जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी...................वरि.सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-765/2012
राजीव यादव पुत्र श्री जी0सी0 यादव निवासी भवन सं0-53 बी, सादुल्लापुर पी.ए.सी. मोड़ जी0टी0 रोड थाना-चकेरी कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. आई.सी.आई.सी.आई. बैंक षाखा जे.एस. टावर माल रोड कानपुर नगर द्वारा षाखा प्रबन्धक।
2. मे0 श्री सिद्ध सन्स स्थित 63/3 दि माल कानपुर नगर द्वारा प्रोपराइटर/पार्टनर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 27.12.2012
निर्णय की तिथिः 27.01.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा प्रेशित बिल से ब्याज तथा सेवा कर में मांगी गयी धनराषि रू0 5375.16 को निरस्त किया जाये तथा अग्रिम बिलों में उपरोक्त धनराषि तथा उस पर ब्याज व सेवा कर न लगाने से निर्देषित किया जाये। विपक्षीगण द्वारा सेवा में की गयी कमी तथा षारीरिक एवं मानसिक त्रास एवं भागदौड़ व मोबाइल पर किये गये व्यय में परिवादी को रू0 55000.00 दिलाया जाये तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि परिवादी ने दिनांक 01.10.11 को विपक्षी सं0-2 मे0 श्री सिद्ध सन्स 63/3 दि माल कानपुर नगर से एक सोनी डिजिटल कैमरा-एस. 300/एस क्रय किया था, जिसका बिल विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी को रू0 4490.00 का दिया गया था। परिवादी तथा विपक्षी सं0-2 के मध्य तयषुदा षर्तानुसार
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परिवादी को उपरोक्त बिल का भुगतान अपने क्रेटिड कार्ड के माध्यम से 6 साधारण मासिक किष्तों में किया जाना था। परिवादी तथा विपक्षी सं0-2 के मध्य तयषुदा षर्तों के अनुसार उपरोक्त किष्तों के अनुसार परिवादी को रू0 748.34 की किष्तों में भुगतान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से आई.सी.आई.सी.आई. बैंक के माध्यम से करना था। परिवादी को विपक्षी सं0-1 से प्रेशित बिल दिनांकित 29.11.11 प्राप्त हुआ, जिसमें किष्त धन के साथ रू0 471.41 ब्याज तथा सेवा कर रू0 48.56 जोड़कर बिल प्रेशित किया गया था। परिवादी ने उपरोक्त बिल का भुगतान दिनांक 20.12.11 को ब्याज तथा सेवाकर की धनराषि काटकर अदा किया तथा विपक्षी सं0-2 से मोबाइल नं0- 9936218000 पर उपरोक्त के सम्बन्ध में बात की तो विपक्षी सं0-1 के अधिकारी द्वारा परिवादी को यह बताया गया कि परिवादी डीलर से बात कर ले। जब परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से बात की तो उन्होंने कहा कि हम बिल ठीक करवा देंगे। किन्तु आज तक उपरोक्त बिल में कोई संषोधन नहीं किया गया तथा विपक्षी सं0-1 द्वारा बाद के प्रेशित बिलों में भी बकाया धनराषि पर ब्याज तथा सेवा कर जोड़कर बिल प्रेशित किये गये हैं। विपक्षी सं0-1 का उपरोक्त कृत्य सेवा में घोर कमी को परिलक्षित करता है। परिवादी विपक्षीगण से बात करता रहा, हर बार परिवादी को आष्वासन दिया गया कि अगले बिल संषोधित करके भेजे जायेंगे तथा हुई त्रुटि का निवारण कर दिया जायेगा। परिवादी उपरोक्त के सम्बन्ध में सभी किष्तों का भुगतान कर चुका है, परन्तु विपक्षी सं0-1 अब भी उपरोक्त के सम्बन्ध में ब्याज तथा सेवाकर का अतिरिक्त भार रू0 5375.16 की मांग बिल के माध्यम से कर रहा है, जिसके भुगतान का उत्तरदायित्व परिवादी पर नहीं है। परिवादी का विपक्षीगण के कार्यालय का चक्कर लगाने तथा भागदौड़ में रू0 5000.00 व्यय हो चुका है और मानसिक व षारीरिक उत्पीड़न भी हुआ है। अतः विपक्षीगण रू0 5000.00 भागदौड़ तथा रू0 50000.00 आर्थिक एवं मानसिक उत्पीड़न के लिए परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करने के लिए उत्तरदायी हैं। अतः विवष होकर परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
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3. विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में अंकित अंतरवस्तु का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा धारा-7 में कहा गया है कि दिनांक 29.11.11 में विपक्षी सं0-1 द्वारा किष्त धन के साथ रू0 471.40 ब्याज तथा रू0 48.56 सेवा कर जोड़कर बिल प्रेशित किया गया है-स्पश्ट नहीं लिया गया है। बैंक विवरण में स्पश्ट रूप से अंकन है कि परिवादी द्वारा क्रेटिड लिमिट का इस्तेमाल किया गया है, परन्तु भुगतान समय से पूर्ण नहीं किया गया है। इसलिए यह ब्याज व सेवाकर उत्पन्न हुआ, जिसे परिवादी इसे किष्त के साथ जुड़ा हुआ बताता है। परिवादी द्वारा यह भी कहा गया है कि ब्याज व सेवा कर को काटकर उसके द्वारा भुगतान किया गया है और पुनः जब अगले बिल आये तो उसमें ब्याज व सेवाकर जोड़कर फिर से परिवादी को बिल भुगतान का अंषदाता माना जाता है। इसे सेवा में कमी नहीं कहा जा सकता है। बाकीदारी से उत्पन्न ब्याज व सेवाकर की मांग विधि विरूद्ध
4. विपक्षी सं0-2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में अंकित अंतरवस्तु का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी ने उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 से सोनी उत्पाद क्रय किया, लेकिन आई.सी.आई.सी.आई. बैंक ने पूर्ण भुगतान की मांग की। अतः यह विवाद परिवादी एवं विपक्षी सं0-1 के मध्य का है। उत्तरदाता विपक्षी का इस विवाद से कोई सम्बन्ध या सरोकार नहीं है। क्योंकि जिस स्कीम के अंतर्गत परिवादी ने सोनी के उत्पाद को क्रय किया था, उक्त उत्पादन से सम्बन्धित किसी भी स्कीम का विपक्षी सं0-2 से कोई वास्ता या सरोकार नहीं है और न ही विपक्षी सं0-2 का किसी ब्याज या सेवाकर से कोई सम्बन्ध है। विपक्षी सं0-2 मात्र डीलर है। विपक्षी सं0-2 को अनावष्यक पक्षकार बनाया गया है। अतः विपक्षी सं0-2 के प्रति परिवाद खारिज किया जाये।
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परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 26.12.12 व 09.10.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सेल इनवायस की प्रति, बैंक स्टेटमेंट की प्रतियां एवं उत्पाद प्रकाष से सम्बन्धित अभिलेख की प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में अमित कुमार विधि प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 12.08.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में अनुबन्ध पत्र कागज सं0-1 लगायत् 6 की प्रतियां, स्कीम डिटेल की प्रति, ई.एम.आई. की पत्र की प्रति, तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7. विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन में अरूण मेहरोत्रा, डायरेक्टर का षपथपत्र दिनांकित 18.01.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में रसीद स्वैप मषीन की प्रति दाखिल किया है।
निष्कर्श
8. फोरम द्वारा उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं विपक्षी सं0-1 द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा विपक्षी सं0-1 की ओर प्रस्तुत लिखित बहस एवं पत्रावली में उपलब्ध समस्त साक्ष्यों के अवलोकन से स्पश्ट होता है कि परिवादी द्वारा यह तर्क किये गये हैं कि परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से एक डिजिटल कैमरा एस. 300/एस क्रय किया गया, जिसकी कीमत रू0 4490.00 थी। परिवादी तथा विपक्षी सं0-2 के मध्य किये गये इकरारनामे के अनुसार परिवादी को उपरोक्त बिल का भुगतान अपने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से रू0 748.34 की प्रति किष्त के हिसाब से 6 साधारण मासिक किष्तों में उक्त कैमरे का मूल्य विपक्षी सं0-1 बैंक के माध्यम से करना था। परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र के
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अतिरिक्त सेल इनवायस प्रस्तुत की गयी है। सेल इनवायस से स्पश्ट होता है कि प्रष्नगत कैमरे की कुल कीमत रू0 4490.00 है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अन्य प्रलेखीय साक्ष्य संलग्नक-2 लगायत 4/2 से स्पश्ट होता है कि परिवादी द्वारा उपरोक्त समस्त कीमत अदा की जा चुकी है। अब विवाद का विशय यह है कि विपक्षी सं0-1 प्रत्येक किष्त के साथ ब्याज और सेवाकर लगाकर बिल भेज रहा है, जो कि उभयपक्षों के मध्य षर्तों के विपरीत है-यह परिवादी का कथन है। जबकि विपक्षी सं0-1 का यह कहना है कि सेवा षर्तों के अनुसार परिवादी को ब्याज तथा सेवाकर भी अदा करना होगा। इस सम्बन्ध में विपक्षी सं0-2 का कथन यह है कि उक्त स्कीम के अनुसार यदि क्रेता सोनी व आई.सी.आई.सी.आई. बैंक के क्रेडिट कार्ड से क्रय करेगा, तो ऐसी अवस्था में उसका उत्पादन/माल का भुगतान 6 किष्तों में विभाजित हो जायेगा, जिससे यह स्पश्ट होता है कि विपक्षी सं0-2 द्वारा कोई अभिकथित इकरारनामा परिवादी के साथ नहीं किया गया। किन्तु विपक्षी सं0-2 के कथन से स्पश्ट होता है कि परिवादी द्वारा उपरोक्त अभिकथित इकरारनामा के अनुसार प्रष्नगत डिजिटल कैमरा क्रय किया गया था। विपक्षी सं0-1 की ओर से अपने कथन के समर्थन में सूची के साथ अभिकथित अनुबन्ध पत्र 1 लगायत् 6 प्रस्तुत किये गये हैं, जिसमें आवेदन पत्र सं0-81432 अंकित है। किन्तु उक्त प्रपत्र से यह सिद्ध नहीं होता है कि क्रेता को प्रष्नगत ब्याज व सेवाकर प्रत्येक किष्त के साथ अदा करनी होगी। विपक्षी सं0-1 की ओर से उपरोक्त अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत करके यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा अभिकथित षर्त उन मामलों में लागू होती है, जिन मामलों में क्रेता द्वारा कम से कम रू0 5000.00 की कीमत की वस्तु ली गयी हो। परिवादी द्वारा मात्र रू0 4490.00 की कीमत का कैमरा लिया गया है। अतः प्रस्तुत मामले में उपरोक्त षर्त लागू नहीं होती है। जबकि विपक्षी सं0-2 की ओर से सूची के साथ एक छायाप्रति रसीद स्वैप मषीन दिनांकित 11.10.11 प्रस्तुत करके यह कहा गया है कि प्रष्नगत कैमरा परिवादी द्वारा रू0 4490.00 का लिया गया है। जिसमें विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिकथित इकरारनामे की षर्त लागू नहीं होती है। विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत
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किये गये दस्तावेजी साक्ष्य में रू0 4490.00 अंकित है। उक्त प्रपत्र में 6 किष्तों में अदायगी का भी प्रकाषन किया गया है। उक्त प्रपत्र में दिनांक 11.10.11 अंकित है। विपक्षी सं0-2 प्रष्नगत कैमरे के डीलर द्वारा भी परिवादी के कथन का समर्थन किया गया है तथा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र भी प्रस्तुत किया गया है।
उपरोक्तानुसार उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये तर्कों तथा साक्ष्यों के सम्यक परिषीलनोपरान्त फोरम का यह मत है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा यह सिद्ध नहीं किया जा सका है कि किसी षर्त के अनुसार परिवादी को प्रष्नगत किष्तों के साथ ब्याज एवं सेवाकर भी अदा करना था। परिवादी तथा विपक्षी सं0-2 की ओर से किये गये कथन तथा प्रस्तुत किये गये षपथपत्रीय व अभिलेखीय साक्ष्यों से यह सिद्ध होता है कि परिवादी को प्रष्नगत कैमरे के सम्बन्ध में तयषुदा कीमत रू0 4490.00 6 मासिक किष्तों में अदा करनी थी, जो कि उसके द्वारा अदा की जा चुकी है। अतः अब उपरोक्त के अतिरिक्त कोई भी धनराषि विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी से मांगना अनुचित व्यापार-व्यवहार की कोटि में आता है।
उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श से फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किये जाने योग्य है कि विपक्षी सं0-1 अथवा विपक्षी सं0-2 द्वारा भविश्य में प्रष्नगत कैमरे के सम्बन्ध में कोई अतिरिक्त बिल अब नहीं भेजा जायेगा और न अन्य किसी प्रकार की मांग की जायेगी। विपक्षी सं0-1 परिवादी को परिवाद व्यय भी अदा करेगा। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का प्रष्न है-उक्त अन्य याचित उपषम के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा कोई सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी का प्रस्तुत परिवाद अन्य याचित उपषम के लिए स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
9. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर
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विपक्षी सं0-1, परिवादी को परिवाद व्यय रू0 5000.00 तथा उसके द्वारा किये गये अन्य व्यय एवं भागदौड़ के लिए रू0 3000.00 कुल रू0 8000.00 (रू0 आठ हजार मात्र) अदा करे तथा भविश्य में प्रष्नगत कैमरे के सम्बन्ध में किसी प्रकार का कोई बिल नहीं प्रेशित करेगा।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।