Rajasthan

Nagaur

CC/208/2015

Moolchand - Complainant(s)

Versus

ICICI Lombard Gen Ins Com - Opp.Party(s)

Sh Vikram Joshi

25 Jan 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/208/2015
 
1. Moolchand
kakuwalo ki pol,nagaur
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. ICICI Lombard Gen Ins Com
Dharaniya auto mobiles,jodhpur road,nagaur
Nagaur
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Vikram Joshi , Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 208/2015

 

मूलचन्द पुत्र श्री रामगोपाल, जाति-माली,निवासी- कुकुवालों की पोल, करणी काॅलोनी, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                                                          -परिवादी     

बनाम

 

1.            आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जरिये अधिकृत प्रतिनिधि, धारणियां आॅटो मोबाईल्स, जोधपुर रोड, नागौर।

2.            आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, पंजीकृत कार्यालय, 414 वीर सावरकर मार्ग, नियर सिद्धि विनायक टेम्पल, प्रभादेवी मुम्बई जरिये अधिकृत प्रतिनिधि।   

               

                                       -अप्रार्थीगण

 

समक्षः

1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री विक्रम जोषी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री कुन्दनसिंह, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                      आ  दे  ष                    दिनांक 25.01.2016

 

 

1.            परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपनी मोटरसाईकिल संख्या त्श्र 21, ैळ 6363 हीरो होन्डा स्प्लेंडर का बीमा, बीमित अवधि दिनांक 05.11.2014 से 04.11.2015 तक के लिए करवाया हुआ था। बीमित अवधि में उक्त वाहन चोरी हो गया। चोरी के दिन ही दिनांक 10.01.2015 को एफआईआर दर्ज करवा दी गई थी। वाहन चोरी की सूचना भी अप्रार्थीगण को दे दी गई थी। समस्त दस्तावेजात जमा कराने के पष्चात् भी बीमा क्लेम नहीं दिया गया। पुलिस थाना, नागौर में दिनांक 10.01.2015 को ही वायरलैस पर सम्पूर्ण राजस्थान में वाहन के चोरी की सूचना प्रसारित कर दी और एक रपट परिवादी को उपलब्ध करवा दी गई। अप्रार्थीगण का यह कृत्य सेवा दोश की श्रेणी में आता है। प्रार्थी ने यह अनुतोश चाहा है कि उसे बीमा धन राषि 27,815/- रूपये मय ब्याज हर्जा-खर्चा सहित दिलाये जावें।

 

2.            अप्रार्थीगण की ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं हुआ है केवल अधिवक्ता श्री कुन्दनसिंह उपस्थित हुए हैं।

 

3.            बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजात प्रदर्ष 4 और 6 से यह निर्विवाद है कि परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से उक्त वाहन की उक्त बीमित अवधि के लिए बीमा पाॅलिसी बीमित धन राषि 27,815/- रूपये की ली हुई थी। जहां तक उक्त वाहन के चोरी होने का प्रष्न है परिवादी की ओर से सम्बन्धित थाना को सूचना दी गई। जिसकी रपट प्रदर्ष 5 व तत्पष्चात् उसके आधार पर दर्ज की गई एफआईआर प्रदर्ष 2 है। उक्त दस्तावेजात का कोई खण्डन भी नहीं है ना ही कोई अविष्वास करने का कोई आधार है। उक्त दोनों दस्तावेजात लोक दस्तावेज हैं। उक्त दस्तावेजात से परिवादी के उक्त कथन की भली-भांति पुश्टि होती है कि उसकी उक्त मोटरसाईकिल की चोरी दिनांक 10.01.2015 को हुई थी।

विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी का यह तर्क है कि घटना की एफआईआर बारह दिन की देरी से लिखाई गई है। अप्रार्थीगण को देरी से सूचना दी है। अतः इस आधार पर परिवाद खारिज किया जावे। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में राश्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग, नई दिल्ली के न्यायिक दृश्टांत गुरूनाम सिंह बनाम न्यू इंण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड एवं अन्य, रिवीजन पीटीषन संख्या 1068, वर्श 2015 प्रस्तुत की। माननीय उक्त न्यायिक दृश्टांत का ससम्मान अध्ययन एवं मनन किया गया। इसमें परिवादी द्वारा लगभग दो वर्श पष्चात् एफआईआर दर्ज करवाई थी। जहां तक वर्तमान केस में देरी का प्रष्न है परिवादी ने चोरी की घटना की तारीख दिनांक 10.01.2015 को ही थानाधिकारी, पुलिस थाना, नागौर को सूचना दे दी। जिसकी पुश्टि प्रदर्ष 5 क्यूस्टी से होती है। इस दस्तावेज पर अविष्वास करने का कोई कारण नहीं है। यद्यपि तुरन्त सूचना के बाद भी सम्बन्धित पुलिस ने दिनांक 22.01.2015 को घटना की रिपोर्ट दर्ज की। जैसा कि सामान्यतः पुलिस करती रहती है। इस प्रकार से पुलिस को सूचना देने के सम्बन्ध में कोई देरी नहीं है।

जहां तक अप्रार्थीगण को सूचना का प्रष्न है अप्रार्थीगण ने इस सम्बन्ध में अपना कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया है परन्तु पुश्ट रूप से यह धारणा की जा सकती है कि परिवादी ने बीमा कम्पनी को भी तुरन्त सूचना दी, जैसा कि परिवादी ने अपने परिवाद में कथन किया है। क्योंकि ऐसी सूरत में जब पुलिस को तत्काल सूचना दी गई तो स्वाभाविक है कि परिवादी ने बीमा कम्पनी को भी समय पर सूचना दी। इसलिए अप्रार्थी की ओर से प्रस्तुत उक्त न्यायिक दृश्टांत वर्तमान प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों से भिन्न होने के कारण लागू नहीं होता है।

इस प्रकार से परिवादी, अप्रार्थीगण के विरूद्ध अपना परिवाद साबित करने में सफल रहा है। परिवादी का परिवाद विरूद्ध अप्रार्थीगण निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-

 

 

 

आदेश

 

4.            अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी, परिवादी को क्लेम राषि 27,815/- रूपये परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख 08.09.2015 से तारकम वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर से अदा करें। साथ ही अप्रार्थीगण, परिवादी को परिवाद व्यय के 3,000/- रूपये एवं मानसिक क्षति के 3,000/- रूपये भी अदा करें।

 

 

                आदेश आज दिनांक 25.01.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

      ।बलवीर खुडखुडिया।       ।बृजलाल मीणा।       ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

                   सदस्य                  अध्यक्ष                   सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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