्‍चर प्रा0लि0 फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं तो वह विपक्षी के पास गया और विपक्षी द्वारा उस योजना के तहत उसकी गुणवत्‍ता वगैर: के संबंध में पूर्व की योजना के संबंध में अवगत कराया। उसको ध्‍यान में रखते हुए प्‍लाट संख्‍या 22, 1250 स्‍क्‍वायर फिट     परिवादी संख्‍या 01 और 1250 स्‍क्‍वायर फिट परिवादी संख्‍या 02 के नाम विपक्षी द्वारा आवंटित किया गया। जिसके सापेक्ष में 6,00,000.00 रूपये का भुगतान परिवादीगण द्वारा विपक्षी को किया गया।
  4. विपक्षी द्वारा उक्‍त प्‍लाट के कब्‍जे के संबंध में उपयुक्‍त समय बीत जाने के बाद भी परिवादीगण को प्‍लाट प्रदत्‍त नहीं कराया गया। कुछ दिन बाद परिवादीगण यह जानकर आश्‍चर्य चकित हुए कि उक्‍त परियोजना हेतु जमीन पर कोई विकास कार्य नहीं किया गया था। इस संबंध में परिवादीगण ने विपक्षी से संपर्क किया। विपक्षी द्वारा उक्‍त धनराशि को वापस किये जाने के संबंध में बात की गयी तब विपक्षी द्वारा 7,55,000.00 रूपये जिसमें 6,00,000.00 रूपये मूल धनराशि और 1,55,000.00 रूपये ब्‍याज के साथ वापस करने की बात की और विपक्षी द्वारा कुल तीन चेक संख्‍या 037761 दिनॉंकित 10.10.2012 मुबलिग 3,00,000.00 रूपये,  चेक संख्‍या 037763 दिनॉंकित 22.11.2012 मुबलिग 1,50,000.00 रूपये, चेक संख्‍या 037765 दिनॉंकित 10.02.2013 मुबलिग 1,50,000.00 रूपये,  दिये।
  5. विपक्षी द्वारा चेक दिये जाने के उपरान्‍त भी मेल द्वारा सूचित किया गया कि अभी चेक भुगतान के संबंध में नहीं लगायेगें। जब परिवादीगण द्वारा चेकों को बाद में भुगतान हेतु लगाया गया तो उसमें से 3,00,000.00 रूपये का भुगतान हुआ तथा शेष धनराशि 4,55,000.00 रूपये का भुगतान नहीं हो पाया। क्‍योंकि उक्‍त चेक अनादरित हो गये। विपक्षी के इस कृत्‍य से परिवादीगण एवं उसके परिवार को अत्‍यधिक मानसिक पीड़ा हुई और स्थिति यहॉं तक आ गयी कि उसे परिवाद इस फोरम के समक्ष दाखिल करना पड़ा।
  6. विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: दिनॉंक 18.02.2020 को एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
  7. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में प्‍लाट एग्रीमेंट,  पेमेंट प्‍लान, गणना चार्ट,  प्‍लाट निरस्‍त्रीकरण फार्म तथा चेक के फोटोग्राफ तथा भुगतान नहीं किये जाने के संबंध में प्रमाण दाखिल किया गया है।
  8. मैंने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया। विदित है कि परिवादी द्वारा 11,50,000.00 रूपये के भुगतान हेतु यह परिवाद दाखिल किया गया है और यह कहा गया कि परिवादीगण ने दो प्‍लाट प्‍लाट संख्‍या 22, 1250 स्‍क्‍वायर फिट परिवादी संख्‍या 01 के नाम तथा प्‍लाट संख्‍या 23 1250 स्‍क्‍वायर फिट परिवादी संख्‍या 02 के नाम सेक्‍टर-सी में क्रय किया, और उसके पहले विकास कार्य की प्रतीक्षा की गयी।
  9. उपरोक्‍त तथ्‍यों के दृष्टिगत यह प्रतीत होता है कि विपक्षी द्वारा एक वरिष्‍ठ नागरिक की पेंशन के पैसे को प्राप्‍त कर उसका दुरूपयोग किया तथा उससे मुनाफा अर्जित किया। यह मामला बिल्‍डर के स्‍तर पर Money diversion का बहुत बड़ा उदाहरण है और Investor  तथा जरूरतमंद लोगों के पैसे का दुरूपयोग करते हुए उक्‍त पैसे को अन्‍य स्‍कीम में डायवर्ट किया गया। यह जरूरतमंद लोगों के पैसे को अन्‍यंत्र स्‍कीम में लगाकर मुनाफा कमाने का उदाहरण है।
  10. विपक्षी द्वारा परिवादीगण के प्‍लाट का विकास नहीं किया गया, तब परिवादी ने विपक्षी से कई बार संपर्क भी किया। परिवादीगण को प्‍लाट न देकर परिवादीगण से कह दिया गया कि उक्‍त प्‍लाट निरस्‍त कर दिया गया है। पत्रावली के परिशीलन से भी प्रतीत होता है कि उक्‍त प्‍लाट को कैन्सिल करके 7,55,000.00 रूपये के तीन चेक अलग अलग तिथियों पर दिया जिसमें से कुल 3,00,000.00 रूपये का ही भुगतान हुआ, शेष चेक अनादरित हो गये। चेकों का अवलोकन करने से प्रतीत होता है कि 7,55,000.00 रूपये का चेक परिवादीगण को प्राप्‍त हुआ परन्‍तु कुल 3,00,000.00 रूपये ही उन्‍हें प्राप्‍त हो सके और शेष 4,55,000.00 रूपये प्राप्‍त नहीं हो सके। पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य के अवलोकन से ऐसा कोई भी तथ्‍य प्रकाश में नहीं आया जिससे परिवादी के कथनों पर अविश्‍वास किया जा सके।  अत: परिवादीगण उक्‍त धनराशि एवं मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के लिये क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के हकदार हैं। परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                                आदेश

 

  1. परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है, तथा    विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को मुबलिग 4,55,000.00 (चार लाख पचपन हजार रूपया मात्र) परिवाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा करेंगे। साथ ही साथ मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट एवं वाद व्‍यय के रूप में मुबलिग 15,000.00 (पन्‍द्रह हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। यदि उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

 

 

   (सोनिया सिंह)     (अशोक कुमार सिंह )            (नीलकंठ सहाय)

          सदस्‍य              सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                             लखनऊ।   

  आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

   (सोनिया सिंह)     (अशोक कुमार सिंह)               (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                   अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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