जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-546/2007
संतोश कुमार यादव आत्मज श्री बदलू प्रसाद यादव निवासी मूसानगर रोड स्थान व पोस्ट घाटमपुर, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. एम/एस. आई.सी.आई.सी.आई. बैंक लि0 कार्यालय स्थित आई.सी.आई.सी.आई. टावर एन.बी.सी.सी. प्लेस, भीश्म पितामह मार्ग, प्रगति बिहार नई दिल्ली।
2. षाखा प्रबन्धक, षाखा आई.सी.आई.सी.आई. बैंक लि0 माल रोड, कानपुर नगर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 09.07.2007
निर्णय की तिथिः 08.06.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी को परिवादी के पक्ष में रू0 1,56,839.00 तथा उस पर 2 प्रतिषत प्रतिमाह की दर से ब्याज का भुगतान दिलाये जाने तथा क्षतिपूर्ति एवं नुकसान की भरपाई हेतु रू0 5000.00 एवं मुकद्मा खर्च हेतु रू0 5000.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने विपक्षी से एक इकरारनामा सं0-एल.बी.के.ए.एन. 0005852610 वास्ते क्रय करने ट्रक किया गया था। जिस पर विपक्षी ने परिवादी के हक में ऋण स्वीकृत किया था, जिसके आधार पर परिवादी को चेचिस नं0- 373344ए टी.जेड. 000971 क्रय किया। परिवादी के पक्ष में स्वीकृत ऋण की अदायगी हेतु प्रतिमाह रू0 28,829.00 की 29 किष्तें बनती थीं। इकरारनामा के अनुसार परिवादी के द्वारा प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय किष्तों का भुगतान क्रमषः दिनांक 05.04.06, 05.05.06 एवं 05.06.06 को प्रति
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किष्त रू0 28,829.00 की दर से रू0 86,487.00 विपक्षी को अदा की गयी। परिवादी का उपरोक्त ट्रक जिसका पंजीकरण सं0-यू0पी0-78 ए.टी.-7617 था, दिनांक 15.06.06 को थाना अचलगंज उन्नाव के क्षेत्र से चोरी चला गया, जिसकी प्राथमिकी सं0-270/ 2006 थाना अचलगंज उन्नाव में दर्ज करायी गयी तथा अपराध सं0-405/06 अंतर्गत धारा-379 आई.पी.सी. दर्ज किया गया। जिस पर विवेचक द्वारा अंतिम आख्या दिनांक 24.10.06 को सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत की गयी, जो कि न्यायालय द्वारा दिनांक 11.12.06 को स्वीकार की गयी। दिनांक 15.06.06 को परिवादी का उपरोक्त ट्रक चोरी हो जाने के कारण उसका कारोबार बन्द हो गया, जिससे उसकी आय भी कम हो गयी और परिवादी जुलाई 2006 से निष्चित किष्तों की अदायगी विपक्षी को नहीं कर सका। विपक्षी ने एक पंजीकरण नोटिस दिनांक 23.08.06 परिवादी को भेजी, जिसमें रू0 57,658.00 बकाया होना बताया गया। परिवादी ने विपक्षी को जरिये पंजीकृत डाक दिनांक 09.09.06 को जवाब भेजा। जिसमें ट्रक के चोरी चले जाने की सूचना दी गयी और यह भी स्पश्ट किया गया कि बीमा कंपनी से क्लेम मिलने पर संपूर्ण पैसा जमा कर देगा। बीमा कंपनी द्वारा समस्त औपचारिकताओं एवं कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने के उपरान्त विपक्षीगण को दिनांक 09.05.07 को रू0 8,78,700.00 प्राप्त करा दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 09.05.07 के उपरान्त षेश ऋण की अदायगी तथा खाते को बन्द करने की प्रार्थना के साथ बीमा कंपनी द्वारा प्राप्त रू0 8,78,700.00 का षेश ऋण धनराषि समायोजित कर षेश रूपया परिवादी को वापस करने का अनुरोध किया गया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को दिनांक 14.06.07 को परिवादी के खाते का स्टेटमेंट प्राप्त कराया गया, जिसमें एल.पी.पी. चार्जेज रू0 24,732.00 माह का ब्याज रू0 986.51 एवं इनक्लोजर चार्जेज रू0 32,411.56 एवं ब्याज पेडिंग किष्तों पर रू0 14,868.35 एवं मूल राषि रू0 7,21,861.03 दर्षाया गया। एकाउन्ट स्टेटमेंट में दर्षाया गया एल.पी.पी. चार्जेज माह का ब्याज, इनक्लोजर पूर्णतया गलत दर्षाया गया है। परिवादी उक्त उल्लिखित चार्जेज देने को बाध्य नहीं है और विपक्षी उक्त चार्जेज वादी से
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प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। विपक्षीगण द्वारा जानबूझकर परिवादी को हैरान, परेषान करने की नियत से एकाउन्ट स्टेटमेंट में उक्त धनराषि को जोड़ दिया गया है। जबकि कानूनन विपक्षी, परिवादी से रू0 7,21,861.03 ही वसूल सकता है। चूॅकि बीमा कंपनी द्वारा विपक्षी को रू0 8,78,700.00 का भुगतान कर दिया गया है। इसलिए विपक्षी की नियत में खोट आ गयी है और विपक्षीगण ने वादी का पैसा हड़पने की मंषा से नियमों के विपरीत एकाउन्ट स्टेटमेंट बनाकर रू0 72,998.00 हड़प लिये। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा प्राप्त रू0 8,78,700.00 में मात्र रू0 7,21,861.00 प्राप्त करने का अधिकारी है, षेश धनराषि रू0 1,56,839.00 परिवादी पाने का अधिकारी है, जो कि विपक्षीगण देना नहीं चाहते हैं। फलस्वरूप परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया।
3. विपक्षी की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि यदि परिवादी एवं विपक्षीगण के मध्य ब्याज की दर, ब्याज की कटौती अथवा अन्य चार्जेज को लेकर कोई विवाद है, तो वह दीवानी न्यायालय द्वारा ही निर्णीत किया जा सकता है। फोरम को उपरोक्त तथ्यों से उत्पन्न विवाद को निर्णीत करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। पक्षकारों के मध्य निश्पादित इकरारनामें के अनुसार विवादित चार्जेज परिवादी द्वारा देय है। प्रष्नगत चार्जेज रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया के नियमों के अनुसार तथा पक्षकारों के मध्य निश्पादित अनुबन्ध एवं इकरारनामें के अनुसार लगाये गये हैं। परिवादी, विपक्षी बैंक का कर्जदार है, उपभोक्ता नहीं है। इसलिए भी परिवाद संधार्य नहीं है। परिवादी कोई अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद निरस्त किया जाये।
4. परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है तथा स्वयं के द्वारा परिवाद पत्र में उपरोक्तानुसार उल्लिखित तथ्यों की संपुश्टि की गयी है।
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परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 04.07.07 एवं 26.11.09 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगातय् 1/7 दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में कोई षपथपत्र दाखिल नहीं किया है। लेकिन सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज सं0- 2/1 लगायत् 2/2 दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में विवाद का विशय यह है कि क्या विपक्षीगण परिवादी से एल.पी.पी. चार्जेज रू0 24,732.00 माह का ब्याज रू0 986.51 एवं इनक्लोजर चार्जेज रू0 32,411.56 एवं ब्याज पेडिंग किष्तों पर रू0 14,868.35 एवं मूल राषि रू0 7,21,861.03 के अतिरिक्त प्राप्त करने का अधिकारी है।
परिवादी द्वारा यह कहा गया है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को दिनांक 14.06.07 को परिवादी के खाते का स्टेटमेंट प्राप्त कराया गया, जिसमें एल.पी.पी. चार्जेज रू0 24,732.00 माह का ब्याज रू0 986.51 एवं इनक्लोजर चार्जेज रू0 32,411.56 एवं ब्याज पेडिंग किष्तों पर रू0 14,868.35 एवं मूल राषि रू0 7,21,861.03 दर्षाया गया है। एकाउन्ट स्टेटमेंट में दर्षाया गया एल.पी.पी. चार्जेज माह का ब्याज इनक्लोजर में पूर्णतया गलत दर्षाया गया है। परिवादी उक्त उल्लिखित चार्जेज देने को बाध्य नहीं है। कानूनन परिवादी, विपक्षी से रू0 7,21,861.03 ही वसूल सकता है। बीमा कंपनी द्वारा विपक्षी को रू0 8,78,700.00 का भुगतान कर दिया गया है। विपक्षीगण परिवादी का पैसा हड़पने की मंषा से नियमों के
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विपरीत एकाउन्ट स्टेटमेंट बनाकर रू0 72,998.00 हड़प लिया गया है। परिवादी द्वारा देय रू0 8,78,700.00 में से विपक्षी द्वारा मात्र रू0 7,21,861.00 प्राप्त करने का अधिकारी है। षेश धनराषि रू0 1,56,839.00 परिवादी प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षीगण की ओर से यह कथन किया गया है कि पक्षकारों के मध्य निश्पादित इकरारनामे के अनुसार चार्जेज परिवादी देने को बाध्य है। प्रष्नगत चार्जेज रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के नियमों के अनुसार तथा पक्षकारों के मध्य निश्पादित अनुबन्ध एवं इकरारनामें के अनुसार लगाये गये हैं।
उपरोक्त बिन्दु पर उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से स्पश्ट होता है कि विपक्षी बैंक के द्वारा अभिकथित चार्जेज को स्पश्ट नहीं किया गया है और अपने कथन के समर्थन में अभिकथित इकरारनामा अथवा रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया के अभिकथित किसी नियम का न तो उल्लेख किया गया है और न ही स्वयं की ओर से किये गये तर्कों को साबित करने के लिए कोई प्रलेखीय साक्ष्य दाखिल किया गया है। यहां तक कि विपक्षीगण द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र भी दाखिल नहीं किया गया है। अतः उपरोक्त परिस्थितियों में विपक्षीगण का उपरोक्त कथन स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
पत्रावली के परिषीलन से स्पश्ट होता है कि विपक्षी कंपनी द्वारा परिवादी को रू0 74,427.00 तथा रू0 28,850.00 क्रमषः चेक सं0-005668 दिनांकित 10.07.14 एवं चेक सं0-223439 दिनांकित 17.07.14 प्रस्तुत करके अदा करने की पहल की गयी है, जो कि परिवादी द्वारा स्वीकार नहीं की गयी है और परिवाद को गुण-दोश के आधार पर निर्णीत करने की मांग की गयी है। उक्त तथ्य आदेष दिनाक 14.09.15 से स्पश्ट है। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में स्वयं के षपथपत्र दिनांकित 04.07.07 एवं 26.11.09 तथा प्रलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् 1/7 दाखिल किये गये हैं। विपक्षी की ओर से कोई षपथपत्र भी दाखिल नहीं किया गया है।
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उपरेाक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं साक्ष्यों से परिवादी का कथन सिद्ध साबित होता है। विपक्षीगण का कथन साक्ष्य के अभाव में साबित नहीं है।
उपरोक्तानुसार उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों के विष्लेशणोपरान्त फोरम का यह मत है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादी को बीमा कंपनी द्वारा जमा की गयी धनराषि रू0 8,78,700.00 में से ऋण के रूप में परिवादी द्वारा प्राप्त की गयी धनराषि रू0 7,21,861.00 घटाकर षेश धनराषि रू0 1,56,839.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज तथा परिवाद व्यय दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी को रू0 1,56,839.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करें तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करें।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।