राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-397/2020
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 55/2019 में पारित आदेश दिनांक 21.10.2020 के विरूद्ध)
श्रीमती रजनी देवी पत्नी श्री सुरेन्द्र प्रताप सिंह निवासी ग्राम बरतरा तहसील व जिला-फिरोजाबाद।
..................अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम
आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्बार्ड जनरल इन्श्योरेन्स कं0लि0, आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्बार्ड हाउस 414 वीर सावरकर मार्ग निकट सिद्धि विनायक मन्दिर प्रभा देवी, मुम्बई-400025
............प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री इस्तेखार हसन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्रीमती सुचिता सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 12.12.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-55/2019 श्रीमती रजनी देवी बनाम आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.10.2020 के विरूद्ध योजित की गयी।
अपील की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री इस्तेखार हसन एवं प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्रीमती सुचिता सिंह को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध
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समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पिता द्वारा उसकी शादी में जस्सी मोटर राधारमण रोड मैनपुरी उत्तर प्रदेश हीरो मोटो कार0 लिमिटेड से परिवादिनी के नाम से दिनांक 18.03.2016 को एक मोटर साईकिल 49,300/-रू0 में क्रय किया था, जिसका मॉडल स्पेन्डर प्लस डी0आर0एस0कास्ट ग्रे ब्लैक इंजन नं0 HA10ERGHC11590 व चैसिस नं0 MBLHA10CGHC11263 था तथा उसी दिन विपक्षी बीमा कम्पनी से उक्त वाहन का बीमा दिनांक 18.03.2016 से दिनांक 17.03.2017 तक की अवधि हेतु कराया गया। उक्त वाहन का टेम्परेरी रजि0नं0 यू0डी0ए0 0009829 जिला सम्भागीय अधिकारी द्वारा दिनांक 21.03.2016 को जारी किया गया था।
परिवादिनी का कथन है कि प्रश्नगत वाहन दिनांक 07.03.2017 को 02:30 बजे दिन में परिवादिनी के ससुर रविशंकर पुत्र श्री विधाराम अपने खेत में आलू खुदाई के समय खाना लेकर गए थे तथा सड़क किनारे एक खेत दूर उक्त वाहन खड़ा करके जब खाना देने गए तभी अज्ञात चोर द्वारा प्रश्नगत वाहन को चुरा लिया गया, जिसकी सूचना थाना नरखी में दिनांक 09.03.2017 को कागजों के अभाव में परिवादिनी के ससुर द्वारा अपराध सं0 270/2017 अन्तर्गत धारा 379 आई0पी0सी0 दर्ज करायी गयी तथा परिवादिनी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी व जिला सहायक संभागीय अधिकारी मैनपुरी को पंजीकृत डाक द्वारा दिनांक 06.12.2018 को सूचना प्रेषित की गयी। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा घटना के दो तीन दिन बाद प्रश्नगत वाहन से सम्बन्धित समस्त औपचारिकतायें पूर्ण कर मोटरसाईकिल की दूसरी चाबी व समस्त कागजात परिवादिनी से प्राप्त किए गए। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम का भुगतान न किए जाने पर परिवादिनी द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी बीमा
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कम्पनी को विधिक नोटिस दिनांक 06.02.2019 को प्रेषित की गयी, परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रश्नगत वाहन की बीमित धनराशि अदा नहीं की गयी। अत: क्षुब्ध होकर परिवादिनी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया तथा मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार व वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। जिला उपभोक्ता आयोग को परिवाद की सुनवाई का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है। प्रश्नगत वाहन चोरी की तिथि पर पंजीकृत नहीं था, जिस कारण पालिसी की शर्तों व दावा भुगतान नियमों के अन्तर्गत पत्र दिनांक 19.09.2017 के द्वारा बीमा दावा निरस्त किया गया, जिसकी सूचना परिवादिनी को दी गयी। बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी अथवा त्रुटि नहीं की गयी। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त समस्त तथ्यों की विस्तृत रूप से विवेचना करते हुए यह पाया गया कि प्रश्नगत वाहन घटना के समय पंजीकृत न होने के कारण बीमा के मौलिक शर्त के उल्लंघन की श्रेणी में आता है, अत: विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम निरस्त कर सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। अत: परिवादिनी कोई अनुतोष पाने की अधिकारिणी नहीं है।
तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद को निरस्त किया गया।
अपीलार्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी का बीमा
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क्लेम निरस्त कर सेवा में कमी की गयी है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्मत नहीं है, जो अपास्त किए जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्मत है, जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। प्रश्नगत वाहन चोरी की घटना के समय पंजीकृत नहीं था, जिस कारण बीमा कम्पनी द्वारा नियमानुसार बीमा क्लेम निरस्त कर सेवा में कोई कमी नहीं की गयी।
प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने तर्क के समर्थन में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा United India Insurance Co. Ltd. Versus Sushil Kumar Godara 2021 SCC OnLine SC 844 में पारित विधि व्यवस्था उल्लिखित की गयी, जिसका प्रस्तर 13 निम्नवत् है:-
“In the present case, the temporary registration of the respondent’s vehicle had expired on 28-07-2011. Not only was the vehicle driven, but also taken to another city, where it was stationed overnight in a place other than the respondent’s premises. There is nothing on record to suggest that the respondent had applied for registration or that he was awaiting registration. In these circumstances, the ratio of Narinder Singh (supra) applies, in the opinion of this court. That Narinder Singh (supra) was in the context of an accident, is immaterial. Despite this, the respondent plied his vehicle and took it to Jodhpur, where the theft took place. It is of no consequence, that the car was not plying on the road, when it was stolen; the material fact is that concededly, it was driven to the place from where it was stolen, after the expiry of temporary registration. But for its theft, the respondent would have driven back the vehicle. What is important is this Court’s opinion of the law, that when an insurable incident that potentially results in liability occurs, there should be no fundamental breach of the conditions contained in the contract of insurance. Therefore, on the date of theft, the vehicle had been driven/used without a valid registration, amounting to a clear violation of Sections 39 and 192 of the Motor Vehicles Act, 1988. This results in a fundamental breach of the terms and conditions of the policy, as held by this Court in Narinder Singh (supra), entitling the insurer to repudiate the policy.”
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माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित उपरोक्त विधि व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्यर्थी/विपक्षी की विद्वान अधिवक्ता के तर्क में बल पाया जाता है।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता
आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किया गया, जिसमें मेरे विचार से किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1