Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/827/10

RAKESH BHATIA - Complainant(s)

Versus

ICICI - Opp.Party(s)

29 Sep 2015

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/827/10
 
1. RAKESH BHATIA
SAKET NAGAR KANPUR NAGAR
...........Complainant(s)
Versus
1. ICICI
THE MALL ROAD KANPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 29 Sep 2015
Final Order / Judgement

 


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    सुधा यादव.....................................................सदस्या
    

उपभोक्ता वाद संख्या-827/2010
राकेष भाटिया पुत्र स्व0 श्री नरेन्द्र कुमार भाटिया निवासी-127/डब्लू-1/ 757, साकेत नगर, कानपुर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1.    षाखा प्रबन्धक, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक लि0 चतुर्थ एवं पंचम तल जे.एस. टावर 16/106, जे0एस0 माल रोड कानपुर-208001
2.    षाखा प्रबन्धक/सम्बंधित अधिकारी (कार लोन सेक्षन) आई.सी.आई.सी.आई. बैंक लि0, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक टावर बांन्द्रा कुर्ला कांप्लेक्स, मुम्बई-400051
                             ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 18.11.2010
परिवाद निर्णय की तिथिः 17.08.2016

डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण को आदेषित किया जाये कि विपक्षीगण अपने द्वारा दिये गये प्रस्ताव पत्र दिनांक 10.06.10 के अनुसार परिवादी का ऋण ;ैमजजसमद्ध तय करे, परिवादी को अदेयता प्रमाण पत्र समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करने के पष्चात प्रदान करें, परिवादी का प्रष्नगत वाहन ऋण से अवमुक्त करें, परिवादी की ओर से ऋण के सम्बन्ध में जमा किये गये आवष्यक प्रपत्र परिवादी को उपलब्ध करायें, परिवादी को हुई असुविधा के लिए रू0 25000.00 तथा परिवाद व्यय रू0 11000.00 अदा करें।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण से कार लोन ऋण खाता संख्या-स्न्ज्ञ।छ. 00010524586 के माध्यम से लिया गया था।  विपक्षीगण  के पत्र दिनांकित 
...........2
...2...

10.06.10 के अनुसार जो कि परिवादी को विपक्षीगण के प्रतिनिधि श्री अनूप के द्वारा प्राप्त हुआ था, रू0 70000.00 का भ्ुगतान करके समाप्त किया जाना था। परिवादी द्वारा रू0 70000.00 लेकर विपक्षी सं0-1 से दिनांक 11.06.10 को संपर्क किया गया और उपरोक्त धनराषि प्राप्त करके अद्येता प्रमाण पत्र परिवादी के हक में जारी करने का निवेदन किया गया, किन्तु विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी पर यह दबाव बनाया गया कि परिवादी उपरोक्त धनराषि पहले जमा कर देवे और जमा करने के 7 दिन बाद अद्ेयता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आये। विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी को उपरोक्त धनराषि जमा करने के 7 दिन पष्चात अद्ेयता प्रमाण पत्र देने का बहाना यह बताया गया कि उसे उच्चाधिकारियों और मुख्यालय से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 के उपरोक्त प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। तदोपरान्त विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी को यह निर्देषित किया गया कि विपक्षी सं0-1 द्वारा अपने उच्चाधिकारियों से तथा अपने मुख्यालय से परिवादी द्वारा रू0 70000.00 जमा करने पर साथ ही साथ अद्ेयता प्रमाण पत्र जारी करने की स्वीकृति प्राप्त होने के पष्चात परिवादी को स्वयं सूचित करेगा। किन्तु विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी को उपरेक्तानुसार कोई सूचना नहीं दी गयी। जबकि परिवादी रू0 70000.00 एकमुष्त जमा करने के लिए हमेषा तैयार रहा है। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 को प्रेशित विधिक नोटिस में तामील कुलिंदा के, ’’लेने से इंकार’’ की टिप्पणी के साथ वापस प्राप्त हुई। परिवादी आज भी विपक्षीगण के पत्र दिनांक 10.06.10 के आलोक में रू0 70000.00 एकमुष्त जमा करने के लिए तैयार है। यदि प्रस्तुत मामले में ऋण अदायगी में कोई विलंब कारित हुआ है, तो उसका उत्तरदायित्व विपक्षी का है। परिवादी को विपक्षीगण के द्वारा अनावष्यक तंग एवं परेषान किया गया है। परिवादी के द्वारा मांग करने के बावजूद विपक्षी सं0-1 द्वारा ऋण स्वीकृति से सम्बन्धित कोई भी प्रपत्र परिवादी को उपलब्ध नहीं कराये गये। जिसके सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 द्वारा यह बताया गया कि यह दैनिक प्रक्रिया है। उपरोक्तानुसार विपक्षीगण के द्वारा सेवा में कमी कारित
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की गयी है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में अंकित अंतरवस्तु का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा ऋण के बकाये का रू0 70000.00 विपक्षीगण को इस आधार पर नहीं दिया गया कि विपक्षीगण परिवादी को तुरंत ही धन जमा करने के साथ ही अद्ेयता प्रमाण पत्र जारी करे। जिससे परिवादी की दुर्भावनाग्रस्त मंषा स्पश्ट होती है। अब परिवादी के विरूद्ध रू0 3,08,249.00 दिनांक 02.09.11 तक बनता है। उपरोक्त कारणों से परिवादी का परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 18.11.10, 04.11.11 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1/1 लगायत् 1/7, सूची कागज सं0-3 के साथ संलग्न कागज सं0-3/1 लगायत् 3/7 दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में अमित कुमार का षपथपत्र दिनांकित 03.10.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-2/1 लगायत् 2/13 एवं कागज सं0-4/1 लगायत् 4/5 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
6.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध षपथपत्रीय साक्ष्य व अभिलेखीय  साक्ष्यों के सम्यक  परिषीलन से  विदित 
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होता है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में, विपक्षी सं0-1 के द्वारा परिवादी के हक में निर्गत पत्र दिनांक 10.06.10 की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है। जिससे यह स्पश्ट होता है कि स्वयं विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी को रू0 70000.00 जमा करके प्रष्नगत ऋण से सम्बन्धित समस्त देयक को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में यह कथन किया गया है कि परिवादी रू0 70000.00 लेकर विपक्षी सं0-1 के यहां दिनांक 11.06.10 को पहुॅच गया और विपक्षीगण के द्वारा वांछित धनराषि जमा करने के साथ-साथ ही विपक्षी से अद्ेयता प्रमाण पत्र की मांग की गयी। विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा के पेज-3 प्रस्तर-2 से भी परिवादी के उपरोक्त कथन की पुश्टि होती है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के द्वारा ऋण से सम्बन्धित वांछित धनराषि रू0 70000.00 जमा करने के साथ ही साथ अदे्यता प्रमाण पत्र प्राप्त करने का उसका अधिकार बनता है। इस प्रकार परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 से कोई अवैधानिक मांग नहीं की गयी हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि स्वयं विपक्षीगण के द्वारा कतिपय तथ्य को छिपाया गया है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत रजिस्ट्री रसीद दिनांक 18.06.10 से परिवादी के इस कथन की पुश्टि होती है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण को विधिक नोटिस भेजी गयी है, जिसके बाद भी विपक्षीगण के द्वारा स्वयं के द्वारा प्रेशित पत्र दिनांक 10.06.10 के प्रस्ताव को पूर्ण करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। विपक्षीगण की ओर से अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र के साथ प्रष्नगत ऋण समव्यवहार का विवरण प्रस्तुत किया गया है। विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त ऋण समव्यवहार से परिवादी की ओर से किये गये किसी कथन का कोई खण्डन नहीं होता है। विपक्षीगण की ओर से विधि निर्णय एस0 चोकालिंगम बनाम चीफ जनरल मैनेजर स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया ड।छन्ध्ज्छध्1146ध्2010ए तमिलनाडु इण्डस्ट्रियल इनवेस्टमेंट कार्पोरेषन लि0 बनाम मिलेनियम बिजनेस साल्यूषन प्रा0लि0 ड।छन्ध्ज्छध् 1478ध्2004 में मा0 उच्च न्यायालय मद्रास के द्वारा पारित विधिक सिद्धांत 
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की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 उच्च न्यायालय द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि मा0 न्यायालय किसी भी पक्ष को समझौते के लिए बाध्य नहीं कर सकता है और यह भी कहा गया है कि न्यायालय को पक्षकारों के मध्य हुए अनुबन्ध को परिवर्तित करने का कोई अधिकार नहीं होता है। मा0 न्यायालय का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले के तथ्यों की भिन्नता के कारण प्रस्तुत मामले में लागू नहीं होता है। क्योंकि प्रस्तुत मामले में स्वयं विपक्षीगण द्वारा एकमुष्त समाधान का प्रस्ताव परिवादी को भेजा गया है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार उभयपक्षों की ओर से किये गये कथन व उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों के सम्यक विष्लेशणोपरान्त फोरम इस मत का है कि प्रस्तुत मामले में विपक्षीगण के द्वारा स्वयं अपने द्वारा प्रेशित प्रस्ताव पत्र दिनांकित 10.06.10 का अनुपालन न करके सेवा में कमी कारित की गयी है। अतः परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किये जाने योग्य है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण के द्वारा प्रेशित प्रस्ताव पत्र दिनांक 10.06.10 के आलोक में रू0 70000.00 अदा करने पर विपक्षीगण परिवादी को प्रष्नगत ऋण के सम्बन्ध में अद्येता प्रमाण पत्र उसी दिन उपलब्ध करायें, प्रष्नगत ऋण से सम्बन्धित अन्य औपचारिकतायें पूर्ण करें तथा परिवाद व्यय अदा करे। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।    
ःःःआदेषःःः
7.     उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस अषय से स्वीकार किया जाता है कि         प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन  के अंदर परिवादी,  विपक्षी सं0-1 
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को, विपक्षी सं0-1 के द्वारा प्रेशित पत्र दिनांक 10.06.10 के आलोक में रू0 70000.00 अदा करे, विपक्षीगण उसी दिन परिवादी को प्रष्नगत ऋण से सम्बन्धित अद्ेयता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराये, परिवादी का प्रष्नगत वाहन ऋण से अवमुक्त करें, परिवादी के मूल प्रपत्र वापस करे तथा परिवाद व्यय के रूप में रू0 5000.00 भी अदा करे।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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