Rajasthan

Kota

CC/132/2011

Chothmal gupta - Complainant(s)

Versus

ICICI Bank LTD., MAnager - Opp.Party(s)

Ashok Choudry

11 Dec 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
प्रकरण संख्या-  132 /11
चैथमल गुप्ता पुत्र माधोलाल उम्र 59 साल जाति महाजन निवासी 4-सी-35, दादाबाडी विस्तार योजना, कोटा, राजस्थान।                          -परिवादी।
                     बनाम
01.    मैनेंजर, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक, बैक कार्यालय आई.सी.आई.सी.आई., टावर, 9वीं मंजिल बांद्रा कुर्ली काम्पलेक्स, बांद्रा ई, मुम्बई।
02.    मैनेजर, डी.एस.ए. प्रोम्पट एसोसिएट्स (इंडिया)लि. एफ-140,आजाद मार्ग सी-स्कीम, जयपुर, राजस्थान।                           -विपक्षीगण
समक्ष    
                   भगवान दास    -    अध्यक्ष       
              हेमलता भार्गव   -    सदस्य
       परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1  श्री अशोक चैधरी, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2  श्री आर0एन0 गौतम, अधिवक्ता, विपक्षी सं. 1 की ओर से।
3. विपक्षी सं. 2 के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही। 
   
    निर्णय                 दिनांक 11.12.15  
परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर उनका संक्षेप में यह दोष बताया है कि विपक्षी सं. 1 से खाता संख्या जे.ए.आई. 00000 354932 के जरिये आवास ऋण लिया गया था, जिसकी संपूर्ण राशि अदा कर दी गई, उस ऋण बाबत् 15.01.03 को विपक्षी सं. 2 के यहंाॅ संपत्ति के दस्तावेजात जमा कराये गये थे। संपूर्ण राशि जमा होने के बावजूद दस्तावेजों को उसे नहीं लौटाया गया। बार-बार विपक्षीगण को आवेदन-पत्र प्रस्तुत किये गये, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया, दस्तावेज भी नहीं लौटाये गये। जर्ये अधिवक्ता नोटिस भेजे गये, उसके बावजूद भी सुनवाई नहीं की गई, इससे परिवादी को मानसिक संताप हुआ।
    विपक्षी सं. 1  के जवाब का सार है कि उनके विरूद्ध इस मंच को परिवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है। परिवादी ने ऋण लेने संबंधी सभी कार्यवाही जयपुर में की है। दस्तावेज उनके यहाॅ जमा नहीं करवाये, विपक्षी सं. 2 के यहाॅ जमा करवाये, जिसका उनसे कोई संबंध नहीं है। परिवाद गलत पेश किया गया है। 
    विपक्षी सं. 2 बावजूद विधिवत सूचना उपस्थित नहीं  आया है इसलिये उसके विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही के आदेश दिये गये। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा अपना पहचान पत्र, विद्युत उपयोग बिल, विपक्षी सं. 1 को की गई शिकायत व उनसे प्राप्त पत्र, विपक्षी सं. 2 की दस्तावेज प्राप्त करने संबंधी रसीद, विपक्षी सं. 1 को प्रेषित कानूनी नोटिस  आदि की प्रतियाॅं प्रस्तुत की हैं ।
    विपक्षी सं. 1 की ओर से राजेन्द्र अग्रवाल का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया। 
    हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया। 
    विपक्षी सं.1 की यह आपत्ति सारवान है कि परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद के संबंध में इस मंच को सुनवाई का अधिकार नहीं है, क्योंकि परिवादी ने ऋण संबंधि समस्त कार्यवाही जयपुर में की तथा दस्तोवज भी विपक्षी सं. 2 को जयपुर में दिये। परिवादी ने परिवाद में इस आधार पर इस मंच को सुनवाई का अधिकार बताया है कि वह कोटा का निवासी है । हम पाते है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार परिवादी के निवास के स्थान के आधार पर मंच को किसी परिवाद की सुनवाई का अधिकार प्राप्त नहीं होता है। विपक्षी का कार्य स्थल अथवा वादकारण उत्पन्न होने के स्थान के आधार पर ही मंच को सुनवाई का अधिकार मिलता है। केवल इस मंच के प्रादेशिक क्षैत्राधिकार में किसी कार्यालय की शाखा स्थित होने मात्र से भी मंच को सुनवाई का अधिकार प्राप्त नहीं होता है। माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, न्यू देहली ने प्रथम अपील संख्या 428/08 न्यू इंडिया एश्योरेन्स कंपनी लि0 बनाम गोपाल गुप्ता आदि में पारित निर्णय दिनांक 03.09.13 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय सोनिक सर्जिकल बनाम नेशनल इंशोरेन्स कंपनी लि0 (2010)1 एस.सी.सी. 135 के आधार पर यह व्यवस्था दी है कि केवल किसी विपक्षी कंपनी का कार्यालय/संस्थान या व्यापार करने के मुख्य कार्यालय की शाखा किस स्थान पर स्थित होने उस स्थान से संबंधित प्रादेशिक क्षैत्राधिकार रखने वाली जिला मंच को विवाद की सुनवाई का क्षैत्राधिकार प्राप्त नहीं होता है। जब तक कि उस शाखा के संबंध में कोई विवाद उत्पन्न नहीं हो। 
    प्रस्तुत मामले में उक्त दृष्टान्त भी भलीभाॅति लागू होता है। परिवादी का यह केस नही है कि विपक्षीगण की कोटा स्थित किसी शाखा के कार्य के संबंध में कोई वादकारण उत्पन्न हुआ है। 
    परिवादी के अनुसार उसने दस्तावेजात विपक्षी सं. 2 को संभलाये जिसकी रसीद प्रस्तुत की गई है जिसका कार्य-स्थल जयपुर में है। उसके संबंध में भी इस मंच को सुनवाई का अधिकार नहीं है। 
    उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप हम पाते है कि परिवाद इस मंच की सुनवाई के योग्य नहीं है क्योंकि विपक्षीगण का कार्यालय/ संस्थान इस मंच के प्रादेशिक क्षैत्राधिकार के अन्तर्गत स्थित नहीं है तथा इस मंच के प्रादेशिक क्षैत्राधिकार के अन्तर्गत कोई वादकारण भी उत्पन्न नहीं हुआ है। 
    अतः परिवाद खारिज होने योग्य है। 

                आदेश 

     परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 


(हेमलता भार्गव)                             ( भगवान दास)  
  सदस्य                                             अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                          जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।                           प्रतितोष मंच, कोटा।
    निर्णय  आज दिनंाक 11.12.15 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 
                                     
  सदस्य                                           अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                         जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।                          प्रतितोष मंच, कोटा।

 

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