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Prakash Gwalera filed a consumer case on 25 Jun 2015 against ICICI Lombard Journal Insurance Company Ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/330/2010 and the judgment uploaded on 16 Jul 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
पीठासीन:
अध्यक्ष : नंद लाल शर्मा
सदस्या : हेमलता भार्गव
परिवाद सं. 330/10
प्रकाश ग्वलेरा पुत्र दुर्गालाल आयु 49 साल निवासी बल्लभबाडी, गुमानपुरा, कोटा। -परिवादी।
बनाम
01. आई सी आई सी आई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेन्स कंपनी लि0 पंजीकृत कार्यालय- आई सी आई सी आई टावर बान्द्रा कुर्ला कोम्पलेक्स, मुम्बई-इण्डिया।
02. आई सी आई सी आई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेन्स कंपनी लि0 शाखा कार्यालय झालावाड रोड कोटा। -अप्रार्थीगण।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
01. श्री वी0के0 राठौर, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02. अप्रार्थीगण के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही।
निर्णय दिनांक 25.06.2015
परिवादी ने इस मंच में परिवाद पेश किया जिसमें अंकित किया कि उसने दिनांक 15.03.08 को 19,011/- रूपये प्रिमियम अप्रार्थीगण को अदा कर सिक्योर्ड माईण्ड बीमा करवाया था। परिवादी को दिनांक 10.05.08 को अचानक चेस्ट में पेन हुआ और परिवादी दिनांक 10.05.08 को कोटा अस्पताल में भर्ती हुआ तथा बाॅम्बे होस्पीटल एण्ड मेडिकल रिसर्च सेन्टर में भर्ती रहा जहाॅ उसकी बाई पास सर्जरी हुई। परिवादी ने उक्त बीमारी के संबंध में अप्रार्थीगण को सूचना दी तथा समस्त कागजात अप्रार्थीगण को दे दिये। अप्रार्थीगण ने परिवादी का बीमा क्लेम दिनांक 10.12.08 को यह कह कर - ।े चमत म्गबसनेपवद बसंनेम 2.1.4 म्ग्ब्स्न्ैप्व्छै ।च्स्प्ब्।ठस्म् ज्व् ैम्ब्ज्प्व्छ 1 ;ड।श्रव्त् डम्क्प्ब्।स् प्स्स्छम्ैै - च्त्व्ब्म्क्न्त्म्ैद्ध चवपदज बद्धष् ज्ीम बवउचंदल ेींसस दवज इम सपंइसम जव उंाम ंदल चंलउमदज नदकमत जीपे च्वसपबल पद बवददमबजपवद ूपजी वत पद तमेचमबज व िंदल पदेनतमक मअमदजए ंे ेजंजमक पद जीपे ैमबजपवदए वबबनततमक वत ेनििमतमक इमवितम जीम बवउउमदबमउमदज व िजीम च्मतपवक व िप्देनतंदबम वत ंतपेपदह ूपजीपद जीम पितेज 90 कंले व िजीम बवउउमदबमउमदज व िजीम च्मतपवक व िप्देनतंदबमष्ण् निरस्त कर दिया, अप्रार्थीगण ने उक्त बीमारी को प्री एक्जिस्टिंग डिजीज के आधार पर परिवादी का बीमा क्लेम खारिज किया, जो मनमाने ढंग से निरस्त कर परिवादी की सेवा में कमी की है, जबकि परिवादी की उक्त बीमारी मेजर मेडिकल इलनेस एण्ड प्रोसीजर में मायोकार्डियल इनफ्ेक्शन को भी मेजर मेडिकल इलनेस एण्ड प्रोसीजर में माना गया है। परिवादी के बीमा करवाने से पूर्व किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं थी। अप्रार्थीगण से परिवादी को उसका बीमा क्लेम मय ब्याज, मानसिक संताप की राशि, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।
अप्रार्थीगण के विरूद्ध दिनांक 15.11.11 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. आया परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, बीमा पालिसी से परिवादी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है।
02. आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
परिवादी को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत बीमा पालिसी दिनांक 15.03.08 से 14.03.11 को मध्य रात्रि तक की अवधि की थी, इस प्रकार परिवादी को बीमा पालिसी दिनांक 15.03.08 को जारी की गई थी और उसके - ।े चमत म्गबसनेपवद बसंनेम 2.1.4 म्ग्ब्स्न्ैप्व्छै ।च्स्प्ब्।ठस्म् ज्व् ैम्ब्ज्प्व्छ 1 ;ड।श्रव्त् डम्क्प्ब्।स् प्स्स्छम्ैै - च्त्व्ब्म्क्न्त्म्ैद्ध चवपदज बद्धष् ज्ीम बवउचंदल ेींसस दवज इम सपंइसम जव उंाम ंदल चंलउमदज नदकमत जीपे च्वसपबल पद बवददमबजपवद ूपजी वत पद तमेचमबज व िंदल पदेनतमक मअमदजए ंे ेजंजमक पद जीपे ैमबजपवदए वबबनततमक वत ेनििमतमक इमवितम जीम बवउउमदबमउमदज व िजीम च्मतपवक व िप्देनतंदबम वत ंतपेपदह ूपजीपद जीम पितेज 90 कंले व िजीम बवउउमदबमउमदज व िजीम च्मतपवक व िप्देनतंदबमष्ण् क्लाज के अनुसार बीमा करवाने के 90 दिन के बाद ही परिवादी की बीमारी के ईलाज का बीमा क्लेम मिल सकता है परिवादी ने बीमा पालिसी दिनांक 15.03.08 को ली और परिवादी को दिनांक 10.05.08 को पेन चेस्ट हो गया अर्थात् परिवादी को 90 दिन के पहले ही चेस्ट में पेन हो गया, इसलिये अप्रार्थीगण ने परिवादी का बीमा क्लेम निरस्त कर दिया। परन्तु पेन चेस्ट होने का पूर्व में कोई आभास नहीं होता है, पेन चेस्ट अचानक होता है और वह इतना तेज होता है कि उससे मानव का जीवन संकट में हो जाता है और कभी-कभी पेन चेस्ट के कारण मृत्यु भी संभव है, ऐसे रोग के लिये बीमा कंपनी द्वारा उक्त क्लाज को लागू नहीं किया जा सकता। यह क्लाज अन्य रोगो के लिये संभव है। पेन चेस्ट जैसे रोगों के लिये बीमा कंपनी के द्वारा उक्त क्लाज को लागू करना, बीमाधारी के साथ अन्याय एवं अनुचित होगा। पेन चेस्ट, गेैस की शिकायत, सर्दी के कारण, मांस पेशीयों के अकडन के कारण भी हो सकता है। अप्रार्थीगण ने मंच में उपस्थित होकर परिवादी के कथनों का खंडन लिखित या मौखक रूप से नहीं किया है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी के तथ्यों को मिथ्या माने जाने का कोई कारण हमारे समक्ष नहीं है। बीमा कंपनी बीमा कराते समय बीमाधारी का चेैक अप नहीं करवाती है और बीमा करके बीमाधारी को फंसाती है और बीमा देने की बारी आती है उस समय समस्त जांचे व क्लाज लागू कर बीमा देने से इंकार करना अप्रार्थीगण का सेवा दोष हैं। परिवादी के अधिवक्ता ने ( 2016 डी एन जे (सी सी ) 27 ) राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, न्यू देहली रिवीजन पीटीशन सं. 3949/2013 आदेश दिनांक 17.12.2013 मीना देवी बनाम डाइरेक्टर जनरल / एडिशनल डायरेक्टर जनरल और अन्य का न्यायिक दृष्टान्त पेश किया, जिससे वर्तमान प्रकरण में कोई प्रकाश प्राप्त होता।
03. अनुतोष ?
परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ संयुक्ततः अथवा पृथकतः स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी प्रकाश ग्वालेरा का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ संयुक्ततः अथवा पृथकतः स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि :-
01. अप्रार्थीगण परिवादी को 7,50,000/- रूपये, अक्षरे साढे सात लाख रूपये अदा करे तथा इस राशि पर निर्णय के दिनांक से ताअदायगी संपूर्ण राशि 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी अदा करे।
02. अप्रार्थीगण परिवादी को मानसिक क्षति 5,000/- रूपये अक्षरे पांच हजार रूपये, परिवाद खर्च 2,000/- रूपये, अक्षरे दो हजार रूपये अदा करे।
03. अप्रार्थीगण आदेश की पालना निर्णय की दिनांक से दो माह के अदंर करे।
(हेमलता भार्गव) (नंद लाल शर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषश्
मंच,कोटा। मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनंाक 25.06.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
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