जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,पाली(राजस्थान)
परिवाद संख्या सी.सी.37-2012
1-अनीतादेवी अग्रवाल पत्निी श्री गिरधारीलाल जी जाति अग्रवाल बी-46, बापूनगर ,46 पाली तहसील व जिला पाली राजस्थान)।
परिवादियाॅ
बनाम
1-आई.सी.आई.बैक लि.जरिये षाखा प्रबन्धक, पता-मस्तान बाबा चैराहा,पाली तहसील पाली जिला पाली (राजस्थान)
2-आई.सी. आई. सी. आई बैक लि. जरिये षाखा प्रबन्धक, जलजोग चैराहा, पोस्ट जोधपुर जोधपुर तहसील व जिला जोधपुर (राजस्थान)।
3-आई .सी.0 आई. सी. आई. बैक लि. (रजि.कार्यालय) जरिये मुख्य प्रबन्धक, पता-लेण्डमार्क, रेस कोष सर्किल, पोस्ट बडोदरा (गुजरात)।
अप्रार्थीगण
निर्णय
ज्ज्ज्ज्ज्ज्
परिवादी ने एक परिवाद प्रार्थना पत्र पेशकर बताया है कि परिवादियाॅ ने दिनांक 11-4-2008 को एल एम जे सर्विसेज लि.जोधपुर के षाखा कार्यालय पाली से मारूति लि.कम्पनी द्वारा उत्पादित डिजल वर्जन कार ’’स्वीफट वी.डी.आई’’ रूपये 506986/-में खरीद की । उक्त वाहन पर फाईनेन्स हेतु मोहम्मद साबिर से सम्पर्क किया तथा परिवादियाॅ ने फाईनेन्स के रूप में चार लाख रूपये लेना स्वीकार किया । तीनो अप्रार्थीगण के अपने द्वारा किये कार्यो के लिये समान रूप से संयुक्त रूप से अथवा पृथक पृथक रूप से जिम्मेदार है । अप्रार्थीगण ने परिवादियाॅ को उक्त वाहन पर रूपये चार लाख का फाईनेन्स करने की स्वीकृति प्रदान कर पुनः अदायगी मय ब्याज कुल 36 मासिक किष्तो में करना तय किया । प्रत्येक किष्त 12700/-रूपये मासिक की तय की गई । प्रथम किष्त अप्रार्थीगण ने स्वयं अपने स्तर पर रूपये चार लाख में से कटौती कर ़़ऋण की राषि प्रदान की । षेष राषि की अदायगी हेतु अप्रार्थीगण ने परिवादियाॅ से 35 खाली चैक प्राप्त कर लिये । अप्रार्थीगण की ओर से परिवादियाॅ को फोन पर बताया कि चैक सं. 203663 डिसआॅनर हो गया है तब परिवादियाॅ ने उसी दिन दिनांक 11-4-2009 को जरिये रसीद चैक सं0 436264 रूपये 12925/-का अप्रार्थीगण को प्रदान किया, जिसके अन्तर्गत 225/रु-रूपये चैक डिसआॅनर के नाम पर वसूल किये। परिवादियाॅ द्वारा प्रदत चैक 203663 का भुगतान दिनांक 11-5-2009 को अप्रार्थीगण ने प्राप्त कर लिया है । इससे स्पष्ट जाहिर है कि अप्रार्थीगण ने झूंठ बोलकर चैक डिसआॅनर होना बताया एवं परिवादियाॅ से भुगतान के एवज में दूसरा चैक सं0 436264 प्राप्त कर लिया । तब पररिवादियाॅ के वैक सं0 436264 का भुगतान नहीं किया तथा उक्त चैक डिसआॅनर बताकर उक्त चार्जेज भी परिवादियाॅ पर अधिरोपित कर खाते में डेबिट कर दिये । उक्त राषि को नोडयूज प्रमाणपत्र हासिल करने के समय अप्रार्थीगण ने बलपूर्वक दिनांक 21-3-2011 को वसूल किये । अप्रार्थीगण ने ऋ़ण प्रदान करते समय चार लाख रूपये में से प्रथम किष्त के रूप में 12700/-काट लिये थे इसके अलावा प्रोसेसिंग फीस के 2600/-एवं स्टाम्प डयूटी के 530/-रूपये कुल रूपये 15830/-रूपये कटौती करने के पष्चात् नेट रकम रूपये 384170/-की सीधे अदायगी एल एम जे सर्विसेज लि. को की गई । परिवादियाॅ द्वारा प्रदत अंतिम किष्त के चैक सं0 203685 की राषि रूपये 12700/-का भुगतान भी दिनांक 10-3-2011 को हो गया । सम्पूर्ण भुगतान होने पर परिवादियाॅ ने नो ड्यूज व एच.पी. हटवाने हेतु सम्पर्क किया तो अप्रार्थीगण ने नो डयूज देने से इन्कार कर दिया एवं 221/-रूपये ओर जमा करवाने के निर्दष दिये तथा उक्त राषि जमा करवानी पडी । परिवादियाॅ ने 400000/-रूपये मुलधन एवं 51200/-रूपये के बताये । अप्रार्थीगण से खाते का स्टेटमेन्ट प्राप्त किया तो पता चला कि 6000/-रूपये अधिक वसूल किये गये है । उक्त राषि वापिस अदा करने का कहा तो कहा कि अंतिम किष्त का भुगतान होने पर उक्त राषि लौटा दी जावेगी । इसकी षिकायत लोकपाल को की गई तो उन्होने मूल एग्रीमेन्ट बताने का निर्देष दिया, अन्यथा 6000/-रूपये मय ब्याज देने के निर्देष दिये । परिवादियाॅ ने दिनांक 30-11-2011 को पाली कार्यालय से सम्पर्क किया तो उन्होने मूल एग्रीमेन्ट नहीं बताया एवं न ही 6000/-रूपये लौटाये । अतः परिवादियाॅ से 6221/-रूपये एवं उस पर ब्याज 4230/-गलत तरीके से वसूल किये गये है । इस प्रकार अप्रार्थीगण ने गलत राषि वसूल करके सेेवादोष कारित किया है । अतः परिवादियाॅ का परिवाद पत्र स्वीकार किया जाने का निवेदन किया है ।
2- इसका जवाब पेषकर बताया है कि परिवादियाॅ ने उक्त वाहन पर फाईनेन्स हेतु एजेन्ट रेन्बों फाईनेन्स के प्रतिनिधि से सम्पर्क किया था जिसको इस मामले में पक्षकार नहीं बनाया गया है । इस कारण परिवाद काबिल खारिज के है । परिवादियाॅ ने दिनांक 11-4-2008 को एल एम जे सर्विसेज लि0 जोधपुर के षाखा कार्यालय पाली से मारूति कम्पनी लि0 द्वारा उत्पादित डिजल वर्जन कार स्वीफट वी डी आई रूपये 596006/-में खरीद की थी तथा परिवादियाॅ ने एजेन्सी के समक्ष सारे पेपर हस्ताक्षर किये थे उस वक्त अप्रार्थीगण का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था । परिवादियाॅ को चार लाख का लोन दिया गया था जिसकी अदायगी 36 किष्तो में की जानी थी प्रत्येक किष्त 12700/-की गई थी । यह गलत है कि प्रथम किष्त अप्रार्थीगण ने अपने स्तर पर काटी हा,े बल्कि एडवान्स के रूप में 6700 रूपये बैक द्वारा काटेे गये थे व 6000/-सी एफ ओ सी के चार्जेज थे जो कि लोन डिस्बर्ष करते वक्त परिवादियाॅ को अदा करने थे । इस बात की पुष्टि रिपेमेन्ट सेडयुल व लोन स्टेटमेन्ट के देेखने मात्र से ही होती है । अप्रार्थी ने लेान प्रदान करते वक्त 400000/-में से एडवान्स किष्त के रूप में मात्र 6700/-ही काटे गये थे । परिवादियाॅ ने लोान एक मध्यस्थ के माध्यम से लिया था । लेकिन परिवादियाॅ ने उसे पक्षकार नही बनाया है । इस प्रकार अप्रार्थीगण ने 6000/-रूपये अधिक वसूल नही किये है एवं न ही सेवादोष कारित किया है । अतः परिवादियाॅ का परिवाद पत्र मय खर्चे खारिज किया जावे।
3- बहस अंतिम सुनी गई । पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया ।
आदेष
ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्
परिणामस्वरूप परिवादी का परिवाद प्रार्थना पत्र आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है । आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन में हुई क्षति की क्षतिपूर्ति के लिये 11000/-रूपये तथा परिवादी को हुई मानसिक संताप की क्षति के लिये 4000/-अक्षरे चार हजार रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 1000/-अक्षरे एक हजार रूपये अदा करेगे । उक्त सम्पूर्ण राषि 16000/-अक्षरे सोलह हजार रूपये अन्दर अवध्ेिा दो माह में अदा की जावेगी, अन्यथा उक्त सम्पूर्ण रकम पर आज निर्णय की तिथि से ता अदायगी तक 9 प्रतिषत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी अदा करना पडेगा ।