Bihar

Darbhanga

CC/21/15

PANKAJ KUMAR - Complainant(s)

Versus

ICICI LAMBARD GENRAL INSURANCE - Opp.Party(s)

SMT. HEMA DHATI

23 Oct 2019

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/21/15
( Date of Filing : 24 Jul 2015 )
 
1. PANKAJ KUMAR
AT- GEHUNMI, PO- LALSHAPUR, PS- SADAR, DIST- DARBHANGA
...........Complainant(s)
Versus
1. ICICI LAMBARD GENRAL INSURANCE
BRANCH- ICICI LAMBARD MOTOR INSURANCE, AT- ALLAPATTI, PS- D.M.C.H LAHERIASARAI, DIST- DARBHANGA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SRI SARVJEET PRESIDENT
 HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar MEMBER
 HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha MEMBER
 
For the Complainant:SMT. HEMA DHATI, Advocate
For the Opp. Party:
Dated : 23 Oct 2019
Final Order / Judgement

आदेश

1. परिवादी पंकज कुमार ने इस आशय का परिवाद पत्र फोरम के समक्ष दाखिल किया कि उसने एक वैगनार LXI मॉडल की मोटर गाड़ी जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर-RJ-14CM1537 है, का बीमा विपक्षी-1  की कंपनी से उसके स्थानीय एजेंट विपक्षी दो के द्वारा दिनांक 06.10.2003 को कराया और उसके प्रीमियम का भुगतान किया उक्त गाड़ी से सम्बंधित बीमा पालिसी का नंबर 3001/MI-01547252/00/000 दिनांक 06.10.2013 जो कि दिनांक 05.10.2004 तक वैध था।

2. परिवादी का यह भी कथन है कि दिनांक 20.12.2013 के शाम 06 बजे वह अपने उपरोक्त गाड़ी से दरभंगा से मुजफ्फरपुर जा रहा था। इस दौरान आवेदक की मोटरगाड़ी सिमरी थानाक्षेत्र अंतर्गत कंसी पुल के पास अचानक सांड के सामने आ जाने से उसे बचाने के क्रम में गाड़ी बांये तरफ गड्डे में पलट कर बुरी तरह से क्षति ग्रस्त हो गया। उक्त दुर्घटना में परिवादी स्वयं जख्मी हो गया दुर्घटना की सूचना तत्काल सिमरी थाना को दिया गया विपक्षी दो को इसकी सूचना दिनांक 21.12.2013 को दिया गया। विपक्षी दो ने कहा की विपक्षी-1 को भी इसकी सूचना दे दें। दिनांक 22.12.2013 को इसकी विपक्षी एक को भी इसकी सूचना दे दिया गया। उक्त दुर्घटना से सम्बंधित सन्हा सं०561/13 दिनांक 25.12.2013 सिमरी में दर्ज कर लिया गया था।

3. परिवादी का यह भी कथन है कि दुर्घटना कि सूचना प्राप्त होने के पश्चात विपक्षी एक के अधिकृत प्रतिनिधि ने दुर्घटना स्थल पर पहुँच कर दुर्घटना ग्रस्त मोटर गाड़ी सम्बंधित सिमरी थाना से परिवादी को आये जख्म के विषय में जाँच पड़ताल किया और तथ्यों से अवगत हुए। विपक्षी के अधिकृत प्रतिनिधि ने परिवादी को बताया की गाड़ी क्षतिग्रस्त है इसलिए इसकी क्षतिपूर्ति के रूप में बीमा में ऊल्लेखित गाड़ी के मूल्य 267781 रुपया का क्लेम दिया जायेगा। विपक्षी एक के प्रतिनिधि ने परिवादी को उक्त दुर्घटना से सम्बंधित क्लेम नंबर MOT03552716 दिया दुर्घटना घटित होने के कुछ माह बाद परिवादी ने विपक्षी से गाड़ी के क्लेम के सन्दर्भ में संपर्क किया, जिसे विपक्षी ने बराबर टालता रहा दस माह बीत जाने के बाद भी जब विपक्षी ने उक्त क्लेम के सम्बन्ध में किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं किया तो दिनांक 01.09.2014 को परिवादी ने विपक्षी एक को अधिवक्ता नोटिस दिया लेकिन विपक्षी एक द्वारा उसका कोई जबाब नहीं दिया गया।

5. परिवादी का यह भी कथन है कि वह अपने निवास स्थान से 26 किमी० दूर कमतौल में हीरो मोटर साइकिल का डीलरशिप चला रहा है। सम्बंधित वाहन का प्रयोग वह अपने आवास से अपनी एजेंसी तक आने जाने के लिए  प्रयोग करता था। प्रश्नगत वाहन को क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण उसे अपने प्रतिष्ठान कमतौल आने जाने के लिए 13500 रु० मासिक किराया पर एक गाड़ी लेना पड़ा। यदि परिवादी को प्रश्नगत वाहन का बीमा मिल गया होता तो उक्त धनराशि से दूसरा वाहन ले लिया होता और उसे दूसरी जगह अन्यत्र खर्चा नहीं करना होता। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा बीमा का दावा भुगतान नहीं करने से परिवादी को काफी मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा एवं उसे आर्थिक क्षति उठाना पड़ा।

        अतः अनुरोध है कि विपक्षीगण को यह आदेश दिया जाए कि वह बीमा मूल्य की धनराशि 267781 रु० एवं मई 2015 तक वैकल्पिक व्यवस्था के लिए की गयी गाड़ी का किराया मूल्य 229500 रु० तथा वाद शुल्क 2700 रु० कुल 499981 रु० का भुगतान परिवादी को कर दें।

6. विपक्षी सं० दो मेसर्स कृष्णा मोटर डीलर अधिकृत डीलर ICICI Lombard motor insurance की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ। उनके विरुद्ध एकपक्षीय सुनवाई प्रारंभ किया। विपक्षी सं० दो ने अपने व्यान तहरीर में स्पष्ट किया है कि परिवादी ने जैसा मामला दाखिल किया है वैसा चलने योग्य नहीं है। वह ख़ारिज होने योग्य है, परिवाद पत्र को देखने से ही प्रथम दृष्टिया यह मामला ख़ारिज होने योग्य लगता है परिवाद पत्र में पक्षकारों का दोष है। परिवादी को कोई अधिकार वाद कारण लाने का नहीं है । परिवादी ने यह परिवाद पत्र मात्र विपक्षी को परेशान करने को लाया है। परिवादी द्वारा लाया गया यह परिवाद पत्र विपक्षी दो के विरुद्ध पूर्णतः निराधार है। विपक्षी दो मात्र डीलर है। प्रश्नगत वाहन विपक्षी दो द्वारा परिवादी को नहीं बेचा गया था। सारा आरोप परिवादी का इन्सुरेंस कंपनी के विरुद्ध है।

7. विपक्षी दो का यह भी कथन है कि बीमा धनराशि प्राप्त करने के लिए कुछ कागजात बीमा कंपनी को देने होते है। परिवादी द्वारा लाया गया विपक्षी दो के विरुद्ध यह मामला पूर्णतः झूठा एवं बनावटी है। उसे जबरदस्ती इस मामले में पक्षकार बना दिया गया है। परिवादी द्वारा अपने दावा के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एनेक्सचर-1 बीमा निरिक्षण रिपोर्ट, एनेक्सचर-2 आईसीआईसीआई लोम्बार्ड मोटर इन्सुरेंस कंपनी में किये गए बीमा पॉलिसी का प्रमाण पत्र, एनेक्सचर-3 प्रश्नगत गाड़ी का मालिकाना प्रमाण पत्र जो कि राजस्थान सरकार द्वारा निर्गत है। जिसके मालिक का नाम पंकज कुमार है, एनेक्सचर-4 थानाध्यक्ष सिमरी को दिया गया परिवादी द्वारा पत्र एवं मौखिक साक्षी के रूप में परिवादी साक्षी पंकज कुमार के शपथ पर व्यान जिसमें उसने सम्पूर्ण घटना का शपथ पर समर्थन किया है।

            विपक्षी  की तरफ से मात्र अपना व्यान तहरीर दाखिल किया गया कोई लिखित अथवा दस्तावेजी साबुत उसके द्वारा फोरम के समक्ष दाखिल नहीं किया गया है।

8. विपक्षी एक आईसीआईसीआई जनरल इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड की तरफ से वकालतनामा दाखिल किया गया लेकिन अपना W/S दाखिल नहीं किया गया। W/S  मात्र विपक्षी दो की तरफ से दाखिल किया गया है। ऐसी स्थिति में विपक्षी एक के विरुद्ध एकपक्षीय सुनवाई करते हुए मामले का निष्पादन किया गया। चूँकि विपक्षी दो मामले में उपस्थित है।

               उभयपक्षों के तर्क को सुना एवं परिवादी द्वारा दाखिल किये गए दस्तावेजी साक्ष्यों में एनेक्सचर-3 से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने प्रश्नगत वाहन को प्रेम मोटर्स प्रावेट लिमिटेड, गोपालवाड़ी अजमेर रोड, जयपुर से ख़रीदा किया है। विपक्षी सं० दो मेसर्स कृष्णा मोटर अधिकृत डीलर है, लेकिन प्रश्नगत वाहन उसके प्रतिष्ठान से नहीं ख़रीदा गया है। वाहन का निबंधन भी राजस्थान में हुआ है। एनेक्सचर-2 को देखने से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने प्रश्नगत वाहन का बीमा आईसीआईसीआई लोम्बार्ड मोटर इन्सुरेंस से 6-OCT-2013 को कराया था, जो 5-OCT-2014 तक वेध था। उक्त वाहन का बीमा उन्होंने अपने F-3/360 चित्रकूट योजना वैशाली नगर जयपुर राजस्थान के पते से कराया है। प्रश्नगत वाहन दिनांक 20.12.2013 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ इस बात की पुष्टि परिवादी द्वारा दाखिल एनेक्सचर-4 से होती है। दुर्घटना में गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गयी थी। इस बात की पुष्टि बीमा निरिक्षण प्रतिवेदन से हो जाता है। उक्त प्रतिवेदन अभिलेख पर उपलब्ध है जो कि मेसर्स कृष्णा मोटर के अनुरोध पर वह निरिक्षण किया गया है।

9. परिवादी द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्यों एवं परिक्षण कराए गए मौखिक साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन विपक्षी सं० दो के प्रतिष्ठान से नहीं लिया गया। एनेक्सचर-1 में निरीक्षणकर्ता द्वारा डीलर के स्थान पर कृष्णा मोटर की तरफ से किसी भी अधिकृत पदाधिकारी का कोई हस्ताक्षर कहीं नहीं है।

          इस बात में कोई विरोधाभाष नहीं है कि प्रश्नगत वाहन आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड से बीमित नहीं था। एनेक्सचर-2 के देखने से स्पष्ट है कि उक्त वाहन विपक्षी सं० एक बीमा कंपनी से बीमित था। उसके बीमा की अवधि 05-OCT-2014 तक वैध थी। कथित दुर्घटना दिनांक 20.12.2013 की है। इस प्रकार से बीमित अवधि के अंदर प्रश्नगत वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।

        परिवादी द्वारा अभिलेख पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं लाया गया जिससे यह साबित होता कि परिवादी ने बीमा कंपनी को बीमा दुर्घटना के विषय में संसूचित किया था, तथा बीमा कंपनी द्वारा मांगे गए समस्त सम्बंधित दस्तावेजों को बीमा कंपनी को दिया था।एनेक्सचर- 1 जो कि निरिक्षण प्रतिवेदन है उस पर बीमा कंपनी के किसी पदाधिकारी का हस्ताक्षर नहीं है। एनेक्सचर-4 जो कि परिवादी द्वारा थाना प्रभारी सिमरी थाना को दी गयी सूचना है, वह दिनांक 25.12.2013 की है जबकि घटना दिनांक 20.12.2013 की है। घटना की सूचना के पांच दिन बाद सन्हा घटना की विश्वसनीयता को संदिग्ध बना देता है। प्रश्नगत वाहन विपक्षी दो के प्रतिष्ठान से ख़रीदा ही नहीं गया था, इस कारण इस मामले में विपक्षी सं० दो कि संलिप्ता कहीं प्रतीत नहीं होती है। उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विपक्षी एक एवं दो के विरुद्ध लाये गए सेवा में त्रुटि एवं मानसिक उत्पीड़न के आरोप को साबित करने में परिवादी विफल रहा है। परिवादी का यह कहना कि वह 13500 रु० प्रत्येक महीना 2015 तक कुल 229500 रु० अपने आने जाने के वैकल्पिक व्यवस्था पर खर्चा किया इसका भी कोई विश्वसनीय साक्ष्य परिवादी द्वारा अभिलेख पर नहीं लाया गया। सेवा शर्तों में त्रुटि के तदनुसार परिवादी द्वारा लाए गए इस परिवाद पत्र को ख़ारिज किया जाता है। अभिलेख को अभिलेखागार में जमा करने का आदेश दिया जाता है।

 

 
 
[HON'BLE MR. SRI SARVJEET]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha]
MEMBER
 

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