Rajasthan

Barmer

CC/172/13

BABU SINGH - Complainant(s)

Versus

ICICI LOMBARD MO.INS. CO. - Opp.Party(s)

U.R. SHARAN

11 Feb 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, बाड़मेर (राजस्थान)
अध्यक्ष: श्री मिथिलेश कुमार शर्मा
सदस्य : श्री अशोक कुमार सिंधी

परिवाद संख्या 172/2013

परिवादी:
    बाबूसिंह राजपूत पुत्र अनोपसिंह राजपूत
    निवासी सिणधरी तहसील गुड़ामालानी जिला बाड़मेर।
          
      बनाम

विप्रार्थी:
प्रबंधक, आईसीआईसीआई लाॅम्बार्ड जनरल इश्योरेन्स कम्पनी लि.
ग्राउण्ड फ्लोर, च्त्ड टांवर, प्लाट नं. 947 10जी डी रोड़ सरदारपुरा, जोधपुर।
 
उपस्थित:-
1.    परिवादी की ओर से श्री उगराराम सहारण एडवोकेट।
2.    विप्रार्थी की ओर से श्री किरण मंगल एडवोकेट।
 

ःःनिर्णय:ः         दिनांक: 11.02.2015   
1.    परिवादी ने यह परिवाद इन तथ्यों का पेश किया है कि परिवादी की ओर से एक वाहन ब्व्डम्ज् ज्म्च्च्म्त् 1616ग्स् ट्रक संख्या त्श्र04.ळ।.5539 जिला परिवहन कार्यालय बाड़मेर से रजिस्टर्ड है, जिसका बीमा परिवादी द्वारा विप्रार्थी बीमा कम्पनी से निर्धारित प्रीमियम की राशि अदा कर करवाया गया जिसकी बीमा अवधि दिनांक 02.04.2011 से 01.04.2012 तक थी जिसकी बीमा पाॅलिसी संख्या 3003/64122316/00/000 है तथा बीमा अवधि के दौरान बीमित वाहन की दुर्घटना में क्षति होने पर वाहन की रिपयेरिंग में होने वाले समस्त खर्चे का भुगतान बीमा कम्पनी द्वारा किये जाने का करार किया गया था, इस प्रकार परिवादी विप्रार्थी का एक सद्भाविक उपभोक्ता की श्रेणी में आता है।
2.    बीमा अवधि के दौरान परिवादी का उपरोक्त वाहन संख्या 22.07.2011 को भादरेस से बजरी का परिवहन करते वक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया तथा परिवादी का उपरोक्त वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गई। जिसकी विप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई जिस पर बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा परिवादी के वाहन का स्पाॅट सर्वे किया गया। तत्पश्चात् परिवादी को बीमा कम्पनी के अधिकारियों द्वारा कहा कि आप अपनी गाडी की पूर्ण मरम्मत करवा लो तथा मरम्मत करवाने के बाद समस्त बिल बीमा कम्पनी को भेज देना जिस पर आपको क्लेम राशि दे दी जायेगी, जिस पर परिवादी ने अपने क्षतिग्रस्त वाहन की औथोराईज्ड डीलर से सम्पूर्ण रिपयेरिंग करवाई गई, जिस पर परिवादी को करीब 6,24,577/- रूपये का खर्चा आया। तत्पश्चात् परिवादी ने उक्त समस्त बिल आप बीमा कम्पनी को मय क्लेम आवेदन के प्रेषित किये गये जिस पर विप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को अतिशीघ्र देने का आश्वासन दिया था तथा उसके बाद परिवादी ने कई बार विप्रार्थी से फोन पर सम्पर्क करता रहा जिस पर विप्रार्थी द्वारा हमेशा परिवादी को आश्वासन दिया जाता रहा परन्तु दिनांक 06.12.2011 को विप्रार्थी द्वारा परिवादी को क्लेम की राशि देने से इन्कार करते हुए पत्र जारी बताया कि आपके उक्त वाहन का आॅनर लालकिशन को बताया गया जबकि लालकिशन उस समय परिवादी के केवल मात्र मुनीम था तथा उक्त वाहन का वक्त दुर्घटना परिवादी ही मालिक था तथा लालकिशन ने कोई फर्जी दस्तावेज विप्रार्थी के समक्ष पेश किये है तो उसके संबंध में परिवादी को कोई जानकारी नहीं है, इस तथ्य की जानकारी परिवादी ने विप्रार्थी को दी गई जिस पर विप्रार्थी ने पुनः परिवादी को क्लेम के बारे में जांच कर क्लेम दिलाने का आश्वासन दिया परन्तु दिनांक 14.03.2013 को विप्रार्थी ने क्लेम की राशि देने से स्पष्ट मना कर दिया।
3.    बीमा कम्पनी द्वारा पाॅलिसी में वर्णित करार का उल्लघंन कर परिवादी को वाहन मरम्मत पेटे सम्पूर्ण क्लेम राशि अदा नहीं की गई है जबकि परिवादी के वाहन की सम्पूर्ण रिपेयरिंग पर रूपये 6,24,577/- रूपये खर्च हुए है जो परिवादी विप्रार्थी से प्राप्त करने का अधिकारी है, साथ ही आप बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को सेवाऐं देने में भारी त्रुटि कारित की है तथा लम्बे समय तक परिवादी को झूठे आश्वासन दिये जाते रहे, जिसके कारण परिवादी को भारी मानसिक क्षति कारित हुई जिसके पेटे परिवादी विप्रार्थी से 20000/- रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे प्राप्त करने का अधिकारी है।
4.    दिनांक 14.03.2013 को विप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम राशि देने से स्पष्ट मना कर दिया, जिस पर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के मार्फत विधिक नोटिस भेजा कर परिवादी को क्लेम राशि देने हेतु निवेदन किया गया, जो नोटिस विप्रार्थी बीमा कम्पनी को मिलने के बाद भी आज दिन विप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को क्लेम की अदा नहीं कर अपने एक सद्भाविक उपभोक्ता को दी जाने वाली सेवा में भारी त्रुटि कारित की है।
5.    इस मंच को क्षैत्राधिकार होने का तथ्य वर्णित करते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष चाहा है।
6.    विप्रार्थी की ओर से उक्त परिवाद के तथ्यों का जवाब पेश किया गया है जिसमें यह वर्णित है कि परिवादी ने वाहन संख्या आर-जे04-जी ए-5539 का बीमा अवश्य बीमा कम्पनी के द्वारा किया गया था परन्तु किसी भी प्रकार का क्लेम विप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा नियमानुसार एवं पाॅलिसी की शर्ताें के तहत ही देय होता है।
7.    परिवादी द्वारा अपना उक्त वाहन दुर्घटना से पूर्व लालकिशन को बेचान कर दिया गया था, उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त अवश्य हुआ था जिसका बीमा कम्पनी द्वारा अपने सर्वेयर द्वारा सर्वे भी करवाया गया था जिसमें विप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा 92,241/- रूपये का फाईनल सर्वें भी किया गया था परन्तु चूंकि उक्त वाहन परिवादी द्वारा लालकिशन को बेच दिया गया था अतः उक्त क्लेम बीमा कम्पनी द्वारा नोन इश्योरेबल इन्टरेस्ट के कारण नो क्लेम कर दिया गया था। परिवादी द्वारा अपने वाहन का वक्त दुर्घटना न तो रजिस्ट्रेशन परिवर्तित करवाया गया था और न हीं इश्योरेंन्स में परिवर्तन करवाया गया था। जबकि परिवादी द्वारा लालकिशन के पक्ष में बेचान लिखकर दे दिया गया था। परिवादी का यह कहना गलत है कि लालकिशन द्वारा फर्जी दस्तावेज विप्रार्थी को पेश किये गये हो, लालकिशन द्वारा कोई फर्जी दस्तावेज विप्रार्थी को प्रस्तुत नहीं किये गये है। यदि लालकिशन द्वारा फर्जी दस्तावेज बनाकर पेश कर दिये जाते तो परिवादी उसके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही कर सकता था लेकिन परिवादी द्वारा ऐसी कार्यवाही नहीं की गई। विप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम खारिज करने में कोई अनियमितता नहीं बरती गई है।
8.    परिवादी द्वारा वाहन की सम्पूर्ण मरम्मत पेटे 6,24,577/- रूपये का खर्चा आना बताया गया है जो बिल्कुल गलत बताया गया है बिना किसी साक्ष्य सबुत के बताये गये एवं जानबूझकर के अधिक क्लेम प्राप्त करने के लिए खर्चा बताया गया है। जबकि वास्तव में विप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा उक्त वाहन का फाईनल एसेसमेन्ट कर 92,241/- रूपये बताया गया था।
9.    विप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उपभोक्ता को दी जाने वाली सेवाओं में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं की है और साथ ही प्रार्थना की है कि परिवाद खारिज किया जावे।
10.    उपरोक्त तथ्यों पर दोनों पक्षों को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया।
11.    विद्वान अभिभाषक परिवादी की दलील है कि उसने कोटेशन के अनुसार खर्चा किया है, परिवाद में वर्णित तथ्यों का समर्थन दस्तावेजात व शपथ पत्र से होने का हवाला देकर परिवाद स्वीकार करने की दलील दी।
12.    विद्वान अभिभाषक विप्रार्थीगण ने जवाब के तथ्यों का समर्थन शपथ पत्र से होने व उक्त वाहन को विक्रय कर दिया गया था इस कारण परिवादी का इश्योरेबल इन्टरेस्ट नहीं होने की दलील देते हुए परिवाद खारिज करने की दलील दी।
13.    उपरोक्त दलीलों के संदर्भ में हमने पत्रावली का अध्ययन किया तो पाया कि विप्रार्थी की और से जो सर्वे रिपोर्ट पेश की गई है जिसमें रूपये 92,241/- की क्षति होने का आंकन किया है परिवादी ने जो राशि चाही है उसका कोटेशन दुर्घटना स्थल पर तैयार नहीं किया जाकर वर्कशाॅप में तैयार किया गया है जबकि सर्वे रिपोर्ट दुर्घटना स्थल की है।
14.    जहां तक इश्योरेबल इन्टरेस्ट नहीं होने का प्रश्न है रजिस्ट्रेशन परिवादी के नाम है बीमा प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेजात परिवादी के नाम है ऐसी सूरत में कथित विक्रय पत्र के आधार पर इश्योरेबल इन्टरेस्ट नहीं मानना उचित नहीं है और परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।

ःःआदेष:ः
अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाकर विप्रार्थी को आदेश दिये जाते है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्षति हेतु सर्वे रिपोर्ट में वर्णित राशि 92,241/- रूपये (अक्षरे बराने हजार दो सौ इक्तालीस हजार रूपये मात्र) उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 19.06.2013 से 9  प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर भी अदा करे।  
मानसिक संताप के रूपये 7500/- (अक्षरे सात हजार पांच सौ रूपये) व परिवाद व्यय के रूपये 2500/- (अक्षरे दो हजार पांच सौ रूपये) भी विप्रार्थी परिवादी को अदा करे।

(श्री अशोककुमार सिंधी)                    (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
 सदस्य                                              अध्यक्ष

 

निर्णय व आदेश आज दिनांक 11.02.2015 को खुले मंच पर लिखवाया जाकर सुनाया गया।  

 

(श्री अशोककुमार सिंधी)                    (श्री मिथिलेशकुमार शर्मा)
     सदस्य                                                अध्यक्ष

 

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