Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

cc/538/2014

uma kejriwal - Complainant(s)

Versus

ICICI BANK - Opp.Party(s)

27 Apr 2015

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या    
                
    

उपभोक्ता वाद संख्या-538/2014
उमा केजरीवाल पत्नी श्री सुरेष केजरीवाल निवासिनी 111/112 अषोक नगर, कानपुर महानगर।
                                  ................परिवादिनी
बनाम
1.    आई.सी.आई.सी.आई. प्रुडेन्षियल लाइफ इंष्योरेन्स कंपनी लि0 दि माल सिविल लाइन्स कानपुर नगर द्वारा मुख्य प्रबन्धक।
2.    आई.सी.आई.सी.आई. प्रू लाइफ टावर 1089 अप्पासेहद मराठे मार्ग प्रभा देवी मुंबई-400025 द्वारा मुख्य प्रबन्धक।
                           ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 26.11.2014
निर्णय तिथिः 22.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण से परिवादिनी को क्रिटिकल इलनेस बेनीफिट विपक्षी बीमा कंपनी से दिलाया जाये, षारीरिक, मानसिक, आर्थिक व सामाजिक क्षति के लिये क्रमषः रू0 4.5 लाख, 4.5 लाख, 4.5 लाख, 4.5 लाख, वाद व्यय हेतु रू0 25000.00 कुल रू0 19,25,000.00 दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादिनी का कथन यह है कि परिवादिनी द्वारा आई.सी.आई.सी.आई. प्रुडेन्षियल लाइफ इंष्योरेन्स कंपनी लि0 विपक्षी से दिनांक 30.06.06 को रू0 25000.00 सालाना की पॉलिसी नं0- 02993607 करायी गयी थी। जिसमें सालाना प्रीमियम के साथ क्रिटिकल इलनेस रायडर बेनीफिट योजना भी सम्मिलित थी। परिवादिनी को दिनांक 23.04.11 को हृदय में बहुत तकलीफ हुई। डाक्टरों की राय पर परिवादिनी द्वारा गुड़गांव स्थित मेंदांता अस्पताल में रू0 3.5 लाख रूपये खर्च करके  एन्जियोग्राफी हार्ट  सर्जरी करायी गयी।  जिसका क्लेम 
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रू0 1,00,000.00 परिवादिनी द्वारा दिनांक 01.05.14 को किया गया, जिसे विपक्षी बीमा कंपनी ने अपने पत्र दिनांकित 06.05.14 के माध्यम से देने से इंकार कर दिया। परिवादिनी की पॉलिसी बराबर चलने से क्रिटिकल इलनेस रायडर बेनीफिट की सुविधा का क्लेम न देकर विपक्षी ने घोर लापरवाही व सेवा में कमी कारित की है। परिवादिनी उपरोक्त क्लेम प्राप्त करने की अधिकारिणी है। फलस्वरूप परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र के विरूद्ध अपने जवाब दावा में प्रारम्भिक कथन, प्रारम्भिक आपित्तयां, मामले के तथ्य, परिवाद पत्र का प्रस्तरवार उत्तर आदि तारांकिक प्रस्तरों में अत्यन्त विस्तृत कथन किये गये हैं। विपक्षीगण द्वारा मा0 उच्चतम न्यायालय व अन्य सक्षम मंचों के द्वारा पारित विधि निर्णयों का भी विस्तृत उल्लेख किया गया है और लगाये गये विभिन्न संलग्नको के सम्बन्ध में भी विस्तृत विवरण दिया गया है। विपक्षी द्वारा षपथपत्र सहित कुल 19 पृश्ठों में जवाब दावा दिया गया है। यहां पर विपक्षीगण द्वारा अपने जवाब दावा में अभिकथित समस्त तथ्यों को अंकित करना फोरम न्यायासंगत नहीं मानता है।
4.    अतः विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा के अनुसार संक्षेप में विपक्षीगण का कथन यह है कि परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद झूठे, मनगढंन्त आधारों पर, विपक्षीगण से अवैधानकि धनराषि वसूलने की मंषा से वास्तविक तथ्यों को छिपाकर दूशित मंषा से प्रस्तुत किया गया है। परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद कालबाधित है। क्योंकि परिवादिनी को यदि कोई वाद कारण उत्पन्न हुआ है, तो वह दिनांक 11.08.06 को हुआ है। क्योंकि प्रष्नगत जीवन बीमा पॉलिसी परिवादिनी को दिनांक 27.07.06 को प्राप्त हुई है। बीमा पॉलिसी की षर्तों के अनुसार जिसका फ्री लुक पीरियड दिनांक 15.06.06 को सामप्त होता है। बीमा षर्तों के अनुसार परिवादिनी को उक्त अवधि फ्री लुक पीरियड में 
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बीमा पॉलिसी निरस्त करने हेतु वापस बीमा कंपनी को भेजनी चाहिए थी। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद वर्श 2014 में दाखिल किया गया हैं जबकि परिवादिनी को परिवाद दाखिल करने की अवधि दिनांक 11.08.06 से 11.08.08 तक थी। विपक्षीगण की ओर से आगे यह कहा गया है कि परिवादिनी की ओर से क्लेम से सम्बन्धित प्रस्तुत किये गये समस्त प्रपत्रों के सम्यक परिषीलन से यह पाया गया कि च्मतबनजंदमवने ज्तंदे सनउपदंस ब्वतवदंतल ।दहपवचसेंजल ;च्ज्ब्।द्ध ब्तपजपबंस पससदमे ठमदमपिज त्पकमत के अंतर्गत पॉलिसी षर्तों के अनुसार पॉलिसी से कवर नहीं होती है। अतः परिवाद उपरोक्त दो कारणों से निरस्त किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 20.11.14 एवं 07.12.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-3/1 के साथ संलग्न, कागज सं0-3/2 लगायत् 3/35 दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में संदेष सराफ सीनियर मैनेजर का षपथपत्र दिनांकित 05.02.15 व 08.02.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-20 लगायत् 65 दाखिल किया है।
निष्कर्श
7.    फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
8.    उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5 व 6 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
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    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख रूप से निम्नवत् दो विचारणीय बिन्दु बनते हैंः-
1.    क्या परिवादिनी का क्लेम कालबाधित है, यदि हां तो प्रभाव?
2.    क्या प्रष्नगत बीमारी जिसके लिए परिवादिनी द्वारा अपना क्लेम दाखिल किया गया है, वह परिवादिनी द्वारा ली गयी जीवन बीमा पॉलिसी के अंतर्गत कवर होती है, यदि हां तो प्रभाव?

विचारणीय बिन्दु संख्या-1ः- क्या क्लेम कालबाधित है?
9.    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षीगण की ओर से यह कथन किया गया है कि प्रस्तुत मामले में स्वीकार्य रूप से परिवादिनी की प्रष्नगत हृदयागत बीमारी की पहचान अप्रैल, 2011 में हुई थी। परिवादिनी द्वारा दिनांक 23.04.11 से 25.04.11 तक अस्पताल में अपना इलाज कराया गया। जबकि उसके द्वारा प्रष्नगत क्लेम दिनांक 14.04.14 को लगभग 3 वर्श व्यतीत होने के पष्चात दाखिल किया गया है। जबकि पॉलिसी की षर्तों के अनुसार परिवादिनी को अपना क्लेम बीमारी की पहचान होने के 6 माह के अंदर विपक्षी के यहां दाखिल करना चाहिए था। विपक्षीगण द्वारा अपने कथन के समर्थन में बीमा पॉलिसी की षर्त पार्ट-बी (4) का उल्लेख अपने जवाब दावा के प्रस्तर-11 में किया गया है। जिसके अनुसार बीमित व्यक्ति का यह उत्तरदायित्व है कि बीमारी के लक्षणों की पहचान होने के 7 दिन के अंदर बीमित व्यक्ति को विपक्षी बीमा कंपनी को सूचना देनी चाहिए, तभी क्रिटिकल इलनेस रायडर का लाभ बीमित व्यक्ति प्राप्त कर सकता है। विपक्षीगण द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में संलग्नक के रूप में कागज सं0-36 लगायत् 39 दाखिल किये गये हैं। कागज सं0-37 के पार्ट-बी (4) में उपरोक्त तर्क उपरोक्तानुसार यथावत् अंकित है। जिससे विपक्षीगण के कथन को बल प्राप्त होता है। परिवादिनी की ओर से विपक्षीगण की ओर से किये गये उपरोक्त कथन व विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त प्रलेखीय साक्ष्य के विरूद्ध अन्य कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। 
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    अतः उपरोक्त विचारणीय बिन्दु उपरोक्त कारणों से परिवादिनी के विरूद्ध व विपक्षीगण के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय बिन्दु संख्या-2
10.    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षीगण की ओर से यह कथन किया गया है कि च्मतबनजंदमवने ज्तंदे सनउपदंस ब्वतवदंतल ।दहपवचसेंजल ;च्ज्ब्।द्ध ब्तपजपबंस पससदमे ठमदमपिज त्पकमत के अंतर्गत कवर नहीं होती है। बल्कि इस बीमारी को प्रष्नगत जीवन बीमा पॉलिसी से बाहर रखा गया है। विपक्षीगण के द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में कागज सं0-36 लगायत् 39 प्रस्तुत किया गया है, जिसके पृश्ठ सं0-38 के प्रस्तर-बी में क्रिटिकल इलनेस को निम्नवत् परिभाशित किया गया हैः- श्ब्वतवदंतल ।तजमतल ठल.च्ें ळतंजि ैनतहमतल ;ब्।ठळैद्ध. जीम नदकमतहवपदह वि वचमद ीमंतज ेनतहमतल वद जीम ंकअपबम वि ं बवदेनसजंदज बंतकपवसवहपेज जव बवततमबज दंततवूपदह वत इसवबांहम वि वदम वत उवतम बवतवदंतल ंतजमतपमे ूपजी इल चें हतंजिण् ।दहपवहतंचीपब मअपकमदबम जव ेनचचवतज जीम दमबमेपजल वि जीम ेनतहमतल ूपसस इम तमुनपतमकण् ठंससववद ंदहपवचसेंजलए सेंमत वत ंदल बंजीमजमत इेंमक चतवबमकनतमे ंतम दवज बवअमतमकण्श्
    क्रिटिकल इलनेस की उपरोक्त परिभाशा से विदित होता है कि परिवादिनी की प्रष्नगत बीमारी, परिवादिनी द्वारा ली गयी बीमा पॉलिसी की क्रिटिकल इलनेस बीमारी के अंतर्गत कवर नहीं होती है। परिवादिनी की ओर से विपक्षीगण की ओर से किये गये उपरोक्त कथन के विरूद्ध कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
    अतः उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्ध तथा विपक्षीगण के पक्ष में निर्णीत किया जाता है
11.    विपक्षीगण की ओर से अपने जवाब दावा में मा0 उच्चतम न्यायालय तथा अन्य सम्मानित मंचों द्वारा विधि निर्णयों का उल्लेख किया गया है। किन्तु उक्त विधि निर्णयों की कोई प्रति फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गयी है। अतः प्रस्तुत निर्णय पारित करने में विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा में उल्लिखित विभिन्न विधि निर्णयों का उल्लेख नहीं किया जा रहा है।
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12.    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों की ओर से किये गये कथन व प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों के सम्यक विष्लेशणोपरांत और विषेशतः उपरोक्त दोनों विचारणीय बिन्दुओं में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
13.     परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज कया जाता हैं उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

   (पुरूशोत्तम सिंह)      ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।
 

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