Uttar Pradesh

Faizabad

CC/73/2011

Ram Laut - Complainant(s)

Versus

Icici Lombard - Opp.Party(s)

03 Jun 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/73/2011
 
1. Ram Laut
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Icici Lombard
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-73/2011

               
1.    राम लौट आयु लगभग 40 साल पुत्र स्व0 श्री हितलाल
2.    श्रीमती दुुखना आयु लगभग 65 साल पत्नी स्व0 हितलाल निवासीगण ग्राम गयासपुर तहसील बीकापुर थाना कोतवाली बीकापुर जिला फैजाबाद।  ........... याची/क्लेमेन्ट 
बनाम
आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इंष्योरेन्स कं0 लि0 नियावां रिकाबगंज रोड फैजाबाद जरिये षाखा प्रबन्धक आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इंष्योरेन्स कं0 लि0 फैजाबाद।
                                                               .............. विपक्षी
निर्णय दिनाॅंक 01.08.2015            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादीगण के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी संख्या 1 के पिता तथा परिवादिनी संख्या 2 के पति एक खेतिहर किसान थे। खेतिहर होने के नाते उत्तर प्रदेष सरकार द्वारा किसान का दुर्घटना बीमा रुपये 1,00,000/- का कराया गया था। हितलाल की मृत्यु दिनांक 14.03.2005 को एक दुर्घटना में हो गयी थी। परिवादीगण द्वारा बीकापुर में मृतक के सम्बन्ध में समस्त कार्यवाही कर के पत्रावली मुआवजा प्राप्त करने के लिये समस्त कागजातांे के साथ तहसील में जमा कर दी। पत्रावली जिलाधिकारी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रेशित कर दी गयी। किन्तु बीमा कम्पनी ने किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति परिवादीगण को नहीं दी और हीला हवाली करते रहे। दिनांक 30.01.2011 को परिवादीगण ने विपक्षी के कार्यालय से संपर्क कर जानकारी चाही तो विपक्षी बीमा कम्पनी ने क्षतिपूर्ति देने से मना कर दिया। इसलिये परिवादीगण को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादीगण को कृशक दुर्घटना बीमा का रुपये 1,00,000/-, 12 प्रतिषत ब्याज तथा उचित मानसिक क्षतिपूर्ति विपक्षी बीमा कम्पनी से दिलायी जाय। 
    विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादीगण के परिवाद के कथनों से इन्कार किया है तथा अपने विषेश कथन में कहा है कि घटना का कार्य कारण सन 2006 में उत्पन्न हुआ है और परिवादी ने अपना परिवाद वर्श 2011 में दाखिल किया है जो 5 वर्श से काल बाधित है। उत्तर प्रदेष सरकार द्वारा किसान दुर्घटना बीमा कुछ नियम व षर्तों के अधीन दिया जाता है, जिसे उत्तरदाता द्वारा प्रष्नगत वर्श में दिया गया था। इस प्रकार परिवादीगण द्वारा अपना बीमा दावा 90 दिनांे के अन्दर दाखिल किया जाना चाहिए था। परिवादी द्वारा सम्बन्धित कागजात की सूचना, बीमा दावा की तारीख, कागजातों को बीमा कम्पनी को भेजे जाने की तारीख तथा क्लेम नम्बर आदि का विवरण अपने दावे में नहीं किया है, इसलिये बीमा दावा का उत्तर दिया जाना सम्भव नहीं है। परिवादीगण ने अपना बीमा दावा गलत आधारों पर दाखिल किया हैै जो खारिज किये जाने योग्य है। 
    परिवादीगण एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भंाति परिशीलन किया। परिवादीगण ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना शपथ पत्र, खतौनी की प्रमाणित प्रति, मृत्यु प्रमाण पत्र की छाया प्रति, प्रथम सूचना रिपोर्ट की द्वितीय मूल प्रति, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छाया प्रति, सूची पर तहसील दिवस में की गयी शिकायत की छाया प्रति, विपक्षी बीमा कम्पनी के पत्र दिनांक 04.06.2005 की छाया प्रति, सर्वेयर श्री ए.के. वर्मा की सर्वे रिपोर्ट दिनांक 11.05.2005 की छाया प्रति दाखिल की है, जो शामिल पत्रावली है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपना लिखित कथन दाखिल किया है जो शामिल पत्रावली है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने लिखित कथन में कहा है कि परिवादीगणों ने अपने परिवाद में बीमा दावा का नम्बर व तारीख नहीं दी है इसलिये उपयुक्त उत्तर दिया जाना सम्भव नहीं है। परिवादीगण ने अपना बीमा दावा सही समय पर बीमा कम्पनी में दाखिल कर दिया था और बीमा कम्पनी ने अपने सर्वेयर श्री ए.के. वर्मा से दुर्घटना का सर्वे भी कराया था। परिवादीगण ने तहसील दिवस में बीमा दावा न मिलने पर दिनांक 11.09.2008 को अपनी शिकायत की थी जिसका निस्तारण भी दिनांक 07.10.2008 को हो गया। परिवादीगण दिनांक 07.10.2008 के बाद शांत बैठे रहे और अपना परिवाद दिनांक 28.04.2011 को फोरम में दाखिल किया है। इस प्रकार परिवादीगण का परिवाद दो वर्श पूरा होने के बाद दिनांक 07-10-2010 के बाद से लगभग छः माह बाद दाखिल किया गया है और परिवादीगणों का परिवाद छः माह से काल बाधित है। परिवादीगण छः माह तक अपना परिवाद क्यों नहीं दाखिल कर सके इसका कोई कारण अपने परिवाद में नहीं बताया है और न ही विलम्ब को क्षमा किये जाने का कोई प्रार्थना पत्र ही फोरम के समक्ष दिया है। इस प्रकार परिवादीगण का परिवाद काल बाधित होने के आधार पर खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
    परिवादीगण का परिवाद खारिज किया जाता है। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 01.08.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 

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