जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री मनोज कुमार साहू पुत्र श्री छोटेलाल साहू, जाति- साहू, निवासी- 3/159, कुम्हार मौहल्ला, धानमण्डी, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1.ब्रान्च मैनेजर, आईसीआईसीआई बैंक,कचहरी रोड़, अजमेर ।
2. ब्रान्च मैनेजर, केडिट कार्ड विभाग, आईसीआईसीआई बैंक, रीजनल आफिस, सैकेण्ड फ्लोर, सी-99,श्रीजी टाॅवर, अंहिसा सर्किल के पास, सी-स्कीम, जयपुर ।
3. मै0 आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड जरिए इसके मुख्य प्रबन्धक, रजिस्टर्ड आफिस लैण्डमार्क, रेसकोर्स सर्किल, वड़ोदरा-390007
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 233/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री जवाहर लाल षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अवतारसिंह उप्पल, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 10.11.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि अप्रार्थी बैंक द्वारा उसे वर्ष 2007 में जो क्रेडिट कार्ड सख्या 4132897543360012 जारी किया गया था , के उपयोग में नहीं आने के कारण जनवरी, 2008 में उसने नियमानुसार निरस्त करवा दिए जाने के बावजूद भी अप्रार्थी बैंक ने किसी मैसर्स महालक्ष्मी कम्प्यूटर, आनसागर लिंक रोड, सिटी हास्पिटल के पीछे, अजमेर का रू. 15,000/- का कम्प्यूटर खरीद का बिल दिनांक 12.2.2008 को भेज कर व उसकी राषि उसके बचत खाते में से काट कर अनुचित व्यापार व्यवहार किया है । इस संबंध में उसने अप्रार्थी बैंक में षिकायत भी की । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बैंक ने जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी को एक प्रिंसीपल कार्ड संख्या 4132897543360004 व इस पर एक अन्य एडोन कार्ड सख्या 4132897543360012 जारी किया जाना दर्षाते हुए आगे यह कथन किया है कि प्रार्थी द्वारा उक्त एडोन कार्ड से मैसर्स महालक्ष्मी कम्प्यूटर, अजमेर से दिनांक 12.2.2008 को एक कम्पयूटर विक्रय किए जाने पर उसे . उक्त खरीद का बिल राषि रू. 25547.70 पै. जारी किया गया था और प्रार्थी से यह अपेक्षा की गई थी कि वह उक्त राषि 10 दिन में अदा करें । किन्तु जब प्रार्थी द्वारा उक्त राषि अदा नहीं की गई तो उसके बचत खाता संख्या 018501003841 को उसे सूचित करते हुए दिनंाक 21.8.2012 को लियन मार्क कर राषि रू. 25547.70 पै. उसके बचत खाते से काट ली गई । यदि प्रार्थी द्वारा उक्त फर्म से कम्प्यूटर नहीं खरीदा गया था तो उसके विरूद्व प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिए थी जो उसने नहीं करवाई । साथ ही उक्त फर्म परिवाद में आवष्यक पक्षकार है, उसे भी प्रार्थी ने आवष्यक पक्षकार नहीं बनाया है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री चन्द्रप्रकाष माथुर, लीगल मैनेजर का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थी पक्ष का प्रमुख तर्क रहा है कि उसके द्वारा वर्ष 2007 में अप्रार्थी बैंक द्वारा उसके पक्ष में जारी किए गए क्रेडिट कार्ड का कोई उपयोग नहीं होने के कारण इसे जनवरी, 2008 में ब्लाक व निरस्त करवा दिया गया था । इसके बाबत् फरवरी, 2008 में अप्रार्थी द्वारा मैसर्स महालक्ष्मी कम्प्यूटर, आनसागर लिंक रोड़, सिटी हाॅस्पिटल के पीछे, अजमेर से रू. 15,000/- का एक कम्प्यूटर खरीदने का बिल भेजा गया जो पूर्णतया गलत मिथ्या व अनुचित था । क्योंकि प्रार्थी द्वारा उक्त फर्म से कोई कम्प्यूटर खरीदा ही नहीं गया था तथा जनवरी, 2008 में जब उसके द्वारा उक्त क्रेडिट कार्ड ब्लाक व निरस्त करवा दिया गया था तो बाद में उसके नाम से किसी अन्य द्वारा खरीदे गए कम्प्यूटर का बिल भेज कर अप्रार्थी बैंक ने सेवा में कमी व अनुचित व्यापार व्यवहार का परिचय दिया है । उसके द्वारा इस बाबत् अप्रार्थी बैंक में सम्पर्क कर षिकायत भी दर्ज करवाई गई । किन्तु अप्रार्थी बैंक द्वारा उनके पत्र में गलत के्रडिट कार्ड का गलत अंकन करते हुए उसके खाते से काटी गई राषि अनुचित है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
4. अप्रार्थी बैंक ने इन तथ्यों का खण्डन करते हुए प्रार्थी को उसकी प्रार्थना पर दो क्रेंडिट कार्ड यथा मुख्य प्रिंसीपल के्रडिट कार्ड व इस कार्ड पर एक अन्य एडोन के्रडिट कार्ड जारी करना बताया । प्रार्थी द्वारा उक्त क्रेडिट कार्ड के जरिए प्रष्नगत कम्प्यूटर खरीदा गया था । इस बाबत् उसे पत्र द्वारा भुगतान हेतु सूचित भी किया गया । किन्तु उसके द्वारा उक्त राषि जमा नहीं करवाए जाने पर उसके बचत खाते से राषि काटी गई है । अप्रार्थी द्वारा क्रेडिट कार्ड को ब्लाक या निरस्त करवाने के तथ्यों से इन्कार किया गया । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि यदि महालक्ष्मी कम्प्यूटर, अजमेर द्वारा प्रार्थी के क्रेडिट कार्ड से गलत संव्यवहार किया गया था तो प्रार्थी के लिए यह अपेक्षित था कि वह उक्त फर्म के विरूद्व प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाता , जो कि नहीं करवाई गई है । उक्त फर्म को जो कि आवष्यक पक्षकार है, पक्षकार नहीं बनाया गया है । प्रार्थी के बचत खाते को लियन मार्क करते हुए उसे इस लियन की सूचना प्राप्त हो जाने के बावजूद भी आपत्ति नहीं किए जाने तथा अप्रार्थी बैंक द्वारा उक्त क्रेडिट कार्ड की बकाया की वसूली नियमानुसार किए जाने बाबत् तर्क प्रस्तुत करते हुए बैंक का इस पर लियन होना बताया । इस संबंध में विनिष्चय ।चचमंस छवण् 440ध्14 प्दनिकपद िठंदा टे क्ींतंउअममत ळनतरनत ;त्ंरंेजींद द्ध व्तकमत क्ंजमक 24.2.2015 पर अवलम्ब लिया गया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित सिद्वान्त का भी अवलोंकन कर लिया है ।
6. प्रार्थी ने वर्ष 2007 में अप्रार्थी बैंक द्वारा उसे क्रेडिट कार्ड संख्या 4132897543360004 जारी करना व इसका उपयोग नहीं होने के कारण जनवरी, 2008 में ब्लाक व निरस्त करवा देना बताया है व इस हेतु उसने बैंक में क्रेडिट कार्ड ब्लाक करवाने के लिए लगाए गए पृथक विषेष टेलीफोन से मध्यान्ह 11 से 1 बजे के बीच में संबंधित नम्बर को टेलीफोन लगाना व स्वय से उक्त टेलीफोन से वांछित सूचनाए यथा नाम, के्रडिट कार्ड नम्बर , माता का नाम इत्यादि बाताए जाने पर उक्त कार्ड को ब्लाक करना बताया है। अप्रार्थी बैंक ने इसका खण्डन किया है। यहां यह उल्लेखनीय हे कि प्रार्थी द्वारा उसे वर्ष 2007 में यह क्रेडिट कार्ड बैंक द्वारा कब जारी किया गया, का कोई विषेष विवरण, पत्र का हवाला आदि सम्पुष्टीकारक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किए है। यहां तक कि उसने किस विषिष्ठ तिथि को उक्त कार्ड ब्लाॅक किया, का भी कोई उल्लेख नहीं किया है । उसने तत्समय कार्ड ब्लाॅक करने के बाद कोई लिखित में सूचना पत्र आदि बैंक को दिया हो, इसका भी कोई न तो हवाला दिया है और ना ही प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है । इसके खण्डन में अप्रार्थी बैंक द्वारा प्रार्थी को दूसरा क्रेडिट कार्ड जिनमें मुख्य प्रिंसीपल कार्ड संख्या 4132897543360004 व इस कार्ड पर एक एडोन क्रेडिट कार्ड संख्या 4132897543360012 दिया जाना बताया है तथा इसी एडोन क्रेडिट कार्ड के जरिए उक्त खरीद फरोख्त किया जाना अभिकथित किया है । प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी के इस तथ्य का कोई खण्डन सामने नहीं आया है । अप्रार्थी बैंक द्वारा इस संबंध में उसे उनके पत्र रैफरेंस नं.0033922081203 प्रदर्ष-1 दिनंाक 21.8.2012 के द्वारा सूचित किया है तथा इसमें उन्होने स्पष्ट रूप से प्रार्थी को क्रेडिट कार्ड नं. 4132897543360004 जारी करना बताया है तथा उसके द्वारा उक्त मैसर्स महालक्ष्मी कम्प्यूटर , अजमेर द्वारा विक्रय किए गए कम्प्यूटर की राषि को बैंक द्वारा वसूल करने हेतु 10 दिन का समय दिया गया है । यदि प्रार्थी के अनुसार उक्त के्रडिट कार्ड उसे जारी नहीं हुआ था तथा उक्त खरीद फरोख्त भी उसके द्वारा अमल में नहीं लाई गई थी तो उसके यह अपेक्षित था कि वह विरोध स्वरूप इस पत्र का उत्तर अवष्य देता, जो कि उसके द्वारा नहीं दिया गया है। यहां तक कि उसके द्वारा उक्त मै.महालक्ष्मी कम्प्यूटर, अजमेर के विरूद्व भी कोई कानूनी कार्यवाही भी अमल में नहीं लाई गई है । अतः कहा जा सकता है कि प्रार्थी को बैंक द्वारा उक्त प्रिंसीपल क्रेडिट कार्ड व इस पर एडोन क्रेडिट कार्ड जिसका नं. 4132897543360012 है, जारी किया गया व इसी कार्ड के माध्यम से 12 फरवरी, 2008 को उक्त मैसर्स महालक्ष्मी कम्प्यूटर, आनासागर लिंक रोड़, सिटी हाॅस्पिटल के पीछे, अजमेर से कम्पयूटर की खरीद की गई। कहा जा सकता है कि अप्रार्थी द्वारा खण्डल स्वरूप अपने पक्ष कथन को साबित किया गया है जबकि प्रार्थी द्वारा अपने परिवाद के समर्थन में कोई पुख्ता साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है । इसके अभाव में परिवाद में वर्णित तथ्य उसके द्वारा सिद्व नहीं किए गए है। हम अप्रार्थी की ओर से प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित सिद्वान्त पर सहमत है । जिसमें यह अभिकथित किया गया है कि बैंक को लियन के रूप में ऐसी बकाया राषि वसूल करने का अधिकार संरक्षित है ।
7. सार यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में प्रार्थी का परिवाद निरस्त होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
8. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 10.11.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष