Rajasthan

Kota

CC/302/2010

Jodhraj gurjar - Complainant(s)

Versus

ICICI Lombard Journal Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

Raghuveer gaud

10 Feb 2016

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
प्रकरण संख्या- 302 /10
जोधराज गुर्जर पुत्र लक्ष्मण जाति गुर्जर आयु 40 साल निवासी अनन्तपुरा, कोली मोहल्ला, तहसील लाडपुरा, जिला कोटा, राजस्थान।             -परिवादी।
                     बनाम
01.    आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इं. क. लि., जरिये जनरल मैनेजर, झालावाड़ रोड़ कोटा।
02.    आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इं. क. लि., पता- भगवती भवन सैकिण्ड फ्लोर एबोव पी0एल मोटर्स गारमेन्ट होस्टल, क्रोसिंग एम.आई. रोड, जयपुर-राज0
03.    आई.सी.आई.सी.आई. बैंक टावर्स, बान्द्रा कुर्ला काम्पलेक्स मुम्बई,मुम्बई 400051-इण्डिया।                                   -विपक्षीगण

समक्ष    
अध्यक्ष  :        भगवान दास     
सदस्य  :        हेमलता भार्गव 

       परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1  श्री बृजबिहारी गोचर, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2  श्री परवेज मोहम्मद, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 1 से 3 की ओर से।
   
    निर्णय           दिनांक  10.02.16
परिवादी ने विपक्षी-बीमा कंपनी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उसका संक्षेप में यह सेवा-दोष बताया है कि उसके यहाॅ बीमित वाहन आर.जे. 20 एस.जी.1161 बीमा अवधि में दुर्घटना के फलस्वरूप क्षतिग्रस्त हो गया जिसकी तत्काल विपक्षी बीमा कंपनी को सूचना दी गई, जिसने सर्वेयर नियुक्त किया व सर्वेयर ने जांच की क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत निर्माता कंपनी द्वारा अधिकृत कोटा मोटर कंपनी प्रा.लि. के यहाॅ कराई जिसमें कुल 17,835/- रूपये खर्च हुये। विपक्षी बीमा कंपनी को क्लेम प्रस्तुत किया गया। विपक्षी बीमा कंपनी ने मनमाने तौर पर क्लेम राशि देने से इंकार कर दिया जिससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ। 

विपक्षी बीमा कंपनी के जवाब का सार है कि यद्यपि सर्वेयर ने बीमित वाहन में कुल 12,837/- रूपये का नुकसान आंकलित किया परन्तु विपक्षी बीमा कंपनी उक्त राशि अदा करने के लिये उत्तरदायी नहीं है क्योंकि वक्त दुर्घटना बीमित वाहन के चालक के पास उसे चलाने का वैध एवं प्रभावी लाइसेन्स नहीं था, इससे बीमा पालिसी की शर्त का स्पष्ट उल्लघंन हुआ। विपक्षी बीमा कंपनी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। 

परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा बीमित वाहन का आर.सी.,बीमा पालिसी, चालक जोधराज के डी0एल0, वाहन मरम्मत के बिल, क्लेम खारजी-पत्र आदि दस्तावेजात की प्रतियाॅ प्रस्तुत की है।

विपक्षी बीमा कंपनी ने प्राधिकृत अधिकारी ऋषभदेव व सर्वेयर अमीन अंसारी के शपथ-पत्रों के अलावा अन्वेषक पीयूश शर्मा की डी0एल0 सत्यापन रिपोर्ट, सर्वेयर अमीन अंसारी की क्षति आंकलन रिपोर्ट, क्लेम इंटीमेशनशीट, बीमा पालिसी, क्लेम खारजी-पत्र आदि दस्तावेजात की प्रतियाॅ प्रस्तुत की है। 

    हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। दोनों पक्षों की ओर से लिखित बहस भी प्रस्तुत की गई। पत्रावली का अवलोकन किया। 

    निर्णय हेतु प्रश्न है कि क्या विपक्षी बीमा कंपनी ने वक्त दुर्घटना बीमित वाहन के चालक के पास वैध एवं प्रभावी लाइसेन्स नहीं होना मान कर व इस आधार पर क्लेम खारिज करके सेवा में कमी की गई है?

    यह विवाद रहित है कि बीमित वाहन दुपहिया मोटर साईकिल है। स्वयं परिवादी ने परिवाद में प्रकट किया है कि वह उक्त बीमित वाहन का रजिस्टर्ड स्वामी है दिनांक 29.12.09 को प्रेमनगर से अनन्तपुरा मार्ग पर उस वाहन को चलाकर ले जा रहा था तो अन्य वाहन ट्रक ने उसके टक्कर मार दी। उसने साक्ष्य में अपना डी.एल. पेश किया है। यह डी.एल. उसे एच.एम.वी. यानि भारी मोटर वाहन चलाने के लिये जारी हुआ है। बीमित वाहन भारी मोटर वाहन की श्रेणी में नहीं है। विपक्षी बीमा कंपनी ने तर्क दिया है कि परिवादी के पास वक्त दुर्घटना बीमित वाहन को चलाने का लाईसेन्स ही नहीं था। भारी मोटर वाहन चलाने का लाईसेन्स रखने वाला व्यक्ति कानूनी रूप से दुपहिया वाहन नहीं चला सकता है, दुपहिया वाहन चलाने के लिये मोटर वाहन कानून के अन्तर्गत अलग श्रेणी का लाईसेन्स जारी होता है जो परिवादी के पास नहीं था इसलिये उसका क्लेम सही खारिज किया गया है। विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से न्यायिक विनिश्चय रिवीजन याचिका सं. 3981/06 यूनाईटड इंण्डिया इंशोरेन्स कंपनी लिमिटेड बनाम वेद प्रकाश निर्णय दिनांक 30.04.10 को प्रस्तुत किया गया है जिसमें माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं अपने स्वयं के अन्य निर्णयों के आधार पर यह व्यवस्था दी है“- कि यदि कोई चालक दुर्घटना में क्षतिग्रस्त वाहन की सही किस्म एवं श्रेणी का चलाने का उचित लाईसेन्स नहीं रखता है तो बीमा कंपनी क्लेम देने के लिये उत्तरदायी नही है”। उक्त निर्णय के तथ्यों में बीमित दुर्घटनाग्रस्त वाहन ट्रक था जिसका क्षति क्लेम विपक्षी बीमा कंपनी ने इसी आधार पर खारिज किया था कि चालक के पास उसे चलाने का वैध एवं प्रभावी लाईसेन्स नहीं था वह वाहन “मिडियम गुड्स व्हीकल की श्रेणी का था जिसकी भार सहित कुल क्षमता 10,050 किलोग्राम थी जबकि वक्त दुर्घटना उसे चलाने वाले चालक के पास एल.एम.वी. (कामर्शियल) श्रेणी का लाईसेन्स था तथा उससे ऐसे लाइट कामर्शियल मोटर-व्हीकल जिसकी भार सहित कुल क्षमता 7,500 किलोग्राम से कम हो वो ही चलाया जा सकता था। इन तथ्यों व परिस्थितियों में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता  आयोग ने यह व्यवस्था दी है कि इस मामलें में वाहन चालक के पास जो डी.एल. था उसके जरिये वह अधिकतम 7,500 किलोग्राम  भार सहित कुल क्षमता के कामर्शियल वाहन को ही चला सकता था जबकि क्षतिग्रस्त बीमित वाहन की भार सहित कुल क्षमता 10,050 किलोग्राम थी क्योंकि वह बीमित वाहन को चलाने का वैध एवं प्रभावी लाईसेन्स नहीं रखता था इसलिये बीमा कंपनी द्वारा क्लेम खारिज करना सही माना गया । प्रस्तुत मामले में उक्त विनिश्चय भलीभाॅति लागू होता है। 

    विपक्षी बीमा कंपनी ने परिवादी के डी.एल. के सत्यापन की उसे जारी करने वाले लाइसेन्स आथोरेटी की रिपोर्ट प्रस्तुत की है। जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि परिवादी को केवल एच.एम.वी. के लिये ही लाइसेन्स जारी किया गया है अर्थात् इससे भिन्न श्रेणी का वाहन चलाने के लिये वह अधिकृत नहीं है।  परिवादी की ओर से न्यायिक विनिश्चय श्री निवास गोडा बनाम सन्नम्मा 2011 (2) ए0सी0टी0सी0 (कर्नाटक) 769 को उदृत कर दलील दी गई है कि जिस चालक के पास भारी मोटर यान चलाने का लाईसेन्स है तो उसके द्वारा स्कूटर चलाना भी अनुज्ञप्त माना जायेगा। उल्लेखनीय है कि उक्त विनिश्चय मोटर यान अधिनियम की धारा 173 (1) के अन्तर्गत प्रस्तुत किये गये क्लेम के संबंध में है जिसमें वैधानिक रूप से अनिवार्य बीमा व क्लेम निर्धारण के प्रावधान तृतीय पक्ष को होने वाली हानि के संबंध में है जबकि प्रस्तुत मामला स्वयं बीमाधारी को होने वाली बीमित वाहन की क्षति केे संबंध मे है इसलिये उक्त विनिश्चय प्रस्तुत मामलें में लागू नहीं होता है। विपक्षी बीमा कंपनी ने जो उपर्युक्त निर्णय प्रस्तुत किया है वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय नेशनल इंडिया एश्योरेन्स कंपनी लिमिटेड बनाम रोशन बेन रहमनिशा फकीर व अन्य (2008) 8 एस.सी.सी. 253 पर आधारित है। इसलिये वह निर्णय बाध्यकारी प्रभाव रखता है। 

    उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है “कि चूंकि वक्त दुर्घटना परिवादी के पास अपने बीमित वाहन को चलाने का वैध एवं प्रभावी लाइसेन्स नहीं था, इस प्रकार उसने बीमा पालिसी की शर्त का स्पष्ट उल्लधंन किया तथा इस आधार पर विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा उसका क्लेम सही खारिज किया गया, सेवा में कोई कमी नहीं की गई, इसलिये परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।  


 
                   आदेश 

     परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 

(हेमलता भार्गव)                             ( भगवान दास)  
  सदस्य                                             अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                          जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।                           प्रतितोष मंच, कोटा।
    निर्णय  आज दिनंाक 10.02.16 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                                           अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                         जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।                          प्रतितोष मंच, कोटा।

 

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