जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-02/2010
श्यामलली पत्नी स्व0 राम प्रताप निवासिनी ग्राम तोरोमाफी दराबगंज, तहसील बीकापुर जनपद फैजाबाद। .............. प्रार्थिनी/परिवादिनी
बनाम
1. आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्बार्ड जनरल इंश्यारेन्स कम्पनी लिमिटेड सत्या बिजनेस पार्क हजरतगंज लखनऊ द्वारा प्रबन्धक।
2. उ0प्र0 सरकार द्वारा जिलाधिकारी फैजाबाद। .............. विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 30.01.2016
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादिनी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति राम प्रताप पुत्र कैलाशपति किसान थे तथा घर पर रह कर खेती बारी कर रहे थे। परिवादिनी के पति लघु वर्ग कृषक थे और खेती से ही अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के कृषकों का बीमा कराया था जिसकी सीमा एक लाख थी और विपक्षी संख्या 1 ने उक्त बीमा किया था। परिवादिनी के पति की मृत्यु दुर्घटना में दिनांक 05.05.2005 को सुबह 7 बजे रेलवे मोड़ बीकापुर में मिनी ट्रक की टक्कर से हो गयी। परिवादिनी के साथ साथ मृतक के दो पुत्र श्रीनिवास व रामनिवास परिवादिनी के साथ रहते हैं और एक मात्र वारिस एवं उत्तराधिकारी हैं जिनका आपस में परिवादिनी से कोई विराध नहीं है। मृतक राम प्रताप के क्रिया कर्म के बाद उचित माध्यम से बीमा दावा विपक्षी संख्या 1 को पेश किया तथा उन्हें सारे कागजात उपलब्ध कराये। पूर्व में नौकरी की सेवा पुस्तिका, जन्म तिथि प्रमाण पत्र, जिसमें मृतक की जन्म तिथि 05.01.1937 अंकित है का उल्लेख है। मगर विपक्षी बीमा कम्पनी ने क्लेम के बारे में परिवादिनी को कोई सूचना नहीं दी। परिवादिनी ने क्लेम के बारे में जनसूचना अधिकार अधिनियम सन 2005 के अधीन सूचना मांगी तो पता लगा कि बीमा कम्पनी ने परिवादिनी का बीमा दावा यह कह कर खारिज कर दिया कि मृतक की मृत्यु दिनांक 05-05-2005 को हुई है और उस दिन परिवादिनी के पति की आयु 70 वर्ष से अधिक थी। परिवादिनी ने बार बार विपक्षी बीमा कम्पनी को बताया कि परिवादिनी के पति की आयु 70 वर्ष से कम थी मगर वह मानने को तैयार नहीं हुए। इसलिये परिवादिनी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादिनी को विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमा दावा की रकम रुपये 1,00,000/-, 12 प्रतिशत ब्याज, क्षतिपूर्ति रुपये 50,000/- तथा परिवाद व्यय दिलाया जाय।
विपक्षी संख्या 1 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादिनी के पति का कृषक होना, बीमा होना तथा दुर्घटना मंे मृत्यु होना स्वीकार किया है। परिवादिनी द्वारा बीमा दावा प्रस्तुत किया जाना भी स्वीकार है। परिवादिनी के बीमा दावा की सूचना जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से बीमा दावा के लिये दिनांक 01.07.2005 को विपक्षी उत्तरदाता को पता लगा और मृतक को 70 वर्ष से अधिक की आयु पाये जाने के आधार पर परिवादिनी का बीमा दावा निरस्त कर दिया गया। परिवादिनी उत्तरदाता की उपभोक्ता नहीं है और उत्तरदाता ने अपनी सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की है। परिवादिनी द्वारा दिये गये कागजात, मेडिकल रिपोर्ट के साक्ष्य और विस्तृत जांच में पाया गया कि परिवादिनी के पति की आयु 70 वर्ष से अधिक थी। इसलिये परिवादिनी बीमा पालिसी का लाभ नहीं पा सकती है। बीमा उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय राज्य पाल महोदय द्वारा कराया गया था और अनुबन्ध राज्य सरकार के साथ था, इसलिये परिवादिनी उत्तरदाता की उपभोक्ता नहीं है। परिवादिनी का बीमा दावा आयु के आधार पर दिनांक 01.07.2005 को निरस्त कर दिया गया था जिसमें उत्तरदाता ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। चूंकि बीमा पालिसी वर्ष 2006 में समाप्त हो गयी है और परिवाद वर्ष 2010 में दाखिल किया गया है जो काल बाधित है। इसलिये परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
विपक्षी संख्या 2 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा तथा परिवादिनी के पति का कृषक होना, बीमा होना तथा दुर्घटना मंे मृत्यु होना स्वीकार किया है। परिवादिनी द्वारा बीमा दावा प्रस्तुत किया जाना भी स्वीकार है। परिवादिनी के बीमा दावा की सूचना उत्तरदाता द्वारा सभी कागजातांे के साथ विपक्षी संख्या 1 के पास भेजा गया था। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत किये गये अभिलेखों के आधार पर परिवादिनी के पति की आयु 70 वर्ष से अधिक थी। परिवादिनी उत्तरदाता से किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति पाने की अधिकारिणी नहीं है। परिवादिनी उत्तरदाता की उपभोक्ता नहीं है। भारत एक लोक कल्याणकारी राज्य है इस कारण पंजीकृत किसानों की मृत्यु पर दावे में सहायता का कार्य करता है। परिवादिनी का बीमा दावा 2005 में ही निरस्त हो गया था और परिवादिनी ने अपना परिवाद 5 वर्ष बाद दाखिल किया है जो काल बाधित है। उत्तरदाता के विरुद्ध परिवादिनी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
पत्रावली का भली भंाति परिशीलन किया। परिवादिनी ने अपने परिवाद के समर्थन मंे शपथ पत्र, जनसूचना अधिकार अधिनियम सन 2005 के अधीन परिवादिनी को विपक्षी संख्या 2 द्वारा दी गयी सूचना पत्र दिनांक 09.05.2008 की छाया प्रति, परिवादिनी के पत्र दिनांक 19-09-2006 की छाया प्रति, परिवादिनी ने पत्र दिनांक 27.04.2006 की छाया प्रति, मृतक के नियोजक द्वारा जारी परिचय पत्र की छाया प्रति व मूल परिचय पत्र, मृतक के सेवा योजक द्वारा जारी आयु प्रमाण पत्र की मूल प्रति, मृतक के वोटर आई0डी0 की छाया प्रति व मूल वोटर आई0डी0, मृतक की सेवा पुस्तिका में परिवादिनी का नाम नामिनी के रुप में अंकित की छाया प्रति, मृतक के मृत्यु प्रमाण पत्र की छाया प्रति, परिवादिनी के पति के पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छाया प्रति, परिवादिनी का साक्ष्य में शपथ पत्र, परिवादिनी की लिखित बहस, परिवादिनी के पक्ष के समर्थन में सुरेश चन्द्र पाण्डेय पुत्र राम चन्दर पाण्डेय का शपथ पत्र, परिवादिनी के पक्ष के समर्थन में श्री निवास पाण्डेय पुत्र स्व0 राम प्रताप पाण्डेय का शपथ पत्र, परिवादिनी के पक्ष के समर्थन मंे ओम प्रकाश आयु लगभग 55 साल पुत्र राम उजागिर का शपथ पत्र, परिवादिनी के पक्ष के समर्थन में भानमती पत्नी राम सुदर्शन का शपथ पत्र तथा बीमा के सम्बन्ध में शासनादेश संख्या 2276/1.9.2005-962एल.सी./2005 दिनांक 16 सितम्बर 2005 की छाया प्रति दाखिल की है जो शामिल पत्रावली है। विपक्षी संख्या 1 ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना लिखित कथन दाखिल किया है जो शामिल पत्रावली है। विपक्षी संख्या 2 ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन दाखिल किया है जो शामिल पत्रावली है। परिवादिनी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल प्रपत्रांे में मुख्य रुप से दो बिन्दु उठाये गये हैं। एक तो परिवादिनी के पति की आयु 70 वर्ष से ऊपर है दूसरा परिवादिनी का परिवाद काल बाधित है। प्रथम प्रश्न के समाधान के लिये परिवादिनी ने अपने पति की पूर्व में नौकरी के कागजात, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट तथा वोटर आई0डी0 की छाया प्रति दाखिल की हैं। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में मृतक की आयु अनुमान से लिखी जाती है और उसकी आयु किसी रिश्तेदार या परिचित द्वारा बतायी जाती है जो सटीक आयु का प्रमाण नहीं होती। परिवादिनी के पति के सेवा सम्बन्धी अभिलेखांे में उसकी आयु मान्य इसलिये नहीं है क्यों कि परिवादी एक प्राइवेट संस्था में पूर्व में नौकरी करता था। यदि मृतक सरकारी सेवा में होता तो उसकी आयु सेवा पुस्तिका के आधार पर मान्य होती। परिवादिनी ने मृतक अपने पति का वोटर आई0डी0 मूल रुप में व उसकी छाया प्रति भी दाखिल की है उक्त वोटर आई0डी0 पश्चिम बंगाल में जहां मृतक नौकरी करता था वहीं बनाया गया था। वोटर आई0डी0 व्यक्ति स्वयं उपस्थित हो कर बनवाता है इसलिये उसकी आयु वोटर आई0डी0 के हिसाब से सही मानी जायेगी। इस प्रकार वोटर आई0डी0 के हिसाब से परिवादिनी के पति की आयु वर्ष 2005 में 65 वर्ष थी जो कि मान्य है। दूसरी बात जो परिवाद के काल बाधित होने के सम्बन्ध में कही गयी है वह भी गलत है क्यों कि परिवादिनी को जनसूचना अधिकार अधिनियम सन 2005 के तहत जो सूचना विपक्षी संख्या 2 के द्वारा दी गयी है वह पत्र दिनांक 09.05.2008 को जारी किया गया है, जाहिर है परिवादिनी को उक्त पत्र दो चार दिन बाद ही मिला होगा। इस प्रकार परिवादिनी 08.05.2010 तक अपना परिवाद दाखिल कर सकती थी। मगर परिवादिनी ने अपना परिवाद 07.01.2010 को दाखिल किया है, इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद दो वर्ष की समय सीमा के अन्दर है और परिवादिनी का परिवाद काल बाधित नहीं है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादिनी को बीमा दावा की रकम न दे कर अपनी सेवा में कमी की है। परिवादिनी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रही है। परिवादिनी उपशम पाने की अधिकारिणी है। परिवादिनी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 2 के विरुद्ध परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को बीमा दावा की रकम रुपये 1,00,000/- का भुगतान आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षी संख्या 1 परिवादिनी को रुपये 1,00,000/- पर परिवाद दाखिल करने की दिनांक से 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज का भी भुगतान करें। विपक्षी संख्या 1 परिवादिनी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 5,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 3,000/- का भी भुगतान करें।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 30.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष