Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/198/2009

SURENDRA YADAV - Complainant(s)

Versus

ICICI LAMBORD - Opp.Party(s)

JAY PRAKASH YADAV

30 Nov 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 198 सन् 2009

                                                                                        प्रस्तुति दिनांक 06.11.2009

     निर्णय दिनांक 30.11.2021 

  1. सुरेन्द्र कुमार यादव उम्र तखo 32 साल पुत्र स्वo पुनवासी यादव
  2. रामप्यारे यादव उम्र तखo 34 साल पुत्र स्वo पुनवासी यादव
  3. साहेब यादव उम्र तखo 35 साल पुत्र स्वo पुनवासी यादव
  4. सुरसती देवी उम्र तखo 55 साल पत्नी स्वo पुनवासी यादव

निवासीगण ग्राम- बेहटा, पोस्ट- रानी की सराय, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।      

     ....................................................................................परिवादीगण।

बनाम

  1. उoप्रo सरकार व जरिए जिलाधिकारी आजमगढ़।
  2. आई.सी.आई.सी.आई.लोम्बार्ड जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo इल्डिको चैम्बर-2 चतुर्थ तल जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo विभूतीखण्ड गोमती नगर, लखनऊ।
  3. जिलाधिकारी आजमगढ़ जिला- आजमगढ़।      
  4. विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादी संख्या 01 लगायत 03 के पिता व परिवादिनी संख्या 04 के पति स्वo पुनवासी यादव की दिनांक 28.03.2007 को समय करीब 5.45 बजे शाम को थाना रानी की सराय जिला आजमगढ़ के क्षेत्राधिकार में जीप की चपेट में आने के कारण गम्भीर चोटे आयी थी इन चोटों के कारण मृत्यु हो गयी, जिनका पोस्टमार्टम दिनांक 29.03.2007 को सदर अस्पताल, आजमगढ़ में हुआ। परिवादी संख्या 01 लगायत 03 के पिता व परिवादिनी संख्या 04 के पति स्वo पुनवासी यादव की वाहन दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होने व जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु होने की लिखित सूचना थाना- रानी की सराय जिला आजमगढ़ में पंजीकृत करायी गयी थी जिस पर थाना निजामाबाद आजमगढ़ में मुकदमा अपराध संख्या 201/07 अपराध धारा- 279, 337 व 304ए आई.पी.सी. दर्ज हुआ, जिसे जाँच के दौरान थानाध्यक्ष निजामाबाद आजमगढ़ द्वारा सही पाया गया। परिवादी संख्या 01ता03 के पिता व परिवादिनी संख्या 04 के पति स्वo पुनवासी यादव कृषक थे जिनका नाम भू-राजस्व अभिलेख ग्राम-बेहटा परगना निजामाबाद तहसील सदर जिला आजमगढ़ की खतौनी में मृतक का नाम रेवेन्यू रिकार्ड में दर्ज था। उoप्रo सरकार की सीमा में रहने वाले 12 से 70 वर्ष की आयु वाले ऐसे समस्त कृषक जिनका नाम रेवेन्यू रिकार्ड में खातेदार/सहखातेदार के रूप में दर्ज होगा उनके लिए अप्राकृतिक मृत्यु होने की दशा में व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना लागू की गयी है इस बीमा योजना के तहत ऐसे सभी कृषक अच्छादित होंगे जिनकी मृत्यु अप्राकृतिक होगी और अप्राकृतिक मृत्यु की दशा में बीमा धनराशि मुo 1,00,000/- रुपए की होगी। उoप्रo सरकार द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना विपक्षी संख्या 02 आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo के यहाँ से कराया गया है जिसका भुगतान विपक्षी संख्या 02 को करना है। परिवादी संख्या 01 द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना की धनराशि की प्राप्ति हेतु कई बार जिलाधिकारी/उपजिलाधिकारी कार्यालय सदर आजमगढ़ के कार्यालय में गया परन्तु परिवादी के साथ कार्यालय अधिकारी द्वारा उपेक्षात्मक व्यवहार किया गया और बार-बार कहा जाता रहा कि परिवादी के क्लेम का भुगतान जल्द से जल्द कर दिया जाएगा। परिवादी को कार्यालय पर दौड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है। परिवादी संख्या 01 दिनांक 22.09.2009 को जिलाधिकारी /उपजिलाधिकारी कार्यालय सदर आजमगढ़ क कार्यालय पर गया तो कार्यालय अधिकारी द्वारा उपेक्षात्मक व्यवहार करते हुए कहा गया कि परिवादी को दावा धनराशि नहीं मिलेगी अब फिर कभी कार्यालय मत आना। अतः परिवादीगण को विपक्षीगण से मुo 1,00,000/- रुपए का भुगतान कराया जाए, विपक्षीगण से 25,000/- रुपए मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हेतु तथा वाद व्यय 5,000/- रुपए कुल 1,30,000/- रुपए घटना की तिथि से अदायगी की तिथि तक 12% वार्षिक ब्याज की दर से दिलाया जाए।    

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/1 एफ.आई.आर. की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2व3पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 5/4 खतौनी की छायाप्रति, कागज संख्या 5/5 ग्राम प्रधान द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 5/6 परिवार रजिस्टर की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।    

कागज संख्या 8क विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादीगण को यह परिवाद दाखिल करने का कोई कॉज ऑफ एक्शन नहीं प्राप्त था। चूंकि परिवादीगण उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं, उन्हें कोई भी लाभ देने का औचित्य नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

कागज संख्या 11क विपक्षी जिलाधिकारी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उन्होंने यह कहा है कि परिवादी को कोई वाद कारण अथवा अधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादीगण द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य एवं प्रार्थना पत्र सहायता बीमा धनराशि के भुगतान हेतु विपक्षी संख्या 01 द्वारा विपक्षी संख्या 02 को प्रेषित किया गया था, लेकिन विपक्षी संख्या 02 द्वारा मृतक को 70 वर्ष से ऊपर दर्शाते हुए दावा को निस्तारित कर दिया है। विपक्षी संख्या 01 का उत्तरदायित्व मात्र दुर्घटना सम्बन्धी प्रपत्रों को प्रेषित करना है। बीमा दावा स्वीकार करने या न करने का दायित्व विपक्षी संख्या 02 का है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।    

विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा विपक्षी संख्या 03 के विद्वान शासकीय अधिवक्ता उपस्थित आए। शेष विपक्षीगण अनुपस्थित रहे। परिवादीगण तथा विपक्षी संख्या 03 के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। चूंकि परिवादीगण द्वारा विपक्षी संख्या 02 या अन्य विपक्षीगण को कोई भी प्रतिफल नहीं दिया गया था न ही प्रतिफल देने का वादा ही किया गया था। अतः ऐसी दशा में परिवादीगण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आते हैं। उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद निरस्त होने योग्य है। 

 

 

 

 

 

आदेश

                                                           परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                         गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                       (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

              दिनांक 30.11.2021

                                                 यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                              गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                               (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

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