Chhattisgarh

Bilaspur

CC/06/228

SHRI VIKRAM LAL SAHU - Complainant(s)

Versus

ICICI - Opp.Party(s)

SHRI MUKESH SHARMA

20 Apr 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/06/228
 
1. SHRI VIKRAM LAL SAHU
ABHISHEK BHAWAN BEHIND WARE HOUSE ROAD BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. I.C.I.C.I.
AGRASEN CHWOK BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
2. I.C.I.C.I. LOMBARDE GENARAL INSURANCE
BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI MUKESH SHARMA
 
For the Opp. Party:
NA 1 SHRI PANKAJ KHEDKAR
NA 2 SHRI ASHOK PRADHAN
 
ORDER

// जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//

 

                   प्रकरण क्रमांक CC/228/2006          

                    प्रस्‍तुति दिनांक 21/08/2006

बिक्रम लाल साहू,

उम्र 50 साल आ. श्री बृजलाल साहू,

अभिषेक भवन

वेयर हाउस रोड के पीछे

जिला बिलासपुर छ.ग.                       ......आवेदक/परिवादी

                                 विरूद्ध

1- आई0सी0आई0सी0आई0 होम फायनेंस कंपनी लिमिटेड

     द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच आफिस अग्रसेन चौक  जिला बिलासपुर छ.ग.

 2. आई0सी0आई0सी0आई0लोंबार्ड जनरल इंश्‍योरेंस

     द्वारा शाखा प्रबंधक,बिलासपुर

    कार्यालय बी0आर0खालसा

      लिंकरोड बिलासपुर छ0ग0                  .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार

 

                                                         आदेश

                               (आज दिनांक 20/04/2015 को पारित)

 

१. आवेदक  विक्रम लाल साहू ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक गण के विरूद्ध अनुचित व्‍यापारिक व्‍यवहार के लिए पेश किया है और अनावेदक गण से क्षतिपूर्ति के रूप में 98,000/. रूपये की राशि ब्‍याज के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।

2. परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक  भारतीय जीवन बीमा निगम होम फाइनेंस लिमिटेड से ऋण लेकर मकान बनवाया था, उसमें अतिरिक्‍त निर्माण के लिए उसने अनावेदक बैंक से 8 लाख रूपये ऋण लेना चाहा, जहां उसे उसकी पात्रता 7,75,000/. रूपये बताई गई और कहा गया कि भारतीय जीवन बीमा निगम का ऋण भुगतान कर उसे शेष ऋणराशि प्रदान कर दिया जाएगा, साथ ही ऋण वापसी की अव‍धि 15 वर्ष निर्धारित की गई, जिसे आवेदक स्‍वीकार किया, किंतु इसके विपरीत अनावेदक बैंक द्वारा उसे केवल 4,61,129/.रूपये ऋण स्‍वीकृत किया गया, साथ ही ऋण वापसी की अव‍धि मनमाने ढंग से 11 साल निर्धारित कर दी गई। केवल इतना ही नहीं, अनावेदक बैंक द्वारा उसे स्‍वीकृत ऋणराशि में से 4,39,171/. रूपये उसके भारतीय जीवन बीमा निगम होम फाइनेंस लिमिटेड के लोन एकाउंट में तथा शेष राशि 21,950/. रूपये इंश्‍योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम के रूप में अपनी ही एक अन्‍य शाखा आई.सी.आई.सी.आई.लोम्‍बार्ड जनरल इंश्‍योरेंस कंपनी में उसके नाम अवैधानिक रूप से जमा कर दिया गया । अत: यह अभिकथित करते हुए कि अनावेदक बैंक द्वारा उसके साथ धोखा किया गया, जिसके कारण उसे अन्‍य जगह से कर्ज लेकर निर्माण कार्य पूर्ण कराना पडा जबकि उसे भारतीय जीवन बीमा निगम होम फाइनेंस लिमिटेड के कर्ज अदायगी हेतु रकम की आवश्‍यकता नहीं थी , बल्कि अतिरिक्‍त निर्माण के लिए अनावेदक बैंक से कर्ज की मांग  किया था, किंतु इस संबंध में अनावेदक बैंक द्वारा उसके साथ धोखा किया गया यह परिवाद पेश करते हुए अनावेदक से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।

3. अनावेदक बैंक की ओर से जवाब पेश कर यह तो स्‍वीकार किया गया कि आवेदक द्वारा उनके बैंक से 4,61,129/. रूपये ऋण लिया गया था। आगे अनावेदक बैंक आवेदक के परिवाद के शेष कथनों से इंकार करते हुए यह अभिकथित किया है कि आवेदक को ऋण राशि तथा उसके भुगतान संबंधी सभी जानकारी उपलब्‍ध कराई गई थी और उसी के पश्‍चात् आवेदक द्वारा ऋण राशि प्राप्‍त की गई थी और इस प्रकार अनावेदक बैंक सेवा में किसी भी प्रकार की कमी से इंकार करते हुए आवेदक के परिवाद को निरस्‍त किये जाने का निवेदन किया है ।  

4. अनावेदक क्रमांक 2 की ओर से कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया है।

5. उभय पक्ष अधिवक्‍ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।

6. देखना यह है कि क्‍या आवेदक अनावेदक बैंक से वांछित अनुतोष प्राप्‍त करने का अधिकारी है

                                                                  सकारण निष्‍कर्ष

7. आवेदक का कथन है कि उसने भारतीय जीवन बीमा निगम होम फायनेंस लिमिटेड से ऋण लेकर मकान बनवाया था, जिसके भुगतान हेतु उसे ऋण की आवश्‍यकता नहीं थी, बल्कि उसने अतिरिक्‍त निर्माण कार्य के लिए अनावेदक बैंक से कर्ज की मांग किया था, किंतु अनावेदक बैंक द्वारा उसे आश्‍वासन देकर तयशुदा रकम 7,75,000/. रूपये का ऋण देने के बजाय केवल 4,61,129/. रूपये का ऋण स्‍वीकृत कर उसमें से  4,39,171/. रूपये उसके भारतीय जीवन बीमा निगम होम फायनेंस लिमिटेड के एकाउंट में जमा करते हुए शेष रकम 21,950/. रूपये इंश्‍योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम के रूप में अपनी ही एक अन्‍य शाखा आई.सी.आई.सी.आई.लोम्‍बार्ड जनरल इंश्‍योरेंस कंपनी में उसके नाम जमा कर उसके साथ धोखा किया गया, जिसके कारण उसे अन्‍य रूप से कर्ज लेकर अपने मकान में अतिरिक्‍त निर्माण कार्य कराना पडा फलस्‍वरूप उसे आर्थिक एवं मानसिक परेशानी हुई अत: उसने यह परिवाद पेश करना बताया है ।

8. इसके विपरीत अनावेदक बैंक का कथन है कि  आवेदक को ऋण राशि तथा उसके भुगतान संबंधी सभी जानकारी उपलब्‍ध कराई गई थी और उसके बाद ही आवेदक ऋण प्राप्‍त किया था और इस प्रकार अनावेदक बैंक द्वारा आवेदक के साथ किसी भी प्रकार की सेवा में कमी किऐ जाने से इंकार किया गया है ।

9.आवेदक यद्यपि अनावेदक बैंक पर अनुचित व्‍यापारिक व्‍यवहार करने का आरोप लगाया है, किंतु वह अपने समर्थन में ऐसा कोई दस्‍तावेज पेश नहीं किया है जिससे दर्शित हो कि अनावेदक बैंक उसे 15 वर्षो के किश्‍तों के अधीन ऋण के रूप में 7,75,000/.रूपये की राशि देने को सहमत हुआ था, किंतु उसके द्वारा आवेदक को केवल 4,61,129/. रूपये का ऋण स्‍वीकृत किया गया था, बल्कि आवेदक द्वारा पेश होम लोन दस्‍तावेजों से दर्शित होता है कि उसकी सहमति से ही अनावेदक बैंक द्वारा उसे 4,61,129/. रूपये का ऋण 132 माह के किश्‍त के अधीन स्‍वीकृत किया गया था ।

10.उपरोक्‍त कारणों से हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदक अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा है अत: उसका परिवाद निरस्‍त किया जाता है ।

11.उभयपक्ष अपना अपना वादव्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे ।

 

                                  (अशोक कुमार पाठक)                              (प्रमोद वर्मा)

                                               अध्‍यक्ष                                      सदस्‍य

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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