View 6448 Cases Against ICICI Bank
Kailash Chand Modi filed a consumer case on 27 Feb 2015 against ICICI Bank Ltd. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/1198/2013 and the judgment uploaded on 17 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ.अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-1198/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1167/2011)
श्री कैलाश चन्द मोदी पुत्र श्री चैथमल मोदी, आयु 54 वर्ष, जाति महाजन, निवासी- ए-38, फ्रैण्ड्स काॅलोनी, जोड़ला पावर हाऊस, हरमाड़ा, जयपुर (राजस्थान) ।
परिवादी
बनाम
प्रबन्धक, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक लिमिटेड, (दी बैंक आॅफ राजस्थान लिमिटेड), शाखा- पंत कृषि भवन, जनपथ, तिलक मार्ग, सी-स्कीम, जयपुर ।
विपक्षी
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री अजीत सिंह शेखावत, एडवोकेट
विपक्षी बैंक की ओर से श्री अनिल कुमार शर्मा, एडवोकट
निर्णय
दिनांकः- 27.02.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक के विरूद्ध 26.07.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी बैंक में एक खाता संख्या 3080101002837 खोल रखा हैं । परिवादी ने दिनंाक 23.05.2011 को एक चैक पेस स्टाॅक ब्रोकिंग सर्विस लिमिटेड को अपने शयर्स क्रय करने बाबत् 6,000/-रूपये का जारी किया था । परिवादी के खाते में उस समय 7,199/-रूपये शेष थे । लेकिन फिर भी विपक्षी बैंक ने परिवादी का उक्त चैक ’अपर्याप्त राशि’ के रिमार्क के साथ अनादरित करके घोेेेेेेेेर-लापरवाही कर सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी बैंक से परिवाद के मद संख्या 14 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षी बैंक की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि दी बैंक आॅफ राजस्थान का आई.सी.आई.सी.आई. बैंक में विलय हो गया था । डपहतंजपवद क्ंजं म्ततवत होने के कारण 6,000/-रूपये की राशि परिवादी के ऋण खाते में डेबिट हो गई थी । इस कारण विवादित चैक, जो सिकरने के लिए दिनांक 25.05.2011 को विपक्षी बैंक में आया था, नहीं सिकर सका । उक्त त्रुटि तकनीकी रूप से ैलेजमउ डपहतंजपवद क्ंजं म्ततवत की वजह से हुई है । जिसकी जानकारी विपक्षी बैंक को होते ही उनके द्वारा परिवादी के खाते के शेष को सही कर दिया गया । बैंक के क्ंजं ैलेजमउ म्गमबनजपवद में त्रुटि होने के कारण परिवादी के खाते में गलत रूप से राशि डेबिट हो गई थी, जिसे बैंक द्वारा जानकारी में आते ही सुधार कर दिया गया । इसलिए परिवादी के खाते से निकाली गई राशि की त्रुटि सद्भाविक थी । इसमें विपक्षी बैंक का कोई सेवादोष नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री कैलाश चन्द मोदी ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 15 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी बैंक की ओर से श्री विनोद कुमार जैन एवं श्री भगवान दास टेमानी के शपथ पत्र प्रस्तुत किये गये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने दिनंाक 23.05.2011 को पेस स्टाॅक ब्रोकिंग सर्विस लिमिटेड को 6,000/-रूपये का चैक जारी किया था । जिसके संबंध में विपक्षी बैंक ने प्रदर्श-3 दस्तावेज के माध्यम से परिवादी को सूचित किया कि उसका चैक उसके खाते में पर्याप्त राशि के अभाव में सिकरना सम्भव नहीं हैं । जबकि परिवादी द्वारा प्रस्तुत पास बुक प्रदर्श-2 की नकल के अनुसार परिवादी के खाते में दिनंाक 23.05.2011 को 7,260.40 रूपये उपलब्ध थे । इसके बावजूद भी परिवादी का चैक विपक्षी बैंक ने त्रुटिपूर्ण तरीके से सिकरवाने की कार्यवाही नहीं की क्योंकि उनके बैंक के ैलेजमउ डपहतंजपवद क्ंजं म्ततवत में तकनीकी खराबी आ गई थी, जिससे परिवादी का चैक अनादरित हो गया । इस तथ्य को विपक्षी बैंक ने अपने जवाब के मद संख्या 4, 5 एवं 6 में स्वीकार किया हैं । इसके साथ ही विपक्षी बैंक के गवाह श्री भगवानदास टेमानी ने अपने शपथ पत्र के मद संख्या 3, 6 एवं 7 में तकनीकी त्रुटि के कारण परिवादी का चैक गलती से अनादरित होना स्वीकार किया हैं ।
अतः विपक्षी बैंक ने परिवादी का चैक त्रुटिपूर्ण तरीके से अस्वीकार और अनादरित करके सेवादोष कारित किया हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षी बैंक से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी के खाते में 6,000/-रूपये की राशि पूर्व में विपक्षी बैंक ने समायोजित कर दी हैं । अतः इस संबंध में परिवादी को विपक्षी बैंक से कोई अनुतोष दिलाया जाना सम्भव नहीं हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी विपक्षी बैंक से उसका चैक त्रुटिपूर्ण तरीके से अस्वीकार और अनादरित करने से स्वयं को कारित आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी के खाते में 6,000/-रूपये की राशि पूर्व में विपक्षी बैंक ने समायोजित कर दी हैं । अतः इस संबंध में परिवादी को विपक्षी बैंक से कोई अनुतोष दिलाया जाना सम्भव नहीं हैं ।
विपक्षी बैंक को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेगा ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 27.02.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.