(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-195/2019
रूपेश कुमार मिश्रा
बनाम
आई0सी0आई0सी0आई0 लोम्बार्ड इं0कं0लि0 व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित: श्री लवलेश कुमार तिवारी, विद्धान अधिवक्ता
विपक्षी सं0 1 की ओर से उपस्थित: श्री बृजेन्द्र चौधरी, विद्धान अधिवक्ता
विपक्षी सं0 2 की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं
दिनांक : 04.08.2023
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- यह परिवाद धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत विपक्षीगण के विरूद्ध योजित किया गया है।
2. परिवादी का कथन है कि रूपेश कुमार मिश्रा ने स्कोडा मॉडल की एक कार पंजीयन सं0 यू0पी0 14 एके 2709 प्रत्यर्थी सं0 2 श्री सुभाशीष सरकार से खरीदी और परिवादी ने अनापत्ति प्रमाणपत्र पंजीकरण उसने प्राप्त किया। यह कार चेक द्वारा धनराशि अदा करके खरीदी गयी थी, जिसको वित्तीय सहायता कोटक महिन्द्रा बैंक ने प्रदान की। वाहन का पंजीयन हो गया, किन्तु बीमा पॉलिसी का हस्तांतरण नहीं हो पाया। इसी बीच कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। दुर्घटना 23.04.2017 को सुबह 3:30 बजे हुई, जिसकी सूचना विपक्षी को 19.06.2017 को दी गयी। क्षतिग्रस्त वाहन को विशाल कार लखनऊ द्वारा ब्रेक डाउन सर्विस के माध्यम से लखनऊ लाया गया, जिसके लिए 9,200/-रू0 अदा किये गये।
3. विशाल कार में ही मरम्मत संबंधी खर्च का आंकलन 13,00,072/-रू0 21 पैसे का बनाया गया। इस धनराशि का दावा प्रस्तुत किया गया, किन्तु इसे खारिज कर दिया गया क्योंकि वाहन में उसका कोई बीमित हित नहीं था। परिवादी जगह-जगह दौड़ता रहा किन्तु उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई तब उसके द्वारा परिवाद प्रस्तुत हुआ।
4. विपक्षी सं0 1 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया कि परिवादी को कोई वाद का कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। परिवादी ने कोई दावा उसके यहां प्रस्तुत नहीं किया। घटना की सूचना बीमा कम्पनी को नहीं दी गयी। अत: यह परिवाद पत्र निरस्त होने योग्य है। बीमा पॉलिसी सुभाशीष सरकार के नाम से जारी हुई थी और इसमें कहीं भी परिवादी का नाम अंकित नहीं है। वाहन 08.02.2017 को खरीदा गया था और दुर्घटना 23.04.2017 को हुई और दुर्घटना की सूचना बीमा कम्पनी को 19.06.2017 को दी गयी। परिवादी का इसमें कोई भी बीमा हित नहीं है क्योंकि बीमा उसके नाम से नहीं है। अत: वर्तमान परिवाद पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।
5. परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री लवलेश कुमार तिवारी एवं विपक्षी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया गया।
6. इस मामले में नि:संदेह घटना की सूचना अत्यधिक विलम्ब से बीमा कम्पनी को दी गयी है। परिवादी के नाम से कोई बीमा पॉलिसी नहीं है। अत: परिवादी का इस मामले में कोई भी बीमित हित नहीं है। परिवादी का दायित्व था कि वह बीमा अपने नाम से हस्तांतरित कराता, जो उसने नहीं किया। विलम्ब से घटना की सूचना देना और परिवादी के नाम से बीमा न होना, इसकी जिम्मेदारी परिवादी पर जाती है और परिवादी तथा बीमा कम्पनी के बीच कोई भी सेवा प्रदाता तथा उपभोक्ता का संबंध नहीं है। तदनुसार वर्तमान परिवाद इसी स्तर पर निरस्त होने योग्य है।
आदेश
परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
अध्यक्ष सदस्य
04.08.2023
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट-1