Rajasthan

Jaipur-I

254/2008

RAMVEER MEENA - Complainant(s)

Versus

ICICI BANK LTD & OTHER - Opp.Party(s)

HARISH JAIMAN

09 Jun 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Execution Application No. 254/2008
In
254
 
1. RAMVEER MEENA
QUARTER NO. 62, TYPE 1 C.I.S.F. COMPLEX, AMER JAIPUR
...........Appellant(s)
Versus
1. ICICI BANK LTD & OTHER
C-6-A, BACK OF HOTEL NEELAM, STATION ROAD JAIPUR
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE R.K.Mathur PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Seema sharma MEMBER
 HON'BLE MR. O.P. Rajoriya MEMBER
 
For the Appellant:HARISH JAIMAN , Advocate
For the Respondent:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर

समक्ष:    श्री कैलाश चंद्र शर्मा - अध्यक्ष
          श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
          श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य

परिवाद सॅंख्या: 254/2008
रामवीर मीणा पुत्र श्री बजरंग लाल मीणा, जाति मीणा, उम्र 20 वर्ष, निवासी क्वार्टर न.ं 62, टाइप ा सी.आई.एस.एफ. काॅम्पलैक्स, आमेर, जयपुर Û
                                              परिवादी
               ं     बनाम

1.    आई.सी.आई.सी.आई. बैंक जरिए डी.एस. ‘‘हनुमंता एसोसिएट्स‘‘ कार्यालय सी-6-ए, होटल नीलम के पीछे, स्टेशन रोड़, जयपुर
2.    आई.सी.आई.सी.आई बैंक लि0 जरिए प्रबंधक (व्हीकल फाईनेन्स) कार्यालय श्री जी टावर अहिंसा सर्किल, सी-स्कीम, जयपुर
3.    मोरानी मोटर्स प्राईवेट लि0 जरिए प्रोपराईटर/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता सीताबाड़ी के पीछे, टोंक रोड़, जयपुर

              विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री राजेश शर्मा, हरिश जैमन - परिवादी
श्री जितेन्द्र गुप्ता - विपक्षी सॅंख्या 2
श्री लोकेश शर्मा - विपक्षी सॅंख्या 3

                             परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 14.03.08

                       आदेश     दिनांक: 12.01.2015

परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी सॅंख्या 2 से ऋण प्राप्त करने के लिए विपक्षी सॅंख्या 1 से सम्पर्क किया । परिवादी ने दिनांक 02.11.2007 को विपक्षी सॅंख्या 1 द्वारा मांगे गए समस्त दस्तावेजात उसे दे दिए और वाहन बाबत लोन एग्रीमेंट किया ।  विपक्षी सॅंख्या 1 द्वारा दिनांक 07.11.2007 को ई.एम.आई.चार्ज के रूप में 2450/- रूपए तथा वाहन हीरो होण्डा करिज्मा के डाउन पेमेंट के रूप में 22500/- रूपए परिवादी से नकद प्राप्त किए गए तथा परिवादी को आश्वस्त किया गया कि वह 36 किश्तें 2450/- रूपए की प्रत्येक माह अदा करेगा  । विपक्षी सॅंख्या 2 द्वारा ऋण स्वीकृत किए जाने पर विपक्षी सॅंख्या 1 ने विपक्षी सॅंख्या 3 से मोटर साईकिल दिलवा दी । विपक्षी सॅंख्या 3 द्वारा  जरिए इनवाइस नंबर वी.एस.आर. 112007-4314 दिनांक  07.11.2007 को मोटर साईकिल का कुल मूल्य 74610/- रूपए प्राप्त किए गए । वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर आर.जे.14 एएस 6775 स्वीकृत किया तथा आठ दस दिन बाद आकर रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र व बीमा प्रमाण पत्र ले जाने बाबत कहा गया । परिवादी का कथन है कि 27.02.2008 को विपक्षी सॅंख्या 3 द्वारा उसे बताया गया कि उन्हें विपक्षी सॅंख्या 1 द्वारा वाहन के मूल्य बाबत चैक प्राप्त नहीं हुआ है ऐसी स्थिति में परिवादी को वाहन के मूल कागजात दिया जाना समम्भव नहीं है। दिनंाक 28.02.2008 को विपक्षी सॅंख्या 1 से सम्पर्क करने पर उसने बताया कि वाहन पर ऋण सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकती हे अत: वाहन की शेष राशि 64500/- रूपए एक मुश्त जमा करवा दे अथवा वाहन को वापिस लौटा दे और ऐसा नहीं किया गया तो वाहन उठा लिया जाएगा । परिवादी का कथन है कि  उसके द्वारा विपक्षी सॅंख्या 1 से यह निवेदन किए जाने पर कि यदि उसके पास एकमुश्त राशि होती तो वह वित्तीय सुविधा के लिए सम्पर्क नहीं करता और आकस्मिक रूप से वाहन क्रय किए जाने के 4 माह बाद लोन स्वीकृत नहीं किए जाने का तथ्य असंगत है परिवादी के साथ दुव्र्यवहार किया गया ।  विपक्षी सॅंख्या 2 से सम्पर्क करने पर भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया ।  परिवादी का कथन है कि इस प्रकार वाहन क्रय किए जाने के 4 माह उपरांत यह कहना कि लोन स्वीकृत नहीं हो सकता, शेष सम्पूर्ण राशि एकमुश्त अदा करो अन्यथा वाहन को उठा लेने की धमकी देकर तथा परिवादी के साथ दुव्र्यवाहर कर गम्भीर सेवादेाष कारित किया गया है जिससे परिवावदी को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक संताप हुआ है । परिवादी ने विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 को वित्तीय ऋण सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु निर्देश दिए जाने, विपक्षी सॅंख्या 3 को वाहन के मूल दस्तावेजात, रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र, बीमा आदि परिवादी को दिलवाए जाने के निर्देश दिए जाने, लोन स्वीकृत नहीं करने की दशा में समस्त दस्तावेजात, चेक्स, डाउन पेमेंट और ईएमआई की राशि 2450/- रूपए ब्याज सहित लौटाने के निर्देश देने, आवागमन व्यय के 5000/- रूपए, असुविधा व्यय के रूप में 5000/- रूपए, शारीरिक व मानसिक पीड़ा के 50,000/- रूपए, परिवाद खर्च एवं एडवोकेट फीस के 5500/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी सॅंख्या 1 की ओर से परिवाद का कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है न ही बहस की गई है।
विपक्षी सॅंख्या 2 की ओर से इस आशय का जवाब जवाब प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षी सॅंख्या 1 से उनका कोई सम्बन्ध नहीं है । विपक्षी सॅंख्या 1 उनका ना तो कर्मचारी है ना ही प्रबंधक है । परिवादी ने विपक्षी से कभी भी आकर सम्पर्क नहीं किया । विपक्षी सॅंख्या 2 द्वारा कभी भी परिवादी से कागजात की मांग नहीं की गई । विपक्षी सॅंख्या 2 द्वारा कोई वित्तीय सुविधा परिवादी को प्रदान नहीं की गई है । विपक्षी सॅंख्या 2 का कथन है कि परिवादी व उसके मध्य उपभोक्ता का संबंध नहीं है । विपक्षी सॅंख्या 2 का कथन है कि उनके द्वारा कोई सेवादोष नहीं किया गया है अत: परिवाद पत्र खारिज किया जावे ।
विपक्षी सॅंख्या 3 की ओर से इस आशय का जवाब प्रस्तुत किया गया है कि प्रश्नगत मोटर साईकिल के सम्बन्ध में ओन रोड मूल्य में से डाउन पेमेन्ट के अतिरिक्त बकाया राशि आज दिनांक तक ना तो परिवादी ने ने और ना ही विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 से प्राप्त हुई है । वाहन के रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र व बीमा प्रमाण पत्र के सम्बन्ध में विपक्षी सॅंख्या 3 का कथन है कि फाईनेंस की स्थिति में इन पर हाइपोथिकेशन फाइनेन्सर का होता हेै और फाईनेंसर सम्पूर्ण औपचारिकताएं कर दस्तावेजात देता है । परिवादी द्वारा विपक्षी सॅंख्या 3 के यहां कभी चक्कर नहीं लगाए गए हैं । विपक्षी सॅंख्या 3 का कथन है कि  आज दिनांक तक उन्हें वाहन के सम्बन्ध में कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है ऐसी स्थिति में परिवाद विपक्षी सॅंख्या 3 के विरूद्ध खारिज किया जावे ।
 मंच द्वारा परिवादी एवं विपक्षी सॅंख्या 2 व 3 के अधिवक्ता की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। 
परिवादी ने उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद में विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 बैंक को ऋण सुविधा उपलब्ध करवाए जाने हेतु निर्देशित किए जाने की प्रार्थना की है । साथ ही वाहन के मूल दस्तावेजात भी दिलवाए जाने की प्रार्थना की है । किसी भी वित्तीय संस्थान द्वारा ऋण उपलबध करवाया जाना उसका विशेषाधिकार है । वह ऋण प्राप्त करने वाले प्रार्थी के सम्बन्ध में वांछित जानकारी हासिल करने एवं उससे सन्तुष्ट होने के पश्चात ऋण सुविधा प्रदान करने का अधिकार रखता है । जिला मंच किसी वित्तीय संस्थान को ऋण दिए जाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है ।
प्रस्तुत प्रकरण में अधिवक्ता परिवादी द्वारा दौराने बहस यह तथ्य उजागर किया गया है कि विवादित मोटर साईकिल परिवादी के पावर व पजेशन में है । परिवादी ने अपने परिवाद के पैरा 19 में स्वयं यह कथन किया है कि  उसने विपक्षी सॅंख्या 3 को डाउन पेमेंट अदा करके वाहन की डिलीवरी प्राप्त की है । परिवादी का यह भी कथन है कि उसे जो ऋण विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 द्वारा स्वीकृत किया जाना चाहिए था उसकी 2450/- रूपए प्रति माह की कुल 36 किश्तों मंे ऋण अदा किया जाना प्रस्तावित था । परिवादी द्वारा यह परिवाद जिला मंच के समक्ष दिनांक 14.03.2008 को प्रस्तुत किया गया है जिसे 6 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है । इस प्रकार यह पाया जाता है कि परिवादी विपक्षी सॅंख्या 3 डीलर को विवादित वाहन की विक्रय राशि 74610/- रूपए में से केवल मात्र डाउन पेमेन्ट अदा कर उक्त मोटर साईकिल का उपयोग-उपभोग कर रहा है और उसने बाकी राशि अदा किए बिना उक्त मोटर साईकिल का उपयोग-उपभोग किया है तथा शेष अदा की जाने वाली राशि को एन्जाॅय कर म्दतपबीउमदज हुआ है । विवादित मोटर साईकिल विपक्षी सॅंख्या 3 द्वारा वेट इन्वाईस वी एस आर 112007-4314  से 2007 में विक्रय की गई है । परिवादी ने जिला मंच के समक्ष ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है कि उसने अन्य कोई राशि विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 को अदा की हो । इस सम्बन्ध में परिवादी ने अपने बैंक खाते का कोई स्टेटमेंट भी पेश नहीं किया है । विद्वान अधिवक्ता परिवादी का दौराने बहस यह कथन है कि परिवादी द्वारा चैक सॅंख्या 102035 से 102039 तक 5 चैक परिवादी के एस बी बी जे खाते के दिए गए हैं लेकिन जिला मंच के समक्ष परिवादी द्वारा ऐसी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है कि उक्त चैकों का आहरण विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 द्वारा परिवादी के बैंक खाते से किया गया हो । किसी भी वित्तीय संस्था द्वारा ऋण सुविधा उपलब्ध नहीं करवाया जाना सेवादोष की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है ।  इस प्रकार परिवादी द्वारा परिवाद में वर्णित अनुतोष परिवादी को नहीं दिलवाया जा सकता है ।
                     आदेश
अत: परिवाद के सभी तथ्यों एवं साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी द्वारा दिए गए चैक सॅंख्या 102035 से 102039 तक का भविष्य में किसी प्रकार से कोई उपयोग नहीं करेंगे और यदि उनके पावर एवं पजेशन में उक्त चैक उपलब्ध हो तो उन्हें परिवादी को एक माह की अवधि में लौटाएंगे । 
पत्रावली में विवादित वाहन की इन्वाइस वैल्यू 74610 वेट इन्वाइस से प्रमाणित है । परिवादी ने परिवाद के पैरा सॅंख्या 13 में स्वयं उल्लेख किया है कि उसे डाउन पेमेन्ट के पश्चात शेष बची राशि 64500/- रूपए एकमुश्त जमा कराने के लिए कहा गया था । विपक्षी सॅंख्या 3 के अधिवक्ता द्वारा भी जो लीगल नोटिस परिवादी एवं विपक्षी सॅंख्या 1 व 2 को दिनांक 08.09.2008 को प्रेषित किया गया है उसमें भी शेष बकाया राशि 64541/- रूपए एवं उस पर दिनांक 07.11.2007 से 24 प्रतिशत ब्याज दिलाए जाने की मांग की है। 
अत: परिवादी को यह आदेश दिया जाता है कि वह विपक्षी सॅंख्या 3 डीलर को डाउन पेमेंट के रूप में अदा की गई राशि के पश्चात शेष बची राशि 64541/- रूपए अक्षरे चैसठ हजार पांच सौ इकतालिस रूपए एवं उक्त राशि पर वाहन के विक्रय की दिनांक 07.11.2007 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज विपक्षी सॅंख्या 3 को जरिए बैंकर्स चैक दो माह में अदा करेगा । पक्षकारान परिवाद व्यय अपना-अपना वहन करेंगे ।
निर्णय आज दिनांक 12.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।


( ओ.पी.राजौरिया )       (श्रीमती सीमा शर्मा)     (कैलाश चन्द्र शर्मा)    
     सदस्य                  सदस्य            अध्यक्ष      

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE R.K.Mathur]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Seema sharma]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. O.P. Rajoriya]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.