Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/32/2021

AJAY SINGH - Complainant(s)

Versus

ICICI LOMBARD - Opp.Party(s)

DAYASHANKAR MISHRA

30 Dec 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 32 सन् 2021

प्रस्तुति दिनांक 30.01.2021

                                                                                             निर्णय दिनांक 30.12.2021

अजय सिंह पुत्र रमाशंकर सिंह उमo तखo 50 वर्ष, ग्राम व पोस्ट- पकड़ीकला, थाना- तरवाँ, तहo- लालगंज, जनपद- आजमगढ़।     

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

    आईoसीoआईoसीoआईo लोम्बार्ड जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड     चैम्बर, प्रथम फोर्थ फ्लोर इल्डीको कारपोरेट, गोमतीनगर- लखनऊ-   226024 जरिए प्राधिकृत अधिकारी।      

  1. विपक्षी।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह जिले का एक प्रतिष्ठित रजिस्टर्ड ठेकेदार है तथा मंडी परिषद्, ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा व लोक निर्माण विभाग में कार्यों का ठेका लेता है तथा 18 से 20 लाख प्रतिवर्ष कमा लेता है। वाहन संख्या यू.पी.50ए.वाई-0399 इनोवा का पंजीकृत स्वामी है तथा अपने ठेकेदारी आदि के कार्यों पर आने-जाने व माल मैटेरियल के बुकिंग आदि के लिए चलने हेतु प्रयोग करता था। कोरोना काल होने के कारण परिवादी के उक्त वाहन का बीमा ब्रेक हो गया था। स्थिति सामान्य होने पर जब ध्यान आया तो बीमा के लिए राजेन्द्र टोयटा पर बात किया तो वहाँ पर बैठे विपक्षी कम्पनी के एजेण्ट श्री अमरेश सिंह द्वारा बताया गया कि आप गाड़ी आजमगढ़ एजेन्सी पर लाइए इन्सपेक्शन व फोटो के बाद बीमा हो जाएगा। परिवादी एजेन्ट के कहे अनुसार उक्त वाहन इनोवा को एजेन्सी पर ले गया जहाँ पर एजेन्ट द्वारा गाड़ी का इन्सपेक्शन किया गया तथा बताया गया कि प्रीमियम मुo 44,215/- रुपए जमा करके बीमा पॉलिसी ऑनलाईन प्राप्त कर सकते हैं। दिनांक 11.11.2020 को याची ने प्रीमियम मनी कैस मुo 44,215/- रुपए जमा करके पॉलिसी नं. टी.आई.एल.10700352 प्राप्त किया जो दिनांक 11.11.2020 से 10.11.2021 तक के लिए बैध एवं प्रभावी था। एजेन्ट द्वारा बताया गया कि गाड़ी का कम्प्रिहेन्सिव बीमा हुआ था। कोई भी घटना, दुर्घटना, चोरी या जलने पर बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी लेगी। गाड़ी का बीमा होने के उपरान्त परिवादी निश्चिंत हो गया और अपने कारोबार के सिलसिले में दिनांक 27.11.2020 को अपने निजी कार्यवश मऊ गया था। वहाँ से वापस आते समय रात्रि करीब 11.30 बजे के करीब आजमगढ़-मऊ मार्ग पर शाहगढ़-खूजिया बाजार के पास रोड पर काला बछड़ा आ गया गाड़ी उस पर चढ़ गयी तथा डिवाईडर से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गयी। रात्रि काफी होने के कारण परिवादी गाड़ी को किनारे करके सुबह कम्पनी को सूचित किया। लेकिन सर्वेयर दो दिन तक नहीं आया तो पुनः परिवादी ने सम्पर्क किया तो विपक्षी कम्पनी ने कहा कि गाड़ी राजेन्द्र टोयटा वाराणसी पर भेजवा दीजिए यही पर बना दिया जाएगा। याची ने दिनांक 01.12.2020 को गाड़ी राजेन्द्र टोयटा भेजवा दिया। राजेन्द्र टोयटा पर गाड़ी का स्टीमेट 2,89,296/- रुपया का बना और बताया गया कि एक से डेढ़ लाख रुपया खुलने के बाद लगने की सम्भावना है यानी कुल 5 लाख का खर्च बताया गया। दिनांक 23.12.2020 को कम्पनी द्वारा एजेन्सी को ई-मेल के माध्यम से बिना किसी युक्त कारण का उल्लेख किए ही गाड़ी रिपेयर करने व क्षतिपूर्ति से इन्कार कर दिया गया। जब याची बनारस गया तो राजेन्द्र टोयटा द्वारा परिवादी को ई-मेल का हवाला देते हुए बताया गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी गाड़ी रिपेयर करने से मना कर दिया। यह सुनकर परिवादी शाक्ड रह गया। ई-मेल में गाड़ी रिपेयर न करने का कोई युक्त कारण का उल्लेख भी नहीं किया था। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा याची के सेवा में कमी की गयी है। याची ने बीमा कम्पनी को विधिक नोटिस दिया। गाड़ी न बनने के कारण याची किराए की गाड़ी लेकर चलता रहा और उसका कुल 90,000/- रुपया खर्च हुआ। अतः वाहन मरम्मत का कुल खर्च 3,44,198/- मय ब्याज दिलवाया जाए। टोचन में खर्च हुए 7,000/- रुपए व किराए की गाड़ी लेने में 90,000/- रुपया, मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए 50,000/- उपरोक्तानुसार कुल मुo 4,91,198/- रुपया विपक्षी से दिलाया जाए।     

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/1 बीमा कवर नोट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 आर.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 7/3 डी.एल. की छायाप्रति, कागज संख्या 7/4 आधार कार्ड की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 घटना के सन्दर्भ में बीमा कम्पनी को दी गयी सूचना के प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/6 इस आशय के पत्र की छायाप्रति कि याची ने थाना पर रिपोर्ट दर्ज करवा दिया है, कागज संख्या 7/7 इस आशय के पत्र की छायाप्रति कि थाने में सूचना दर्ज नहीं हुई है, कागज संख्या 7/8 मोटर कार इन्स्पेक्शन रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/9 राजेन्द्र टोयटा को बीमा कम्पनी द्वारा ई-मेल से भेजी गयी सूचना, कागज संख्या 7/10ता7/17 राजेन्द्र टोयटा द्वारा प्रस्तुत इस्टीमेट का छायाप्रति, कागज संख्या 7/18 टोचन में लगे खर्च की रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 7/19ता7/22 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 15/1ता15/10 इस्टीमेट की छायाप्रति, कागज संख्य़ा 15/11 बीमा कम्पनी द्वारा याची को ई-मेल से भेजी गयी सूचना की छायाप्रति, प्रस्तुत किया है।

विपक्षी ने अपना जवाबदावा काफी विलम्ब से दिनांक 22.07.2021 को दाखिल किया है, चूंकि यह जवाबदावा उसको नोटिस प्राप्त करने के 45 दिन में प्रस्तुत करना था। अतः दिनांक 22.07.2021 को विपक्षी का जवाबदावा लेने से इन्कार कर दिया गया।

कागज संख्या 24क विपक्षी ने अतिरिक्त जवाबदावा प्रस्तुत कर वादपत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि उसके इन्वेस्टीगेटर ने जब इन्वेस्टीगेशन किया तो क्षति पुरानी थी, जबकि याची को लॉस हुआ था वह नया था। ऐसा होने पर उसका क्लेम निरस्त कर दिया गया और उसकी सूचना दिनांक 04.02.2021 को याची को दे दी गयी। याची के वाहन का बीमा समाप्त हो गया था। अतः उसे बीमा कराने के लिए कहा गया, लेकिन जिस गाड़ी का बीमा था उस गाड़ी का उसने इन्सपेक्शन नहीं करावाया, बल्कि उसने दूसरी गाड़ी का इनपेक्शन करवा दिया। चूंकि याची ने दूसरा वाहन प्रस्तुत किया था। अतः उसका क्लेम निरस्त कर दिया गया।

विपक्षी द्वारा अपने अतिरिक्त जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।      

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। कागज संख्या 15/11 बीमा कम्पनी द्वारा याची को ई-मेल द्वारा भेजी गयी सूचना है, जिसमें यह कहा गया है कि उनके द्वारा दिखायी गयी क्षति पुरानी है और क्लेम में दर्शित तथ्यों से मेल नहीं खाती है। इन्सपेक्शन के विवरण से यह प्रतीत हो रहा है कि याची को बीमा कम्पनी ने गलत सूचना दिया है। इस ई-मेल में वर्णित बातें बीमा कम्पनी ने किस आधार पर लिखा है ऐसा कोई भी प्रलेख पत्रावली में शामिल नहीं है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बीमा कम्पनी ने याची को गलत ई-मेल किया है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है। 

आदेश

    परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह 3,44,198/- (रु.तीन लाख चौवालीस हजार एक सौ अट्ठानबे मात्र) अन्दर 30 दिन परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से परिवादी को अदा करे साथ ही विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को शारीरिक व मानसिक क्षति हेतु मुo 5,000/- रुपए (रु.पांच हजार मात्र) भी अदा करे।

 

 

 

 

                                                                           गगन कुमार गुप्ता                   कृष्ण कुमार सिंह

                                                         (सदस्य)                                (अध्यक्ष)

 

     दिनांक 30.12.2021

                                             यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

       

 

 

 

                                                                          गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                                    (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

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