Shri Ratan Singh filed a consumer case on 12 Jun 2018 against ICICI Lombard General Insurance Com. Ltd. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/20/2017 and the judgment uploaded on 29 Jun 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/20/2017
Shri Ratan Singh - Complainant(s)
Versus
ICICI Lombard General Insurance Com. Ltd. - Opp.Party(s)
12 Jun 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-20/2017
रतन सिंह पुत्र श्री टीका राम आयु 49 वर्ष निवासी ग्राम चॉंदपुर मंगोल थाना कुन्दरकी तहसील बिलारी जिला मुरादाबाद। परिवादी
बनाम
1-आई.सी.आई.सी.आई. लोमबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. द्वारा अपने प्रबन्धक कारपोरेट चैम्बर नं.-1 चतुर्थ तल मण्डी समिति के सामने गोमतीनगर लखनऊ।
2-आर.ए. मोटर्स प्रा.लि. निकट जीरो पाइन्ट रामपुर रोड मुरादाबाद। विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 17-02-2017 निर्णय तिथि: 12.06.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित क्लेम राशि अंकन-3,35,835/-रूपये दिलायी जाये। आर्थिक व मानसिक क्षतिपूर्ति की मद में 50 हजार रूपये और परिवाद व्यय की मद में 15 हजार परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी वाहन सं.-यू.पी.-21बीएन-2952 का पंजीकृत स्वामी है। यह वाहन दिनांक 21-12-2015 से 20-12-2016 तक की अवधि हेतु विपक्षी-1 से बीमित था। यह बीमा विपक्षी-1 से विपक्षी-2 द्वारा कराया गया था। बीमा अवधि में दिनांक 11-5-2016 को परिवादी का यह वाहन थाना बिलारी के क्षेत्रान्तर्गत दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना में वाहन पूर्णतया नष्ट हो गया। दुर्घटना के संदर्भ में थाना बिलारी पर मुकदमा दर्ज कराया गया। परिवादी ने दुर्घटना की सूचना विपक्षी-1 को दी तथा विपक्षी-1 के निर्देशानुसार दुर्घटनाग्रस्त वाहन विपक्षी-2 को ठीक करने हेतु सौंप दिया। विपक्षी-2 ने वाहन को सही करने में अंकन-3,35,835/-रूपये का परिवादी को बिल दिया, जिसका परिवादी ने उसे भुगतान कर दिया। परिवादी ने विपक्षी-1 को दुर्घटना एवं वाहन से संबंधित आवश्यक प्रपत्र, जो विपक्षी-1 द्वारा मांगे गये थे, उपलब्ध कराये और परिवादी का बीमा दावा विपक्षी-1 ने पंजीकृत कर लिया। विपक्षी-1 ने आवश्यक जांच करायी और दावे का शीघ्र भुगतान करने का आश्वासन दिया किन्तु उसने भुगतान नहीं किया बल्कि क्लेम को खारिज कर दिया। परिवादी के अनुसार उसका बीमा दावा गलत खारिज किया गया है। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथपत्र कागज सं.-3/3 दाखिल किया। शपथपत्र के साथ उसने वाहन की आर.सी., बीमा सर्टिफिकेट, परमिट, फिटनेस प्रमाण पत्र, चालक सूरज सिंह के ड्राईविंग लाइसेंस, विपक्षी-2 द्वारा वाहन ठीक करने में हुए व्यय के बिल और रेपुडिएशन लेटर की छायाप्रतियों को दाखिल किया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/4 लगायत 3/13 हैं। परिवादी ने अपने आधार कार्ड की छायाप्रति भी परिवाद के साथ दाखिल की है।
विपक्षी-1 ने अपना प्रतिवाद पत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/3 दाखिल किया, जिसमें परिवादी के प्रश्नगत वाहन का बीमा होना, बीमा अवधि में उसका दुर्घटनाग्रस्त होना, दुर्घटना की सूचना उत्तरदाता विपक्षी को प्राप्त होने पर वाहन को ठीक कराने हेतु परिवादी को वाहन विपक्षी-2 को सुपूर्द करने के लिए कहना, परिवादी द्वारा आवश्यक प्रपत्र उपलब्ध कराते हुए दावा प्रस्तुत किया जाना और प्रश्नगत वाहन ठीक करने में अंकन-3,35,835/-रूपये का व्यय होना तो स्वीकार किया गया है किन्तु इस बात से इंकार किया गया है कि अभिकथित दुर्घटना के समय चालक के पास प्रश्नगत वाहन चलाने का वैध और प्रभावी ड्राईविंग लाइसेंस था। उत्तरदाता विपक्षी की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि चालक सूरज सिंह ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने हेतु अधिकृत नहीं था और इस आधार पर उत्तरदाता विपक्षी-1 ने परिवादी का क्लेम अस्वीकृत कर दिया और ऐसा करके विपक्षी-1 ने कोई त्रुटि नहीं की है। उक्त कथनों के आधार पर विपक्षी-1 की ओर से परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
विपक्षी-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-5/1 दाखिल किया गया। जिसमें कहा गया है कि परिवादी ने स्वेच्छा से प्रश्नगत वाहन का बीमा विपक्षी-1 से कराया था और बीमा कराने में विपक्षी-2 का कोई हाथ नहीं था। परिवादी ने अपना दुर्घटनाग्रस्त वाहन उत्तरदाता विपक्षी-2 के वर्कशॉप में ठीक कराने हेतु दिया था, जिसे सही करके उत्तरदाता ने उसे परिवादी को सौंप दिया था। उत्तरदाता विपक्षी ने क्लेम प्रस्तुत करने और उसे अस्वीकृत कर दिये जाने के संदर्भ में अपना सरोकार होने से इंकार करते हुए और यह कहते हुए कि विपक्षी-2 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है, परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की। विपक्षी-2 के प्रबन्धक श्री शिवस्वरूप शर्मा ने अपने प्रतिवाद पत्र के कथनों के समर्थन में अपना शपथपत्र कागज सं.-5/2 भी प्रतिवाद पत्र के साथ दाखिल किया।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/2 दाखिल किया, जिसके साथ उसने उन सभी प्रपत्रों को बतौर संलग्नक दाखिल किया, जो उसने परिवाद प्रस्तुत किये जाते समय परिवाद के साथ दाखिल किये थे। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-12/3 लगायत 12/12 हैं।
विपक्षी-1 की ओर से उनके मैनेजर, लीगल श्री सिद्धार्थ जैन का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-16/1 लगायत 16/4 दाखिल हुआ, जिसके साथ दुर्घटनाग्रस्त वाहन के चालक सूरज सिंह के चालक लाइसेंस के अस्ट्रेक्ट की नकल बतौर संलग्नक दाखिल की गई, ये प्रपत्र पत्रावली का कागज सं.-16/3 व 16/4 है।
विपक्षी-2 की ओर उनके प्रबन्धक श्री शिव स्वरूप शर्मा ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-15 दाखिल किया, जिसमें उन्होंने अपने प्रतिवाद पत्र के कथनों को दोहराया।
परिवादी ने रिज्वाइंडर साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-17 दाखिल किया, जिसमें उसने कहा कि अभिकथित दुर्घटना के समय उसका वाहन सड़क पर साईड में कच्चे में खड़ा हुआ था। इस रिज्वाइंडर शपथपत्र के साथ परिवादी ने थाना बिलारी पर दर्ज करायी गई एफ.आई.आर. की नकल भी बतौर संलग्नक दाखिल की, जो पत्रावली का कागज सं.-17/2 लगायत 17/4 है।
परिवादी तथा विपक्षी-1 ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की। विपक्षी-2 की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
पत्रावली में अवस्थित प्रश्नगत वाहन की आर.सी. की प्रति की नकल कागज सं.-3/4 के अनुसार यह वाहन सं.-यूपी-21बीएन-2952 मैक्सी कैब है, जिसका खाली भार 1000 किलोग्राम है। मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 की धारा-2(21), धारा-2(22), धारा-2(35), धारा-2(47) एवं धारा-2(48) के समेकित अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादी का यह वाहन लाईट मोटर व्हीकल श्रेणी का ‘’ट्रांसपोर्ट व्हीकल’’ है।
विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने चालक के चालक लाइसेंस के अक्सट्रेक्ट की नकल कागज सं.-16/3 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुए कथन किया कि चालक सूरज सिंह अभिकथित दुर्घटना के समय लाईट मोटर व्हीकल श्रेणी का नॉन ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने हेतु अधिकृत था, वह इस श्रेणी का ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने हेतु इस चालक लाइसेंस के अनुसार चूंकि अधिकृत नहीं था, अतएव बीमा कंपनी ने परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत करके कोई त्रुटि नहीं की। अपने इस तर्क के समर्थन में उन्होंने II(2017) सीपीजे पृष्ठ 41, शारदा बाई बनाम मैनेजर लिबर्टी वीडियोकोन जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. तथा III(2017) सीपीजे पृष्ठ 1, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि. बनाम जिबा भाई माल्दी भाई गोधनिया की निर्णयज विधियों में मानरीय राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली द्वारा दी गई व्यवस्थाओं का अवलम्ब लिया। इन निर्णयज विधियों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यह अवधारित किया गया है कि कामर्शियल व्हीकल चला रहे चालक के पास यदि लाईट मोटर व्हीकल चलाने का लाइसेंस है किन्तु उस लाइसेंस पर कामर्शियल व्हीकल चलाने का एन्डोर्समेंट नहीं है तो बीमा कंपनी बीमा दावे का भुगतान करने की उत्तरदायी नहीं होगी। मुकुन्द देवांगन बनाम ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लि. (2016) 4 एससीसी पृष्ठ 298 के मामले में सुनवाई के दौरान माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह प्रश्न उठा कि यदि कोई चालक ‘’ट्रांसपोर्ट व्हीकल’’ चला रहा हो और उसके पास ‘’लाईट मोटर व्हीकल’’ चलाने का ड्राईविंग लाइसेंस हो तो क्या उसके लिए यह आवश्यक है कि वह अपने ड्राईविंग लाइसेंस पर ‘’ट्रांसपोर्ट व्हीकल’’ चलाने का एन्डोर्समेंट भी कराये। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की द्विसदस्य पीठ ने उक्त प्रश्न को वृह्द पीठ को रेफर किया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय वृह्द पीठ ने उक्त रेफरेंस का निस्तारण मुकुन्द देवांगन बनाम ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लि. IV(2017) सीपीजे पृष्ठ 13 (एससी) की निर्णयज विधि में किया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की वृह्द पीठ ने संदर्भित बिन्दु के विनिश्चय हेतु 4 प्रश्न गठित किये, जिनमें से हमारे समक्ष विद्यमान विवाद हेतु निम्नलिखित दो प्रश्न सुसंगत है, जो निम्नवत है-
“What is the meaning to be given to the definition of “light motor vehicle” as defined in section 2(21) of the MV Act? Whether transport vehicles are excluded from it?
Whether “transport vehicle” and “omnibus” the “gross vehicle weight” of either of which does not exceed 7500 kg. would be a “light motor vehicle” and also motor car or tractor or a road roller, “unladen weight” of which does not exceed 7500 kg. and holder of a license to drive the class of “light motor vehicle” as provided in section 10(2)(d) would be competent to drive a transport vehicle or omnibus, the “gross vehicle weight” of which does not exceed 7500 kgs. or a motor car or tractor or road roller, the “unladen weight” of which does not exceed 7500 kgs.? ”
14-माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उक्त दोनों प्रश्नों का निम्नलिखित उत्तर दिया है-
“Light motor vehicle’ as defined in section 2(21) of the Act would include a transport vehicle as per the weight prescribed in section 2(21) read with section 2(15) and 2(48). Such transport vehicles are not excluded from the definition of the light motor vehicle by virtue of Amendment Act No. 54/1994.
A transport vehicle and omnibus, the gross vehicle weight of either of which does not exceed 7500 kg. would be a light motor vehicle and also motor car or tractor or a road roller, ‘unladen weight’ of which does not exceed 7500 kg. and holder of a driving license to drive class of ‘’light motor vehicle’’ as provided in section 10(2)(d) is competent to drive a transport vehicle or omnibus, the gross vehicle weight of which does not exceed 7500 kg. or a motor car or tractor or road-roller, the ‘’unladen weight’’ of which does not exceed 7500 kg. That is to say, no separate endorsement on the license is required to drive a transport vehicle of light motor vehicle class as enumerated above. A license issued under section 10(2)(d) continues to be valid after Amendment Act 54/1994 and 28.03.2001 in the form.”
15-माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उक्त संदर्भ में यह विनिश्चय कर दिया है कि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा-2(21) में परिभाषित ‘’लाईट मोटर व्हीकल’’ में ऐसे ट्रांसपोर्ट व्हीकल भी सम्मिलित हैं, जिनका खाली भार 7500 किलोग्राम से अधिक नहीं है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी अवधारित किया है कि ऐसा ट्रांसपोर्ट व्हीकल जिसका खाली वज़न 7500 किलोग्राम है, को लाईट मोटर व्हीकल के लाइसेंस धारक द्वारा चलाये जाने हेतु ड्राईविंग लाइसेंस पर पृथक से एन्डोर्समेंट आवश्यक नहीं है और ऐसा ड्राईवर बिना एन्डोर्समेंट के लाईट मोटर व्हीकल श्रेणी की ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने हेतु अधिकृत है।
16-माननीय सर्वोच्च न्यायालय की उक्त विधि व्यवस्था के दृष्टिगत परिवादी का ड्राईवर सूरज सिंह अभिकथित दुर्घटना के समय वाहन सं.-यूपी-21बीएन-2952 चलाने हेतु अधिकृत था। विपक्षीगण ने परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत करके त्रुटि की है।
17-परिवादी का वाहन ठीक कराने में परिवादी के अंकन-3,35,835/-रूपये खर्च हुए हैं, जिसपर विपक्षीगण ने अपने-अपने प्रतिवाद पत्रों में विवाद नहीं किया है। परिवादी, विपक्षी-1 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित उक्त धनराशि पाने का अधिकारी है। इसके अतिरिक्त परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति की मद में दस हजार रूपये और परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये दिलाया जाना भी हम न्यायोचित समझते हैं। परिवाद तद्नुसार स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-3,35,835(तीन लाख पैंतीस हजार आठ सौ पैंतीस) रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षी-1 के विरूद्ध स्वीकृत किया जाता है। विपक्षी-1 से परिवादी क्षतिपूर्ति की मद में दस हजार रूपये और परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि का भुगतान परिवादी को एक माह में किया जाये।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
दिनांक: 12-06-2018
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